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📍नई दिल्ली | 5 months ago

India-Bangladesh: अप्रैल के पहले सप्ताह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार मुहम्मद यूनुस की मुलाकात होने की संभावना जताई जा रही है। यह मुलाकात थाईलैंड में 3-4 अप्रैल को आयोजित छठे BIMSTEC (Bay of Bengal Initiative for Multi-Sectoral Technical and Economic Cooperation) शिखर सम्मेलन के दौरान हो सकती है। हालांकि, इस बैठक को लेकर अभी तक कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है, लेकिन कूटनीतिक गलियारों में इस पर चर्चा जोरों पर है।

India-Bangladesh: Possible Modi-Yunus Meeting; Key Decisions Expected at BIMSTEC Summit?
2015 में इंडियन साइंस कांग्रेस के एक कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ मोहम्मद यूनुस।

BIMSTEC में भारत की रणनीति और SAARC की निष्क्रियता

भारत BIMSTEC को एक मॉडल क्षेत्रीय संगठन के रूप में स्थापित करने की कोशिश कर रहा है, क्योंकि SAARC (दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन) भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव के कारण प्रभावी रूप से निष्क्रिय हो गया है। BIMSTEC में बांग्लादेश, भारत, म्यांमार, श्रीलंका, थाईलैंड, भूटान और नेपाल सदस्य देश हैं। यह संगठन व्यापार, सुरक्षा, कनेक्टिविटी और तकनीकी सहयोग को बढ़ावा देने का कार्य कर रहा है।

India-Bangladesh संबंधों में उतार-चढ़ाव

बांग्लादेश में हाल ही में हुए राजनीतिक घटनाक्रमों ने भारत-बांग्लादेश संबंधों को प्रभावित किया है। विशेष रूप से, जब शेख हसीना को प्रधानमंत्री पद से हटाया गया, तब से दोनों देशों के बीच कूटनीतिक रिश्तों में ठहराव देखने को मिला है। भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने हाल ही में मस्कट में बांग्लादेश के विदेश मामलों के सलाहकार तौहीद हसन से मुलाकात की थी, जिसके बाद उन्होंने बांग्लादेश की अंतरिम सरकार द्वारा भारत के प्रति अपनाए गए रुख और वहां अल्पसंख्यकों पर हो रहे हमलों को लेकर चिंता जताई थी।

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जयशंकर ने स्पष्ट रूप से कहा कि भारत को बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों पर हो रहे हमलों पर गहरी चिंता है और यह भारत के दृष्टिकोण को प्रभावित करता है। उन्होंने यह भी कहा कि भारत ने इस मुद्दे पर अपनी चिंताओं को स्पष्ट रूप से उठाया है।

India-Bangladesh: क्या मोदी-यूनुस की बैठक से रिश्तों में आएगी गर्माहट?

अगर यह बैठक होती है, तो यह भारत और बांग्लादेश के बीच बिगड़ते रिश्तों को सुधारने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम हो सकता है। माना जा रहा है कि इस मुलाकात में व्यापारिक संबंधों, सुरक्षा सहयोग और BIMSTEC को मजबूत करने जैसे मुद्दों पर चर्चा हो सकती है।

राजनीतिक विश्लेषक अनुपम सेनगुप्ता का कहना है कि “भारत-बांग्लादेश के रिश्ते हमेशा से ही स्थिर नहीं रहे हैं। शेख हसीना के कार्यकाल में भारत और बांग्लादेश के बीच व्यापारिक और रणनीतिक संबंधों में मजबूती आई थी, लेकिन उनकी सरकार के जाने के बाद भारत के लिए यह चुनौतीपूर्ण दौर हो सकता है। मोदी और यूनुस की संभावित बैठक दोनों देशों के लिए एक नई दिशा तय कर सकती है।”

BIMSTEC शिखर सम्मेलन और भारत की कूटनीतिक योजना

प्रधानमंत्री मोदी इस शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए थाईलैंड यात्रा करेंगे। यह शिखर सम्मेलन मूल रूप से सितंबर 2024 में आयोजित होने वाला था, लेकिन मेजबान देश में घरेलू राजनीतिक घटनाक्रमों के कारण इसे स्थगित कर दिया गया था। अब भारत इस सम्मेलन में अपनी भूमिका को मजबूत करने और दक्षिण एशिया में अपनी कूटनीतिक पकड़ बनाए रखने की कोशिश कर रहा है।

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बांग्लादेश के मामले में, भारत को यह सुनिश्चित करना होगा कि उसके हित सुरक्षित रहें, खासकर जब चीन लगातार बांग्लादेश में अपना प्रभाव बढ़ाने की कोशिश कर रहा है।

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India-Bangladesh: भारत के लिए यह बैठक क्यों महत्वपूर्ण है?

इसकी एक बड़ी वजह बांग्लादेश में चीन का बढ़ता प्रभाव है। चीन लगातार बांग्लादेश में निवेश बढ़ा रहा है और बुनियादी ढांचे के विकास में सहयोग कर रहा है। भारत नहीं चाहता कि बांग्लादेश पूरी तरह से चीन के प्रभाव में आ जाए। वहीं, भारत और बांग्लादेश के बीच व्यापारिक और सुरक्षा सहयोग महत्वपूर्ण है। Northeast India की सुरक्षा और जल संसाधन प्रबंधन दोनों देशों के लिए एक अहम मुद्दा है। साथ ही, भारत BIMSTEC को मजबूत कर दक्षिण एशिया में अपना प्रभाव बढ़ाना चाहता है, ताकि SAARC की निष्क्रियता का असर क्षेत्रीय सहयोग पर न पड़े।

क्या बांग्लादेश भारत पर दोहरी नीति अपना रहा है?

जयशंकर ने यह भी कहा कि बांग्लादेश की अंतरिम सरकार एक तरफ भारत से अच्छे संबंधों की इच्छा जताती है, लेकिन दूसरी तरफ भारत को घरेलू राजनीतिक अस्थिरता के लिए जिम्मेदार ठहराती है। इस प्रकार की परस्पर विरोधी बयानबाजी भारत-बांग्लादेश के रिश्तों को और जटिल बना सकती है।

राजनीतिक विश्लेषक राजीव त्रिपाठी का कहना है कि “भारत को बांग्लादेश के मौजूदा राजनीतिक हालातों को बहुत बारीकी से समझना होगा। चीन और पाकिस्तान भी वहां अपना प्रभाव बढ़ाने की कोशिश में हैं। ऐसे में मोदी-यूनुस की बैठक से भारत अपनी स्थिति मजबूत करने की रणनीति बना सकता है।”

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क्या मोदी-यूनुस की बैठक से नए समीकरण बनेंगे?

अगर यह बैठक होती है, तो यह न केवल भारत-बांग्लादेश संबंधों को नई दिशा देने का काम कर सकती है, बल्कि BIMSTEC जैसे संगठन को और अधिक प्रभावी बनाने में भी मदद कर सकती है। भारत को अपनी रणनीति इस तरह से बनानी होगी कि वह बांग्लादेश की नई सरकार के साथ अपने हितों को साधते हुए अपने क्षेत्रीय प्रभाव को मजबूत कर सके।

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अभी तक इस बैठक की कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है, लेकिन अगर यह बैठक होती है, तो इसके नतीजे दक्षिण एशिया की राजनीति और कूटनीति पर दूरगामी प्रभाव डाल सकते हैं।

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