रक्षा समाचार WhatsApp Channel Follow US
भारतीय सेना अब विदेशी हथियारों पर निर्भर नहीं रहना चाहती। इसलिए सेना के कुछ जवान खुद ही नए और आधुनिक हथियार और तकनीक बना रहे हैं। सेना के जवानों ने ऐसे ड्रोन बनाए हैं जो दुश्मन की निगरानी कर सकते हैं, गोलियां चला सकते हैं और ग्रेनेड गिरा सकते हैं। कुछ ड्रोन तो टैंक पर भी हमला कर सकते हैं। सबसे खास बात यह है कि ये सभी हथियार भारत में ही बनाए जा रहे हैं। इससे विदेशी चीजों पर निर्भरता कम होगी और भारत आत्मनिर्भर बनेगा...
Read Time 0.15 mintue

📍New Delhi | 3 months ago

Military Innovations: भारतीय सेना अब लेटेस्ट डिफेंस टेक्नोलॉजी के लिए विदेशी आयात पर निर्भर नहीं हैं। बल्कि वह अब आत्मनिर्भरता की तरफ कदम बढ़ा रही है। इसके लिए सेना खुद भी इनोवेशन में जुटी है। सेना के जवान और अफसर अब बंदूक चलाने के अलावा ऐसी टेक्नोलॉजी भी तैयार कर रहे हैं, जो भविष्य के युद्धों में भारत को बढ़त दिला सकती हैं। इनमें ‘एक्सप्लोडर’ नाम का रोबोट, ‘अग्निअस्त्र’ डेटोनेशन सिस्टम और कई तरह के ड्रोन शामिल हैं। ये स्वदेशी आविष्कार भारतीय सेना को अगली पीढ़ी के युद्ध के लिए तैयार कर रहे हैं। उनके बनाए सिस्टम इतने एडवांस हैं कि वे फ्यूचर में सेना के लिए गेमचेंजर साबित हो सकते हैं।

Military Innovations: Indian Soldiers Develop Next-Gen Indigenous Weapons

Military Innovations: विदेशी हथियारों पर कम निर्भरता

आज दुनिया में युद्ध का तरीका बदल गया है। अब ड्रोन, साइबर तकनीक और स्मार्ट हथियारों का जमाना है। भारतीय सेना भी इस बदलाव को समझ रही है और अपने जवानों की प्रतिभा का इस्तेमाल कर रही है। सेना के ‘आर्मी डिज़ाइन ब्यूरो’ और दूसरी यूनिट्स ने ऐसे इक्विपमेंट्स बनाए हैं, जो कम खर्च में ज्यादा असरदार हैं। इनसे न केवल सेना की ताकत बढ़ रही है, बल्कि विदेशी हथियारों पर हमारी निर्भरता भी कम हो रही है।

इन हथियारों की सबसे खास बात यह है कि इन्हें सेना के अपने जवान और अधिकारी बना रहे हैं। ये लोग युद्ध के मैदान की मुश्किलों को अच्छे से समझते हैं, इसलिए उनके बनाए इक्विपमेंट्स बहुत उपयोगी हैं। एक रक्षा अधिकारी ने कहा, “हमारे जवान सिर्फ दुश्मन से नहीं लड़ रहे, बल्कि ऐसी तकनीकें बना रहे हैं जो हमें विदेशी कंपनियों पर निर्भर होने से बचा रही हैं।”

यह भी पढ़ें:  Explainer Integrated battle Groups: क्या है इंटीग्रेटेड बैटल ग्रुप? ब्यूरोक्रेसी से परेशान सेना प्रमुख ने क्यों दी पूरा IBG प्रोजेक्ट कैंसिल करने की धमकी!

Military Innovations: एक्सप्लोडर: बारूदी सुरंगों का दुश्मन

मेजर राजप्रसाद ने ‘एक्सप्लोडर’ नाम का एक खास रोबोट बनाया है। यह एक मानवरहित जमीन वाहन (यूजीवी) है, जो बारूदी सुरंगों और इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइसेज (आईईडी) को ढूंढकर नष्ट कर सकता है। इसे रिमोट से चलाया जाता है, जिससे जवानों को मैनुअली बारूदी सुरंगों को डिफ्यूज नहीं करना पड़ता और जान जाने का जोखिम कम होता है। इस रोबोट का कई बार परीक्षण हो चुका है। इसके सफल परीक्षणों के बाद अब इसे बड़े पैमाने पर उत्पादन के लिए तैयार किया गया है और आने वाले महीनों में सैकड़ों यूनिट्स को सेना में शामिल किया जाएगा।

Military Innovations: अग्निअस्त्र: दूर से कर सकेंगे ब्लास्ट

इसे भी मेजर राजप्रसाद ने बनाया है। ‘अग्निअस्त्र’ (Agniastra) एक पोर्टेबल रिमोट डिटोनेशन सिस्टम है, जिसकी रेंज 2.5 किलोमीटर तक है। यह वायर और वायरलेस दोनों मोड में काम करता है और एक साथ कई टारगेट को सेलेक्ट कर के उन्हें फायर कर सकता है। यह सिस्टम दुश्मन के ठिकानों को खत्म करने और सुरंगों को निष्क्रिय करने में बहुत मददगार है। अग्निअस्त्र IEDs को दूर से निष्क्रिय कर सकता है और सेना को ऑपरेशनल बढ़त दिला सकता है।

Military Innovations: Indian Soldiers Develop Next-Gen Indigenous Weapons
रक्षा मंत्री और सेना प्रमुख को एक्सप्लोडर के बारे में समझाते मेजर राजप्रसाद आरएस

Military Innovations: विद्युत रक्षक: जनरेटर की निगरानी अब ऑटोमेटिक

‘विद्युत रक्षक’ भी मेजर राजप्रसाद ने बनाया है। यह एक स्मार्ट सिस्टम है, जो सेना के जेनरेटरों की देखभाल करता है। यह इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT) तकनीक पर काम करता है और जेनरेटर की खराबी को पहले ही बता देता है। यह सिस्टम सभी मौजूदा जनरेटरों को रियल-टाइम में मॉनिटर करता है। फॉल्ट्स की भविष्यवाणी करता है और मैनुअल ऑपरेशंस को ऑटोमेट करता है। इससे मैनपावर की बचत होती है और ऑपरेशनल एफिशिएंसी बढ़ती है। इसे सेना की ‘टेक्नोलॉजी अब्सॉर्प्शन ईयर’ योजना के तहत शुरू किया गया था।

यह भी पढ़ें:  HIMARS vs PINAKA: पाकिस्तान को क्यों चाहिए अमेरिका का यह रॉकेट सिस्टम? क्यों पिनाका ने उड़ा रखी है मुनीर की नींद? समझें पूरा समीकरण

मल्टीपर्पज ऑक्टोकॉप्टर: आसमान में सेना की ताकत

हवलदार वरिंदर सिंह ने एक खास ड्रोन बनाया है, जिसे ‘मल्टीपर्पज ऑक्टोकॉप्टर’ कहते हैं। यह ड्रोन कई काम कर सकता है, जैसे निगरानी करना, दूर-दराज के इलाकों में सामान पहुंचाना और दुश्मन पर हवाई हमला करना। इसमें राइफल और ग्रेनेड जैसे हथियार लगाए जा सकते हैं। खासकर पहाड़ी इलाकों में यह ड्रोन बहुत उपयोगी है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने हवलदार सिंह को उनकी इस उपलब्धि के लिए विशिष्ट सेवा पदक से नवाजा है।

Military Innovations: ‘फर्स्ट पर्सन व्यू’ FPV ड्रोन: टैंक का काल

भारतीय सेना की Fleur-De-Lis ब्रिगेड और टर्मिनल बैलिस्टिक्स रिसर्च लेबोरेट्री (TBRL) ने मिलकर FPV ड्रोन को एंटी-टैंक कामिकाज़े ड्रोन के रूप में डिजाइन किया है। यह ड्रोन टैंक-रोधी हथियारों से लैस है और ‘कामिकेज़’ की तरह काम करता है, यानी यह दुश्मन पर हमला करके खुद नष्ट हो जाता है। अगस्त 2024 में शुरू हुआ यह प्रोजेक्ट आज भारत का पहला इन-हाउस कामिकाजे ड्रोन बन गया है। इस प्रोजेक्ट ने मार्च 2025 तक 100 से ज्यादा ड्रोन तैयार किए। मेजर सेफास चेतन और डॉ. राघवेंद्र ने इसे बनाया है। यह कम लागत वाला, लेकिन बेहद प्रभावी एयर स्ट्राइक सिस्टम है।

Military Innovations: बाज UAS: रॉकेट लॉन्च करने वाला ड्रोन

कर्नल विकास चतुर्वेदी के नेतृत्व में विकसित किया गया ‘बाज़’ एक मानव रहित एयर सिस्टम है, जो रॉकेट लॉन्चर से फायर करने में सक्षम है। यह छोटे हथियार और विस्फोटक भी ले जा सकता है और इसकी रेंज 10 किलोमीटर तथा फ्लाइट ड्यूरेशन 45 मिनट है। यानी यह ड्रोन 10 किलोमीटर तक उड़ सकता है और 45 मिनट तक हवा में रह सकता है। यह कई मिलिट्री ऑपरेशंस के लिए बेहद कारगर है। यह टैंक नष्ट कर सकता है और दुश्मन के बंकर भी तोड़ सकता है।

Military Innovations: Indian Soldiers Develop Next-Gen Indigenous Weapons
सेना प्रमुख के साथ मेजर राजप्रसाद आरएस

वायरलेस इलेक्ट्रॉनिक डिटोनेशन सिस्टम (WEDC)

मेजर राजप्रसाद ने ‘वायरलेस इलेक्ट्रॉनिक डेटोनेशन सिस्टम’ (डब्ल्यूईडीसी) बनाया है। WEDC एक ऐसा वायरलेस सिस्टम है जो विस्फोटकों को इलेक्ट्रॉनिक तरीके से डिटोनेट करता है। यह सिस्टम विस्फोटकों को रिमोट से कंट्रोल करता है। यह सिस्टम ऑपरेशनों में सुरक्षा और दक्षता दोनों को बेहतर बनाता है, क्योंकि इससे सैनिकों को खतरे में नहीं जाने की जरूरत नहीं पड़ती। इसे सेना में शामिल कर लिया गया है।

यह भी पढ़ें:  Beating Retreat ceremony: विजय चौक पर बीटिंग रिट्रीट सेरेमनी में पेश की जाएंगी ये मुधर धुनें, इस तरह होगा 76वें गणतंत्र दिवस समारोह का समापन

ये सारे इक्विपमेंट्स दिखाते हैं कि भारतीय सेना अब रक्षा के क्षेत्र में कितनी आगे बढ़ रही है। पहले हम हथियारों के लिए विदेशी कंपनियों पर निर्भर थे, जिससे पैसा भी ज्यादा खर्च होता था और सप्लाई में देरी का भी चांस रहता था। लेकिन अब सेना के जवान खुद हथियार बना रहे हैं, जो युद्ध के मैदान की जरूरतों को पूरा कर रहे हैं।

ये नए हथियार भारत को सामरिक रूप से और मजबूत बना रहे हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि ये तकनीकें हमें नए तरह के युद्धों, जैसे हाइब्रिड और ग्रे-जोन युद्धों में बढ़त दिला सकती हैं। ये सस्ते और खास जरूरतों के हिसाब से बनाए गए हैं, जैसे पहाड़ी इलाकों में या आतंकवाद विरोधी अभियानों में।

वहीं, इन स्वदेशी हथियारों से न केवल सेना की ताकत बढ़ रही है, बल्कि देश की अर्थव्यवस्था को भी फायदा हो रहा है। इनके उत्पादन से छोटी-बड़ी कंपनियों को काम मिल रहा है, जिससे नौकरियां पैदा हो रही हैं। साथ ही, भारत अब अपने हथियार विदेशों को भी बेच रहा है, जिससे हमारी वैश्विक पहचान बढ़ रही है।

Xploder UGV: भारतीय सेना की सभी यूनिट्स को मिलेगा यह स्वदेशी रोबोट! आतंकवादियों के लिए है खतरे की घंटी!

सेना का लक्ष्य है कि अगले कुछ सालों में भारत रक्षा उद्योग में पूरी तरह से आत्मनिर्भर बन जाए। इसके लिए रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ), निजी कंपनियां और स्टार्टअप्स के साथ मिलकर काम किया जा रहा है। सेना ने कई स्टार्टअप्स के साथ ड्रोन और साइबर तकनीक पर प्रोजेक्ट शुरू किए हैं।

रक्षा समाचार WhatsApp Channel Follow US

Leave a Reply

Share on WhatsApp