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📍नई दिल्ली | 15 Jan, 2025, 2:48 PM

Frontline Naval Ships: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 जनवरी 2025 को मुंबई के नेवल डॉकयार्ड में आयोजित एक भव्य समारोह में भारतीय नौसेना के तीन प्रमुख युद्धपोत – INS सूरत, INS नीलगिरी, और INS वाघशीर – को राष्ट्र को समर्पित किए। इस मौके पर प्रधानमंत्री ने भारतीय सशस्त्र बलों की वीरता को सलाम करते हुए कहा कि यह दिन भारत के समृद्ध समुद्री इतिहास और आत्मनिर्भर भारत अभियान के लिए मील का पत्थर साबित होगा।

PM Modi Dedicates INS Surat, INS Nilgiri, and INS Vaghsheer to the Nation in Mumbai

प्रधानमंत्री मोदी ने इस कार्यक्रम को भारतीय नौसेना की अद्भुत क्षमताओं और भारत की बढ़ती समुद्री ताकत का प्रतीक बताया। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि पहली बार एक विध्वंसक (डिस्ट्रॉयर), एक फ्रिगेट, और एक पनडुब्बी को एक साथ कमीशन किया गया है।

प्रधानमंत्री ने नौसेना की सराहना करते हुए कहा कि यह तीनों युद्धपोत मेक इन इंडिया के तहत निर्मित किए गए हैं, जो भारत की आत्मनिर्भरता और रक्षा क्षेत्र में बढ़ते कौशल का प्रमाण है। उन्होंने इस ऐतिहासिक उपलब्धि के लिए भारतीय नौसेना और निर्माण में शामिल सभी स्टेकहोल्डर्स को बधाई दी।

प्रधानमंत्री ने कार्यक्रम में कहा, “आज का कार्यक्रम हमारे गौरवशाली अतीत और उज्ज्वल भविष्य को जोड़ने का प्रतीक है। भारत का समुद्री इतिहास अत्यंत समृद्ध रहा है, और आज का यह अवसर उसी परंपरा को आगे बढ़ाने की दिशा में एक बड़ा कदम है।”

Frontline Naval Ships:  INS सूरत, INS नीलगिरी और INS वाघशीर की खूबियां

INS सूरत प्रोजेक्ट 15बी के तहत निर्मित चौथा और अंतिम गाइडेड मिसाइल विध्वंसक है। इसे दुनिया के सबसे उन्नत विध्वंसकों में से एक माना जाता है। यह 75% स्वदेशी सामग्री से निर्मित है और अत्याधुनिक हथियारों और सेंसर सिस्टम से सुसज्जित है।

INS नीलगिरी, प्रोजेक्ट 17ए के तहत निर्मित पहला स्टील्थ फ्रिगेट, भारतीय नौसेना के वॉरशिप डिजाइन ब्यूरो द्वारा डिजाइन किया गया है। इसमें उच्च स्तरीय स्टील्थ, समुद्री रक्षा और लंबे समय तक समुद्री परिचालन की क्षमता है।

INS वाघशीर, प्रोजेक्ट 75 स्कॉर्पीन पनडुब्बी परियोजना का छठा और अंतिम मॉडल है। इसे फ्रांस के नेवल ग्रुप के सहयोग से बनाया गया है। यह पनडुब्बी आधुनिक तकनीकों और गुप्त संचालन क्षमताओं से लैस है।

भारत की समुद्री शक्ति का बढ़ता प्रभाव

प्रधानमंत्री ने भारत की बढ़ती समुद्री ताकत पर जोर देते हुए कहा कि आज भारत को ग्लोबल साउथ में एक भरोसेमंद और जिम्मेदार भागीदार के रूप में देखा जा रहा है। उन्होंने कहा कि भारत हमेशा से खुले, सुरक्षित, समावेशी और समृद्ध इंडो-पैसिफिक क्षेत्र का समर्थक रहा है।

उन्होंने SAGAR (Security And Growth for All in the Region) के विजन का उल्लेख करते हुए कहा कि भारत तटीय देशों के विकास के लिए प्रतिबद्ध है। साथ ही, उन्होंने भारतीय नौसेना के कार्यों की सराहना की, जिसने हाल ही में भारतीय महासागर क्षेत्र में कई मानवीय मिशनों और आपदा राहत कार्यों को सफलतापूर्वक अंजाम दिया है।

प्रधानमंत्री ने कहा, “भारत आज केवल अपनी रक्षा के लिए नहीं, बल्कि समुद्री व्यापार, आपूर्ति श्रृंखलाओं और ऊर्जा सुरक्षा के लिए भी समर्पित है। हमारी नौसेना ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय का विश्वास अर्जित किया है, और आज का यह कार्यक्रम इस विश्वास को और मजबूत करेगा।”

मेक इन इंडिया का असर

प्रधानमंत्री ने आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत रक्षा क्षेत्र में हो रहे सुधारों और उपलब्धियों का उल्लेख किया। उन्होंने बताया कि भारत ने हाल ही में 1.25 लाख करोड़ रुपये का रक्षा उत्पादन किया है और 100 से अधिक देशों को रक्षा उपकरण निर्यात कर रहा है।

उन्होंने कहा कि भारतीय नौसेना ने पिछले एक दशक में 33 जहाजों और सात पनडुब्बियों को अपने बेड़े में शामिल किया है, जिनमें से 39 जहाज भारतीय शिपयार्ड में निर्मित हुए हैं। उन्होंने INS विक्रांत और INS अरिघात जैसे उदाहरणों का उल्लेख करते हुए कहा कि यह स्वदेशी निर्माण भारत की तकनीकी दक्षता और क्षमता को दर्शाता है।

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प्रधानमंत्री ने कहा, “मेक इन इंडिया पहल न केवल भारतीय सशस्त्र बलों की क्षमताओं को बढ़ा रही है, बल्कि देश की अर्थव्यवस्था को भी नई ऊंचाइयों तक ले जा रही है।”

उन्होंने भारतीय नौसेना के शिपबिल्डिंग पारिस्थितिकी तंत्र का उल्लेख करते हुए कहा कि देश में वर्तमान में 60 बड़े जहाज निर्माणाधीन हैं, जिनकी अनुमानित लागत ₹1.5 लाख करोड़ है।

समुद्री व्यापार और आर्थिक सहयोग पर जोर

प्रधानमंत्री मोदी ने भारत के तेजी से बढ़ते समुद्री व्यापार और आर्थिक सहयोग पर जोर दिया। उन्होंने बताया कि भारतीय महासागर क्षेत्र में 95% व्यापारिक गतिविधियां होती हैं, जिससे इस क्षेत्र में एक मजबूत भारतीय नौसेना की जरूरत और बढ़ जाती है।

उन्होंने कहा कि वधावन पोर्ट जैसे बड़े परियोजनाओं से न केवल समुद्री व्यापार को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि हजारों रोजगार के अवसर भी पैदा होंगे।

इस कार्यक्रम में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि INS सूरत, INS नीलगिरी और INS वाघशीर की कमीशनिंग केवल नौसेना की ताकत नहीं, बल्कि पूरे देश की ताकत का प्रतीक है। उन्होंने कहा कि भारतीय नौसेना को आधुनिक और स्वदेशी तकनीकों से लैस करना सरकार की प्राथमिकता है।

इस मौके पर महाराष्ट्र के राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन, मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और कई अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे। रक्षा क्षेत्र में भारत की प्रगति को देखते हुए, यह कार्यक्रम भारतीय सैन्य इतिहास में एक महत्वपूर्ण दिन के रूप में दर्ज हो गया।

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