📍नई दिल्ली | 22 May, 2025, 9:57 PM
Permanent Commission for Woman: सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में भारतीय नौसेना को कड़ी फटकार लगाई है। नौसेना ने 2007 बैच की एक शॉर्ट सर्विस कमीशन (एसएससी) महिला अधिकारी को स्थायी कमीशन (परमानेंट कमीशन) देने में ढिलाई बरती, जिस पर कोर्ट ने नाराजगी जताई। यह अधिकारी नौसेना की जज एडवोकेट जनरल (जेएजी) शाखा में कार्यरत हैं और उनका नाम सीमा चौधरी है। कोर्ट ने नौसेना को साफ निर्देश दिए कि वह अपना अहंकार छोड़ें और इस अधिकारी को तुरंत स्थायी कमीशन दें।
Permanent Commission for Woman: क्या है पूरी कहानी
सीमा चौधरी ने 6 अगस्त 2007 को भारतीय नौसेना में शॉर्ट सर्विस कमीशन ऑफिसर के रूप में जेएजी शाखा में अपनी सेवा शुरू की थी। 2009 में उन्हें लेफ्टिनेंट और 2012 में लेफ्टिनेंट कमांडर के पद पर पदोन्नति मिली। उनकी सेवा के दौरान, नवंबर 2016 में उन्हें दो साल का विस्तार दिया गया और फिर अगस्त 2018 में दोबारा इतने ही समय के लिए विस्तार मिला। लेकिन 5 अगस्त 2020 को उन्हें सूचित किया गया कि उनकी सेवा 5 अगस्त 2021 को समाप्त हो जाएगी।
Supreme Court rejects BJP Minister Vijay Shah’s apology for comments against Colonel Sofiya Qureshi, formulates Special investigation team led by three IPS officers not belonging to state of Madhya Pradesh and one should be woman officer#SofiyaQureshi #OperationSindoor
— Kanusarda (@sardakanu_law) May 19, 2025
सीमा इसके खिलाफ अदालत पहुंच गईं। उन्होंने पहले भी कई बार कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। दरअसल, 17 मार्च 2020 को सुप्रीम कोर्ट ने यूनियन ऑफ इंडिया बनाम लेफ्टिनेंट कमांडर एनी नागराजा मामले में फैसला सुनाया था, जिसमें कहा गया था कि शिक्षा, कानून और लॉजिस्टिक्स कैडर की सभी एसएससी महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन के लिए विचार किया जाना चाहिए। इस फैसले के तहत सीमा का नाम भी उन अधिकारियों में शामिल था, जिन्हें स्थायी कमीशन मिलना था। लेकिन नौसेना ने उन्हें यह अवसर नहीं दिया।
क्या था नौसेना का तर्क?
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान, नौसेना की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता डॉ. आर. बालासुब्रमण्यम ने पक्ष रखते हुए कहा कि सीमा चौधरी की 2016-2017 से 2018-19 तक की वार्षिक गोपनीय रिपोर्ट (एसीआर) में कुछ नकारात्मक टिप्पणियां थीं, जिन्हें नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। हालांकि, न्यायमूर्ति सूर्या कांत ने इस दलील को खारिज करते हुए कहा कि इन टिप्पणियों को रिव्यू ट्रिब्युनल ने पहले ही रद्द कर दिया था। कोर्ट ने सवाल किया कि जब सीमा हर मापदंड में फिट पाई गईं, तो फिर उन्हें स्थायी कमीशन क्यों नहीं दिया गया?
कोर्ट की सख्त टिप्पणी
न्यायमूर्ति सूर्या कांत और न्यायमूर्ति एन. कोटिस्वर सिंह की पीठ ने इस मामले की सुनवाई करते हुए नौसेना के रवैये पर सख्त नाराजगी जताई। न्यायमूर्ति कांत ने कहा, “अब बहुत हो गया। नौसेना को अपना अहंकार छोड़ना होगा। हम आपको एक हफ्ते का समय देते हैं कि सीमा चौधरी को स्थायी कमीशन दे दिया जाए।” उन्होंने यह भी कहा कि नौसेना के पुरुष अधिकारियों का रवैया सही नहीं है। कोर्ट ने टिप्पणी की कि सीमा ने सभी क्षेत्रों में अच्छे अंक हासिल किए, लेकिन एक पुरुष अधिकारी ने उनकी मेहनत को नजरअंदाज करते हुए उन्हें अयोग्य करार दे दिया।
सीमा की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता रेखा पल्ली ने कोर्ट में कहा कि नौसेना पुरुषों को सीधे स्थायी कमीशन देती है, लेकिन महिलाओं को पहले शॉर्ट सर्विस कमीशन से गुजरना पड़ता है। उन्होंने यह भी बताया कि नौसेना में बहुत कम जेएजी महिला अधिकारी हैं और अभी तक किसी को भी स्थायी कमीशन नहीं मिला है।
2024 में अपने फैसले में ये कहा था
यह पहली बार नहीं है जब सुप्रीम कोर्ट ने सीमा चौधरी के मामले में नौसेना को निर्देश दिए हैं। 2024 में, पूर्व मुख्य न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने नौसेना को निर्देश दिया था कि वह सीमा के मामले पर नए सिरे से विचार करे। कोर्ट ने कहा था कि एक नया चयन बोर्ड बनाया जाए और सीमा के मामले को अलग से देखा जाए, क्योंकि वह 2007 बैच की एकमात्र जेएजी अधिकारी थीं, जिनके स्थायी कमीशन पर विचार किया जाना था। कोर्ट ने यह भी कहा था कि अगर सीमा को जगह देने के लिए रिक्तियों में बढ़ोतरी करनी पड़े, तो ऐसा किया जाए, लेकिन यह भविष्य के लिए मिसाल न बने।
इसके बावजूद, नौसेना ने कोर्ट के निर्देशों का पालन नहीं किया। सीमा ने नौसेना पर कोर्ट की अवमानना का आरोप लगाते हुए दोबारा सुप्रीम कोर्ट का रुख किया। उन्होंने दावा किया कि उन्हें स्थायी कमीशन इसलिए नहीं दिया जा रहा, क्योंकि उन्होंने एक पुरुष अधिकारी के खिलाफ कार्यस्थल पर उत्पीड़न की शिकायत की थी। जांच में उनकी शिकायत सही पाई गई थी, लेकिन इसके बावजूद उन्हें एक दिन के अंदर ट्रांसफर कर दिया गया, जबकि उस पुरुष अधिकारी को उसी जगह पर रहने दिया गया।
“2024 का फैसला अंतिम”
न्यायमूर्ति सूर्या कांत ने नौसेना को आड़े हाथों लिया। उन्होंने कहा, “2024 का फैसला अंतिम है और उसमें साफ निर्देश दिए गए थे। नौसेना के अधिकारी अपनी मर्जी से फैसले नहीं ले सकते। उन्हें यह अहंकार का मुद्दा नहीं बनाना चाहिए। सीमा चौधरी को तुरंत स्थायी कमीशन दिया जाए।” कोर्ट ने यह भी कहा कि यह अन्याय लंबे समय से चला आ रहा है और अब इसे ठीक करने का समय है।
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कोर्ट ने इस मामले को जुलाई के पहले हफ्ते में सुनवाई के लिए रखा है। नौसेना की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता डॉ. बालासुब्रमण्यम ने कोर्ट से अपील की है कि उन्हें अपने पक्ष को तैयार करने के लिए कुछ समय दिया जाए। लेकिन कोर्ट ने साफ कर दिया कि नौसेना को जल्द से जल्द इस मामले में फैसला लेना होगा।
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