लेफ्टिनेंट जनरल सिंह ने कहा, "ऑपरेशन सिंदूर के दौरान हमारे आबादी वाले इलाके उनके सीधे निशाने पर नहीं थे, लेकिन अगली बार ऐसा हो सकता है। हमें उसकी तैयारी अभी से करनी होगी।” इसका मतलब है कि आने वाले समय में दुश्मन की रणनीति बदल सकती है और वो आबादी वाले इलाकों पर भी हमले की कोशिश कर सकता है...
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📍नई दिल्ली | 4 Jul, 2025, 9:44 PM

China role in Op Sindoor: भारतीय सेना के उप प्रमुख (कैपेबिलिटी डेवलपमेंट एंड सस्टेनेंस) लेफ्टिनेंट जनरल राहुल आर. सिंह ने शुक्रवार को ऑपरेशन सिंदूर को लेकर कई अहम खुलासे किए। भारतीय सेना ने पहली बार आधिकारिक स्तर पर ऑपरेशन सिंदूर में चीन के रोल को लेकर खुल कर अपनी बात कही। उन्होंने कहा कि इस 87 घंटे की सैन्य कार्रवाई से भारत ने कई सबक सीखे हैं, लेकिन सबसे बड़ा सबक यह है कि भले ही भारत ने सिर्फ एक सीमा पर एक युद्ध लड़ा, लेकिन उसके सामने कम से कम तीन दुश्मन थे।

शुक्रवार को फिक्की (FICCI) की तरफ से आयोजित ‘न्यू एज मिलिट्री टेक्नोलॉजीज’ कार्यक्रम में बोलते हुए लेफ्टिनेंट जनरल सिंह ने ऑपरेशन सिंदूर पर बोलते हुए कहा, हमने एक तरफ पाकिस्तान को देखा, लेकिन असल में दुश्मन दो नहीं, बल्कि चार या कम से कम तीन थे।”

उन्होंने अपनी बात को और स्पष्ट करते हुए कहा, “पाकिस्तान तो बस एक चेहरा था। लेकिन पीछे से चीन हर संभव मदद पहुंचा रहा था। उन्होंने कहा कि यह कोई आश्चर्य की बात नहीं है। अगर आप आंकड़ों पर नजर डालें, तो पिछले पांच साल में पाकिस्तान को मिलने वाले 81 फीसदी सैन्य उपकरण चीन से आए हैं। इसका मतलब है कि चीन पाकिस्तान को एक मोहरे की तरह इस्तेमाल कर रहा है।” उन्होंने चीन की रणनीति को “उधार की छुरी से वार” (Killed by a borrowed knife) करार दिया। यानी चीन खुद भारत के साथ उत्तरी सीमा पर सीधे टकराव में पड़ने के बजाय पड़ोसी देश का इस्तेमाल करके हमें परेशान करना चाहता है।”

China role in Op Sindoor: हथियारों की ‘लाइव टेस्टिंग लैब’?

लेफ्टिनेंट जनरल सिंह ने बताया कि चीन ने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान अपरोक्ष रूप से पाकिस्तान की मदद करके अपने हथियारों की टेस्टिंग भी की। उन्होंने कहा, “यह उनके लिए एक लाइव टेस्टिंग लैब की तरह था। हमें इसे गंभीरता से लेने की जरूरत है। इसके अलावा, तुर्की ने भी पाकिस्तानी सेना को कई तरह के ड्रोन उपलब्ध कराए।”

चीन के सैटेलाइट से पाकिस्तान को मिली ‘लाइव जानकारी’

लेफ्टिनेंट जनरल सिंह ने बताया कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान चीन अपने सैटेलाइट्स के जरिए भारतीय सेना की तैनाती पर नजर रख रहा था। इसका मतलब है कि चीन ने अपने सैटेलाइट और निगरानी तंत्र के जरिए भारत की सैन्य गतिविधियों पर नज़र रखी और वो जानकारियां पाकिस्तान को दीं।

उन्होंने कहा, ” हमें कमांड, कंट्रोल, कम्युनिकेशंस, कंप्यूटर्स, इंटेलिजेंस, सर्विलांस और रिकॉनिसन्स और सिविल-मिलिट्री फ्यूजन के क्षेत्र में हमें बहुत कुछ करने की जरूरत है।” उन्होंने बताया कि जब भारत और पाकिस्तान के बीच डीजीएमओ (डायरेक्टर जनरल ऑफ मिलिट्री ऑपरेशंस) स्तर की बातचीत चल रही थी, तब हमें बता रहा था कि हमारी कौन सी यूनिट (सेना की टुकड़ी) कहां तैनात है और हमसे उसे पीछे हटाने की अपील कर रहा था। इसका मतलब है कि पाकिस्तान को चीन से सीधी जानकारी मिल रही थी।” लेफ्टिनेंट जनरल सिंह ने कहा, “पाकिस्तान को यह जानकारी चीन से रियल-टाइम में मिल रही थी। यह एक ऐसा क्षेत्र है जहां हमें तेजी से काम करना होगा और उचित कदम उठाने होंगे।”

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बता दें कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान मेजर जनरल (रिटायर्ड) अशोक कुमार, जो सेंटर फॉर जॉइंट वॉरफेयर स्टडीज (CENJOWS) के डायरेक्टर जनरल हैं, उन्होंने भी उस दौरान चीन की भूमिका पर गंभीर खुलासे किए थे। उन्होंने एक साक्षात्कार में खुलासा किया था कि चीन ने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान को रियल-टाइम सैटेलाइट जानकारी दी। जिससे पाकिस्तान को अपने एयर डिफेंस सिस्टम्स को फिर से व्यवस्थित करने में मदद मिली ताकि भारत की हवाई गतिविधियों का पता लगाया जा सके। इसके अलावा, चीन ने अपने सैटेलाइट्स को भारत के ऊपर फोकस किया, जिससे पाकिस्तान को भारतीय सैन्य टुकड़ियों की गतिविधियों की जानकारी मिली।”

आबादी वाले इलाकों पर खतरा!

लेफ्टिनेंट जनरल सिंह ने कहा, “ऑपरेशन सिंदूर के दौरान हमारे आबादी वाले इलाके उनके सीधे निशाने पर नहीं थे, लेकिन अगली बार ऐसा हो सकता है। हमें उसकी तैयारी अभी से करनी होगी।” इसका मतलब है कि आने वाले समय में दुश्मन की रणनीति बदल सकती है और वो आबादी वाले इलाकों पर भी हमले की कोशिश कर सकता है। उन्होंने आगे कहा कि ऑपरेशन सिंदूर अभी जारी है और अगले दौर में हमें इसके लिए तैयार रहना होगा। उन्होंने कहा, “हमें और अधिक एयर डिफेंस, एंटी-रॉकेट, आर्टिलरी डिटेक्शन और एंटी-ड्रोन सिस्टम तैयार करने होंगे। हमें इस दिशा में बहुत तेजी से काम करना होगा।” उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि स्वदेशी सैन्य सिस्टम ने इस ऑपरेशन में अच्छा प्रदर्शन किया, लेकिन कुछ सिस्टम उम्मीदों पर खरे नहीं उतरे।

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