📍नई दिल्ली | 12 Jul, 2025, 1:58 PM
Shtil-1 Missile System: हाल ही में भारतीय नौसेना ने रूस में बने अत्याधुनिक युद्धपोत आईएनएस तमाल को अपने बेड़े में शामिल किया है। भारतीय नौसेना में शामिल होने वाला यह आखिरी वारशिप है, जिसके बाद अब सभी जहाज भारत में ही बनाए जाएंगे। आईएनएस तमाल को मॉडर्न वारफेयर की चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार किया गया है। आईएनएस तमाल में कई एडवांस विपंस लगे हैं, जिनमें सबसे खास है श्तिल-1 (Shtil-1) वर्टिकल लॉन्च सरफेस-टू-एयर मिसाइल (SAM) सिस्टम। यह मिसाइल सिस्टम हवाई खतरों से निपटने में बेजोड़ है और यह 360 डिग्री एंगल में चारों तरफ से आने वाले हवाई हमलों को नाकाम कर सकता है।
क्या है INS तमाल?
आईएनएस तमाल एक तुषिल-क्लास स्टील्थ गाइडेड मिसाइल फ्रिगेट है। आईएनएस तमाल रूस के बनाए प्रोजेक्ट 11356 फ्रिगेट क्लास का आठवां युद्धपोत है, जिसे 1 जुलाई 2025 को कमीशन किया गया। इसे रूस की सरकारी रक्षा निर्यात कंपनी रोसोबोरोनएक्सपोर्ट द्वारा भारत को सौंपा गया है। आईएनएस तमाल की नींव 15 नवंबर 2013 को रखी गई थी, जब इसे रूस में एडमिरल इस्टोमिन के नाम से शुरू किया गया था। इसका निर्माण यांतर शिपयार्ड, कालिनिनग्राद में भारतीय नौसेना की विशेषज्ञों की देखरेख में हुआ है। जहाज ने 24 फरवरी 2022 को लॉन्चिंग पूरी की और नवंबर 2024 में अपने पहले समुद्री परीक्षण शुरू किए। इसने फैक्ट्री ट्रायल्स, स्टेट कमेटी ट्रायल्स और डिलीवरी एक्सेप्टेंस ट्रायल्स को जून 2025 तक पूरा किया। इन परीक्षणों में Shtil-1 मिसाइल सिस्टम, आर्टिलरी हथियारों और टॉरपीडो की फायरिंग शामिल थी।
🇮🇳🚢 INS Tamal Commissioned into Indian Navy – India’s New Stealth Power in the Seas!
📍 Kaliningrad, Russia | 01 July 2025
India’s newest stealth frigate, INS Tamal (F71), has officially joined the Indian Navy fleet in a grand commissioning ceremony at Yantar Shipyard. VAdm… pic.twitter.com/rzQASEsy7M— Raksha Samachar | रक्षा समाचार 🇮🇳 (@RakshaSamachar) July 1, 2025
इस 125 मीटर लंबे और 3,900 टन वजनी फ्रिगेट में 26 फीसदी से अधिक स्वदेशी उपकरण लगे हैं, जैसे कि ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल, और यह भारतीय नौसेना का आखिरी विदेश निर्मित युद्धपोत है। इसका नाम भगवान इंद्र की पौराणिक तलवार के नाम पर रखा गया है और इसका आदर्श वाक्य “सर्वत्र सर्वदा विजय” (हमेशा, हर जगह विजय) है। इस पोत को 250 नौसैनिकों और 26 अधिकारियों की एक टीम ऑपरेट करती है, जिन्हें रूस में कठिन प्रशिक्षण और समुद्री परीक्षणों से गुजरना पड़ा।

क्या है Shtil-1 Missile System:
INS तमाल में लगे ‘Shtil-1’ (श्तिल-1) मिसाइल सिस्टम को रूसी रक्षा कंपनी अल्माज-एंटी एयर एंड स्पेस डिफेंस कॉर्पोरेशन ने तैयार किया है। जो एक वर्टिकल लॉन्च यानी सीधे ऊपर की ओर दागी जाने वाली मिसाइल है, जो हवा से आने वाले किसी भी खतरे का तुरंत जवाब देने में सक्षम है। यह मिसाइल 360 डिग्री की दिशा में एक साथ 2 से 12 हवाई लक्ष्यों को नष्ट कर सकती है। यह क्षमता आज के समय में बहुत ही कम देशों के पास है। इस मिसाइल सिस्टम की खासियत यह है कि यह हर 2-3 सेकंड में एक मिसाइल लॉन्च कर सकता है, जिससे यह लगातार हमलों का जवाब देने में सक्षम है। यह सिस्टम पहले से मौजूद ‘बुक एम2’ मिसाइल का मरीन वर्जन है, जिसे खासतौर पर नौसेना के जहाजों पर तैनात किया जाता है।
कश्मीर शिपबोर्न सिस्टम का अपग्रेडेड वर्जन
‘Shtil-1 सिस्टम 1990 के दशक के अंत में भारत को मिले कश्मीर शिपबोर्न सिस्टम का अपग्रेडेड वर्जन है, जो पहले से ही दिल्ली-क्लास डिस्ट्रॉयर में इस्तेमाल हो रहा है। नई तकनीक के साथ यह सिस्टम अब पहले से कहीं अधिक घातक हो चुका है। कश्मीर सिस्टम को प्रोजेक्ट-15 के तहत दिल्ली-क्लास डिस्ट्रॉयर जैसे आईएनएस दिल्ली, आईएनएस मैसूर, और आईएनएस मुंबई में तैनात किया गया था।
Shtil-1 मिसाइल सिस्टम की खूबियां
श्तिल-1 (Shtil-1) मिसाइल सिस्टम में 9M317ME मिसाइल का यूज किया जाता है, जो पुरानी 9M317E मिसाइल का एडवांस वर्जन इसकी रेंज 50 किलोमीटर है जो नीचे उड़ान वाली क्रूज मिसाइलों और ऊंचाई पर उड़ने वाले विमानों को नष्ट कर सकती है। इसकी रफ्तार 1550 मीटर प्रति सेकंड है, जो पुराने वर्जन की 1230 मीटर प्रति सेकंड की रफ्तार से कहीं अधिक है। वहीं, दुश्मन के लड़ाकू विमान, हेलीकॉप्टर, एंटी-शिप मिसाइलें, हाई स्पीड बोट्स और हवाई और सतही लक्ष्यों को नष्ट कर सकती है। यह हर 2-3 सेकंड में एक मिसाइल दागने की क्षमता रखती है। INS तमाल पर लगा रडार सिस्टम Shtil-1 को एरियल टारगेट्स की सटीक जानकारी देता है। यह पूरा सिस्टम एक डिजिटल नेटवर्क से जुड़ा है, जिसके चलते इसका रिएक्शन टाइम बेहद कम होता है।
इस सिस्टम की खासियत है इसका मल्टी-चैनल डिजाइन। इसका मतलब है कि यह एक साथ कई मिसाइलों को अलग-अलग टारगेट की ओर गाइड कर सकता है। इसके अलावा यह सिस्टम डिजिटल सॉफ्टवेयर और नए गाइडेंस सिस्टम से लैस है जो टारगेट को पहचानकर मिसाइल को सही दिशा में भेजता है।
यह सिस्टम अकेले INS तमाल को नहीं, बल्कि इसके आसपास तैनात दूसरे जहाजों को भी हवाई सुरक्षा दे सकती है, यानी यह कलेक्टिव डिफेंस भी दे सकती है।
रूस में सफल परीक्षण
INS तमाल पर लगे Shtil-1 सिस्टम का परीक्षण बाल्टिक सागर (Baltic Sea) में सफलतापूर्वक किया गया था। इसमें रूस के विशेषज्ञों और अल्माज-एंटी कॉर्पोरेशन की टीम ने हिस्सा लिया। परीक्षणों के दौरान Shtil-1 ने सभी लक्ष्यों को सफलता से नष्ट किया। जिसके बाद आईएनएस तमाल को भारतीय नौसेना को सौंप दिया गया। यह सिस्टम जहाज पर लगे रडार सिस्टम के साथ मिलकर काम करता है।
आईएनएस तमाल की अन्य खूबियां
आईएनएस तमाल में Shtil-1 के अलावा ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल लगी है, जो 450 किलोमीटर तक की रेंज के साथ जमीन और समुद्री लक्ष्यों को भेदने की क्षमता रखती है। इसकी रफ्तार 30 नॉट से अधिक है। इसमें 100 मिमी और 30 मिमी आर्टिलरी सिस्टम लगा है, जो सतही लक्ष्यों और नजदीकी हवाई खतरों से निपट सकता है। वहीं इसमें लगा एके-630 क्लोज-इन वेपन सिस्टम (सीआईडब्ल्यूएस) ड्रोन और एंटी-शिप मिसाइलों जैसे नजदीकी खतरों को रोकने के लिए, जो प्रति मिनट 5000 राउंड तक फायर कर सकता है। इसके अलावा इसमें टॉरपीडो और रॉकेट लॉन्चर, इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर सिस्टम और कामोव-28 (पनडुब्बी-रोधी) और कामोव-31 हेलीकॉप्टरों को ऑपरेट करने के लिए हेलीपैड भी है।
आईएनएस तमाल पश्चिमी नौसेना कमांड के तहत वेस्टर्न फ्लीट का हिस्सा है, जिसे नौसेना का तलवार बांह (स्वॉर्ड आर्म) कहा जाता है। यह अरब सागर और पश्चिमी हिंद महासागर में ऑपरेट करता है, जो पाकिस्तान के कराची नौसैनिक अड्डे के नजदीक है।
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