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भारत और अमेरिका के बीच 2020 में छह अपाचे हेलिकॉप्टरों की खरीद को लेकर समझौता हुआ था। यह डील अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के पहले टर्म के दौरान भारत यात्रा के दौरान हुई थी। इससे पहले 2015 में भारतीय वायुसेना के लिए बोइंग कंपनी के साथ 22 AH-64E अपाचे हेलिकॉप्टरों की डील साइन हुई थी। वायुसेना को ये सभी 22 हेलिकॉप्टर जुलाई 2020 तक मिल चुके हैं...
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📍नई दिल्ली | 4 days ago

Apache AH-64E Helicopters: भारतीय सेना की एविएशन कोर (AAC) की ताकत में जल्द ही एक बड़ा इजाफा होने जा रहा है। दुनिया के सबसे आधुनिक और घातक अटैक हेलिकॉप्टरों में से एक, अपाचे AH-64E अगले हफ्ते भारतीय सेना में शामिल होने जा रहे हैं। ये हेलिकॉप्टर सेना की एविएशन कोर को सौंपे जाएंगे, जो पहले से पूरी तरह से तैयार है। सूत्रों के अनुसार, पहले तीन अपाचे हेलिकॉप्टर रविवार या सोमवार को भारत पहुंचेंगे। ये हेलिकॉप्टर पाकिस्तान से सटी पश्चिमी सीमा पर तैनात किए जाएंगे।

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Apache AH-64E Helicopters: नगतलाव बेस पर तैनाती की तैयारियां

भारतीय सेना ने मार्च 2024 में जोधपुर के नजदीक नागतलाव में अपना पहला अपाचे स्क्वॉड्रन (451 आर्मी एविएशन स्क्वॉड्रन) तैयार किया था। ग्राउंड स्टाफ और पायलट्स की ट्रेनिंग भी पूरी हो चुकी है। हालांकि, सप्लाई चेन में दिक्कतों और दूसरी वजहों के चलते इन हेलिकॉप्टरों की डिलीवरी में देरी हुई। अब, लगभग दो साल बाद, सेना का इंतजार खत्म होने जा रहा है। ये हेलिकॉप्टर रेगिस्तानी इलाकों में दुश्मन के बख्तरबंद वाहनों (टैंकों) को निशाना बनाने में माहिर हैं और इन्हें “टैंक किलर” के नाम से भी जाना जाता है।

2020 में हुई थी डील, 2023 में मिलने थे हेलिकॉप्टर

भारत और अमेरिका के बीच 2020 में छह अपाचे हेलिकॉप्टरों की खरीद को लेकर समझौता हुआ था। यह डील अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के पहले टर्म के दौरान भारत यात्रा के दौरान हुई थी। इससे पहले 2015 में भारतीय वायुसेना के लिए बोइंग कंपनी के साथ 22 AH-64E अपाचे हेलिकॉप्टरों की डील साइन हुई थी। वायुसेना को ये सभी 22 हेलिकॉप्टर जुलाई 2020 तक मिल चुके हैं। 2019 में पठानकोट एयरबेस (125 स्क्वॉड्रन, ग्लैडिएटर्स) पर पहले आठ हेलिकॉप्टर शामिल किए गए थे, जबकि बाकी हेलिकॉप्टरों की तैनाती असम के जोरहाट (137 स्क्वॉड्रन) में हुई। लद्दाख क्षेत्र में भी वायुसेना के अपाचे हेलिकॉप्टरों को तैनात किया गया था। हालांकि ऊंचाई वाले क्षेत्रों में इनकी ऑपरेशनल क्षमता को लेकर कुछ सवाल भी उठे हैं। लेकिन सेना के लिए खरीदे गए छह हेलिकॉप्टरों की डिलीवरी कोविड महामारी और अन्य सप्लाई चेन में दिक्कतों के चलते बार-बार टलती रही।

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अत्याधुनिक तकनीक से लैस है अपाचे

अपाचे AH-64E हेलिकॉप्टर को दुनिया के सबसे आधुनिक और घातक अटैक हेलिकॉप्टरों में गिना जाता है। यह हेलिकॉप्टर दो जनरल इलेक्ट्रिक T700 टर्बोशैफ्ट इंजनों से लैस होता है। इसके नोज पर लगा सेंसर सूट लक्ष्य को ढूंढने, ट्रैक करने, और हमला करने में मदद करता है, जो दिन-रात, हर मौसम में काम करता है। इसमें लगे मॉडर्न टारगेट एक्विजिशन सिस्टम की मदद से यह दुश्मन के टैंक, बंकर और सैनिक ठिकानों को सटीकता से निशाना बना सकता है।

Apache AH-64E Delay: India Still Waiting, Morocco Receives First Batch!
Royal Moroccan Air Force Apache

अपाचे में नाइट विजन, लेजर और इंफ्रारेड आधारित सिस्टम होते हैं। इसमें 30 मिमी की ऑटोमैटिक तोप (cannon), 70 मिमी रॉकेट्स और हेलफायर मिसाइलें लगाई जा सकती हैं। भारतीय वायुसेना के अपाचे हेलिकॉप्टरों के साथ अमेरिका से हेलफायर लॉन्गबो मिसाइल, स्टिंगर मिसाइल और फायर कंट्रोल रडार भी शामिल थे। सेना को भी इसी तरह की क्षमताओं वाले हेलिकॉप्टर मिलेंगे।

रेगिस्तान में क्यों होगी तैनाती

सेना अधिकारियों के मुताबिक, अपाचे हेलिकॉप्टरों को राजस्थान के रेगिस्तानी इलाकों में तैनात किया जाएगा, जहां ये दुश्मन के टैंक और आर्मर्ड फॉर्मेशन के खिलाफ कार्रवाई में अहम भूमिका निभाएंगे। ये हेलिकॉप्टर दुश्मन की सीमा के भीतर घुसकर ऑपरेशन करने की क्षमता रखते हैं और इन्हें ‘उड़ता हुआ टैंक’ भी कहा जाता है।

भारतीय हेलिकॉप्टर ‘प्रचंड’ से तुलना

जहां अपाचे को रेगिस्तानी इलाकों के लिए उपयुक्त माना गया है, वहीं ऊंचाई वाले इलाकों के लिए भारतीय हल्के अटैक हेलिकॉप्टर LCH ‘प्रचंड’ को बेहतर बताया गया है। ‘प्रचंड’ को खासतौर पर ऊंचे पहाड़ी इलाकों में ऑपरेशन के लिए डिजाइन किया गया है। सूत्रों के अनुसार, ये हेलिकॉप्टर न केवल हमले (अटैक) के लिए, बल्कि टोही, सुरक्षा, और शांति मिशनों में भी उपयोगी होंगे। इनकी तैनाती से सेना की रणनीतिक ताकत बढ़ेगी, खासकर उन इलाकों में जहां त्वरित और सटीक हमले की जरूरत होती है।

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ड्रोन को कर सकते हैं कंट्रोल

अपाचे AH-64E हेलिकॉप्टर एक और खूबी के लिए जाना जाता है। यह मानव रहित हवाई वाहन (ड्रोन) को रिमोट से नियंत्रित कर सकता है। इससे इसकी निगरानी, हमला और रीयल टाइम जानकारी हासिल करने की क्षमता और बढ़ जाती है।

अमेरिका में हो रही है अपाचे की जगह नई तकनीक की तैयारी

दिलचस्प बात यह है कि अमेरिका खुद अपने पुराने AH-64D और E वर्जन के अपाचे हेलिकॉप्टरों को हटाकर नई पीढ़ी के फ्लारा (FLRAA – Future Long-Range Assault Aircraft) प्रोग्राम पर काम कर रहा है। अमेरिकी सेना ने 2019 में इस प्रोग्राम की शुरुआत की और अब इसकी मैन्युफैक्चरिंग प्रक्रिया में प्रवेश कर चुका है। नया हेलिकॉप्टर MV-75 नाम से जाना जाएगा, जो ब्लैक हॉक हेलिकॉप्टर की भी जगह लेगा।

अपाचे हेलिकॉप्टर की खासियतें

अपाचे AH-64E, जिसे अपाचे गार्जियन भी कहा जाता है, दुनिया का सबसे उन्नत मल्टी-रोल अटैक हेलिकॉप्टर है। इसे बोइंग कंपनी बनाती है और यह पुराने Mi-35 हेलिकॉप्टरों की जगह लेगा।

अपाचे में मॉडर्नाइज्ड टारगेट एक्विजिशन डेजिग्नेशन सिस्टम (MTADS) है, जो दिन-रात और हर मौसम में लक्ष्य को ट्रैक करने की क्षमता देता है। इसका फायर कंट्रोल रडार हवा और जमीन दोनों तरह के 128 लक्ष्यों को एक मिनट से कम समय में पहचान सकता है और 16 लक्ष्यों पर हमला कर सकता है।

यह हेलफायर मिसाइल्स (AGM-114L-3 और AGM-114R-3), 70mm रॉकेट्स, और 30mm ऑटोमैटिक कैनन से लैस है, जो 1,200 राउंड गोला-बारूद ले जा सकता है। ये हथियार बख्तरबंद वाहनों, बंकरों, और दुश्मन की किलेबंदी को नष्ट करने में सक्षम हैं।

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नोज-माउंटेड सेंसर और नाइट विजन नेविगेशन इसे रात के अंधेरे में भी ऑपरेशन करने की क्षमता देते हैं। अपाचे ड्रोन जैसे MQ-1C ग्रे ईगल को रिमोटली कंट्रोल कर सकता है, जिससे टोही (रेकनोसन्स) और निगरानी की क्षमता बढ़ती है। यह रेगिस्तानी गर्मी, पहाड़ी इलाकों, और समुद्री वातावरण में प्रभावी ढंग से काम करता है। इसकी अधिकतम रफ्तार 365 किलोमीटर प्रति घंटा है। यह युद्धक्षेत्र की तस्वीरें रियल-टाइम में भेज और प्राप्त कर सकता है, जिससे कमांडरों को तुरंत जानकारी मिलती है।

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