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📍नई दिल्ली | 8 months ago

Navy Day 2024: भारतीय नौसेना अगले कुछ महीनों में बड़े रणनीतिक कदम उठा सकती है। नौसेना प्रमुख एडमिरल डीके त्रिपाठी ने सोमवार को संकेत दिए कि जल्द ही तीन अतिरिक्त स्कॉर्पीन श्रेणी की पनडुब्बियों और 26 नए लड़ाकू विमानों के लिए कॉन्ट्रैक्ट पर दस्तखत किए जा सकते हैं। बता दें कि नौसेना प्रमुख ने ये एलान नौसेना दिवस से ठीक पहले किया है। नौसेना दिवस हर साल 4 दिसंबर को 1971 के युद्ध में कराची पर नौसेना के हमले की याद में मनाया जाता है।

Navy Day 2024: Navy Chief Announces Contracts for Three Scorpene Submarines Next Month, Sets Goal to Build Six SSNs

Navy Day 2024: तीन स्कॉर्पीन पनडुब्बियों का ऑर्डर अंतिम चरण में

एडमिरल त्रिपाठी ने बताया कि तीन स्कॉर्पीन श्रेणी की पनडुब्बियों के लिए “रिपीट ऑर्डर” की प्रक्रिया लगभग पूरी हो चुकी है। उन्होंने कहा, “यह केवल औपचारिकताओं को पूरा करने की बात है।” ये पनडुब्बियां मुंबई स्थित मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड और फ्रांस की नेवल ग्रुप के सहयोग से बनाई जाएंगी।

पहले से ही छह स्कॉर्पीन पनडुब्बियां बनाई जा चुकी हैं, जिनमें से पांच को नौसेना में शामिल किया जा चुका है। यह नई पनडुब्बियां आने से भारत की समुद्री सुरक्षा प्रणाली को और मजबूती मिलेगी।

एडमिरल डीके त्रिपाठी ने यब भी बताया कि देश को पहली परमाणु हमलावर पनडुब्बी (SSN) 2036-37 तक मिल सकती है। इसके बाद, दूसरी पनडुब्बी अगले कुछ वर्षों में तैयार हो जाएंगी।

नई परियोजनाएं और योजनाएं

नौसेना प्रमुख ने बताया कि 32 नए जहाजों के लिए आवश्यकता स्वीकृति (Acceptance of Necessity) दी गई है, जिनमें सात स्टील्थ जहाज (P-17B) और छह पनडुब्बियां (P-75I) शामिल हैं। इसके अलावा, पुराने चेतक हेलीकॉप्टरों को बदलने के लिए 60 नए UH-मेरिटाइम हेलीकॉप्टर खरीदने की भी योजना है।

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एडमिरल त्रिपाठी ने कहा, “अगले साल औसतन हर महीने एक नया जहाज नौसेना में शामिल किया जाएगा। यह भारत की समुद्री ताकत को और मजबूत करेगा।”

परमाणु बैलिस्टिक मिसाइल पनडुब्बियां

नौसेना प्रमुख ने बताया कि INS अरिहंत, जो पहली परमाणु बैलिस्टिक मिसाइल पनडुब्बी (SSBN) है, ने कई डिटरेंस पेट्रोल पूरे कर लिए हैं। दूसरी SSBN, INS अरिघात, हाल ही में कमीशन हुई है और फिलहाल परीक्षण के दौर से गुजर रही है, जिसमें मिसाइल परीक्षण भी शामिल है।

भारत की ताकत बढ़ाने की तैयारी

2036 तक परमाणु हमलावर पनडुब्बी और अन्य जहाजों के आने से भारतीय नौसेना की ताकत में बड़ी बढ़ोतरी होगी। एडमिरल त्रिपाठी ने कहा, “ये योजनाएं हमारे सुरक्षा और रणनीतिक लक्ष्यों के लिए बेहद महत्वपूर्ण हैं।”

भारत अपनी समुद्री सीमाओं की सुरक्षा और वैश्विक कूटनीति में एक प्रमुख भूमिका निभाने के लिए तेजी से कदम उठा रहा है।

राफेल-एम लड़ाकू विमानों को लेकर कॉन्ट्रैक्ट

फ्रांसीसी मूल के राफेल-एम लड़ाकू विमानों को नौसेना में शामिल करने की प्रक्रिया भी तेजी से चल रही है। एडमिरल त्रिपाठी ने कहा, “कैबिनेट सुरक्षा समिति से मंजूरी के लिए मामला जल्द ही जाएगा और अनुबंध अगले महीने तक हस्ताक्षरित होने की संभावना है।” ये लड़ाकू विमान भारतीय नौसेना के समुद्री एयरक्राफ्ट कैरियर पर तैनात किए जाएंगे। वर्तमान में नौसेना रूसी मूल के मिग-29के लड़ाकू विमानों का इस्तेमाल करती है।

चीन और पाकिस्तान पर नजर

एडमिरल त्रिपाठी ने बताया कि भारतीय नौसेना भारतीय महासागर क्षेत्र में चीन के जहाजों और पनडुब्बियों की गतिविधियों पर लगातार नजर रख रही है। उन्होंने कहा, “पिछले एक साल में हमने चीनी नौसेना पर करीब से नजर रखी। और हमें पता है कि कौन कहां है और क्या कर रहा है।”

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पाकिस्तानी नौसेना की बढ़ती ताकत पर बात करते हुए उन्होंने कहा कि चीन इसमें मदद कर रहा है। “पाकिस्तान की खस्ता आर्थिक स्थिति के बावजूद, उन्होंने हथियारों को प्राथमिकता दी है। वे 50 जहाजों के बेड़े तक पहुंचने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन हमें उनके इस कदम से कोई खतरा नहीं है। हम अपनी सुरक्षा सुनिश्चित करेंगे।”

INS अरिघात और परमाणु शक्ति का विस्तार

भारत की सुरक्षा रणनीति को और मजबूती देते हुए हाल ही में परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम पनडुब्बी आईएनएस अरिघात को शामिल किया गया। इसे नौसेना के ट्रायड सुरक्षा ढांचे का हिस्सा बताया गया। यह पनडुब्बी समुद्र से परमाणु हमला करने की क्षमता देती है।

इसके अलावा, दो नई परमाणु क्षमता से चलने वाली पनडुब्बियों (एसएसएन) को बनाने की योजना को भी सरकारी मंजूरी मिल चुकी है। एडमिरल त्रिपाठी ने कहा, “हमारा लक्ष्य छह एसएसएन बनाने का है, जो हमारी रक्षा रणनीति को और सुदृढ़ करेगा।”

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