📍नई दिल्ली | 14 Jul, 2025, 2:04 PM
INS Mahendragiri: भारत अब सभी युद्धपोतों का निर्माण अब भारत में ही करेगा। प्रोजेक्ट 17A के तहत बन रहे नीलगिरी-क्लास के स्टील्थ फ्रिगेट्स में से आखिरी युद्धपोत, INS महेंद्रगिरि, फरवरी 2026 तक भारतीय नौसेना को सौंप दिया जाएगा। यह नीलगिरी क्लास का सातवां और सबसे आधुनिक युद्धपोत है। इस फ्रिगेट (युद्धपोत) को मुंबई स्थित मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड (MDL) में तैयार किया जा रहा है और इसे फरवरी 2026 तक भारतीय नौसेना को सौंप दिया जाएगा।
INS Mahendragiri: क्या है प्रोजेक्ट 17A?
प्रोजेक्ट 17A, भारतीय नौसेना के लिए बनाए जा रहे गाइडेड मिसाइल फ्रिगेट्स की एक सीरीज है। इस प्रोजेक्ट के तहत कुल 7 स्टील्थ फ्रिगेट्स बनाए जा रहे हैं, जिनमें से 4 को मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड, मुंबई और 3 को गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स (GRSE), कोलकाता में तैयार किया जा रहा है। INS महेंद्रगिरि, MDL द्वारा बनाए जा रहे चौथे और आखिरी शिप के रूप में फरवरी 2026 में नौसेना को सौंपा जाएगा।
🚢🇮🇳 Mahendragiri — The future of Indian naval power is on the horizon!
The 7th & most advanced frigate under Project 17A (Nilgiri Class), Mahendragiri, will be delivered by Feb 2026. A proud successor to the Shivalik-class, it features:
🔹 Enhanced stealth design
🔹… pic.twitter.com/7DDzBbtNEJ— Raksha Samachar | रक्षा समाचार 🇮🇳 (@RakshaSamachar) July 14, 2025
प्रोजेक्ट 17A के तहत बन रहे ये युद्धपोत भारतीय नौसेना को हिंद महासागर क्षेत्र में और मजबूत बनाएंगे। ये जहाज पारंपरिक और गैर-पारंपरिक खतरों, जैसे समुद्री डकैती, तस्करी, और प्राकृतिक आपदाओं, से निपटने में सक्षम हैं। नौसेना का कहना है, “ये युद्धपोत भारत की समुद्री सुरक्षा को और मजबूत करेंगे। हिंद महासागर क्षेत्र में बदलते शक्ति संतुलन और चीन की बढ़ती मौजूदगी के बीच ये जहाज हमारी ताकत का प्रतीक हैं।”
INS महेंद्रगिरि की खूबियां
INS महेंद्रगिरि प्रोजेक्ट 17A के तहत बनने वाला सातवां और आखिरी स्टील्थ फ्रिगेट है। मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड (MDL) के अतिरिक्त महाप्रबंधक जय वर्गीज जय वर्गीज ने बताया, “महेंद्रगिरि प्रोजेक्ट 17A का चौथा और अंतिम युद्धपोत है, जो MDL में बन रहा है। यह नीलगिरी-क्लास का हिस्सा है और भारतीय नौसेना को और मजबूती देगा। यह युद्धपोत अत्याधुनिक तकनीक से लैस है और हवा, समुद्र, और पानी के नीचे के खतरों से निपटने में सक्षम है।”
इस युद्धपोत का नाम ओडिशा के पूर्वी घाट में स्थित महेंद्रगिरि पर्वत के नाम पर रखा गया है। यह नीलगिरी-क्लास का सातवां युद्धपोत है, जो पुरानी शिवालिक-क्लास (प्रोजेक्ट 17) का एडवांस वर्जन है।
अत्याधुनिक घातक हथियारों से है लैस
INS महेंद्रगिरि में कई आधुनिक हथियार और सेंसर लगाए गए हैं, जो इसे मल्टीपर्पज और ताकतवर बनाते हैं। जय वर्गीज ने बताया, “यह युद्धपोत ब्रह्मोस और बराक मिसाइलों, टॉरपीडो, रॉकेट लॉन्चर, और AK-630 क्लोज-इन वेपन सिस्टम से जैसे घातक हथियारों से लैस है। यह हवा, समुद्र, और पानी के नीचे के लक्ष्यों पर सटीक हमला कर सकता है। इसके अलावा, इस युद्धपोत पर एक इंटीग्रेटेड हेलिकॉप्टर (सम्भवत: ALH या MH-60R) भी मौजूद रहेगा, जिससे समुद्र में गश्त और विरोधी पनडुब्बियों पर नजर रखना और आसान हो जाएगा।”

इसमें लगीं ब्रह्मोस मिसाइलें सुपरसोनिक सरफेस-टू-सरफेस मिसाइलें हैं, जो 500 किलोमीटर तक की दूरी तक लक्ष्य भेद सकती हैं। वहीं, बराक मिसाइलें मध्यम दूरी की सरफेस-टू-सरफेस मिसाइलें हैं, जो हवाई खतरों को नष्ट करने में सक्षम हैं। ये भारत और इजराइल ने मिलकर डेवलप की हैं। पानी के नीचे के खतरों, जैसे पनडुब्बियों, से निपटने के लिए टॉरपीडो हैं। जबकि नजदीकी खतरों, जैसे मिसाइलों और छोटे जहाजों, से निपटने के लिए इसमें AK-630 गन लगी। इसमें 76 एमएम की मुख्य तोप है, जो लंबी दूरी तक हमला करने में सक्षम है और इसे भारत हेवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड (BHEL) ने बनाया है। साथ ही, यह वॉरशिप एडटी-सबरमरीन वारफेयर के RBU-6000 रॉकेट लॉन्चर से भी लैस है।
इसके अलावा, युद्धपोत में अत्याधुनिक रडार सिस्टम (EL/M-2248 MF-STAR) और हुम्सा-एनजी सोनार सिस्टम भी हैं, जो इसे दुश्मन के जहाजों और पनडुब्बियों का पता लगाने में सक्षम बनाते हैं।
75 फीसदी स्वदेशी सामग्री
प्रोजेक्ट 17A के तहत बन रहे सभी सात युद्धपोतों में करीब 75 फीसदी स्वदेशी सामग्री का इस्तेमाल हुआ है। बाकी 25 फीसदी हिस्सा आयातित उपकरणों का है, जिसमें गैस टरबाइन (अमेरिका की GE कंपनी से), मल्टी-फंक्शन रडार (इजराइल से), और बराक मिसाइल सिस्टम शामिल हैं। यह स्वदेशीकरण भारत की आत्मनिर्भरता की दिशा में एक बड़ा कदम है।
इस प्रोजेक्ट में 200 से ज्यादा छोटे और मध्यम उद्यमों (MSMEs) ने हिस्सा लिया है, जिससे देश में रोजगार के अवसर बढ़े हैं। भारतीय नौसेना के वॉरशिप डिज़ाइन ब्यूरो ने इन युद्धपोतों को डिज़ाइन किया है, जो भारत की तकनीकी क्षमता को दर्शाता है।
रडार क्रॉस-सेक्शन (RCS) और इन्फ्रारेड सिग्नेचर कम
इस युद्धपोत की लंबाई करीब 149 मीटर होगी और इसका वज़न (डिस्प्लेसमेंट) लगभग 6,670 टन होगा। यह पोत करीब 28 नॉट्स (52 किमी/घंटा) की अधिकतम गति से चल सकेगा। इनमें स्टील्थ तकनीक का उपयोग हुआ है, जिससे इनका रडार क्रॉस-सेक्शन (RCS) और इन्फ्रारेड सिग्नेचर कम होता है, जिससे दुश्मन के लिए इन्हें पकड़ना मुश्किल हो जाता है। INS महेंद्रगिरि में आधुनिक इंटीग्रेटेड प्लेटफॉर्म मैनेजमेंट सिस्टम (IPMS) लगा होगा, जिससे जहाज के सभी प्रणालियों को डिजिटल रूप से नियंत्रित किया जा सकेगा। इसमें CODOG (Combined Diesel or Gas) प्रणाली का इस्तेमाल किया गया है, जिसमें डीज़ल इंजन और गैस टरबाइन दोनों होंगे। इससे पोत को गति और दक्षता दोनों मिलती है।
कम समय में निर्माण
INS महेंद्रगिरि और अन्य युद्धपोतों को ‘इंटीग्रेटेड कंस्ट्रक्शन’ तकनीक से तैयार किया जा रहा है। इसका मतलब है कि निर्माण के दौरान ही अधिकतर उपकरणों को पहले से इंस्टॉल कर दिया जाता है, जिससे पोत को तैयार करने में समय की बचत होती है। उदाहरण के तौर पर, इसी प्रोजेक्ट के तहत बनी INS उदयगिरि को लॉन्चिंग के केवल 37 महीनों में नौसेना को सौंप दिया गया, जो अपने आप में एक रिकॉर्ड है। इसमें इंटीग्रेटेड प्लेटफॉर्म मैनेजमेंट सिस्टम (IPMS) लगा है, जो जहाज के सभी सिस्टम को कंट्रोल करता है। इसमें हेलीकॉप्टर डेक है, जिसमें HAL ध्रुव या सी किंग Mk. 42B जैसे हेलीकॉप्टरों को रखने की सुविधा है, जो समुद्री निगरानी और पनडुब्बी-रोधी युद्ध में मदद करते हैं।
INS महेंद्रगिरि को 1 सितंबर 2023 को मझगांव डॉक में लॉन्च किया गया था। इस समारोह में उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ की पत्नी सुदेश धनखड़ मुख्य अतिथि थीं। लॉन्च के बाद यह युद्धपोत अरब सागर के वेट बेसिन में खड़ा है, जहां इसकी फिटिंग और ट्रायल चल रहे हैं। फरवरी 2026 तक इसे पूरी तरह तैयार करके नौसेना को सौंप दिया जाएगा।
इससे पहले, प्रोजेक्ट 17A के तहत INS नीलगिरी को जनवरी 2025 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नौसेना में शामिल किया था। INS उदयगिरि को 1 जुलाई 2025 को नौसेना को सौंपा गया, और इसे अगस्त 2025 में कमीशन किया जाएगा। बाकी पांच युद्धपोत (हिमगिरि, तारागिरि, दुनागिरि, विंध्यगिरि, और महेंद्रगिरि) 2026 के अंत तक नौसेना में शामिल हो जाएंगे।
रक्षा समाचार न्यूज डेस्क भारत की अग्रणी हिंदी रक्षा समाचार टीम है, जो Indian Army, Navy, Air Force, DRDO, रक्षा उपकरण, युद्ध रणनीति और राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ी विश्वसनीय और विश्लेषणात्मक खबरें प्रस्तुत करती है। हम लाते हैं सटीक, सरल और अपडेटेड Defence News in Hindi। हमारा उद्देश्य है – “हर खबर, देश की रक्षा के लिए।”