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पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत की ओर से कड़ी कार्रवाई की आशंका से घबराए पाकिस्तान ने अब अपने रक्षा तंत्र को मजबूत करने के लिए विदेशी ‘प्राइवेट आर्मी’ यानी निजी सैन्य कंपनी (PMC) की मदद लेने का फैसला किया है। पाकिस्तान ने एलओसी और अंतरराष्ट्रीय सीमा पर लगातार सीजफायर का उल्लंघन कर तनाव को और बढ़ा दिया है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, पाकिस्तान सरकार को अब अपनी सेना पर पूरा भरोसा नहीं रह गया है, और इसी डर से तुर्किए से हथियार मंगाने के साथ-साथ भाड़े के सैनिकों को भी मैदान में उतारने की तैयारी की जा रही है...
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📍नई दिल्ली | 3 months ago

India-Pak tension: पहलगाम आतंकी हमले में पाकिस्तान का हाथ होने के सबूतों के बाद अंतरराष्ट्रीय सीमा यानी आईबी और एलओसी पर तनाव चरम पर है। पिछले चार दिनों से लगातार पाकिस्तान की तरफ से सीज फायर तोड़ा जा रहा है और भारतीय ठिकानों पर जमकर गोलाबारी की जा रही है। हालांकि इन हमलों का भारतीय सेना मुंहतोड़ जवाब भी दे रही है। पाकिस्तान को इस बात की दहशत है कि भारत कभी भी हमला कर सकता है, इसके लिए उसने विदेशी निजी सैन्य कंपनी को भी हायर किया है। सूत्रों ने बताया कि पाकिस्तानी सेना ने प्राइवेट मिलिट्री कंपनी (PMC) के करार किया है। कहा जा रहा है कि अगर भारत-पाक के बीच युद्ध के हालात बनते हैं, तो यह कंपनी पाकिस्तान सेना की मदद करेगी।

India-Pak Tension: Pak Plans to Deploy Private Army Amid Pahalgam Fallout
Image Source: @forwardobservations2.0

India-Pak tension: क्या होती हैं पीएमसी?

निजी सैन्य कंपनियां (पीएमसी) ऐसी निजी फर्में हैं जो सैन्य और सुरक्षा सेवाएं देती हैं। ये सरकारी (India-Pak tension) सेनाओं, निजी कंपनियों, या गैर-राज्य संगठनों के लिए काम करती हैं। वैगनर ग्रुप (रूस), वेस्टर्न पीएमसी, मोजार्ट ग्रुप और ब्लैकवाटर (अमेरिका) जैसी पीएमसी ने यूक्रेन, सीरिया, और इराक जैसे संघर्षों में हिस्सा लिया है। पीएमसी में अक्सर पूर्व सैनिक, खासकर विशेष बलों के, शामिल होते हैं, क्योंकि उनकी ट्रेनिंग और अनुभव उच्च स्तर का होता है। डेल्टा पीएमसी में ब्रिटिश सेना के पूर्व स्पेशल फोर्सेस (एसएएस) के जवान शामिल हैं। हालांकि पीएमसी बेहद महंगी होती हैं। वैगनर के सैनिकों को प्रति माह 2500-3000 डॉलर मिलते हैं। इसके अलावा 1989 के यूएन मर्सिनरी कन्वेंशन में भाड़े के सैनिकों की भर्ती और इस्तेमाल पर रोक है। लेकिन पाकिस्तान ने इस पर दस्तखत नहीं किए हैं।

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India-Pakistan tension: पाकिस्तानी सेना की काबिलियत पर भरोसा नहीं

सूत्रों ने दावा किया है कि पाकिस्तानी हुक्मरानों (India-Pak tension) में इस कदर दहशत है कि उन्हें पाकिस्तानी सेना की काबिलियत पर भरोसा नहीं हो रहा है। जिस तरह से बलुचिस्तान में वहां की बलूच लिबरेशन आर्मी (बीएलए) ने 11 मार्च 2025 को जाफर एक्सप्रेस ट्रेन का अपहरण किया था, जिसमें 100 से अधिक पाकिस्तानी सैनिकों को बंधक बना लिया गया था। इस घटना के बाद बंधकों को छुड़ाने में पाकिस्तानी सेना के हाथ पैर फूल गए थे। इस घटना के बाद पाकिस्तानी हुक्मरानों का भरोसा अपनी ही सेना से डगमगा गया था। जिसके बाद माना जा रहा है कि उन्होंने प्राइवेट मिलिट्री कंपनी की सेवाएं लेने का फैसला किया हो। हालांकि सूत्रों का यह भी कहना है कि ये भाड़े के सैनिक शायद ही सीधे एलओसी पर तैनात हों। लेकिन हो सकता है कि वे पाकिस्तानी सेना को लॉजिस्टिक्स या ट्रेनिंग में मदद करें। इस बात के भी कयास हैं कि युद्ध के हालात में जब पाकिस्तानी सेना बॉर्डर पर तैनात हो, तो ये पाकिस्तान के अहम मिलिट्री प्रतिष्ठानों और महत्वपूर्ण लोगों की सुरक्षा में तैनात हों।

India-Pakistan tension: तुर्किए से भी मांगी मदद

हालांकि पाकिस्तान सेना में 6.5 लाख सक्रिय सैनिक और स्पेशल सर्विस ग्रुप हैं। लेकिन फिर भी पाकिस्तानी सरकार (India-Pak tension) को उन पर भरोसा नहीं है। पाकिस्तानी पहले ही तुर्किए से सैन्य मदद मांगी, जिसके बाद तुर्किए ने पहलगाम हमले के बाद कई सैन्य कार्गो विमान पाकिस्तान भेजे, जिनमें युद्ध उपकरण और हथियार शामिल थे। एक तुर्की वायुसेना का C-130 हरक्यूलिस कार्गो विमान कराची में उतरा, जिसमें अज्ञात युद्ध उपकरण थे। इसके अलावा, छह अन्य C-130 विमान इस्लामाबाद के एक सैन्य अड्डे पर उतरे। इन विमानों में ड्रोन, केमानकेस क्रूज मिसाइलें, और अन्य एडवांस वीपेंस शामिल थे।

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CPEC की सुरक्षा करती हैं प्राइवेट सिक्योरिटी फर्म्स

हालांकि यह पहली बार नहीं है जब पाकिस्तान (India-Pak tension) ने प्राइवेट सिक्योरिटी फर्म्स की मदद ली हो। इससे पहले 2024 में, ग्वादर पोर्ट की सुरक्षा के लिए पाकिस्तान ने निजी सुरक्षा कंपनियों (प्राइवेट सिक्योरिटी फर्म्स) को शामिल किया था। जिन्हें खौस तौर पर चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (CPEC) से जुड़े प्रोजेक्ट्स और चीनी नागरिकों की सुरक्षा के लिए तैनात किया था। ग्वादर पोर्ट CPEC का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है और बलूचिस्तान के पास है, जो रणनीतिक रूप से बेहद अहम है।

दरअसल ग्वादर पोर्ट (India-Pak tension) और CPEC प्रोजेक्ट्स पर बार-बार आतंकी हमले हुए हैं। इसे बलूच लिबरेशन आर्मी (BLA) और अन्य आतंकी समूहों से लगातार खतरा रहता है। मई 2019 में ग्वादर के पर्ल कॉन्टिनेंटल होटल पर BLA ने हमला किया था, और अक्टूबर 2024 में बलूचिस्तान में दो चीनी नागरिकों को निशाना बनाया गया। पाकिस्तान ने CPEC की सुरक्षा के लिए 2016 में एक विशेष सुरक्षा डिवीजन (SSD) बनाई, जिसमें 15,000 सैनिक और पुलिसकर्मी शामिल हैं। इसके बावजूद, आतंकी हमले नहीं रुके।

जिसके बाद पाकिस्तान (India-Pak tension) ने ग्वादर पोर्ट और CPEC प्रोजेक्ट्स की सुरक्षा के लिए तीन चीनी निजी सुरक्षा कंपनियों को तैनात करने का फैसला किया था। इनमें ड्यूई सिक्योरिटी फ्रंटियर सर्विस ग्रुप, चाइना ओवरसीज सिक्योरिटी ग्रुप, और हुआक्सिन झोंगशान सिक्योरिटी सर्विस शामिल हैं। ये कंपनियां चीनी पीपल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) के रिटायर्ड अधिकारियों से जुड़ी हैं और इनका मुख्य काम चीनी नागरिकों, बुनियादी ढांचे, और ग्वादर पोर्ट जैसे संवेदनशील क्षेत्रों की सुरक्षा करना है। इनमें हुआक्सिन झोंगशान सिक्योरिटी सर्विस विशेष रूप से समुद्री सुरक्षा में माहिर है और ग्वादर पोर्ट की सुरक्षा में अहम भूमिका है।

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इसके अलावा पाकिस्तान (India-Pak tension) की अपनी निजी सुरक्षा कंपनियां, जैसे अस्करी गार्ड्स लिमिटेड (AGL) और ज़िम्स सिक्योरिटी, भी ग्वादर और CPEC प्रोजेक्ट्स में सुरक्षा सेवाएं देती हैं। AGL, जो पाकिस्तान सेना के आर्मी वेलफेयर ट्रस्ट की सहायक कंपनी है, देश की सबसे बड़ी निजी सुरक्षा फर्मों में से एक है। इसके 20,000 से अधिक प्रशिक्षित कर्मचारी हैं, जो ग्वादर जैसे रणनीतिक स्थानों पर संपत्ति सुरक्षा, नकद परिवहन, और अन्य सुरक्षा सेवाएं प्रदान करते हैं।

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