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📍नई दिल्ली | 7 months ago

OROP Update: भारतीय सेना के पेंशनरों और पूर्व सैनिकों के लिए वन रैंक वन पेंशन (OROP) योजना हमेशा से चर्चा में रही है। इस योजना के तहत समान रैंक और समान सेवा अवधि वाले पेंशनरों को समान पेंशन मिलनी चाहिए। हाल ही में इंडियन एक्स-सर्विसेस लीग (IESL) के अध्यक्ष ब्रिगेडियर इंद्रमोहन सिंह (सेवानिवृत्त) ने OROP से जुड़ी विसंगतियों पर सवाल उठाए। उनके इन सवालों के जवाब में सेना मुख्यालय ने 12 दिसंबर 2024 को एक विस्तृत पत्र जारी किया।

OROP Update: Key Clarifications on Additional Pension and Deductions by Army HQ
File Photo

OROP की परिभाषा और विसंगतियां

ब्रिगेडियर सिंह ने OROP के तहत पेंशन निर्धारण के तरीके पर सवाल उठाए। सेना मुख्यालय ने जवाब में कहा कि OROP का उद्देश्य समान रैंक और समान सेवा अवधि वाले पेंशनरों को समान पेंशन देना है, चाहे उनकी सेवानिवृत्ति की तारीख कोई भी हो।

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हालांकि, सरकार ने 7 नवंबर 2015 को एक पत्र जारी कर पेंशन को औसत (average) के आधार पर तय करने की बात कही। यह फैसला OROP की मूल भावना से अलग था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने मार्च 2022 में इसे वैध ठहराया। इस बदलाव से OROP अब “वन रैंक, फाइव पेंशन” जैसी स्थिति में बदल गया है, जहां समान रैंक के पेंशनरों को अलग-अलग राशि मिल सकती है।

OROP-3: नई पेंशन दरें और संशोधन

OROP-3 का रिवीजन 1 जुलाई 2024 से लागू किया गया। इसके तहत कुल 121 पेंशन सूचियां जारी की गईं, जिनमें रैंक और सेवा अवधि के आधार पर नई पेंशन दरें दी गईं। सेना मुख्यालय के अनुसार, 01 जुलाई 2024 को इन आदेशों के अनुसार संशोधित पेंशन, 01 जुलाई 2024 को मौजूदा पेंशन/पारिवारिक पेंशन से कम होती है, पेंशन को पेंशनभोगी/पारिवारिक पेंशनभोगी के नुकसान के लिए संशोधित नहीं किया जाएगा। अगले OROP संशोधन 01 जुलाई 2029, 2034 और हर पांच साल बाद किए जाएंगे। इस प्रक्रिया में कुल तीन बार पेंशन दरों में सुधार होगा। OROP के लाभ के अलावा वेतन का लाभ भी दिया जाएगा। इस योजना के तहत पेंशन में कमीशन भी दिया जाएगा। इस योजना के अंतर्गत अगले 10 वर्षों में पेंशनरों को तीन बार पेंशन में बढ़ोतरी का लाभ मिलेगा।

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OROP Update: 80 वर्ष की आयु पर अतिरिक्त पेंशन

OROP के तहत, 80 वर्ष की आयु पूरी करने पर पेंशन में मूल पेंशन का 20 फीसदी अतिरिक्त दिया जाता है। यह लाभ 85, 90, 95 और 100 वर्ष की आयु पर क्रमशः 30%, 40%, 50% और 100% तक बढ़ जाता है।

हालांकि, गुवाहाटी उच्च न्यायालय ने 79 वर्ष पूरे होने पर ही अतिरिक्त पेंशन देने का आदेश दिया था। इस पर रक्षा मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि यह निर्णय न्यायालय विशेष है और इसके लिए केंद्रीय स्तर पर नीति तय की जाएगी। पेंशन संबंधी मामलों के नोडल विभाग होने के नाते इस मामले को कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग और पेंशनभोगी कल्याण विभाग के साथ विचार-विमर्श के लिए भेजा गया है। रक्षा मंत्रालय ने यह भी सूचित किया है कि कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग की टिप्पणी प्राप्त होने के बाद ही इस मामले पर आगे की कार्रवाई की जाएगी।

OROP Update: पेंशन कटौती

पेंशन के कम्यूटेड मूल्य की कटौती 15 वर्षों के बाद बहाल की जाती है। यह नीति सुप्रीम कोर्ट के 1986 के फैसले पर आधारित है। वर्तमान में इसे 12 वर्षों में बहाल करने का कोई प्रावधान नहीं है।

12 वर्षों के बाद पेंशन के कम्यूटेड मूल्य को बहाल करने की याचिका के आधार पर, एएफटी (पीबी) नई दिल्ली ने 24 जुलाई 2024 के अपने आदेश के माध्यम से निर्देश दिया था कि 12 वर्षों के बाद पेंशन की वसूली पर रोक लगाई जाए। दिल्ली उच्च न्यायालय ने 12 वर्षों के बाद पेंशन कटौती को बहाल करने के एक आदेश पर रोक लगा दी है। रक्षा मंत्रालय इस पर उचित कार्रवाई के लिए विचार कर रहा है।

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स्पर्श (SPARSH) प्रणाली: पेंशन वितरण में पारदर्शिता

वहीं, स्पर्श को लेकर सेना मुख्यालय ने जवाब दिया कि स्पर्श प्रणाली को अगस्त 2021 में लागू किया गया, ताकि पेंशन वितरण को डिजिटल और पारदर्शी बनाया जा सके। हालांकि, शुरुआती चरण में तकनीकी समस्याओं के कारण पेंशनभोगियों को कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। सेना मुख्यालय ने बताया कि इन समस्याओं के समाधान के लिए कई कदम उठाए हैं। जैसे स्पर्श की दिक्कतों को दूर करने के लिए टीसीएस की एक टीम पीसीडीए (पी) कार्यालय में तैनात की गई है। रक्षा मंत्रालय, सीजीडीए और टीसीएस के साथ लगातार नियमित समीक्षा बैठकें हो रही हैं। वहीं, मेरठ और चेन्नई में स्पर्श संबंधित मामलों के समाधान के लिए समस्या समाधान केंद्र बनाए गए हैं।

OROP की समीक्षा प्रक्रिया और चुनौतियां

OROP को लेकर सरकार और पेंशनरों के बीच लगातार चर्चा और असहमति बनी रहती है। पेंशनरों का कहना है कि OROP के तहत सभी को समान लाभ मिलना चाहिए, जबकि सरकार का दृष्टिकोण औसत (average) आधारित है।

OROP को लागू करने में मुख्य चुनौती इसके वित्तीय बोझ की है। विशेषज्ञों का कहना है कि यदि OROP को मूल रूप में लागू किया जाता है, तो इससे सरकार पर भारी वित्तीय दबाव पड़ेगा।

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