📍नई दिल्ली | 16 Jun, 2025, 3:56 PM
PM Modi Cyprus Visit: 16 जून को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीन देशों की अपनी विदेश यात्रा की शुरुआत साइप्रस (Cyprus) से की। यह वही देश है जो 1974 में तुर्की (Turkiye) के हमले का शिकार हुआ था। वहीं, 20 साल बाद कोई भारतीय प्रधानमंत्री साइप्रस पहुंचा है। वहीं, पीएम मोदी की इस यात्रा को सिर्फ द्विपक्षीय संबंधों की मजबूती ही नहीं बल्कि, एक अहम भू-राजनीतिक (Geopolitical) संकेत के तौर पर देखा जा रहा है। खासतौर पर तुर्की के लिए जिसने हाल ही में पाकिस्तान का खुलकर साथ दिया था।
साइप्रस यात्रा के दौरान पीएम मोदी को साइप्रस का सबसे बड़ा नागरिक सम्मान ‘ग्रैंड क्रॉस ऑफ द ऑर्डर ऑफ मकारियोस III’ (Grand Cross of the Order of Makarios III) से नवाजा गया। यह सम्मान उस देश के पहले राष्ट्रपति आर्कबिशप मकारियोस के नाम पर दिया जाता है। इस दौरान उन्होंने साइप्रस के प्रेसिडेंट निकोस क्रिस्टोडौलिड्स से मुलाकात की और लिमासोल में बिजनेस लीडर्स को संबोधित किया।
PM Modi Cyprus Visit: साइप्रस यात्रा का रणनीतिक महत्व
पीएम मोदी की इस यात्रा के पीछे कई रणनीतिक संदेश छिपे हैं। भारत ने तुर्की द्वारा ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान पाकिस्तान को ड्रोन, हथियार और मैनपावर देने को गंभीरता से लिया है। जवाब में भारत ने कई तुर्की कंपनियों को देश छोड़ने के लिए कहा और अब पीएम मोदी की साइप्रस यात्रा को उसी पृष्ठभूमि में देखा जा रहा है।
Today, President @Christodulides conferred upon PM @narendramodi the ‘Grand Cross of the Order of Makarios III’ of Cyprus. The PM dedicated it to the 140 crore Indians and the friendship between India and Cyprus. pic.twitter.com/P4RcqulNQn
— PMO India (@PMOIndia) June 16, 2025
साइप्रस की भौगोलिक स्थिति इसे भारत के लिए रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण बनाती है। यह मेडिटेरेनियन सागर में स्थित है और यूरोप से मिडिल ईस्ट तक कनेक्टिविटी का केंद्र है। साइप्रस ने हमेशा भारत के साथ खड़ा रहा है, खासकर अंतरराष्ट्रीय मंचों पर। इसके अलावा, साइप्रस में भारतीय शांति सेना के योगदान को भी याद किया जाता है, जो 1964 से वहां तैनात है।
मोदी साइप्रस की राजधानी निकोसिया में हैं, जो यूएन-कंट्रोल्ड बफर जोन के पास स्थित है। यह शहर पूर्व में तुर्की कब्जे वाले क्षेत्र, तुर्किश रिपब्लिक ऑफ नॉर्दर्न साइप्रस (TRNC) से भी सटा हुआ है। 20 साल में किसी भारतीय प्रधानमंत्री की पहली साइप्रस विजिट है।
भारत का संदेश: यह युद्ध का युग नहीं है
सीमा पार आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में साइप्रस ने हमेशा भारत का साथ दिया है। पीएम मोदी ने अपनी इस यात्रा के दौरान कहा, “हम साइप्रस के लगातार समर्थन के लिए आभारी हैं। मोदी ने साइप्रस को भारत का “विश्वसनीय साझेदार” बताया और कहा कि भारत क्रॉस-बॉर्डर टेररिज्म, ड्रग्स तस्करी और हथियारों की गैरकानूनी सप्लाई रोकने के लिए रीयल-टाइम इन्फॉर्मेशन एक्सचेंज मैकेनिज्म बनाएगा।”

पीएम मोदी ने साइप्रस से दुनिया को शांति का संदेश दिया। उन्होंने कहा, “हम पश्चिमी एशिया और यूरोप में जारी संघर्षों पर चिंता जताते हैं। हमारा मानना है कि यह युद्ध का दौर नहीं है।” यह बयान वैश्विक तनाव के बीच शांति और सहयोग पर जोर देता है। साइप्रस के साथ भारत के रिश्ते पर्यटन और अर्थव्यवस्था में भी मजबूत हो रहे हैं। मोदी ने साइप्रस को एक मशहूर टूरिस्ट डेस्टिनेशन बताया और भारत के डेस्टिनेशन डेवलपमेंट पर फोकस की बात कही।
इसके अलावा, इस साल भारत-साइप्रस-ग्रीस साझेदारी की शुरुआत हुई, और इंडिया-मिडिल ईस्ट-यूरोप इकोनॉमिक कॉरिडोर (IMEC) को शांति और समृद्धि का रास्ता माना जा रहा है। साइप्रस ने भारत के यूएन सिक्योरिटी काउंसिल में स्थायी सदस्यता के लिए भी समर्थन दिया है, जिसकी पीएम मोदी ने तारीफ की।
जियोस्ट्रैटेजिस्ट ब्रह्मा चेल्लानी कहते हैं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का गैस से भरपूर साइप्रस का दौरा तुर्की के लिए एक खास संदेश हो सकता है। तुर्की शायद इसे भारत के अपने क्षेत्रीय दुश्मनों ग्रीस, आर्मेनिया और मिस्र के साथ रिश्ते और गहरे करने का इशारा मानेगा। वह कहते हैं कि साइप्रस अगले साल यूरोपीय काउंसिल की बागडोर संभालेगा। यह भारत-मिडिल ईस्ट-यूरोप इकोनॉमिक कॉरिडोर (IMEC) का एक अहम हिस्सा है, जो व्यापार और शांति को बढ़ावा दे सकता है। भारत का साइप्रस के साथ जुड़ाव इस देश को ऊर्जा के क्षेत्र में मजबूत करेगा। साथ ही, इससे भारत मेडिटेरेनियन सागर में अपनी मौजूदगी बढ़ा सकेगा और तुर्की के विस्तारवाद का विरोध करने वाले देशों के गठबंधन को ताकत देगा।
तुर्की को अप्रत्यक्ष संदेश
भारत और तुर्की के संबंध हाल के वर्षों में तनावपूर्ण हुए हैं। तुर्की ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान पाकिस्तान को ड्रोन, हथियारों की सप्लाई की थी। इसके जवाब में भारत ने कई तुर्की कंपनियों को देश छोड़ने को कहा है। तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोआन ने संयुक्त राष्ट्र में बार-बार कश्मीर मुद्दा उठाया, और पाकिस्तान का खुला समर्थन किया। इसके जवाब में भारत ने न सिर्फ तुर्की कंपनियों पर कार्रवाई की बल्कि सॉफ्ट टूरिज्म बायकॉट भी शुरू किया।
PM @narendramodi and President @Christodulides of Cyprus deliberated on ways to strengthen the friendship between both countries. They discussed ways to improve cooperation in areas like trade, technology and renewable energy. Both leaders also explored ways to boost tourism and… pic.twitter.com/5ClP4G6e9G
— PMO India (@PMOIndia) June 16, 2025
वहीं, सरकार ने सुरक्षा कारणों से तुर्की की कंपनी सेलेबी को एयरपोर्ट ग्राउंड सर्विसेज देने की मंज़ूरी भी रद्द कर दी। अब मोदी की साइप्रस यात्रा और उसे एक टूरिज्म हब के तौर पर भारत द्वारा पहचान देना, सीधा मैसेज है कि हम तुर्की के विकल्प तलाश रहे हैं।
पुराने हैं भारत और साइप्रस के संबंध
तुर्की और साइप्रस के बीच रिश्ते अच्छे नहीं हैं। 1974 में तुर्की ने साइप्रस पर हमला किया था और वहां के उत्तरी हिस्से पर कब्जा कर लिया, जिसे तुर्की नॉर्दर्न साइप्रस कहता है। लेकिन यूरोपियन यूनियन और संयुक्त राष्ट्र इसे साइप्रस का हिस्सा मानते हैं, जो तुर्की के कब्जे में है।
हालांकि भारत और साइप्रस के बीच यह संबंध सिर्फ आज के नहीं हैं। 1964 में यूनाइटेड नेशन्स पीसकीपिंग फोर्स (UNFICYP) के गठन के बाद, पहले कमांडर बने थे भारत के लेफ्टिनेंट जनरल पीएस ग्यानी। फिर आए जनरल केएस थिमय्या, जो ड्यूटी के दौरान साइप्रस में ही शहीद हुए। उनके सम्मान में वहां एक सड़क का नाम उनके नाम पर रखा गया है। दिसंबर 2024 में यूएन ने निकोसिया में उनकी याद में एक कार्यक्रम भी आयोजित किया था। 1974 के तुर्की हमले के दौरान लेफ्टिनेंट जनरल दीवान प्रेमचंद ने वहां तैनात यूएन फोर्स की कमान संभाली और साइप्रस में सीजफायर लाइन को टूटने नहीं दिया।
2022 में साइप्रस के विदेश मंत्रालय ने इन तीनों भारतीय जनरलों को “कन्फ्लिक्ट के दौरान जान बचाने में अहम भूमिका निभाने वाले” बताया। यह सम्मान केवल इतिहास नहीं, बल्कि आज के मजबूत संबंधों की नींव भी है।
भारत-साइप्रस के बीच कई एमओयू साइन
पीएम मोदी की इस यात्रा के दौरान भारत और साइप्रस के बीच कई एमओयू (सहमति पत्र) साइन हुए। नेशनल पेमेंट्स कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया और साइप्रस के यूरोबैंक के बीच यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) सर्विस शुरू करने का समझौता हुआ, जो साइप्रस में डिजिटल पेमेंट को आसान करेगा। इसके अलावा, NSE इंटरनेशनल एक्सचेंज गिफ्ट सिटी और साइप्रस स्टॉक एक्सचेंज के बीच क्रॉस-बॉर्डर फ्लो को बढ़ावा देने का करार हुआ।
पीएम मोदी ने लिमासोल में बिजनेस राउंडटेबल में हिस्सा लिया, जहां उन्होंने साइप्रस को भारत का भरोसेमंद पार्टनर बताया। उन्होंने कहा कि 23 साल बाद किसी भारतीय पीएम का साइप्रस दौरा भारत-साइप्रस आर्थिक रिश्तों की अहमियत को दर्शाता है। पर्यटन में भी सहयोग बढ़ेगा, क्योंकि भारत साइप्रस जैसे डेस्टिनेशंस के विकास पर काम कर रहा है।
जी7 सम्मेलन में हिस्सा लेने कनाडा जाएंगे पीएम मोदी
साइप्रस के बाद पीएम मोदी कनानास्किस, कनाडा जाएंगे, जहां वे कनाडाई पीएम मार्क कार्नी के निमंत्रण पर जी7 सम्मेलन में हिस्सा लेंगे। यह उनकी छठवीं लगातार जी7 भागीदारी होगी। सम्मेलन में ऊर्जा सुरक्षा, टेक्नोलॉजी और इनोवेशन, खासकर AI-ऊर्जा संबंध और क्वांटम मुद्दों पर चर्चा होगी। इसके बाद वे क्रोएशिया की यात्रा करेंगे, जहां वे प्रेसिडेंट जोरन मिलानोविक और पीएम एंड्रेज प्लेनकोविक से मुलाकात करेंगे।