📍नई दिल्ली | 2 months ago
Post Operation Sindoor: ऑपरेशन सिंदूर में आतंक के खिलाफ भारत ने जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाते हुए पाकिस्तान में मौजूद आतंकी ठिकानों को ध्वस्त किया। जिसके बाद पाकिस्तान ने भारत की पश्चिमी सीमा पर कई जगहों पर ड्रोन अटैक किए। ये ड्रोन अटैक राजस्थान से लेकर लद्दाख तक में किए गए। 6-7 मई से 10 मई 2025 तक चले इस संघर्ष में भारत ने पाकिस्तान को करारा जवाब दिया और पाकिस्तान के कई स्ट्रैटेजिक एयरबेसों को निशाना बनाया। वहीं, अब जो जानकारी सामने आ रही है, उससे लगता है कि इस जंग में पाकिस्तान अकेला नहीं था। बल्कि चीन ने पाकिस्तान को हर कदम पर मदद दी और यह भी अंदेशा लगाया जा रहा है कि पहलगाम हमले के पीछे भी चीन का ही हाथ था। भले ही लड़ाई पाकिस्तानी सेना लड़ रही थी लेकिन पर्दे के पीछे असली रिमोट चीन के पास था। चीन ने न केवल हथियार, खुफिया जानकारी, सैटेलाइट से निगरानी, साइबर वॉर में मदद की बल्कि अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी पाकिस्तान को कूटनीतिक सहारा दिया।
Post Operation Sindoor: ऑपरेशन सिंदूर: कैसे शुरू हुई यह जंग?
22 अप्रैल 2025 को, जब कश्मीर के पहलगाम में एक बड़ा आतंकी हमला हुआ। इस हमले में 26 लोग मारे गए, जिनमें ज्यादातर पर्यटक थे। हमले की जिम्मेदारी द रेजिस्टेंस फ्रंट (TRF) ने ली, जो पाकिस्तानी आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा का एक हिस्सा है। भारत ने इस हमले को बहुत गंभीरता से लिया और 6-7 मई को ऑपरेशन सिंदूर शुरू किया। इस ऑपरेशन में भारत ने पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में 9 जगहों पर आतंकी ठिकानों को नष्ट किया। भारत ने अपने राफेल, सुखोई-30 MKI, मिग-29 और मिराज 2000 जैसे फाइटर जेट्स का इस्तेमाल किया। इन जेट्स ने ब्रह्मोस मिसाइलें, SCALP क्रूज़ मिसाइलें और हारोप ड्रोन जैसे हथियारों से हमले किए।
दूसरी तरफ, पाकिस्तान ने अपने JF-17 और J-10C जेट्स से जवाबी हमले किए, जिसमें उसने चीन की बनी PL-15E मिसाइलें और CM-401 हाइपरसोनिक मिसाइलें दागीं।
🚨 Pakistan Air Defence Failure : गुस्से में पाकिस्तान! 🇵🇰
भारत की ब्रह्मोस मिसाइल के सामने HQ-9B और HQ-16 जैसे चीनी एयर डिफेंस सिस्टम फेल! चीन ने कहा – “इन्हें ब्रह्मोस को रोकने के लिए नहीं किया गया था डिज़ाइन” 😳🇨🇳 📲 पढ़ें पूरी रिपोर्ट: https://t.co/bmPz96VS3z#BrahMos…— Raksha Samachar | रक्षा समाचार 🇮🇳 (@RakshaSamachar) June 5, 2025
पहलगाम हमले के पीछे चीन का हाथ?
पाकिस्तान के एक पूर्व सैन्य अधिकारी आदिल राजा ने खुलासा किया है कि पहलगाम हमला पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल आसिम मुनीर ने चीन के इशारे पर करवाया था। आदिल राजा ने कहा कि चीन ने मुनीर को इस हमले का आदेश दिया, ताकि भारत पर दबाव बनाया जा सके। पहलगाम में हमले के बाद एक प्रतिबंधित हुवावे कंपनी के सैटेलाइट फोन का सुराग मिला था, जो चीन के Beidou नेविगेशन सिस्टम से जुड़ा था। इसका मतलब है कि पाकिस्तानी सेना और आतंकियों को चीन की सीधी मदद मिल रही थी।
चीन के हथियारों का हुआ इस्तेमाल
पाकिस्तान ने इस जंग में चीन के हथियारों और ड्रोनों का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल किया। स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (SIPRI) की एक रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्तान के 81 फीसदी हथियार चीन से आते हैं। इस जंग में पाकिस्तान ने PL-15E मिसाइलें दागीं, जो पंजाब के होशियारपुर में बिना टारगेट को हिट किए गिर गईं। JF-17 जेट्स ने CM-401 हाइपरसोनिक मिसाइलें दागीं, जो भारत के एयर डिफेंस का निशाना बन गईं। पाकिस्तान ने चीन के CH-4 ड्रोन भी इस्तेमाल किए, लेकिन भारत के S-400 एयर डिफेंस सिस्टम ने इन्हें आसानी से नष्ट कर दिया।
चीन ने दी सैटेलाइट और खुफिया जानकारी
चीन ने पाकिस्तान को 5 सैटेलाइट्स की मदद दी, ताकि वह भारतीय सेना की गतिविधियों पर नजर रख सके। रिपोर्ट्स के मुताबिक, चीन ने पाकिस्तान को रियल-टाइम खुफिया जानकारी दी और जमीनी व हवाई ऑपरेशनों में मदद की। चीन ने सैटेलाइट कवरेज को भारत की ओर इस तरह से एडजस्ट किया ताकि पाकिस्तान को ऑपरेशनल एडवांटेज मिल सके।
सेंटर फॉर जॉइंट वारफेयर स्टडीज़ – CENJOWS के डायरेक्टर रिटायर्ड मेजर जनरल डॉ. अशोक कुमार ने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान चीन की भूमिका पर कहा था, “चीन ने पाकिस्तान की मदद की ताकि वे अपने एयर डिफेंस रडार को दोबारा तैनात कर सकें और सैटेलाइट कवरेज को इस तरह एडजस्ट कर सकें कि भारत की ओर से होने वाली किसी भी हवाई गतिविधि की उन्हें पहले से जानकारी मिल जाए।”
उन्होंने यह भी खुलासा किया था, “इस युद्ध में चीन की मदद सिर्फ लॉजिस्टिक सपोर्ट तक सीमित नहीं थी, बल्कि यह रणनीतिक स्तर पर भी थी। चीन ने अपने डिफेंस सिस्टम्स को भारत के खिलाफ असली युद्ध में टेस्ट करने का मौका देखा और उसी उद्देश्य से पाकिस्तान को एडवाइस, टेक्नोलॉजी और सैटेलाइट इंटेलिजेंस उपलब्ध कराई।” मेजर जनरल डॉ. अशोक कुमार के मुताबिक, “हम अब अपनी हर मिलिट्री स्ट्रेटेजी में दो फ्रंट को ध्यान में रखते हैं, चीन के पास जो भी सिस्टम या हथियार हैं, उसे मान लेना चाहिए कि कल वे पाकिस्तान के पास होंगे।” कुल मिला कर माना जाए कि चीन और पाकिस्तान के संबंध इतने घनिष्ठ हो चुके हैं कि भारत को अब हर संभावित हमले में दोनों को एक साथ सोचकर तैयारी करनी होगी।
चीन ने फैलाया प्रोपेगंडा
चीन ने इस जंग में इन्फॉर्मेशन वॉरफेयर भी शुरू किया। कॉग्निटिव वॉरफेयर स्ट्रेटेजी में दुश्मन लोगों के दिमाग को प्रभावित करके उनके खिलाफ झूठी कहानियां फैलाता है। चीन ने सोशल मीडिया और मीडिया के जरिए भारत को बदनाम करने की कोशिश की। चीनी मीडिया ने पाकिस्तान का साथ देते हुए पहलगाम हमले में उसकी भूमिका को नकारा और इसे भारत का “फॉल्स फ्लैग ऑपरेशन” बताया। चीनी सोशल मीडिया पर ऐसी खबरें फैलाई गईं कि पाकिस्तान ने भारत के राफेल जेट्स को मार गिराया, जो सच नहीं था। चीनी ब्लॉगर्स और “वूमाओ सैनिकों” (5 सेंट आर्मी), जो पैसे लेकर प्रचार करते हैं) ने पाकिस्तान की मदद की और भारत को इस तरह से पेश किया कि जैसे वह हमलावर है। ये लोग पाकिस्तान की इंटर-सर्विसेज पब्लिक रिलेशंस (ISPR) से सीधे जानकारी ले रहे थे।
संयुक्त राष्ट्र में चीन का समर्थन
चीन ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में भी पाकिस्तान का साथ दिया। उसने तुर्की और बांग्लादेश के साथ मिलकर UNSC की काउंटर-टेररिज्म कमेटी 1267 में पहलगाम हमले की जिम्मेदार TRF (The Resistance Force) को बचाने की भी कोशिश की। इससे साफ है कि चीन हर मंच पर पाकिस्तान को बचाने की कोशिश कर रहा था।
भारत की जीत, चीन-पाकिस्तान की हार
चीन की सारी मदद के बावजूद, ऑपरेशन सिंदूर में पाकिस्तान हार गया। भारत ने न केवल 9 आतंकी ठिकानों को नष्ट किया, बल्कि पाकिस्तान की सेना को भी भारी नुकसान भी पहुंचाया। भारतीय वायुसेना ने 6 पाकिस्तानी फाइटर जेट्स, 2 हाई-वैल्यू सर्विलांस विमान, और एक C-130 मिलिट्री ट्रांसपोर्ट एय़रक्राफ्ट को भी नष्ट कर दिया। इसके अलावा, 10 से ज्यादा आर्म्ड ड्रोन, कई क्रूज़ मिसाइलें, और रडार साइट्स को भी निशाना बनाया। चीन के HQ-9B और HQ-16 एय़र डिफेंस सिस्टम भारत की मिसाइलों के सामने टिक नहीं पाए।
पाकिस्तान ने कहा कि भारत ने 19 जगहों पर हमला किया, जबकि भारत का दावा है कि उसने सिर्फ 11 जगहों को निशाना बनाया। शायद पाकिस्तान खुद को पीड़ित दिखाने के लिए ऐसा कह रहा है।
चीन की हकीकत सामने आई
यह पहली बार था जब चीन की हथियार प्रणालियों का असली जंग में टेस्ट हुआ। चीन की PL-15E मिसाइलें, CM-401 हाइपरसोनिक मिसाइलें, और HQ-9B सिस्टम सब नाकाम रहे। इससे सवाल उठ रहे हैं कि क्या चीन की तकनीक असली जंग में काम कर सकती है? यह चीन के हथियार निर्यात के लिए भी झटका है, क्योंकि अब दूसरे देश उस पर भरोसा करने से पहले दो बार सोचेंगे।
पाकिस्तान को क्यों इस्तेमाल कर रहा है चीन?
चीन पाकिस्तान को एक रणनीतिक मोहरे के तौर पर इस्तेमाल कर रहा है। इसका मकसद है भारत को दबाव में रखना, ताकि चीन अपनी क्षेत्रीय महत्वाकांक्षाएं पूरी कर सके। चीन, पाकिस्तान को अपने हितों के लिए इस्तेमाल कर रहा है। इसके पीछे कई कारण हैं। चीन, भारत को अपनी राह का रोड़ा मानता है। वह पाकिस्तान का इस्तेमाल करके भारत पर दबाव बनाना चाहता है। भारत की आर्थिक तरक्की और चीन से कई कंपनियों का भारत आना उसे परेशान कर रहा है।
वहीं, पाकिस्तान की भौगोलिक स्थिति चीन के लिए बहुत अहम है। यह चीन को हिंद महासागर तक पहुंच देता है, जिससे वह मलक्का स्ट्रेट की समस्या से बच सकता है। पाकिस्तान, चीन के “स्ट्रिंग ऑफ पर्ल्स” रणनीति का हिस्सा है, जिसके तहत वह भारत को घेरना चाहता है।
इसके अलावा, भारत में मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स का बढ़ना और चीन की अर्थव्यवस्था का कमज़ोर होना भी एक वजह है। चीन नहीं चाहता कि भारत निवेश के लिए एक सुरक्षित जगह बने, इसलिए उसने पाकिस्तान से आतंकी हमले करवाए।
चीन की मदद के बावजूद, पाकिस्तान ने इस 4 दिनों की छोटी सी जंग में मुंह की खाई। भारत की स्वदेशी ब्रह्मोस मिसाइल और S-400 सिस्टम के आगे चीन के हथियार कमजोर साबित हुए। भारत ने साफ कर दिया कि वह किसी भी आतंकी हमले का मज़बूत जवाब देगा और आतंकियों व उनके समर्थक देशों में फर्क नहीं करेगा। भारत ने यह भी कहा कि वह परमाणु हथियारों के डर को स्वीकार नहीं करेगा।