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📍नई दिल्ली | 8 months ago

Indian Air Force: जम्मू-कश्मीर और लद्दाख हाई कोर्ट ने मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (CJM) बडगाम की तरफ से जारी दो आदेशों को रद्द करते हुए विशेष जांच दल (SIT) को वायुसेना के विंग कमांडर के खिलाफ चल रही जांच को जारी रखने का निर्देश दिया है। आरोपी विंग कमांडर पर एक महिला फ्लाइंग ऑफिसर ने यौन उत्पीड़न और बलात्कार का आरोप लगाया है।

Indian Air Force: Jammu-Kashmir and Ladakh High Court Orders Continuation of Investigation Against Air Force Officer in Sexual Harassment Case

क्या है मामला?

यह मामला 31 दिसंबर 2023 का है, जब महिला फ्लाइंग ऑफिसर ने आरोप लगाया कि श्रीनगर में ऑफिसर्स मेस में आयोजित न्यू ईयर पार्टी के दौरान विंग कमांडर ने उसका यौन उत्पीड़न किया। इस घटना के करीब नौ महीने बाद, 8 सितंबर 2024 को बडगाम पुलिस स्टेशन में भारतीय दंड संहिता की धारा 376(2) (जिसमें पद और अधिकार का दुरुपयोग कर बलात्कार करने का मामला आता है) के तहत एफआईआर दर्ज की गई।

क्या कहा अदालत ने?

CJM बडगाम ने 10 और 16 अक्टूबर 2024 को क्रमशः दो आदेश जारी किए, जिनमें भारतीय वायुसेना अधिनियम की धारा 124 का हवाला देते हुए यह तय करने का प्रयास किया गया था कि आरोपी पर कोर्ट मार्शल द्वारा मुकदमा चलेगा या किसी आपराधिक अदालत में।

हाई कोर्ट ने इन आदेशों को रद्द कर दिया है और SIT को निर्देश दिया है कि वह अपनी जांच जारी रखे। अदालत ने यह स्पष्ट किया कि ऐसे गंभीर मामलों में निष्पक्ष जांच सुनिश्चित करना आवश्यक है।

आरोपी को मिली अंतरिम जमानत

13 सितंबर 2024 को हाई कोर्ट ने आरोपी विंग कमांडर को अंतरिम जमानत दी थी। अदालत ने यह जमानत उनकी वायुसेना में पदस्थ स्थिति और करियर पर संभावित प्रभाव को ध्यान में रखते हुए दी थी। हालांकि, इसके साथ ही कड़ी शर्तें भी लागू की गईं। इनमें जांच अधिकारी के समक्ष नियमित उपस्थिति और यात्रा प्रतिबंध शामिल थे।

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अगली सुनवाई पर नजर

सेहरावत की जमानत याचिका पर अगली सुनवाई 10 दिसंबर 2024 को होगी। इस मामले में महिला अधिकारी और आरोपी दोनों के लिए न्याय की मांग के साथ-साथ वायुसेना और पुलिस की भूमिका की भी बारीकी से जांच की जा रही है।

यह मामला भारतीय सशस्त्र बलों में यौन उत्पीड़न और अधिकारों के दुरुपयोग जैसे संवेदनशील मुद्दों को उजागर करता है। यह घटना यह सोचने पर मजबूर करती है कि सेना में भी महिलाओं की सुरक्षा को लेकर चुनौतियां बनी हुई हैं।

विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसे मामलों में सशस्त्र बलों को पारदर्शिता और संवेदनशीलता के साथ काम करना चाहिए। साथ ही, महिला अधिकारियों को सुरक्षा और समर्थन प्रदान करने के लिए व्यापक नीति बनाने की आवश्यकता है।

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