रक्षा समाचार WhatsApp Channel Follow US
रक्षा मंत्रालय ने हाल ही में वेरी शॉर्ट रेंज एयर डिफेंस सिस्टम (नई पीढ़ी) यानी VSHORADS (NG) की खरीद के लिए रिक़्वेस्ट फॉर प्रपोजल (RFP) जारी किया है। इसके तहत सेना को 48 लॉन्चर, 48 नाइट विजन साइट्स, 85 मिसाइलें और 1 मिसाइल टेस्ट स्टेशन मिलेगा। यह खरीद DAP-2020 के तहत बाय (इंडियन) कैटेगरी में होगी, जिसमें मेक इन इंडिया को बढ़ावा दिया जाएगा...
Read Time 0.24 mintue

📍New Delhi | 3 months ago

Air Defence System: भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव के बीच रक्षा मंत्रालय ने भारतीय सेना को और मजबूत करने के लिए एक बड़ा कदम उठाया है। मंत्रालय ने शनिवार को वेरी शॉर्ट रेंज एयर डिफेंस सिस्टम (नेक्स्ट जनरेशन) यानी VSHORADS (NG) की खरीद के लिए रिक़्वेस्ट फॉर प्रपोजल (RFP) जारी किया है। इसके तहत सेना को 48 लॉन्चर, 48 नाइट विजन साइट्स, 85 मिसाइलें और 1 मिसाइल टेस्ट स्टेशन मिलेगा। यह खरीद DAP-2020 के तहत बाय (इंडियन) कैटेगरी में होगी, यानी इसमें मेक इन इंडिया को बढ़ावा दिया जाएगा। यह खबर ऐसे समय में आई है, जब 22 अप्रैल को कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद दोनों देशों के रिश्तों में तनाव चरम पर है।

Air Defence System: क्या होता है VSHORADS?

VSHORADS को आम भाषा में मैनपैड्स (मैन-पोर्टेबल एयर डिफेंस सिस्टम – Air Defence System) भी कहते हैं, एक ऐसा हथियार है जो कम दूरी पर दुश्मन के हवाई हमलों को नाकाम कर सकता है। यह हथियार खास तौर पर उन विमानों और ड्रोन्स को निशाना बनाता है जो नीची उड़ान भरते हैं, जैसे हेलिकॉप्टर, छोटे लड़ाकू विमान और मानव रहित हवाई वाहन (UAV)। इसे “फायर एंड फॉरगेट” हथियार कहा जाता है, यानी एक बार मिसाइल दागने के बाद यह अपने आप निशाने को ढूंढ लेती है और उसे तबाह कर देती है।

रक्षा मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, “यह मिसाइल (Air Defence System) इन्फ्रारेड होमिंग तकनीक पर काम करती है। यह तकनीक विमान के इंजन से निकलने वाली गर्मी को ट्रैक करती है। एक बार फायर होने के बाद इसकी मारक क्षमता 95% तक होती है। यह हथियार नीची उड़ान भरने वाले विमानों के खिलाफ सबसे ज्यादा प्रभावी है।”

यह भी पढ़ें:  Mountain Artillery: अब भारतीय सेना का हिस्सा नहीं रहेंगे खच्चर, ड्रोन, ATV और रोबोटिक म्यूल ने ली जगह, सेना ने ऐसे दी विदाई

क्यों पड़ी VSHORADS की जरूरत?

22 अप्रैल को कश्मीर के पहलगाम में आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच सीमा पर तनाव चल रहा है। इस हमले में कई पर्यटकों की जान चली गई थी। भारत ने इस हमले के लिए पाकिस्तान को जिम्मेदार ठहराया, जिसके बाद दोनों देशों की सीमा पर तनाव बढ़ गया। सीजफायर (Air Defence System)  उल्लंघन की घटनाएं भी बढ़ी हैं, और दोनों तरफ से छोटे हथियारों से गोलीबारी की खबरें आ रही हैं। ऐसे में भारतीय सेना को अपनी हवाई सुरक्षा को मजबूत करने की जरूरत महसूस हुई।

सूत्रों का कहना है, “पाकिस्तान की तरफ से ड्रोन हमले और नीची उड़ान भरने वाले विमानों (Air Defence System) का खतरा बढ़ रहा है। VSHORADS जैसे हथियार हमें इन खतरों से निपटने में मदद करेंगे। यह हथियार बेहद हल्का और मोबाइल है। इसे एक सैनिक आसानी से कंधे पर ले जा सकता है और पहाड़ी इलाकों, वाहनों या किसी भी जगह से इस्तेमाल कर सकता है।”

VSHORADS की खासियतें

VSHORADS हथियार (Air Defence System) की कई खासियतें हैं, जो इसे भारतीय सेना के लिए खास बनाती हैं। अगर दो मिसाइलें एक साथ दागी जाएं, तो यह 85% से ज्यादा की मारक क्षमता रखती है, खासकर तेज रफ्तार से उड़ने वाले लड़ाकू विमानों के खिलाफ। वहीं, इसकी न्यूनतम रेंज 500 मीटर और अधिकतम रेंज 6 किलोमीटर है। यानी यह 6 किमी के दायरे में आने वाले किसी भी हवाई खतरे को खत्म कर सकता है। हर मिसाइल की लंबाई 1.85 मीटर से ज्यादा नहीं होगी, जिससे इसे ले जाना आसान हो। खास बात यह है कि इसे एक सैनिक अकेले इस्तेमाल कर सकता है। लॉन्चर को कंधे पर रखा जाता है, और सैनिक अपने पीठ पर दो मिसाइलें ले जा सकता है। VSHORADS सिस्टम इन्फ्रारेड होमिंग तकनीक पर काम करती है, जो विमान के इंजन की गर्मी को ट्रैक करती है। वहीं अगर एक बार मिसाइल फायर हो जाए, तो यह अपने आप निशाने को ढूंढ लेती है।

यह भी पढ़ें:  1971 War Surrender Painting: थम नहीं रहा है पेंटिंग की जगह बदलने पर विवाद, रिटायर्ड ब्रिगेडियर ने सेना पर उठाए सवाल, कहा- मानेकशॉ सेंटर का बदलें नाम

VSHORADS सिस्टम में तीन मुख्य हिस्से होते हैं। इसके मिसाइल (Air Defence System) वाले हिस्से में विस्फोटक होता है जो निशाने को तबाह करता है। इसकी लॉन्च ट्यूब में मिसाइल को फायर करने का सिस्टम होता है। वहीं इसकी बैटरी यूनिट बिजली पैदा करती है, ताकि मिसाइल सही तरीके से काम कर सके।

105 देशों की सेनाओं के पास यह हथियार

मैनपैड्स (Air Defence System) का इस्तेमाल दुनिया भर में पिछले कई दशकों से हो रहा है। करीब 105 देशों की सेनाओं के पास यह हथियार है, लेकिन इसे बनाने वाले देशों की संख्या सिर्फ 12 है, जिनमें भारत भी शामिल है। सबसे मशहूर मैनपैड्स में अमेरिका का स्टिंगर, रूस का 9K32 स्ट्रेला-2 (SA-7) और हाल ही में चीन का FN-16 शामिल है।

मैनपैड्स का सबसे ज्यादा इस्तेमाल 1980 के दशक में अफगानिस्तान में मुजाहिदीनों (Air Defence System) ने किया था। उन्हें अमेरिका ने स्टिंगर मिसाइलें दी थीं। इन मिसाइलों ने सोवियत हेलिकॉप्टरों और नीची उड़ान भरने वाले विमानों को भारी नुकसान पहुंचाया था। बाद में तालिबान ने भी इन हथियारों का इस्तेमाल अमेरिकी सेना के खिलाफ किया और उनके हेलिकॉप्टरों को निशाना बनाया।

डीआरडीओ ने बनाया स्वदेशी VSHORADS

हालांकि भारत अभी VSHORADS (Air Defence System) की खरीद कर रहा है, लेकिन देश में इस तरह के हथियार को बनाने की कोशिश भी हो रही है। डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गनाइजेशन (DRDO) ने हाल ही में स्वदेशी VSHORADS सिस्टम को विकसित किया है। इसकी टेस्टिंग पिछले कुछ सालों से चल रही है, और अक्टूबर 2024 में इसके आखिरी टेस्ट सफल रहे। DRDO का दावा है कि यह मिसाइल ड्रोन, हेलिकॉप्टर और लड़ाकू विमानों को आसानी से निशाना बना सकती है।

यह भी पढ़ें:  President Colours: आर्मी चीफ जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने चार मैकेनाइज्ड इन्फैंट्री बटालियनों को 'प्रेजिडेंट्स कलर्स' से किया सम्मानित

लेकिन स्वदेशी VSHORADS अभी पूरी तरह तैयार नहीं है। इसे ऊंचे इलाकों जैसे लद्दाख में टेस्ट करना बाकी है। साथ ही, सेना के इस्तेमाल के लिए बड़े पैमाने पर इसका उत्पादन शुरू होने में अभी समय लगेगा। इसलिए रक्षा मंत्रालय ने तुरंत जरूरत को पूरा करने के लिए RFP जारी किया है।

VSHORADS: DRDO का यह नया एयर डिफेंस सिस्टम कम ऊंचाई पर उड़ने वाले टारगेट को पलक झपकते ही कर देगा तबाह, ये हैं खूबियां

RFP की शर्तें और मेक इन इंडिया

रक्षा मंत्रालय ने RFP में साफ कहा है कि यह खरीद DAP-2020 के तहत होगी, जिसमें मेक इन इंडिया (Air Defence System) को प्राथमिकता दी जाती है। इसका मतलब है कि जो भी कंपनी इस हथियार को सप्लाई करेगी, उसे भारत में ही इसका कुछ हिस्सा बनाना होगा। मंत्रालय ने यह भी कहा है कि कॉन्ट्रैक्ट साइन होने के एक साल के अंदर सारी डिलीवरी पूरी करनी होगी। इसका मतलब है कि सेना को जल्द से जल्द यह हथियार चाहिए, ताकि सीमा पर बढ़ते खतरे से निपटा जा सके।

रक्षा समाचार WhatsApp Channel Follow US

Leave a Reply

Share on WhatsApp