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📍नई दिल्ली | 8 months ago

Apache Helicopters: भारतीय सेना को दिसंबर 2024 में ‘टैंक किलर’ के नाम से मशहूर पहले तीन AH-64E अपाचे अटैक हेलीकॉप्टर (Apache Helicopters) मिलने वाले हैं। यह डिलीवरी पश्चिमी सेक्टर में भारतीय सेना की हवाई युद्ध क्षमता को मजबूत करेगा। हालांकि, यह डिलीवरी छह महीने की देरी से हो रही है, जिसका कारण वैश्विक सप्लाई चेन में आई दिक्कतें हैं।

Apache Helicopters: Indian Army to Receive First AH-64E Apache Batch by December 2024

पहले इन हेलीकॉप्टरों की डिलीवरी फरवरी 2024 में होनी थी, लेकिन जरूरी कंपोनेंट्स की सप्लाई में देरी के चलते इसे टालना पड़ा। अब बोइंग ने पुष्टि की है कि नई समय-सीमा के तहत दिसंबर 2024 से डिलीवरी शुरू हो जाएगी। इसके बाद अन्य बैचों की सप्लाई भी तय समयसीमा के मुताबिक की जाएगी।

Apache Helicopters: रेगिस्तानी इलाकों में तैनाती की योजना

अपाचे हेलीकॉप्टरों को पाकिस्तान से सटी भारतीय सेना देश के पश्चिमी सीमा के रेगिस्तानी क्षेत्रों में तैनात करेगी। इन इलाकों में बड़े और खुले भूभागों की वजह से ऑपरेशनल चुनौतियां रहती हैं, जिनका सामना अपाचे कर सकता है। यह हेलीकॉप्टर दुश्मन के खिलाफ तेज और सटीक कार्रवाई करने के साथ-साथ जमीनी बलों को एयर सपोर्ट देने में सक्षम है। पश्चिमी मोर्चे पर पाकिस्तान को जवाब देने के लिए अपाचे हेलीकॉप्टर बेहद महत्वपूर्ण माने जा रहे हैं। सूत्रों के अनुसार, अपाचे हेलीकॉप्टर ने अफगानिस्तान और खाड़ी युद्ध में अपनी ताकत पहले ही साबित की है। रेगिस्तानी और खुले इलाकों में यह हेलीकॉप्टर बेहद प्रभावी साबित होता है।

451 आर्मी एविएशन स्क्वाड्रन में तैनात होंगे अपाचे हेलीकॉप्टर, तैयारियां पूरी

भारतीय सेना के पहले अपाचे स्क्वाड्रन की तैनाती जोधपुर के पास नागतलाओ में स्थित 451 आर्मी एविएशन स्क्वाड्रन में की जाएगी। यह स्क्वाड्रन इस साल 15 मार्च को पाकिस्तान की सीमा को ध्यान में रखते हुए स्थापित की गई थी। अपाचे हेलीकॉप्टरों के संचालन के लिए यह बेस पूरी तरह से तैयार है।

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बेस पर ट्रेनिंग और तैयारियां पूरी

बेस पर बोइंग की तकनीकी टीम पहले ही ग्राउंड और मेंटेनेंस एयर स्टाफ को जरूरी ट्रेनिंग दे चुकी है। सूत्रों के मुताबिक, जब यह स्क्वाड्रन बनाई गई थी, तब यह उम्मीद थी कि अमेरिकी एयरोस्पेस कंपनी बोइंग जल्द ही हेलीकॉप्टरों की डिलीवरी शुरू कर देगी। हालांकि, विभिन्न कारणों से डिलीवरी में देरी होती रही।

सेना में दूसरा अटैक हेलीकॉप्टर

देश में बने लाइट कॉम्बैट हेलीकॉप्टर (LCH) प्रचंड के बाद, अपाचे भारतीय सेना का दूसरा अटैक हेलीकॉप्टर होगा। इन हेलीकॉप्टरों को सेना की मारक क्षमता बढ़ाने और दुश्मन के खिलाफ तेजी से कार्रवाई के लिए तैनात किया जाएगा। भारतीय सेना 11 और अपाचे हेलीकॉप्टरों की मांग कर रही है। यह मांग सेना की क्षमताओं को और मजबूत करने के उद्देश्य से की गई है।

4500 करोड़ का सौदा और अमेरिकी ट्रेनिंग

2020 में रक्षा मंत्रालय ने लगभग 4100 करोड़ रुपये की लागत से छह अपाचे अटैक हेलीकॉप्टर की खरीद का ऑर्डर दिया था। इस समझौते के तहत बोइंग ने भारतीय वायुसेना के छह पायलटों और 24 तकनीशियनों को अमेरिका में ट्रेनिंग देने का भी प्रावधान किया था।

स्क्वाड्रन के लिए क्यों है अपाचे खास?

451 आर्मी एविएशन स्क्वाड्रन को अपाचे हेलीकॉप्टरों के जरिए भारतीय सेना की ताकत को रेगिस्तानी और सीमावर्ती इलाकों में मजबूत करने के उद्देश्य से तैयार किया गया है। अपाचे हेलीकॉप्टर अपनी उन्नत तकनीक, सटीक हमले की क्षमता और दुश्मन की निगरानी के लिए जाने जाते हैं। इनकी तैनाती से भारतीय सेना को जमीनी बलों को हवाई समर्थन देने और दुश्मन के ठिकानों पर त्वरित और सटीक हमले करने में मदद मिलेगी।

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डिलीवरी में देरी के बावजूद, स्क्वाड्रन में अपाचे के शामिल होने से भारतीय सेना की हवाई क्षमताओं में बड़ी बढ़ोतरी होगी। यह कदम देश की सीमाओं की सुरक्षा को और मजबूत करेगा।

वायुसेना और सेना के बीच तालमेल

भारतीय वायुसेना (IAF) पहले से ही 22 AH-64E अपाचे हेलीकॉप्टरों का ऑपरेट कर रही है, जिन्हें 2019 और 2020 के बीच शामिल किया गया था। भारतीय सेना ने 2020 में इन हेलीकॉप्टरों के लिए छह अपाचे का सीधा कॉन्ट्रैक्ट किया था। यह पहली बार है जब सेना की एविएशन विंग में अपाचे हेलीकॉप्टर शामिल किए जा रहे हैं। इनसे सेना और वायुसेना के बीच ऑपरेशनल तालमेल और बेहतर होगा, जिससे युद्ध की तैयारियों को और मजबूती मिलेगी।

आपूर्ति में देरी और आत्मनिर्भरता की ओर कदम

हालांकि अपाचे की डिलीवरी में देरी की मुख्य वजह ग्लोबल सप्लाई चेन में देरी रह रही है, जो कोरोना महामारी और भू-राजनीतिक तनावों के कारण पैदा हुई। वहीं, इन हालात ने “मेक इन इंडिया” और “आत्मनिर्भर भारत” जैसे अभियानों के तहत रक्षा उत्पादन को स्थानीय स्तर पर बढ़ाने की जरूरतों को भी जोर दिया है।

बोइंग और टाटा बोइंग एयरोस्पेस लिमिटेड (TBAL) के बीच हैदराबाद में अपाचे हेलीकॉप्टरों के फ्यूज़लेज निर्माण को लेकर सहयोग एक सकारात्मक पहल है। इससे भारत में रक्षा उत्पादन क्षमता को बढ़ावा मिलेगा और भविष्य में विदेशी निर्भरता को कम करने में मदद मिलेगी।

अपाचे की विशेषताएं और भूमिका

AH-64E अपाचे हेलीकॉप्टर अत्याधुनिक हथियार प्रणाली और उन्नत एवियोनिक्स से लैस हैं। ये हेलीकॉप्टर न केवल दुश्मन के ठिकानों पर सटीक हमले कर सकते हैं, बल्कि खुफिया जानकारी जुटाने और दुश्मन की गतिविधियों की निगरानी में भी अहम भूमिका निभाते हैं।

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अपाचे हेलीकॉप्टरों की तैनाती से भारतीय सेना की पश्चिमी सीमा पर रक्षा क्षमता में उल्लेखनीय वृद्धि होगी। रेगिस्तानी और अर्ध-शुष्क इलाकों में ये प्लेटफॉर्म जमीनी बलों को न केवल हवाई समर्थन देंगे, बल्कि दुश्मन के खिलाफ सटीक हमलों और टोही अभियानों को अंजाम देने में भी मदद करेंगे।

अपाचे हेलीकॉप्टर की विशेषताएं

अपाचे हेलीकॉप्टर को दुनिया के सबसे घातक अटैक हेलीकॉप्टरों में गिना जाता है।

  1. इंजन और पावर:
    • इसमें जनरल इलेक्ट्रिक के 2 T700-GE-701 टर्बोशाफ्ट इंजन लगे हैं।
    • यह 1409 किलोवॉट की पावर पैदा करते हैं।
    • अधिकतम रफ्तार 293 किलोमीटर प्रति घंटा है।
  2. वजन और क्षमताएं:
    • बिना पेलोड के इसका वजन 5165 किलोग्राम है।
    • यह 10,433 किलोग्राम तक वजन ले जा सकता है।
    • हेलीकॉप्टर की लंबाई 58.2 फीट और ऊंचाई 12.8 फीट है।
  3. अत्याधुनिक हथियार:
    • इसमें 114 हेलफायर और स्टिंगर मिसाइलें लगाई जा सकती हैं।
    • इसमें हाइड्रा रॉकेट और 30 एमएम की चेन गन भी है, जिसमें 1200 राउंड्स होते हैं।
    • दुश्मन के इलाकों को बर्बाद करने के लिए एक हेलीकॉप्टर से ड्रोन भी कंट्रोल किए जा सकते हैं।
  4. नाइटविजन और सेंसर:
    • हेलीकॉप्टर में नोज माउंटेड सेंसर सूट है, जो नाइटविजन की सुविधा प्रदान करता है।
    • यह हेलीकॉप्टर रात के समय भी सटीक निशाना लगाने में सक्षम है।

बता दें, कि पहले बैच की डिलीवरी के साथ, भारतीय सेना को एडवांस हवाई युद्ध उपकरण मिलेंगे, जो सीमावर्ती क्षेत्रों में सुरक्षा को और मजबूत करेंगे। यह देरी भले ही चुनौतीपूर्ण रही हो, लेकिन इससे भारत को अपनी रक्षा उत्पादन क्षमता को मजबूत करने और आत्मनिर्भरता की ओर तेजी से बढ़ने का सबक भी मिला है।

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