10 मई 2025 को भारतीय वायुसेना ने ऑपरेशन सिंदूर के तहत पाकिस्तान के 11 एयरबेस, जैसे चकलाला, सरगोधा और जैकोबाबाद, पर सटीक हमले किए। इन हमलों ने पाकिस्तान के एयर डिफेंस की औकात दिखा दी, जिसके बाद जनरल असीम मुनीर ने अमेरिका से मदद माँगी। अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो की मध्यस्थता से युद्धविराम हुआ...
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📍नई दिल्ली | 17 May, 2025, 12:24 PM

Operation Sindoor attack: 10 मई 2025 की सुबह, जब भारतीय वायुसेना (IAF) ने पाकिस्तान के 11 बड़े एयरबेस पर ज़बरदस्त हमले किए, तो पूरा दक्षिण एशिया हैरान रह गया। इन हमलों में रावलपिंडी के पास चकलाला (नूर खान), सरगोधा और जैकोबाबाद जैसे स्ट्रैटेजिक एयरबेस को निशाना बनाया गया। इन हमलों ने पाकिस्तान की सैन्य ताकत को ऐसा करारा झटका दिया कि उनके आर्मी चीफ जनरल असीम मुनीर को अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो से ‘त्राहि माम-त्राहि माम’ कहना पड़ा। उन्होंने भारत के साथ तनाव कम करने के लिए मदद मांगी। भारतीय सेना की इस कार्रवाई ने न सिर्फ पाकिस्तान की एयर डिफेंस सिस्टम की औकात दिखा दी, बल्कि दोनों देशों की सैन्य ताकत का फर्क भी साफ कर दिया।

Operation Sindoor attack: पहलगाम हमले से शुरू हुआ सब

ये सारी कहानी 22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले से शुरू हुई। इस हमले में 26 लोग मारे गए, जिनमें ज्यादातर टूरिस्ट थे। भारत ने इस हमले का ज़िम्मेदार लश्कर-ए-तैयबा के शेडो संगठन ‘द रेसिस्टेंस फ्रंट’ (TRF) और इसके पीछे पाकिस्तान को ठहराया। इसके जवाब में भारत ने 7 मई को ‘ऑपरेशन सिंदूर’ शुरू किया। इस ऑपरेशन में पाकिस्तान और PoK (पाकिस्तान ऑक्यूपाइड कश्मीर) में 9 आतंकी ठिकानों को तबाह किया गया। इनमें जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा के बड़े कैंप थे, जो 2008 के मुंबई हमले और 2019 के पुलवामा हमले जैसे गुनाहों के लिए ज़िम्मेदार थे।

पाकिस्तान ने इसका जवाब 8 से 10 मई के बीच भारत पर ड्रोन और मिसाइल अटैक से दिया। उन्होंने श्रीनगर, अवंतिपुर और उधमपुर में स्कूल और हॉस्पिटल जैसे जगहों को टारगेट किया। भारत ने इसे “घटिया और गलत” बताया। जवाब में, 10 मई की सुबह भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान के 11 एयरबेस पर ब्रह्मोस मिसाइल और स्कैल्प क्रूज मिसाइलों से हमला बोला। इनमें चकलाला (नूर खान), सरगोधा, जैकोबाबाद, भोलारी, रफीकी, मुरिद, रहीम यार खान, सक्कर, चुनियां, सियालकोट और स्कर्दू शामिल थे।

दिल और डायमंड पर लगी चोट

सूत्रों ने बताया कि ये हमले सिर्फ जवाबी कार्रवाई नहीं थे। ये पाकिस्तान को उसकी सैन्य ताकत की औकात दिखाने का एक बड़ा प्लान था। रावलपिंडी में चकलाला (नूर खान) एयरबेस, जो इस्लामाबाद से बस 10 किलोमीटर दूर है, यह एयरबेस पाकिस्तान की वायुसेना के लिए बेहद अहम है, इसे पाक वायुसेना का दिल भी कहा जाता है। यहां बड़े ट्रांसपोर्ट प्लेन, रिफ्यूलिंग प्लेन और रडार सिस्टम वाले प्लेन रखे जाते हैं। ये एयरबेस पाकिस्तान की हवाई डिफेंस और प्लानिंग के लिए बेहज स्ट्रैटेजिक है। भारतीय हमले ने यहां के रनवे, हैंगर और गाड़ियों को भारी नुकसान पहुंचाया। इससे पाकिस्तान की हवाई ताकत को जबरदस्त झटका लगा।

सरगोधा का मुशाफ एयरबेस, जो पाकिस्तानी वायुसेना का डायमंड एयर बेस है, यह भी भारतीय हमलों का बड़ा टारगेट था। खास बाात यह है कि यहां F-16, JF-17 और मिराज 5 जैसे फाइटर जेट तैनात हैं। ये एयरबेस पाकिस्तान की वायुसेना का सेंट्रल कमांड और ट्रेनिंग सेंटर भी है। सैटेलाइट फोटो में दिखा कि यहां रनवे पर दो बड़े गड्ढे हो गए और कई हैंगर बरबाद हो गए।

राजस्थान के लोंगेवाला से 200 किलोमीटर पश्चिम में स्थित जैकोबाबाद का शाहबाज एयरबेस भी भारतीय मिसाइलों की जद में आ गया। यहां F-16, JF-17 और कुछ हेलीकॉप्टर तैनात थे। ये एयरबेस 2001 में नाटो के अफगानिस्तान मिशन में भी इस्तेमाल किया गया था। भारतीय हमले ने यहां के मुख्य हैंगर को तबाह कर दिया और एयर ट्रैफिक कंट्रोल बिल्डिंग को भी नुकसान पहुंचा।

पाकिस्तान का एयर डिफेंस फेल

भारतीय हमलों ने पाकिस्तान के हवाई डिफेंस को पूरी तरह से बेकार कर दिया। सैन्य सूत्रों ने बताया कि पाकिस्तान के पास इन हमलों का कोई जवाब नहीं था, क्योंकि उनके रडार और डिफेंस सिस्टम काम ही नहीं कर रहे थे। पासरूर और सियालकोट के रडार साइट्स को भी नष्ट किया गया, जिससे उनकी एरियल सर्विलांस की ताकत और कम हो गई। भारतीय वायुसेना के एक सीनियर अफसर औऱ महानिदेशक एयर ऑपरेशंस (डीजीएओ) एयर मार्शल एके भारती ने कहा, “हम चाहते तो पाकिस्तान के हर सैन्य सिस्टम को टारगेट कर सकते थे, लेकिन हमने सिर्फ़ मिलिट्री ठिकानों पर अटैक किया, ताकि आम लोगों को नुकसान न हो।”

मैक्सार और भारत की कावा स्पेस जैसी कंपनियों ने जो सैटेलाइट इमेज शेयर कीं, उन्होंने इन हमलों का असर साफ दिखाया। रहीम यार खान के रनवे पर बड़ा गड्ढा, भोलारी में टूटा हुआ हैंगर और सरगोधा में रनवे पर कई गड्ढे इस बात का सबूत थे कि भारत की टेक्नोलॉजी और मिलिट्री पावर पाकिस्तान से बहुत आगे है।

मार्को रुबियो से लगााई गुहार

एयरबेस पर हुए हमलों के बाद पाकिस्तान में खलबली मच गई। उसी दिन, 10 मई को, पाकिस्तान के पीएम शहबाज शरीफ ने नेशनल कमांड अथॉरिटी की इमरजेंसी मीटिंग बुलाई। ये अथॉरिटी उनके न्यूक्लियर हथियारों को मैनेज करती है। चकलाला पर हमला खासतौर पर बेहद खौफनाक था, क्योंकि ये एयरबेस पाकिस्तान के न्यूक्लियर हथियारों के मैनेजमेंट सेंटर से कुछ ही दूर है। उनके पास 170 से ज़्यादा न्यूक्लियर हथियार हैं। एक विदेशी अखबार ने लिखा, “पाकिस्तान को डर था कि भारत उनकी न्यूक्लियर कमांड को खत्म कर सकता है।”

इसी डर के चलते पाकिस्तान को तुरंत युद्ध रोकने के लिए मजबूर होना पड़ा। जनरल मुनीर ने मार्को रुबियो से बात की। रुबियो ने भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर से भी फोन पर बात की। रुबियो ने दोनों देशों से तनाव कम करने और बातचीत शुरू करने को कहा। इसके बाद, पाकिस्तान के मिलिट्री ऑपरेशंस के डायरेक्टर जनरल मेजर जनरल काशिफ अब्दुल्ला ने भारतीय डीजीएमओ लेफ्टिनेंट जनरल राजीव घई से दोपहर 3:35 बजे बात की और युद्धविराम का सुझाव दिया। भारत ने इसे मान लिया, लेकिन चेतावनी दी कि भविष्य में कोई भी आतंकी हमला, युद्ध माना जाएगा।

यूनाइटेड नेशन में भी भारत ने घेरा

भारत ने सिर्फ़ मिलिट्री एक्शन ही नहीं लिया, बल्कि दुनिया के सामने अपनी बात भी रखी। 16 मई 2025 को, भारतीय टीम ने यूनाइटेड नेशन सिक्योरिटी काउंसिल की सेंक्शंस कमेटी से मुलाकात की। उन्होंने TRF को आतंकी ग्रुप घोषित करने की मांग की और पहलगाम हमले में TRF और पाकिस्तान की भूमिका के सबूत दिए। हालांकि, पाकिस्तान, जो UNSC का टेम्परेरी मेंबर है, और चीन ने इसका विरोध किया। फिर भी, भारत ने अपनी बात मजबूती से रखी।

ऑपरेशन सिंदूर ने बदला मिलिट्री बैलेंस

ऑपरेशन सिंदूर ने भारत-पाकिस्तान के बीच मिलिट्री बैलेंस को पूरी तरह बदल दिया। सूत्रों का कहना है कि ये 1971 के युद्ध के बाद पाकिस्तान पर भारत का सबसे बड़ा मिलिट्री अटैक था। इन हमलों ने पाकिस्तान की 20 फीसदी हवाई ताकत को खत्म कर दिया और ये साफ कर दिया कि भारत अब सिर्फ डिफेंस में नहीं रहेगा। भारत की टेक्नोलॉजी और स्ट्रैटेजी ने पाकिस्तान को दिखा दिया कि वो भारत से मुकाबला नहीं कर सकते।

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ऑपरेशन सिंदूर के जरिए भारत ने अपनी मिलिट्री और डिप्लोमैटिक ताकत के जरिए बता दिया कि वह अब सहेगा नहीं, बल्कि जवाब देगा। हालांकि इस सारे मसले की जड़ आतंकवाद है, जो अभी भी जारी है। भारत ने साफ कर दिया कि वो अब कोई आतंकी हमला बर्दाश्त नहीं करेगा। अमेरिका और चीन जैसे देशों की मध्यस्थता के बावजूद, भारत की सख्ती की वजह से ही पाकिस्तान को युद्धविराम के लिए मजबूर होना पड़ा।

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