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📍नई दिल्ली | 7 months ago

Ladakh: लद्दाख में तैनात भारतीय सेना की फायर एंड फ्यूरी कॉर्प्स ने जीरो डिग्री से कम टेंपरेचर में हाई एल्टीट्यूड 12,000 फीट से अधिक ऊंचाई पर हाई लेवल इंजीनियरिंग ट्रेनिंग शुरू की है। इस चुनौतीपूर्ण अभ्यास में सेना के कॉम्बैट इंजीनियर्स (सैपर्स) को मुश्किल हालात में अपनी दक्षता और कुशलता को निखारने का मौका मिल रहा है।

Ladakh: Indian Army Builds Bridge at 12,000 Feet in Sub-Zero Temperatures!
Credit: firefurycorps

इस हाई लेवल ट्रेनिंग में सैपर्स को न केवल युद्धक्षेत्र की इंजीनियरिंग तकनीकों का प्रशिक्षण दिया गया, बल्कि यह भी सुनिश्चित किया गया कि उनके साथ प्लांट ऑपरेटरों भी मिल काम करें और दोनों का समन्वय बना रहे। यह ट्रेनिंग बताती है कि भारतीय सेना दुर्गम इलाकों में भी किसी भी चुनौती से निपटने के लिए हमेशा तैयार है।

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Ladakh: ब्रिजिंग ऑपरेशन का अभ्यास

भारतीय सेना फायर एंड फ्यूरी कॉर्प्स की तरफ से अपने एक्स सोशल मीडिया अकाउंट पर की गई पोस्ट में बताया है कि इस ट्रेनिंग के दौरान, सैपर्स ने अस्थायी पुलों और अन्य महत्वपूर्ण इंजीनियरिंग इंफ्रास्ट्रक्चर का निर्माण किया। इन स्ट्रक्चर्स का महत्व उन इलाकों में बढ़ जाता है जहां सैन्य गतिविधियों के लिए मोबिलिटी और रसद की सप्लाई अत्यंत आवश्यक होती है। अभ्यास में दिखाए गए ब्रिजिंग ऑपरेशन्स ने यह सुनिश्चित किया कि सेना की तैयारियां शांतिकाल और युद्धकाल दोनों स्थितियों में तेज और प्रभावी रहें।

लद्दाख की 12,000 फीट से अधिक ऊंचाई पर हाड़ कंपा देने वाली ठंड के बीच फायर एंड फ्यूरी सैपर्स (इंजीनियरिंग विशेषज्ञ) संयंत्र ऑपरेटरों के साथ कॉम्बैट इंजीनियरिंग अभियानों का समन्वित प्रशिक्षण ले रहे हैं। यह उच्च ऊंचाई पर होने वाला प्रशिक्षण सेना की ऑपरेशनल तैयारियों, विश्वसनीयता और आत्मविश्वास को प्रदर्शित करता है!

लद्दाख क्षेत्र, जो सामरिक दृष्टि से अत्यधिक महत्वपूर्ण है, में यह पहल भारतीय सेना के आत्मविश्वास और रणनीतिक दक्षता को उजागर करती है। फायर एंड फ्यूरी कोर, जो देश की उत्तरी सीमाओं की सुरक्षा के लिए जिम्मेदार है, उसने एक बार फिर अपनी विश्वसनीयता साबित की है।

भारतीय सेना का यह अभ्यास उसकी तैयारियों और समर्पण को दर्शाता है। “ट्रांसफॉर्मिंग इंडिया” के अपने आदर्श वाक्य को साकार करते हुए, सेना न केवल बदलती चुनौतियों के अनुकूल हो रही है, बल्कि कठिनतम परिस्थितियों में भी अपनी श्रेष्ठता बनाए रख रही है।

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लद्दाख जैसे क्षेत्रों में जहां तापमान माइनस 20 डिग्री सेल्सियस तक गिर जाता है, वहां ब्रिजिंग ऑपरेशन और रसद संबंधी तैयारियां सैनिकों के लिए जीवनरेखा साबित होती हैं। ऐसे अभियानों से न केवल सीमा पर तैनात जवानों की गतिशीलता सुनिश्चित होती है, बल्कि आपातकालीन परिस्थितियों में राहत कार्यों में भी तेजी आती है।

Ladakh: सैनिकों का मनोबल बढ़ाने की कवायद

अत्यधिक ऊंचाई वाले क्षेत्रों में प्रशिक्षण और ऑपरेशनल अभ्यास न केवल तकनीकी कौशल को बेहतर बनाता है, बल्कि सैनिकों का आत्मविश्वास भी बढ़ाता है। यह सुनिश्चित करता है कि सेना के जवान हर परिस्थिति में देश की सुरक्षा के लिए तैयार रहें।

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