‘अर्नाला’ का नाम महाराष्ट्र के वसई के पास स्थित ऐतिहासिक अर्नाला किले से लिया गया है, जो 1737 में मराठों द्वारा चिमाजी अप्पा के नेतृत्व में बनाया गया था। यह किला वेतारणा नदी के मुहाने पर उत्तरी कोंकण तट की रक्षा के लिए बनाया गया था और कई के बाद भी मजबूती से खड़ा रहा। ठीक उसी तरह, यह युद्धपोत समुद्र में एक मजबूत मौजूदगी के लिए डिजाइन किया गया है...
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📍विशाखापत्तनम | 6 Jun, 2025, 5:10 PM

INS ARNALA: भारतीय नौसेना की ताकत में जबरदस्त इजाफा होने जा रहा है। जल्द ही भारतीय नौसेना में पहला पनडुब्बी रोधी युद्धपोत (एंटी-सबमरीन वारफेयर शैलो वाटर क्राफ्ट) ‘अर्नाला’ को औपचारिक रूप से कमीशन किया जाएगा। देश का पहली ‘एंटी-सबमरीन वॉरफेयर – शैलो वॉटर क्राफ्ट’ (ASW-SWC) श्रेणी का युद्धपोत INS अर्णाला (INS Arnala) 18 जून को नौसेना में आधिकारिक रूप से शामिल किया जाएगा। यह कमीशनिंग समारोह विशाखापत्तनम के नेवल डॉकयार्ड में आयोजित होगा, जिसकी अध्यक्षता चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान करेंगे। इस समारोह में पूर्वी नौसेना कमान के प्रमुख वाइस एडमिरल राजेश पेंढारकर मेजबान के रूप में मौजूद रहेंगे।

INS ARNALA: आत्मनिर्भर भारत की मिसाल

INS अर्णाला न केवल एक अत्याधुनिक युद्धपोत है, बल्कि यह ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ अभियान की सशक्त मिसाल भी है। यह युद्धपोत कोलकाता स्थित गॉर्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स (GRSE) द्वारा डिजाइन और निर्मित किया गया है। निर्माण में एलएंडटी शिपबिल्डर्स की भागीदारी भी रही है, जिसे सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP) मॉडल के तहत बनाया गया है।

जहां भारत लंबे समय तक एंटी-सबमरीन क्षमताओं के लिए विदेशों पर निर्भर रहा, वहीं INS अर्णाला के कमीशन के साथ भारत अपनी समुद्री सीमाओं की निगरानी और सुरक्षा के लिए अब पूरी तरह स्वदेशी तकनीक पर भरोसा कर सकेगा।

क्या है ASW-SWC और क्यों है यह जरूरी?

Anti-Submarine Warfare Shallow Water Craft (ASW-SWC) यानी “पनडुब्बी रोधी युद्ध, समुद्र में ऑपरेट होने वाले विशेष प्रकार के युद्धपोत होते हैं। ‘अर्नाला’ को तटीय क्षेत्रों और कम गहराई वाले समुद्रों में विभिन्न पनडुब्बी रोधी अभियानों, जैसे पानी के नीचे निगरानी, खोज और बचाव मिशन, और कम तीव्रता वाले समुद्री अभियानों के लिए डिजाइन किया गया है। INS अर्णाला 77 मीटर लंबा युद्धपोत है औऱ इसका वजन 1490 टन से अधिक का है और इसे डीजल इंजन-वाटरजेट कॉम्बिनेशन से ऑपरेट किया जाता है, जो इसे भारतीय नौसेना का सबसे बड़ा ऐसा जहाज बनाता है। यह जहाज भारत के तटीय रक्षा को मजबूत करने और रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण हिंद महासागर क्षेत्र में भारत की स्थिति को सुदृढ़ करने में अहम भूमिका निभाएगा। भारतीय उपमहाद्वीप की लंबी समुद्री सीमाएं और चीनी नौसेना की बढ़ती उपस्थिति को देखते हुए, ऐसी एडवांस क्षमताओं की ज़रूरत पहले से कहीं अधिक महसूस की जा रही थी। INS अर्णाला इस खाली स्थान को भरने का काम करेगा।

इस युद्धपोत में 80% से अधिक उपकरण और सिस्टम स्वदेशी हैं। इसमें भारत की प्रमुख रक्षा कंपनियों भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (बीईएल), एलएंडटी, महिंद्रा डिफेंस, और एमईआईएल जैसी प्रमुख भारतीय रक्षा कंपनियों के बनाए एडवांस सिस्टम लगाए गए हैं। इस परियोजना में 55 से अधिक एमएसएमई कंपनियों को शामिल किया गया, जिससे स्वदेशी रक्षा उद्योग को न केवल प्रोत्साहन मिला, बल्कि हजारों रोजगार के अवसर भी पैदा हुए।

इतिहास से जुड़ा है नाम ‘अर्णाला’

‘अर्नाला’ का नाम महाराष्ट्र के वसई के पास स्थित ऐतिहासिक अर्नाला किले से लिया गया है, जो 1737 में मराठों द्वारा चिमाजी अप्पा के नेतृत्व में बनाया गया था। यह किला वेतारणा नदी के मुहाने पर उत्तरी कोंकण तट की सुरक्षा के लिए बनाया गया था और कई के बाद भी मजबूती से खड़ा रहा। ठीक उसी तरह, यह युद्धपोत समुद्र में एक मजबूत मौजूदगी के लिए डिजाइन किया गया है। ठीक उसी तरह, यह युद्धपोत समुद्र में एक मजबूत उपस्थिति के लिए डिजाइन किया गया है। INS अर्णाला के डिजाइन और निर्माण में इसी प्रेरणा को देखा जा सकता है, मजबूत हुल, अत्याधुनिक सेंसर, और घातक हथियार। किले की पत्थर की दीवारों की तरह इसका हुल, और तोपों की जगह मिसाइल व सोनार सिस्टम इसकी सुरक्षा की गारंटी बनते हैं। INS अर्णाला भी उसी तरह भारत की समुद्री सीमाओं की रक्षक बनकर दुश्मनों के सामने दीवार बनकर खड़ा होगा।

‘अर्णवे शौर्यम्’ – जहाज का आदर्श वाक्य

‘अर्नाला’ की क्रेस्ट में एक नीले पृष्ठभूमि पर एक स्टाइलिश ऑगर शेल (Auger Shell) को दर्शाया गया है, जिसके आधार पर जहाज का नाम देवनागरी लिपि में लिखा है। ऑगर शेल अपनी सर्पिल, मजबूत संरचना और सटीक नोक के लिए जाना जाता है, जो लचीलापन, सतर्कता, और कठिन परिस्थितियों में प्रभुत्व का प्रतीक है। यह जहाज की विशेषताओं को दर्शाता है, जो समुद्र की अथक ताकतों का सामना करने और पनडुब्बी रोधी अभियानों को सटीकता के साथ अंजाम देने के लिए बनाया गया है। क्रेस्ट के नीचे एक रिबन पर जहाज का आदर्श वाक्य “अर्णवे शौर्यम्” (Arnave Shauryam) लिखा है, जिसका अर्थ है “समुद्र में वीरता”। यह वाक्य जहाज की अटूट साहस, ताकत और समुद्र पर प्रभुत्व को दर्शाता है, जो चालक दल को किसी भी चुनौती का डटकर सामना करने के लिए प्रेरित करता है।

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नौसेना के लिए बड़े बदलाव की शुरुआत

INS अर्णाला 16 युद्धपोतों की उस सीरीज की पहली कड़ी है, जिन्हें भविष्य में ASW-SWC के तौर पर नौसेना में शामिल किया जाएगा। इसका मतलब है कि अगले कुछ वर्षों में भारत के पास 16 अत्याधुनिक पनडुब्बी रोधी युद्धपोतों की फ्लीट होगी, जो तटीय रक्षा को और अजेय बनाएगी।

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