ऑपरेशन सिंदूर में भारतीय वायुसेना ने राफेल लड़ाकू विमानों और स्कैल्प क्रूज मिसाइलों का इस्तेमाल किया। 24 मिसाइलें 25 मिनट (1:05 बजे से 1:30 बजे) के भीतर नौ ठिकानों पर गिरीं। इनमें चार ठिकाने पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में (बहावलपुर, मुरीदके, सियालकोट, और रावलपिंडी) और पांच पीओके में (मुजफ्फराबाद, कोटली, बाघ, भिंबर, और चकस्वारी) थे...
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📍नई दिल्ली | 7 May, 2025, 9:28 PM

Operation Sindoor: भारत ने “ऑपरेशन सिंदूर” के तहत 7 मई 2025 को पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत जम्मू-कश्मीर (पीओके) में नौ आतंकी ठिकानों पर सटीक मिसाइल हमले किए। ये हमले 22 अप्रैल 2025 को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के जवाब में थे, जिसमें 26 लोग मारे गए थे। साथ ही, यह कार्रवाई 2001 के संसद हमले, 2008 के मुंबई हमले, 2016 के उरी हमले, और 2019 के पुलवामा हमले जैसे पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवादी कृत्यों के खिलाफ थी। भारतीय सेना और वायुसेना ने इन हमलों को 25 मिनट के भीतर अंजाम दिया। भारत ने इन नौ ठिकानों को सावधानीपूर्वक चुना, जो आतंकी संगठनों के प्रमुख केंद्र थे। आइए, समझते हैं कि इन ठिकानों का चयन क्यों हुआ और यह ऑपरेशन भारत की आतंकवाद विरोधी रणनीति का हिस्सा कैसे बना।

Operation Sindoor: स्कैल्प क्रूज मिसाइलों और हैमर बमों ने मचाया कहर

ऑपरेशन सिंदूर में भारतीय वायुसेना ने राफेल लड़ाकू विमानों और स्कैल्प क्रूज मिसाइलों का इस्तेमाल किया। 24 मिसाइलें 25 मिनट (1:05 बजे से 1:30 बजे) के भीतर नौ ठिकानों पर गिरीं। इनमें चार ठिकाने पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में (बहावलपुर, मुरीदके, सियालकोट, और रावलपिंडी) और पांच पीओके में (मुजफ्फराबाद, कोटली, बाघ, भिंबर, और चकस्वारी) थे। विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि इन हमलों में 70 से अधिक आतंकी मारे गए और 60 से ज्यादा घायल हुए। भारत ने तुरंत सैटेलाइट तस्वीरें, ड्रोन फुटेज, और एक 1 मिनट 40 सेकंड का वीडियो भी जाारी किया, जिसमें इन ठिकानों की गतिविधियां और हमलों का असर दिखाया गया।

स्कैल्प (SCALP) क्रूज मिसाइलों की बात करें, तो इन्हें स्टॉर्म शैडो के नाम से भी जाना जाता है। इसकी रेंज 250 किलोमीटर से अधिक है, और यह रात में और किसी भी मौसम में सटीक हमले करने में सक्षम है। इसका इस्तेमाल बहावलपुर और मुरीदके जैसे आतंकी ठिकानों को नष्ट करने के लिए किया गया।

वहीं, हैमर (HAMMER) प्रेसिजन-गाइडेड स्मार्ट बम है, जिसकी रेंज 50-70 किलोमीटर है। हैमर (Highly Agile Modular Munition Extended Range) का इस्तेमाल आतंकी प्रशिक्षण केंद्रों और बहुमंजिला इमारतों को निशाना बनाने के लिए किया गया, जहां जैश-ए-मोहम्मद (JeM) और लश्कर-ए-तैयबा (LeT) के नेता मौजूद थे।

मरकज सुब्हान अल्लाह, बहावलपुर (पंजाब, पाकिस्तान)

भारत ने इन आतंकी ठिकानों को उनकी आतंकी गतिविधियों, खुफिया जानकारी, और रणनीतिक महत्व के आधार पर चुना। प्रत्येक ठिकाना आतंकवाद के नेटवर्क में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा था। मरकज सुब्हान अल्लाह की बात करें, तो यह जैश-ए-मोहम्मद (JeM) का मुख्यालय है, जो 2000 में मौलाना मसूद अजहर ने बनाया था। यह अंतरराष्ट्रीय सीमा से 100 किलोमीटर दूर है। यह 10 एकड़ में फैला एक मजबूत परिसर है, जिसमें प्रशिक्षण सुविधाएं, हथियार डिपो, और आवासीय क्षेत्र शामिल हैं। 2019 के पुलवामा हमले (40 सीआरपीएफ जवान शहीद) और 2016 के उरी हमले (19 जवान शहीद) की योजना यहीं बनी थी। खुफिया जानकारी के अनुसार, पहलगाम हमले के लिए आतंकियों को यहीं से निर्देश और हथियार मिले थे। यह जैश का सबसे बड़ा प्रशिक्षण और कमांड सेंटर है। इसे नष्ट करने से संगठन की भर्ती और हमले की योजना बनाने की क्षमता को गहरा नुकसान पहुंचेगा। यहां पर हमला रात 01:12 बजे किया गया।

मरकज तैबा, मुरीदके (पंजाब, पाकिस्तान)

लश्कर-ए-तैयबा (LeT) का यह प्रमुख केंद्र 200 एकड़ में फैला है, जिसमें स्कूल, मस्जिद, और प्रशिक्षण शिविर शामिल हैं। यह लाहौर से 30 किलोमीटर दूर है। 2008 के मुंबई हमले (166 मारे गए) के आतंकी यहीं प्रशिक्षित हुए थे। यह केंद्र आत्मघाती हमलावरों को प्रशिक्षण, हथियार निर्माण, और भारत में घुसपैठ की योजना बनाता है। पहलगाम हमले में इसकी भूमिका की जांच चल रही थी। यह लश्कर का सबसे महत्वपूर्ण ठिकाना है, जो भारत के खिलाफ लंबे समय से आतंकी गतिविधियों का केंद्र रहा है। यहां पर हमला रात 01:06 से 01:10 के बीच किया गया।

महमूना जोया कैंप, सियालकोट (पंजाब, पाकिस्तान)

हिजबुल मुजाहिदीन का यह कैंप अंतरराष्ट्रीय सीमा से केवल 12 किलोमीटर दूर है। यह छोटा लेकिन सक्रिय प्रशिक्षण केंद्र है, जो जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद को बढ़ावा देता है। 2016 के पठानकोट एयरबेस हमले और मार्च 2025 में चार सैनिकों की हत्या की योजना यहीं बनी थी। यह घुसपैठ और हमलों के लिए लॉजिस्टिक सपोर्ट देता है। इसकी सीमा से निकटता और जम्मू-कश्मीर में आतंकी गतिविधियों को फिर से आतंकी गतिविधियों को बढ़ावा देने के चलते इसे निशाना बनाना जरूरी समझा गया। यहां पर हमला रात 01:15 बजे बजे किया गया।

सय्यदना बिलाल कैंप, मुजफ्फराबाद (पीओके)

जैश-ए-मोहम्मद से जुड़ा यह कैंप नियंत्रण रेखा (एलओसी) से 10 किलोमीटर की दूरी पर है। यह आत्मघाती हमलावरों और स्नाइपर्स को प्रशिक्षण देता है। पहलगाम हमले के लिए आतंकियों को यहीं प्रशिक्षित किया गया था। यह भारत के खिलाफ सशस्त्र हमलों की योजना बनाता है। इसकी रणनीतिक स्थिति और पहलगाम हमले में प्रत्यक्ष भूमिका ने इसे प्राथमिक लक्ष्य बनाया। यहां पर हमला रात 01:17 बजे किया गया।

अब्बास आतंकी कैंप, कोटली (पीओके)

लश्कर-ए-तैयबा का यह प्रशिक्षण केंद्र 50 से अधिक आतंकियों को प्रशिक्षण देता है। यह पहाड़ी इलाके में स्थित है, जिसके चलते आतंकियों को यहां छिपने की जगह मिलती है। यह आत्मघाती हमलावरों और बम विशेषज्ञों को प्रशिक्षित करता है। पहलगाम हमले के बाद इसकी गतिविधियां बढ़ी थीं। इसकी आतंकी प्रशिक्षण क्षमता और एलओसी से 13 किलोमीटर की निकटता ने इसे खतरा बनाया। यहां पर हमला रात 01:04 बजे किया गया।

बाघ (पीओके)

हिजबुल मुजाहिदीन और लश्कर का संयुक्त केंद्र, जो घुसपैठ और हथियार तस्करी का अड्डा है। यह एक गुप्त परिसर है, जिसमें भूमिगत बंकर हैं। यह भारत में आतंकी हमलों के लिए लॉजिस्टिक और हथियार सप्लाई करता है। पहलगाम हमले से पहले इसकी गतिविधियां नोट की गई थीं। इसकी भूमिगत सुविधाएं और घुसपैठ में भूमिका के चलते इसे निशाना बनाना जरूरी समझा गया।

भिंबर (पीओके)

जैश और लश्कर का यह संयुक्त केंद्र साइबर युद्ध और प्रचार अभियान चलाता है। यह प्रशिक्षण और कमांड सेंटर के रूप में काम करता है। पहलगाम हमले से पहले यहां से सोशल मीडिया के जरिए प्रचार और निर्देश दिए गए थे। इसकी साइबर युद्ध क्षमता और आतंकी गतिविधियों को समन्वय करने की भूमिका के चलते यह भारतीय मिसाइलों का का निशाना बना। यहां पर हमला रात 01:19 बजे किया गया।

चकस्वारी (पीओके)

यह आतंकियों के लिए हथियार डिपो और लॉजिस्टिक हब है, जो पहाड़ी इलाके में छिपा है। पहलगाम हमले के लिए विस्फोटक और हथियार यहीं से सप्लाई हुए थे। यह भारत में हमलों के लिए सप्लाई चेन का हिस्सा था। भारत में भविष्य में आतंकी हमले न हों, इसके लिए सप्लाई चेन को तोड़ना आतंकी नेटवर्क को कमजोर करने के लिए यहां हमला करना जरूरी था। यहां पर हमला रात 01:22 बजे हुआ।

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गुलपुर (पीओके)

लश्कर-ए-तैयबा का यह कमांड सेंटर भारत में हमलों की योजना बनाता है। यह एक गुप्त सुविधा है, जिसमें संचार और प्रशिक्षण केंद्र हैं। पहलगाम हमले में इसकी संभावित भूमिका की जांच चल रही थी। यह भारत के खिलाफ दीर्घकालिक योजनाओं का हिस्सा था। इसकी कमांड और नियंत्रण क्षमता ने इसे भारत के लिए खतरा बनाया। यहां पर हमला रात 01:25 बजे किया गया।

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