भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा, "चीन बार-बार अरुणाचल प्रदेश में जगहों के नाम बदलने की नाकाम कोशिश कर रहा है। हम इस तरह के प्रयासों को पूरी तरह खारिज करते हैं।" चीन की इस हरकत को लेकर भारत ने साफ कर दिया है कि इस तरह की "नामकरण" की कोशिशें अरुणाचल प्रदेश की वास्तविकता को कभी नहीं बदल सकतीं...
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📍नई दिल्ली | 14 May, 2025, 1:35 PM

India-China: जब पूरा देश भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव और ऑपरेशन सिंदूर की सफलताओं में व्यस्त था, उसी दौरान चीन ने चुपचाप भारत के राज्य अरुणाचल प्रदेश के 27 स्थानों के नाम बदलने की घोषणा कर दी। यह कोई पहली बार नहीं है, बल्कि चीन की ओर से अरुणाचल को लेकर इस तरह की यह पांचवीं सूची है, जिसमें उसने भारतीय क्षेत्र को अपने नक्शे और नामों में शामिल करने की कोशिश की है।

वहीं भारत ने इसे चीन का एक और बेतुका और आधारहीन प्रयास करार देते हुए कहा है कि अरुणाचल प्रदेश भारत का अभिन्न और अविभाज्य हिस्सा था, है और हमेशा रहेगा। साथ ही, भारत सरकार ने चीन के प्रोपेगंडा पर कड़ी कार्रवाई करते हुए चीन के माउथपीस ग्लोबल टाइम्स औऱ शिनहुआ न्यूज एजेंसी के एक्स अकाउंट को भारत में ब्लॉक कर दिया है।

India-China: जांगनान का हिस्सा मानता है चीन

चीन ने अपने नागरिक मामलों के मंत्रालय के जरिए 11 मई को अरुणाचल प्रदेश के 27 जगहों के लिए नए नामों का एलान किया। चीन के सिविल अफेयर्स मंत्रालय ने इसे “दक्षिण तिब्बत क्षेत्र के सार्वजनिक नामकरण (पांचवी सूची)” के रूप में जारी किया है। चीन इसे तिब्बत के दक्षिणी हिस्से (जिसे वह “जांगनान” कहता है) का हिस्सा मानता है और इन नामों को “मानकीकृत भौगोलिक नाम” के रूप में पेश करता है।

भारत ने दिया जवाब

भारत ने इसे चीन का एक और बेतुका और आधारहीन प्रयास करार देते हुए कहा है कि अरुणाचल प्रदेश भारत का अभिन्न और अविभाज्य हिस्सा था, है और हमेशा रहेगा। विदेश मंत्रालय का कहना है, “चीन की यह हरकत न केवल आधारहीन है, बल्कि यह अंतरराष्ट्रीय नियमों और भारत की संप्रभुता का उल्लंघन भी है।” उन्होंने जोर देकर कहा कि इस तरह की कोशिशें न तो ऐतिहासिक तथ्यों को बदल सकती हैं और न ही अरुणाचल प्रदेश के लोगों की भावनाओं को।

भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा, “चीन बार-बार अरुणाचल प्रदेश में जगहों के नाम बदलने की नाकाम कोशिश कर रहा है। हम इस तरह के प्रयासों को पूरी तरह खारिज करते हैं।” चीन की इस हरकत को लेकर भारत ने साफ कर दिया है कि इस तरह की “नामकरण” की कोशिशें अरुणाचल प्रदेश की वास्तविकता को कभी नहीं बदल सकतीं। जयसवाल ने कहा, “यह सच्चाई अटल है कि अरुणाचल प्रदेश भारत का हिस्सा है और रहेगा।”

विदेश मंत्री का सख्त रुख

हालांकि यह पहली बार नहीं है जब चीन ने इस तरह की हरकत की हो। यह अरुणाचल प्रदेश में स्थानों के नाम बदलने की उसकी यह पांचवीं सूची है। इससे पहले भी चीन ने कई बार इस तरह की कोशिशें की हैं, जिन्हें भारत ने हर बार करारा जवाब दिया है।

इससे पहले विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने भी इस मुद्दे पर चीन को कड़ा संदेश दिया था। उन्होंने कहा था, “अगर मैं आपके घर का नाम बदल दूं, तो क्या वह मेरा हो जाएगा? अरुणाचल प्रदेश भारत का हिस्सा था, है और हमेशा रहेगा। नाम बदलने से हकीकत नहीं बदलती।” जयशंकर ने यह भी कहा था कि चीन की यह हरकत “बेतुकी” है और बार-बार ऐसा करने से भी यह बेतुकी ही रहेगी।

उन्होंने यह भी जोड़ा, “मैं इसे इतनी स्पष्टता से कह रहा हूं कि न केवल देश में, बल्कि देश के बाहर भी लोग इस संदेश को अच्छी तरह समझ लें।” जयशंकर का यह बयान न केवल चीन के लिए, बल्कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय के लिए भी एक साफ संदेश था कि भारत अपनी संप्रभुता पर किसी भी तरह का समझौता नहीं करेगा।

क्या है इस विवाद की जड़?

चीन और भारत के बीच अरुणाचल प्रदेश को लेकर लंबे समय से विवाद चल रहा है। चीन अरुणाचल प्रदेश के कुछ हिस्सों को तिब्बत का हिस्सा मानता है और इसे “जांगनान” कहता है। वह समय-समय पर इस क्षेत्र में सड़क निर्माण, बस्तियां बसाने और नाम बदलने जैसी गतिविधियां करता रहता है, जिन्हें भारत अपनी संप्रभुता पर हमला मानता है।

अरुणाचल प्रदेश भारत का एक महत्वपूर्ण राज्य है, जो अपनी प्राकृतिक सुंदरता, सांस्कृतिक विविधता और सामरिक महत्व के लिए जाना जाता है। यह क्षेत्र भारत-चीन सीमा पर स्थित है और दोनों देशों के बीच तनाव का एक प्रमुख कारण रहा है। 1962 के भारत-चीन युद्ध के बाद से ही इस क्षेत्र को लेकर दोनों देशों के बीच तनाव बना हुआ है।

दबे शब्दों में चीन की बौखलाहट

खास बात यह है कि चीन ने इस सूची को भारत-पाकिस्तान तनाव के समय जारी किया, जब भारत का फोकस सीमा पर सैन्य ऑपरेशन और राजनयिक गतिविधियों पर था। यह चीन की रणनीति हो सकती है कि जब भारत किसी और मोर्चे पर व्यस्त हो, तब वह अपने पुराने एजेंडे को आगे बढ़ाए।

लेकिन भारत ने समय रहते प्रतिक्रिया दी और चीन की इस कूटनीतिक चाल को नकार दिया। भारत ने चीन की इस हरकत पर कड़ा लेकिन संतुलित प्रतिक्रिया दी। सरकार की नीति यह रही है कि उकसावे में आए बिना, तथ्यों और कूटनीतिक आधार पर जवाब दिया जाए। भारत ने न केवल इस कदम की आलोचना की, बल्कि चीन को यह स्पष्ट संदेश भी दिया कि नाम बदलना, इतिहास और भूगोल को नहीं बदल सकता।

वहीं, अरुणाचल प्रदेश को लेकर भारत की स्थिति अंतरराष्ट्रीय कानूनों और सीमाओं के अनुसार मजबूत है। यहां लोकतांत्रिक रूप से चुनी हुई सरकार है, संविधान के तहत शासन है, और यहां के लोग खुद को भारतीय नागरिक मानते हैं।

संयुक्त राष्ट्र, अमेरिका, फ्रांस और ऑस्ट्रेलिया जैसे कई देशों ने भी यह साफ कहा है कि अरुणाचल प्रदेश भारत का अभिन्न हिस्सा है। चीन की इस प्रकार की गतिविधियां वैश्विक समुदाय में उसकी स्थिति को और कमजोर करती हैं।

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भारत सरकार ने इस क्षेत्र में विकास कार्यों को तेज किया है, जिसमें सड़कें, पुल, स्कूल, अस्पताल और अन्य बुनियादी ढांचे का निर्माण शामिल है। अरुणाचल प्रदेश के लोग भी चीन की इन हरकतों का पुरजोर विरोध करते हैं। भारत ने वहां अपनी सीमाओं की सुरक्षा को और मजबूत किया है। अरुणाचल प्रदेश में सैन्य अड्डों का निर्माण, सड़कों का जाल और संचार सुविधाओं का विस्तार इसका प्रमाण है। भारत ने यह भी साफ कर दिया है कि वह अपनी संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा के लिए किसी भी हद तक जा सकता है।

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