📍नई दिल्ली | 28 May, 2025, 2:19 PM
Tri-services Reform: रक्षा मंत्रालय ने एक बड़ा फैसला लिया है। अब थिएटर कमांड जैसे ट्राय सर्विसेज ऑर्गेनाइजेशंस के कमांडरों को अपने अधीन काम करने वाले सैनिकों और अधिकारियों पर अनुशासन और प्रशासन से जुड़ी शक्तियां मिलेंगी। ये नए नियम 27 मई, 2025 से लागू हो गए हैं। इनका मकसद सेना, नौसेना और वायुसेना के बीच बेहतर तालमेल बनाना और ट्राय सर्विसेज ऑर्गेनाइजेशंस को और मजबूत करना है। यह कदम रक्षा क्षेत्र में सुधारों की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है, खासकर तब जब देश में थिएटर कमांड की घोषणा जल्द होने की उम्मीद है।
रक्षा मंत्रालय ने कहा, “इंटर-सर्विसेज ऑर्गनाइजेशन (कमांड, कंट्रोल और डिसिप्लिन) अधिनियम, 2023 के तहत बनाए गए नियमों को राजपत्र में प्रकाशित किया गया है। ये नियम 27 मई, 2025 से लागू हैं।” ये नियम ट्राय सर्विसेज ऑर्गेनाइजेशंस, जैसे थिएटर कमांड, को बेहतर ढंग से चलाने में मदद करेंगे। थिएटर कमांड में तीनों सेनाओं के जवान और अधिकारी एक साथ एक कमांडर के नेतृत्व में काम करते हैं।
पिछले साल मई में यह अधिनियम बनाया गया था, और अब इसके नियम लागू किए गए हैं। इन नियमों के तहत कमांडरों को अपने अधीन काम करने वाले सैनिकों पर अनुशासन और प्रशासन से जुड़े फैसले लेने का अधिकार मिलेगा। इससे पहले कमांडरों के पास ऐसी शक्तियां नहीं थीं।
Tri-services Reform: थिएटर कमांड क्या है?
थिएटर कमांड एक ऐसी व्यवस्था है, जिसमें सेना, नौसेना और वायुसेना के जवान एक ही कमांडर के नेतृत्व में काम करते हैं। इस कदम का उद्देश्य तीनों सेनाओं के बीच बेहतर तालमेल और संयुक्त रणनीति को बढ़ावा देना है, ताकि युद्ध या अन्य रक्षा चुनौतियों में अधिक प्रभावी ढंग से कार्रवाई की जा सके। जल्द ही भारत में थिएटर कमांड की घोषणा होने की उम्मीद है।
Maj Gen Harsh Chibber, Commandant, CDM delivered the Opening Address on commencement of #HDMC21 at #CDM_IDS to nominated 154 Indian officers from #Triservices & 12 International officers. He congratulated participants on being selected for the prestigious course, a key milestone… pic.twitter.com/4wTxhPP5Cb
— HQ IDS (@HQ_IDS_India) May 27, 2025
रक्षा मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, “यह सुधार लंबे समय से प्रतीक्षित था, खासकर तब जब से चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) की नियुक्ति हुई है।” CDS का पद 2019 में बनाया गया था, जिसका मुख्य उद्देश्य तीनों सेनाओं के बीच समन्वय स्थापित करना और रक्षा सुधारों को लागू करना था। इस दिशा में अगस्त 2023 में लोकसभा और राज्यसभा ने इस अधिनियम को पारित किया था, जिसे राष्ट्रपति की मंजूरी भी मिली थी।
पहले क्या समस्या थी?
अभी तक ट्राय सर्विसेज ऑर्गेनाइजेशंस, जैसे अंडमान और निकोबार कमांड या स्ट्रैटेजिक फोर्सेज कमांड, में कमांडरों के पास अपने अधीन सैनिकों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई करने का अधिकार नहीं था। अगर किसी सैनिक या अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई करनी होती थी, तो उसे उसकी मूल सेवा (सेना, नौसेना या वायुसेना) में वापस भेजा जाता था। इससे समय और संसाधनों की बर्बादी होती थी।
उदाहरण के लिए, अंडमान और निकोबार कमांड, जो भारत का पहला ट्राय सर्विसेज ऑर्गेनाइजेशन है और 2001 में बनाया गया था, उसमें भी यही दिक्कत थी। अब नए नियमों से कमांडरों को यह शक्ति मिलेगी कि वे अपने संगठन में ही अनुशासन से जुड़े फैसले ले सकें।
नियमों का क्या फायदा होगा?
ये नियम ट्राय सर्विसेज ऑर्गेनाइजेशंस को और मजबूत करेंगे। अब कमांडर अपने अधीन सैनिकों पर वही अनुशासनात्मक और प्रशासनिक शक्तियां इस्तेमाल कर सकेंगे, जो सेना, नौसेना और वायुसेना के अपने-अपने अधिनियमों में हैं। इसका मतलब है कि अगर कोई सैनिक गलती करता है, तो उसे उसकी मूल सेवा में वापस भेजने की जरूरत नहीं पड़ेगी। कमांडर खुद कार्रवाई कर सकेंगे।
हालांकि, यह भी सुनिश्चित किया गया है कि सेना, नौसेना और वायुसेना की अपनी-अपनी खासियत और नियम-कायदे बरकरार रहेंगे। इससे तीनों सेनाओं की अलग-अलग पहचान और परंपराएं सुरक्षित रहेंगी।
यह शक्तियां मौजूदा सेना अधिनियम, 1950, नौसेना अधिनियम, 1957, और वायुसेना अधिनियम, 1950 के तहत दी गई अनुशासनात्मक और प्रशासनिक शक्तियों के समान होंगी। हालांकि, यह सुनिश्चित किया गया है कि प्रत्येक सेवा की विशिष्ट सेवा शर्तों में कोई बदलाव नहीं होगा।
वर्तमान में, ट्राय सर्विसेज ऑर्गेनाइजेशंस में सेवारत कर्मियों पर उनके संबंधित सेवा अधिनियम लागू होते हैं। उदाहरण के लिए, भारतीय सेना के जवान सेना अधिनियम, 1950 के तहत आते हैं, जबकि नौसेना और वायुसेना के कर्मी क्रमशः नौसेना अधिनियम, 1957 और वायुसेना अधिनियम, 1950 के तहत शासित होते हैं। नए नियमों के तहत, ट्राय सर्विसेज ऑर्गेनाइजेशंस के प्रमुखों को इन अधिनियमों के तहत सभी अनुशासनात्मक और प्रशासनिक शक्तियां दी जाएंगी, जिससे उन्हें अपने संगठन में सेवारत कर्मियों पर कार्रवाई करने का अधिकार मिलेगा।
थिएटर कमांड का एलान जल्द
रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि थिएटर कमांड की घोषणा जल्द ही हो सकती है। ये कमांड क्षेत्रीय स्तर पर बनाए जाएंगे, जैसे कि उत्तरी सीमा, पश्चिमी सीमा या समुद्री क्षेत्र के लिए अलग-अलग कमांड। प्रत्येक कमांड में तीनों सेनाओं के जवान और अधिकारी एक कमांडर के नेतृत्व में काम करेंगे। यह न केवल रणनीतिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि इससे संसाधनों का बेहतर उपयोग और तुरंत फैसले लेने में भी मदद मिलेगी।
भारत ने 2001 में अंडमान और निकोबार कमांड के साथ ट्राय सर्विसेज ऑर्गेनाइजेशन की शुरुआत की थी। यह कमांड हिंद महासागर क्षेत्र में भारत की रणनीतिक उपस्थिति को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसके बाद, स्ट्रैटेजिक फोर्सेज कमांड जैसे अन्य संगठन बनाए गए, जो परमाणु हथियारों और अन्य रणनीतिक संपत्तियों के प्रबंधन के लिए जिम्मेदार हैं। हालांकि, इन संगठनों में अनुशासनात्मक और प्रशासनिक शक्तियों की कमी एक बड़ी बाधा थी, जिसे अब नए नियमों के माध्यम से दूर किया जा रहा है।
भारत में अभी कुछ ट्राय सर्विसेज ऑर्गेनाइजेशंस हैं, जैसे-
- अंडमान और निकोबार कमांड 2001 में बना, जो हिंद महासागर में भारत की रणनीतिक स्थिति को मजबूत करता है।
- स्ट्रैटेजिक फोर्सेज कमांड: परमाणु हथियारों और रणनीतिक संपत्तियों का प्रबंधन करता है।
- सैन्य मामलों का विभाग: चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ के नेतृत्व में काम करता है।
नए नियमों के लागू होने से ट्राय सर्विसेज ऑर्गेनाइजेशंस की कार्यक्षमता में सुधार होगा। यह कदम न केवल सशस्त्र बलों के बीच बेहतर तालमेल सुनिश्चित करेगा, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा को भी मजबूत करेगा। विशेषज्ञों का कहना है कि थिएटर कमांड की स्थापना और इन नियमों का लागू होना भारत को आधुनिक युद्ध की चुनौतियों के लिए बेहतर ढंग से तैयार करेगा।
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रक्षा मंत्रालय ने यह भी स्पष्ट किया है कि इन नियमों का उद्देश्य प्रत्येक सेवा की विशिष्ट पहचान और परंपराओं को बनाए रखना है, ताकि सशस्त्र बलों की अनूठी संस्कृति और कार्यप्रणाली पर कोई असर न पड़े। यह कदम भारत की सैन्य रणनीति में एक नया अध्याय जोड़ने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।