रक्षा समाचार WhatsApp Channel Follow US
P-75I के तहत छह नई पनडुब्बियों का निर्माण किया जाएगा, जिसमें भारत को जर्मनी की थीसेनक्रुप मरीन सिस्टम्स (tkMS) कंपनी तकनीकी मदद देगी। इस परियोजना की अनुमानित लागत 70,000 करोड़ रुपये है। इन पनडुब्बियों में 'एयर इंडिपेंडेंट प्रोपल्शन' (AIP) तकनीक को खासतौर पर शामिल किया जाएगा, जो पारंपरिक पनडुब्बियों को लंबे समय तक पानी के भीतर रहकर ऑपरेशन करने की क्षमता देती है...
Read Time 0.24 mintue

📍नई दिल्ली | 1 week ago

Indian Navy Submarines: भारत की समुद्री ताकत में बड़ा इजाफा होने जा रहा है। मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड (MDL) इस वित्तीय वर्ष 2025-26 में दो महत्वपूर्ण पनडुब्बी निर्माण परियोजनाओं को अंतिम रूप देने की तैयारी में है। इन दोनों प्रोजेक्ट्स के तहत कुल नौ पनडुब्बियों का निर्माण किया जाएगा, जिससे भारतीय नौसेना की अंडरवाटर फाइटिंग कैपेबिलिटी को जबरदस्त मजबूती मिलेगी। वहीं इन पनडुब्बियों में खास AIP तकनीक की इस्तेमाल किया जाएगा।

इन दोनों परियोजनाओं की अनुमानित लागत 1.06 लाख करोड़ रुपये से अधिक है। पहला प्रोजेक्ट ‘प्रोजेक्ट 75-इंडिया (P-75I)’ और दूसरा Project 75 ‘स्कॉर्पीन क्लास एड-ऑन’ प्रोजेक्ट है, जिसकी प्रक्रिया इस साल जनवरी में पूरी की गई थी।

मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड के डायरेक्टर (सबमरीन और हेवी इंजीनियरिंग) कमोडोर एसबी जमगांवकर (रिटायर्ड) ने बताया कि P-75I के लिए कॉस्ट नेगोशिएशन कमेटी कमर्शियल और टेक्निकल शर्तों को अंतिम रूप देने के लिए बातचीत शुरू करने जा रही है। वहीं तीन स्कॉर्पीन पनडुब्बियों के एड-ऑन प्रोजेक्ट के लिए बातचीत पूरी हो चुकी है।

उन्होंने बताया, “हम इन दोनों प्रोजेक्ट्स को लागू करने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं। उम्मीद है कि 31 मार्च 2026 तक दोनों समझौते साइन हो जाएंगे।”

Indian Navy Submarines: प्रोजेक्ट 75-इंडिया: खास AIP तकनीक होंगी लैस

P-75I के तहत छह नई पनडुब्बियों का निर्माण किया जाएगा, जिसमें भारत को जर्मनी की थीसेनक्रुप मरीन सिस्टम्स (tkMS) कंपनी तकनीकी मदद देगी। इस परियोजना की अनुमानित लागत 70,000 करोड़ रुपये है। इन पनडुब्बियों में ‘एयर इंडिपेंडेंट प्रोपल्शन’ (AIP) तकनीक को खासतौर पर शामिल किया जाएगा, जो पारंपरिक पनडुब्बियों को लंबे समय तक पानी के भीतर रहकर ऑपरेशन करने की क्षमता देती है। सामान्य तौर पर ऐसी पनडुब्बियों को समय-समय पर सतह पर आना पड़ता है ताकि वे ऑक्सीजन लेकर बैटरियों को चार्ज कर सकें, लेकिन AIP टेक्नोलॉजी से यह दिक्कत खत्म हो जाती है।

यह भी पढ़ें:  INS Aridhaman: भारत गुपचुप कर रहा इस खास पनडुब्बी का समुद्री ट्रायल! भारतीय नौसेना को जल्द मिलेगी तीसरी न्यूक्लियर बैलिस्टिक मिसाइल सबमरीन

भारत में इस टेक्नोलॉजी पर काम चल रहा है, जबकि पाकिस्तान के पास पहले से दो एयर इंडिपेंडेंट प्रोपल्शन पनडुब्बियां हैं और उसने चीन के साथ छह और एयर इंडिपेंडेंट प्रोपल्शन सबमरीन के लिए करार किया है।

Indian Navy Submarines: 9 New AIP-Enabled Subs to Boost Underwater Power
Indian Navy’s Kalvari Class Submarine – INS Vela

स्कॉर्पीन एड-ऑन प्रोजेक्ट: 3 और पनडुब्बियां बनेंगी

दूसरा प्रोजेक्ट के तहकत स्कॉर्पीन क्लास की तीन अतिरिक्त पनडुब्बियों का निर्माण किया जाएगा। जिसकी अनुमानित लागत 36,000 करोड़ रुपये है। इनका निर्माण भी मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड द्वारा ही किया जाएगा। स्कॉर्पीन क्लास पनडुब्बियों की पिछली खेप छह यूनिट्स की थी, जिसमें से आखिरी सबमरीन INS वाघशीर (INS Vaghsheer) को जनवरी 2025 में नौसेना को सौंपा गया था। 23,500 करोड़ रुपये की लागत वाले प्रोजेक्ट 75 (P-75) के तहत ये सभी पनडुब्बियां फ्रांस की नेवल ग्रुप से टेक्नोलॉजी ट्रांसफर के तहत बनाई गईं थीं। इन्हें कलवरी-क्लास (Kalvari-class) स्कॉर्पीन) डीजल-इलेक्ट्रिक अटैक समबरीन के नाम से भी जाना जाता है। अब तीन और पनडुब्बियों का निर्माण किया जाएगा, जिसके बाद भारत की समुद्री मारक क्षमता में जबरदस्त बढ़ोतरी होगी।

सात साल बाद डिलीवरी

P-75I के तहत पहली पनडुब्बी की डिलीवरी कॉन्ट्रैक्ट साइन होने के सात साल बाद होगी। इसके बाद हर साल एक पनडुब्बी नौसेना को दी जाएगी। पहले यूनिट में 45 फीसदी स्वदेशी सामग्री होगी, जो छठी पनडुब्बी तक बढ़कर 60 फीसदी तक पहुंचाई जाएगी। वहीं, स्कॉर्पीन एड-ऑन प्रोजेक्ट की पहली पनडुब्बी छह साल में और बाकी दो हर साल के हिसाब से तैयार होंगी।

एमडीएल बना सकता है 11 सबमरीन, 10 डेस्ट्रॉयर

एमडीएल के कॉर्पोरेट प्लानिंग और पर्सनल डायरेक्टर कमांडर वी पुराणिक (सेवानिवृत्त) ने बताया कि मजगांव डॉकयार्ड एक साथ 11 पनडुब्बियां और 10 विध्वंसक जहाज (destroyers) बनाने की क्षमता रखता है। इस समय सभी जरूरी स्किल्ड लेबर, सप्लाई चेन और रिसोर्सेस मौजूद हैं।

यह भी पढ़ें:  TECHNOLOGY DEVELOPMENT FUND: सरकार ने लोकसभा में बताया TDF योजना से आत्मनिर्भर भारत को कितना हुआ फायदा, डेवलप की ये खास तकनीकें

क्या है SP मॉडल?

प्रोजेक्ट 75I को रक्षा मंत्रालय के स्ट्रैटेजिक पार्टनरशिप (SP) मॉडल के तहत लागू किया जा रहा है। इस मॉडल के तहत, भारत की एक निजी या सरकारी कंपनी विदेशी पार्टनर के साथ मिलकर रक्षा उपकरणों का स्वदेश में निर्माण करती है। इस मॉडल के तहत थीसेनक्रुप भारत में डिजाइन और तकनीक ट्रांसफर करेगा, जिससे भारत भविष्य में अपनी पनडुब्बियों को खुद डिजाइन और डेवलप कर सकेगा।

Scorpene Submarines: समंदर में बढ़ेगी भारतीय नौसेना की ताकत, मिलेंगी तीन और स्कॉर्पीन पनडुब्बियां, 36,000 करोड़ रुपये की डील को दी मंजूरी

पनडुब्बियां समुद्र में छुप कर रहते हुए दुश्मन पर वार करने की ताकत रखती हैं। इनका स्टील्थ (छिपकर रहने की क्षमता) और अचानक हमला करने की विशेषता इन्हें घातक बनाती है। ये उन इलाकों में भी ऑपरेशन कर सकती हैं, जहां युद्धपोत नहीं पहुंच सकते। आज के समय में जब हिंद महासागर क्षेत्र में चीन और पाकिस्तान अपनी नौसैनिक क्षमता बढ़ा रहे हैं, भारत की यह नई पहल सामरिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जा रही है।

रक्षा समाचार WhatsApp Channel Follow US

Leave a Reply

Share on WhatsApp