📍नई दिल्ली | 18 Dec, 2024, 12:10 PM
INS Nirdeshak: विशाखापत्तनम के नेवल डॉकयार्ड में बुधवार को भारतीय नौसेना के सर्वेक्षण पोत INS निर्देशक (INS Nirdeshak) को भारतीय नौसेना में शामिल किया गया। इस ऐतिहासिक मौके पर रक्षा राज्य मंत्री संजय सेठ मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। समारोह की मेजबानी पूर्वी नौसेना कमान के फ्लैग ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ वाइस एडमिरल राजेश पेंढरकर ने की। इस कार्यक्रम में नौसेना के वरिष्ठ अधिकारी, गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स (GRSE) के प्रतिनिधि और अन्य विशिष्ट गणमान्य व्यक्ति भी शामिल हुए।
INS Nirdeshak: आत्मनिर्भर भारत का प्रतीक
INS निर्देशक भारतीय नौसेना के सर्वेक्षण पोत (बड़े) परियोजना का दूसरा जहाज है, जिसे कोलकाता स्थित गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स (GRSE) ने बनाया है। इस पोत में 80 फीसदी से अधिक स्वदेशी सामग्री का उपयोग हुआ है, जो रक्षा निर्माण में भारत की आत्मनिर्भरता (आत्मनिर्भर भारत) के संकल्प को दर्शाता है।
INS निर्देशक का निर्माण भारतीय नौसेना के वॉरशिप डिज़ाइन ब्यूरो की विशेषज्ञता और MSMEs, SAIL, और अन्य निजी उद्योग साझेदारों के सहयोग से किया गया है। यह पोत भारतीय नौसेना के डिज़ाइन और निर्माण कौशल का प्रमाण है।
INS निर्देशक भारतीय नौसेना के उस ऐतिहासिक पोत का पुनर्जन्म है, जिसने 32 वर्षों तक देश की सेवा की और 2014 में सेवामुक्त हो गया। नए निर्देशक को उस गौरवशाली परंपरा का सम्मान करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। यह पोत अत्याधुनिक सुविधाओं और तकनीकी क्षमताओं से लैस है।
बेहतर संचालन क्षमता और समुद्री ताकत
INS निर्देशक 25 दिनों तक समुद्र में लगातार काम कर सकता है। इसकी अधिकतम गति 18 नॉट्स से अधिक है। यह पोत आधुनिक हाइड्रोग्राफिक उपकरणों से सुसज्जित है, जो इसे समुद्र की गहराई और सतह की विस्तृत जानकारी इकट्ठा करने में सक्षम बनाता है।
यह पोत भारत की समुद्री ताकत को नई ऊंचाई प्रदान करेगा। इसकी उन्नत क्षमताएं न केवल सैन्य उद्देश्यों के लिए उपयोगी होंगी, बल्कि क्षेत्रीय सुरक्षा और वैज्ञानिक अन्वेषण में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगी।
सागर विज़न और भारतीय नौसेना का विस्तार
INS निर्देशक का जलावतरण भारतीय नौसेना के हाइड्रोग्राफिक बेड़े के आधुनिकीकरण की दिशा में एक अहम कदम है। यह भारत की “सागर” (सिक्योरिटी एंड ग्रोथ फॉर ऑल इन द रीजन) दृष्टि को भी मजबूती देता है। इस दृष्टि के तहत भारत क्षेत्रीय सुरक्षा और समुद्री विकास को प्राथमिकता देता है।
INS निर्देशक के शामिल होने से न केवल नौसेना की परिचालन क्षमता बढ़ेगी, बल्कि यह क्षेत्रीय समुद्री सुरक्षा में भी भारत की नेतृत्वकारी भूमिका को मजबूत करेगा।
उन्नत तकनीक और स्वदेशी योगदान
INS निर्देशक में अत्याधुनिक तकनीक का इस्तेमाल किया गया है, जो इसे समुद्री अनुसंधान और संचालन के लिए बेहतरीन बनाती है। पोत में हाई-टेक उपकरण लगे हैं, जो इसे समुद्र की सतह और गहराई का सटीक मानचित्र तैयार करने में सक्षम बनाते हैं।
इस पोत का निर्माण रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की दिशा में भारत के प्रयासों को भी दर्शाता है। GRSE और अन्य भारतीय उद्योगों ने मिलकर इसे तैयार किया है, जो भारत की स्वदेशी निर्माण क्षमता का प्रतीक है।
INS निर्देशक भारतीय नौसेना की उन योजनाओं का हिस्सा है, जो क्षेत्रीय सुरक्षा को मजबूत करने और वैज्ञानिक अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिए बनाई गई हैं। यह पोत समुद्री सीमाओं की निगरानी, संसाधनों की खोज और सुरक्षा को सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।