भारतीय सेना ने 8,500 से अधिक जवानों को तैनात किया है। ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान समर्थित आतंकियों से हमले की आशंका को देखते हुए सेना ने एक काउंटर-टेरर ग्रिड बनाया है। इस ग्रिड के तहत यात्रा मार्गों के आसपास निगरानी, तलाशी अभियान, कॉल इंटरसेप्ट, आईईडी स्कैनिंग और ह्यूमन इंटेलिजेंस पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है...
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📍नई दिल्ली | 11 Jul, 2025, 7:28 PM

OPERATION SHIVA 2025: जम्मू-कश्मीर में हर साल लाखों श्रद्धालु श्री अमरनाथ जी की पवित्र यात्रा के लिए पहुंचते हैं। इस साल 22 अप्रैल को हुए पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारतीय सेना इस यात्रा को सुरक्षित और सुचारू रूप से संपन्न कराने के लिए ‘ऑपरेशन शिवा 2025’ शुरू किया है। यह अभियान नागरिक प्रशासन और केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों (सीएपीएफ) के साथ मिलकर चलाया जा रहा है। ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान समर्थित आतंकियों के बढ़ते खतरे को देखते हुए सेना इस बार अपनी तैयारियों में कोई कोताही नहीं बरतना चाहती। भारतीय सेना की कोशिश हैं कि पवित्र गुफा के दर्शन करने आने वाले यात्रियों को किसी भी दिक्कत का सामना न करना पड़े।

OPERATION SHIVA 2025: 8,500 से ज्यादा जवानों की तैनाती

इस साल की यात्रा के लिए सुरक्षा व्यवस्था को पहले से कहीं ज्यादा मजबूत किया गया है। भारतीय सेना ने 8,500 से अधिक जवानों को तैनात किया है। इसके साथ ही आतंकवाद के खतरे को रोकने के लिए काउंटर टेरर ग्रिड (Counter-Terror Grid), अत्याधुनिक तकनीक के जरिए कॉरिडोर सुरक्षा उपाय लागू किए गए हैं। इसके अलावा, आपदा प्रबंधन और आपातकालीन स्थिति में नागरिक प्रशासन को हर संभव सहायता प्रदान की जा रही है।

ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान समर्थित आतंकियों से हमले की आशंका को देखते हुए सेना ने एक काउंटर-टेरर ग्रिड बनाया है। इस ग्रिड के तहत यात्रा मार्गों के आसपास निगरानी, तलाशी अभियान, कॉल इंटरसेप्ट, आईईडी स्कैनिंग और ह्यूमन इंटेलिजेंस पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है।

50 से ज्यादा काउंटर-यूएएस ड्रोन तैनात

यात्रा मार्गों को सुरक्षित रखने के लिए सेना ने 50 से ज्यादा काउंटर-यूएएस (Unmanned Aerial System) और ईडब्ल्यू (Electronic Warfare) सिस्टम तैनात किए हैं। ये सिस्टम दुश्मन ड्रोन या किसी अन्य हवाई खतरे को पहचानकर उसे निष्क्रिय करने की क्षमता रखते हैं। ड्रोन से किसी भी संभावित हमले या जासूसी की आशंका को पहले ही रोकने की तैयारियां की गई हैं।

जबकि भारतीय सेना की सिग्नल कंपनियां की कोशिश है कि कम्यूनिकेशन में कोई दिक्कत न आए, इसके लिए वे लगातार कााम कर रही हैं। ईएमई (इलेक्ट्रिकल और मैकेनिकल इंजीनियर्स) टुकड़ियां तकनीकी मदद दे कर रही हैं। इसके अलावा, बम डिटेक्शन और डिस्पोजल स्क्वॉड भी तैनात किए गए हैं।

गुफा की लाइव निगरानी

पूरे यात्रा मार्ग पर नियमित ड्रोन उड़ाए जा रहे हैं, जो पवित्र गुफा तक की निगरानी कर रही हैं। इनकी फुटेज को हाई-रेजॉल्यूशन वाले PTZ (Pan-Tilt-Zoom) कैमरों के जरिए इंटीग्रेट करके सेना हर मिनट की जानकारी रख रही है। इस लाइव मॉनिटरिंग के जरिए सुरक्षा व्यवस्था को हर समय चाकचौबंद बनाए रखने में मदद मिल रही है।

इंजीनियर टास्क फोर्स की तैनाती

इसके अलावा सेना की इंजीनियर रेजिमेंट यात्रा मार्गों की चौड़ाई बढ़ाने, पुल निर्माण और आपदा राहत के कार्यों में जुटी हैं। भारी बारिश के चलते अगर किसी भी जगह रास्ता बाधित होता है या भूस्खलन होता है तो यह टीमें तत्काल मौके पर पहुंचती हैं, और मदद मुहैया कराती हैं। रास्तों की मजबूती और वैकल्पिक मार्ग तैयार करने के काम भी तेजी से हो रहे हैं। बुलडोजर, जेसीबी और खुदाई मशीनें मौके पर रखी गई हैं ताकि तुरंत कार्रवाई हो सके।

इसकी अलावाा किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए 25,000 लोगों के लिए आपातकालीन राशन, क्विक रेस्पॉन्स टीम (क्यूआरटी), टेंट सिटी, वाटर पॉइंट्स और भारी मशीनरी जैसे बुलडोजर और एक्सकेवेटर भी तैयार रखे गए हैं। साथ ही, भारतीय सेना के हेलीकॉप्टरों को किसी भी आपात स्थिति के लिए तैयार रखा गया है।

मेडिकल सुविधा में पहली बार इतनी जबरदस्त व्यवस्था

सेना ने इस बार स्वास्थ्य सेवा को भी ऑपरेशन शिवा का एक अहम हिस्सा बनाया है। ऊंचाई, ठंड, ऑक्सीजन की कमी जैसी स्थितियों से निपटने के लिए ऑक्सीजन बूथ, मेडिकल कैंप, चलते-फिरते अस्पताल और विशेष डॉक्टरों की टीम तैनात की गई है। यात्रा के दौरान श्रद्धालुओं की स्वास्थ्य सुरक्षा के लिए 150 से अधिक डॉक्टर और मेडिकल स्टाफ तैनात किए गए हैं। दो अत्याधुनिक ड्रेसिंग स्टेशन, नौ मेडिकल सहायता केंद्र, एक 100 बेड का अस्पताल और 26 ऑक्सीजन बूथ स्थापित किए गए हैं। इनके लिए 2,00,000 लीटर ऑक्सीजन की व्यवस्था की गई है।

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कई एजेंसियां जुटीं

इस पूरे ऑपरेशन में सेना अकेली नहीं है। सीएपीएफ, बीएसएफ, सीआरपीएफ, आईटीबीपी, जम्मू-कश्मीर पुलिस और स्थानीय प्रशासन के साथ तालमेल के जरिए हर कार्य किया जा रहा है। सभी एजेंसियों के बीच रियल-टाइम कोऑर्डिनेशन की व्यवस्था की गई है, जिससे छोटी से छोटी जानकारी तुरंत साझा हो सके और बड़ी से बड़ी स्थिति से भी निपटने में देरी न हो।

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