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📍नई दिल्ली | 15 Nov, 2024, 2:15 PM

“Flowers on a Kargil Cliff” कोई साधारण किताब नहीं है। यह उन कहानियों का संग्रह है, जो हिमालय की ऊँचाइयों में दफऩ हैं, युद्ध के बारूद और बर्फ के बीच पनपते जीवन की गवाही देती हैं। इस किताब में न केवल गोलियों और खून की कहानी है, बल्कि प्रेम, साहस, और मानवीय भावनाओं का गहरा ताना-बाना है।

Flowers on a Kargil Cliff: Untold Stories of War, Love, and Humanity in the Himalayas

यह किताब उस साहसी पत्रकार की दास्तान है, जिसने 15,000 से 16,000 फीट की ऊंचाइयों पर अपनी जान की परवाह किए बिना कारगिल युद्ध की सच्चाइयों को सामने लाए। वहीं, उन्होंने उन बर्फीले मैदानों से नाजुक फूल तोड़े और उन्हें प्रेम पत्रों में समेटकर अपनी मंगेतर को भेजा। ये फूल सिर्फ प्रेम का प्रतीक नहीं थे, बल्कि उन वीर जवानों की निशानी भी थे, जिन्होंने उन कठिन परिस्थितियों में उन्हें लेखक के साथ साझा किया।

युद्ध के परे वीरता की कहानियां

“Flowers on a Kargil Cliff” के लेखक और प्रसिद्ध डिफेंस रिपोर्टर विक्रमजीत सिंह ने उन ऊंचाइयों पर जो देखा, वह महज गोलियों और बारूद का मंज़र नहीं था। उन श्वेत हिमाच्छादित पर्वतों पर बिखरे खून के दाग़ थे, उन वीरों की असीम वीरता की निशानी के, जो वहां अपने परिवार और जीवन से दूर, हर पल मौत का सामना कर रहे थे। किताब में उन रातों का ज़िक्र है जब लेखक ने 12 जम्मू एंड कश्मीर लाइट इन्फैंट्री के जवानों के साथ 15,700 फीट पर छोटे-से तंबू में रात गुज़ारी, गोलियों की बौछार के बीच छिपते-छिपाते रिपोर्टिंग की और दुनिया को युद्ध की पहली-पहली झलक दिखाई। उस वक्त भारतीय सेना ने लेखक को यह खास अनुमति उसकी साहसिक पत्रकारिता की वजह से दी, जिसे उसने श्रीनगर में रहते हुए कश्मीर में कई ऑपरेशंस को कवर कर साबित किया था।

किताब में न केवल भारतीय बल्कि पाकिस्तानी सेना के वीरों की भी कहानियां हैं, जैसे कि कैप्टन रॉमल अकरम, जो अकेले लड़ते हुए बुरी तरह घायल हो गए थे। उसके चेहरे पर लगी गोली के ज़ख्म से बहता खून शायद यह चीख-चीख कर कह रहा था कि साहस न तो किसी सरहद में बंधा है और न ही किसी धर्म से बंधा।

किताब उन 244 पाकिस्तानी सैनिकों की भी बात करती है जो हिंदुस्तान की सरज़मीं में 25 सालों से दफ़्न हैं, जिनकी कब्रों पर उनकी माताओं ने अब तक कभी सिर नहीं झुकाया, लेकिन हर गर्मी में खिलने वाले जंगली फूल उनके लिए श्रद्धांजलि का गुलदस्ता बन जाते हैं।

प्रेम और बलिदान की छू लेने वाली कहानियां

इस किताब में युद्ध की कठोर सच्चाइयों के साथ-साथ प्रेम और बलिदान की कोमल कहानियां भी हैं। जैसे लांस नायक डुन नारायण श्रेष्ठ की पत्नी, टेक कुमारी, जो अपने पति के मारे जाने की खबर सुनने के बाद भी हर रोज़ सिंदूर लगाती थी और उसकी चूड़ियां अब भी उसे अपने सुहाग का एहसास दिलाती थीं, भले ही उसका पति कारगिल की गुफाओं में दो साल तक लापता और मृत पड़ा रहा।

फिर कैप्टन जिन्टू गोगोई और ऑल इंडिया रेडियो की अनजना पराशर की प्रेम कहानी, जो मौत को पार कर अमर हो गई, जब सालों बाद जन्मी अनजना की बेटी का जन्मदिन कैप्टन जिन्टू के जन्मदिन के दिन ही आया। यह महज एक संयोग नहीं, बल्कि शायद एक दिव्य संकेत था।

किताब के एक गोरखा सैनिक का भी फोटो है, जिसमें उसने अपने प्रतिद्वंद्वी पाकिस्तानी सैनिक के सिर के चारों ओर अपना सफेद रुमाल बांध दिया था, ताकि उसकी आत्मा को शांति मिले। यह वह मानवीयता है, जो युद्ध की भयावहता में भी जीवित रहती है।फोटो सेक्शन में ही, ‘काला पत्थर’ की पहाड़ी पर, एक भारतीय अधिकारी की अस्थियों को उड़ाते समय का फोटो भी है, जिसने युद्ध में अपने प्राण न्योछावर कर दिए थे।

युद्ध और जीवन का संगम

“Flowers on a Kargil Cliff” उन छोटे-छोटे फूलों की तरह है जो बर्फ के बीच खिले रहते हैं, उन वीर जवानों की यादों की तरह जो अपनी कहानियाँ बर्फ के सफेद पर्दे के नीचे छोड़ गए हैं। यह किताब न केवल उनके अदम्य साहस की, बल्कि उन सैनिकों के असली संघर्षों, प्रेम और दर्द की भी एक झलक देती है। लेखक ने इन कहानियों को इस तरह पेश किया है कि जिससे पाठक का दिल और दिमाग दोनों छू जाए।

“Flowers on a Kargil Cliff” उन छोटे-छोटे हिमालयी फूलों की तरह है, जो कठोर बर्फ के बीच भी खिलते हैं। यह किताब युद्ध के शौर्य, मानवीयता, और प्रेम की अनकही कहानियों की एक अद्भुत यात्रा है। इसमें वे यादें जीवित हैं, जो न केवल इतिहास की धरोहर हैं, बल्कि हमारी आत्मा को भी छू जाती हैं।

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