वायुसेना सूत्रों का कहना है कि वे पठानकोट के पास जिस लोकेशन पर थे, वहां से आगे जाना बहुत रिस्की था। ऐसे में वे पीछे लौट सकते थे। वहां से सबसे नजदीकी एयरपोर्ट अमृतसर का था, जो वहां से लगभग 150 किमी की दूरी पर था। वे पाकिस्तानी एयर स्पेस में जाने की बजाय वहां से यूटर्न भी ले सकते थे औऱ सेफ लैंडिंग कर सकते थे। इससे प्लेन को नुकसान भी नहीं पहुंचता...
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📍नई दिल्ली | 23 May, 2025, 10:39 PM

Srinagar IndiGo flight: 21 मई 2025 को दिल्ली से श्रीनगर जा रही इंडिगो की उड़ान संख्या 6E-2142 एक खतरनाक टर्बुलेंस में फंस गई थी, जिससे जहाज के नोज यानी अगले हिस्से को काफी नुकसान पहुंचा था। वहीं इस घटना के दो दिन बाद बाद नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (DGCA) ने क्रू यानी चालक दल के सदस्यों के हवाले से भारतीय वायुसेना पर पायलटों की समय पर मदद न करने के आरोप लगाए हैं। वहीं घटना ने कई सवाल भी उठाए हैं: क्या पायलट ने श्रीनगर में प्लेन की लैंडिंग करके गलत फैसला लिया? क्या प्लेन का वेक्टर रडार ठीक काम नहीं कर रहा था?

Srinagar IndiGo flight: क्या हुआ था उस दिन?

21 मई 2025 को इंडिगो की उड़ान 6E-2142 दिल्ली से श्रीनगर के लिए निकली थी। प्लेन 36,000 फीट की ऊंचाई पर उड़ रहा था। जब यह पठानकोट के पास पहुंचा, तो अचानक खराब मौसम में फंस गया। तेज ओलावृष्टि और हवाओं के झटकों (टर्बुलेंस) से प्लेन हिलने लगा। पायलटों ने बताया कि उन्होंने मौसम रडार पर खराब मौसम देखा और उड़ान का रास्ता बदलने की कोशिश की। सबसे पहले, उन्होंने भारतीय वायुसेना के उत्तरी क्षेत्र नियंत्रण (Northern Area Control) से अनुमति मांगी कि वे प्लेन को बायीं तरफ 100 मील पर अंतरराष्ट्रीय सीमा (पाकिस्तान एय़र स्पेस) की तरफ मोड़ने की अनुमति दें, ताकि खराब मौसम से बचा जा सके। लेकिन वायुसेना ने यह अनुमति नहीं दी। इसके बाद, पायलटों ने लाहौर (पाकिस्तान) के एयर ट्रैफिक कंट्रोल (ATC) से उनके हवाई क्षेत्र में प्रवेश करने की इजाजत मांगी, लेकिन लाहौर ने भी मना कर दिया।

अब पायलटों के पास दो रास्ते थे, या तो वे प्लेन को वापस दिल्ली ले जाएं या खराब मौसम के बीच से होकर श्रीनगर की ओर बढ़ें। चूंकि वे पहले ही बादलों के बहुत करीब थे, इसलिए पायलटों ने फैसला किया कि वे श्रीनगर की ओर सबसे छोटे रास्ते से जाएंगे। इस दौरान प्लेन को भयंकर ओलावृष्टि और हवाओं का सामना करना पड़ा।

प्लेन के सिस्टम में कई समस्याएं शुरू हो गईं। कई तरह की चेतावनियां (वॉर्निंग) दिखने लगीं, जैसे कि Angle of Attack में खराबी, Alternate Law प्रोटेक्शन का बंद होना, और स्पीडोमीटर ठीक से काम नहीं कर रहे थे। ऑटोपायलट मोड (स्वचालित उड़ान प्रणाली) भी बंद हो गया। प्लेन की रफ्तार बार-बार बहुत तेज या बहुत धीमी हो रही थी। इस दौरान प्लेन की अधिकतम रफ्तार (VMO/MMO) और स्टॉल (प्लेन के रुकने की चेतावनी) की चेतावनियां भी बार-बार बजीं। एक समय तो प्लेन 8,500 फीट प्रति मिनट की रफ्तार से नीचे की ओर भी चला गया।

पायलटों ने इसके बाद प्लेन को मैनुअल मोड पर उड़ाया। और उन्होंने श्रीनगर ATC को “पैन पैन” (Possible Assistance Needed- आपातकाल) की सूचना दी और रडार की मदद मांगी। आखिरकार, प्लेन श्रीनगर हवाई अड्डे पर सुरक्षित उतर गया। ऑटो थ्रस्ट (स्वचालित गति नियंत्रण) सामान्य रूप से काम कर रहा था। सौभाग्य से, प्लेन में सवार 222 यात्रियों और चालक दल को कोई चोट नहीं आई। लेकिन जब प्लेन की जांच की गई, तो उसके अगले हिस्से (नोज रडोम) को काफी नुककसान पहुंचा था। जिसके चलते प्लेन को मरम्मत के लिए रोक दिया गया।

डीजीसीए ने लगाए ये आरोप

डीजीसीए ने कहा क्रू (चालक दल के सदस्यों) के हवाले से कहा कि कि भारतीय वायुसेना ने पायलटों की मदद नहीं की। उनके मुताबिक, वायुसेना ने अंतरराष्ट्रीय सीमा यानी पाकिस्तान की तरफ रास्ता बदलने की अनुमति नहीं दी, और बाद में लाहौर ATC ने भी लैंडिंग से इनकार कर दिया। डीजीसीए का मानना है कि अगर पायलटों को सही समय पर अनुमति मिल जाती, तो शायद यह घटना न होती। डीजीसीए अब इस मामले की जांच कर रहा है। वे यह भी देख रहे हैं कि क्या पायलटों ने सही फैसला लिया या उनकी कोई गलती थी।

लेकिन भारतीय वायुसेना के सूत्रों ने डीजीसीए के इन आरोपों को गलत बताया। सूत्रों का कहना है कि उत्तरी क्षेत्र नियंत्रण केंद्र (Northern Area Control-NACC) को अंतरराष्ट्रीय हवाई क्षेत्र में प्रवेश की अनुमति देने का अधिकार नहीं है। यह काम दिल्ली एयर ट्रैफिक कंट्रोल का है। वायुसेना ने बताया कि उन्होंने पायलटों को तुरंत मदद दी। उन्होंने इंडिगो के चालक दल को लाहौर ATC की रेडियो फ्रीक्वेंसी दीं, ताकि पायलट वहां से अनुमति मांग सकें। जब लाहौर ने अनुमति नहीं दी, तो वायुसेना ने श्रीनगर तक प्लेन की सुरक्षित लैंडिंग के लिए रडार वेक्टर और ग्राउंड स्पीड की जानकारी दी।

वायुसेना सूत्रों ने यह भी बताया कि पाकिस्तान ने ऑपरेशन सिंदूर से पहले एक नोटाम (Notice to Airmen-NOTAM A0220/25) जारी किया था, जिसमें कहा गया था कि 23 मई 2025 तक भारतीय सिविल या मिलिट्री प्लेनों को उनके हवाई क्षेत्र में आने की अनुमति नहीं है। भारत ने भी जवाब में अपने हवाई क्षेत्र को पाकिस्तानी प्लेनों के लिए बंद कर रखा था (NOTAM G0586/25)। जिसे 23 मई की शाम को आगे बढ़ा कर 23 जून 2025 कर दिया गया है।

चालक दल ने ऐसा फैसला क्यों लिया?

एविएशन इंडस्ट्री से जुड़े सूत्रों ने पायलटों के फैसले पर कई सवाल उठाए हैं। इंडिगो के प्लेन में मौसम रडार होता है, जो खराब मौसम को पहले ही दिखा देता है। पायलटों ने रडार पर खराब मौसम देखा था। वेक्टर रडार में रंगों के आधार पर बारिश और ओलावृष्टि की तीव्रता का अनुमान लगाया जाता है, और पायलटों को इसके लिए ट्रेनिंग दी जाती है। फिर भी, पायलट ने घने बादलों के बीच जाने का फैसला क्यों लिया?

वायुसेना सूत्रों का कहना है कि वे पठानकोट के पास जिस लोकेशन पर थे, वहां से आगे जाना बहुत रिस्की था। ऐसे में वे पीछे लौट सकते थे। वहां से सबसे नजदीकी एयरपोर्ट अमृतसर का था, जो वहां से लगभग 150 किमी की दूरी पर था। वे पाकिस्तानी एयर स्पेस में जाने की बजाय वहां से यूटर्न भी ले सकते थे औऱ सेफ लैंडिंग कर सकते थे। इससे प्लेन को नुकसान भी नहीं पहुंचता।

एविएशन इंडस्ट्री से जुड़े सूत्रों ने इंडिगो कंपनी पर ही सवाल उठाए हैं। उनका कहना है कि कंपनी ने पैसे बचाने के लिए श्रीनगर जाने का कदम उठाया होगा। उन्होंने कहा कि पायलटों से कहा गया होगा कि वापस दिल्ली लौटने में समय और ईंधन ज्यादा लगेगा। साथ ही अगर वे अमृतसर लैंडिंग करते हैं, तो यात्रियों के खाने-पीने और ठहरने का भी इंतजाम करना होगा। इसलिए, चालक दल ने खराब मौसम के बीच से होकर श्रीनगर जाने का फैसला किया। लेकिन यह फैसला जोखिम भरा था, क्योंकि प्लेन को ओलावृष्टि और तेज हवाओं का सामना करना पड़ा। डीजीसीए अब इस बात की जांच कर रहा है कि क्या पायलटों का यह फैसला सही था या उन्होंने जल्दबाजी की।

क्या मौसम रडार में कोई खराबी थी?

एयरबस A321 जैसे प्लेन में मौसम रडार बहुत आधुनिक होता है। यह बारिश, ओलावृष्टि और गरज-चमक वाले बादलों को आसानी से पकड़ लेता है। इस मामले में भी रडार ने खराब मौसम का संकेत दिया था, क्योंकि पायलटों ने उसी के आधार पर रास्ता बदलने की मांग की थी। लेकिन सवाल यह है कि क्या रडार ने मौसम की सही जानकारी दी थी? कुछ लोग मानते हैं कि शायद पायलटों ने रडार की जानकारी को ठीक से समझा नहीं, या फिर मौसम इतनी तेजी से बिगड़ा कि उनके पास फैसला लेने का समय नहीं था। डीजीसीए इस बात की भी जांच कर रहा है।

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कई सांसद थे सवार

प्लेन में 222 यात्री सवार थे, जिनमें तृणमूल कांग्रेस के पांच सांसद जिनमें डेरेक ओ’ब्रायन, नदीमुल हक, सागरिका घोष, मानस भुनिया, और ममता ठाकुर भी शामिल थे। ये सांसद नियंत्रण रेखा (LoC) के पास गोलाबारी से प्रभावित लोगों से मिलने जा रहे थे। सागरिका घोष ने बताया कि यह अनुभव “मौत के करीब” जैसा था। जब प्लेन हिल रहा था, तो यात्री डर के मारे चीख रहे थे और प्रार्थना कर रहे थे। लैंडिंग के बाद जब उन्होंने प्लेन का अगला हिस्सा (नोज रडोम) टूटा हुआ देखा, तो सभी हैरान रह गए। सागरिका ने पायलटों की तारीफ की, जिन्होंने इतनी मुश्किल स्थिति में प्लेन को सुरक्षित उतारा।

इंडिगो ने क्या कहा?

इंडिगो ने अपने बयान में कहा कि उनकी उड़ान को अचानक ओलावृष्टि का सामना करना पड़ा, लेकिन यह श्रीनगर में सुरक्षित उतर गया। एयरलाइन ने सभी यात्रियों को उतरने के बाद मदद दी और कहा कि प्लेन को पूरी जांच और मरम्मत के बाद ही दोबारा उड़ान के लिए इस्तेमाल किया जाएगा।

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