ऑपरेशन सिंदूर सिर्फ पहलगाम आतंकी हमले का जवाब नहीं था, बल्कि यह भारत द्वारा बीते दो दशकों से पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद के खिलाफ एक सुनियोजित और निर्णायक सैन्य कार्रवाई थी। यह ऑपरेशन 2019 की बालाकोट स्ट्राइक से कई मायनों में अलग और अधिक परिपक्व था। भारत ने इस बार सैटेलाइट इमेज, ड्रोन फुटेज, और खुफिया समन्वय के साथ सटीक लक्ष्य तय किए और हमले के कुछ ही घंटों में सबूत भी सार्वजनिक किए। विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने प्रेस कांफ्रेंस में ऑपरेशन की पुष्टि करते हुए बताया कि इन हमलों में 90 से अधिक आतंकवादी मारे गए...
📍नई दिल्ली | 3 months ago
Operation Sindoor vs Balakot Strike: भारत ने बुधवार को “ऑपरेशन सिंदूर” के तहत पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत जम्मू-कश्मीर (पीओके) में 9 आतंकी ठिकानों पर सटीक हमले किए। यह ऑपरेशन 22 अप्रैल 2025 को पहलगाम में हुए आतंकी हमले का जवाब था, जिसमें 26 लोग मारे गए थे। साथ ही, यह पिछले दो दशकों के पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद, जैसे संसद हमला (2001), मुंबई हमला (2008), उरी (2016), और पुलवामा (2019) के खिलाफ भारत की निर्णायक कार्रवाई थी। लेकिन यह ऑपरेशन 2019 की बालाकोट एयर स्ट्राइक से कई मायनों में अलग है। बालाकोट से मिली सीख ने ऑपरेशन सिंदूर को और प्रभावी और सटीक बनाया। आइए, जानते हैं कि दोनों में क्या अंतर है और भारत ने बालाकोट से क्या सबक लिया?
Operation Sindoor vs Balakot Strike: बालाकोट स्ट्राइक
14 फरवरी 2019 को पुलवामा में सीआरपीएफ के काफिले पर आत्मघाती हमला हुआ था, जिसमें 40 जवान शहीद हुए थे। इसके जवाब में 26 फरवरी 2019 को भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में बालाकोट के जैश-ए-मोहम्मद (JeM) के आतंकी प्रशिक्षण शिविर पर हवाई हमला किया। इस ऑपरेशन में मिराज-2000 लड़ाकू विमानों ने 1000 किलोग्राम के स्पाइस-2000 बमों का इस्तेमाल किया, जिससे जैश का शिविर तबाह हो गया। भारत ने दावा किया कि 300 से अधिक आतंकी मारे गए, हालांकि पाकिस्तान ने इसे खारिज किया।
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— Raksha Samachar | रक्षा समाचार 🇮🇳 (@RakshaSamachar) May 7, 2025
बालाकोट स्ट्राइक ने दिखाया कि आतंकवाद के खिलाफ भारत जीरो टॉलरेंस नीति रखता है। यह पहली बार था जब भारतीय वायुसेना ने एलओसी को पार करके पाकिस्तान में घुसकर हमला किया। लेकिन इस ऑपरेशन में कुछ चुनौतियां भी सामने आईं, जिन्हें भारत ने ऑपरेशन सिंदूर में सुधारा।
ऑपरेशन सिंदूर
ऑपरेशन सिंदूर में भारतीय वायुसेना ने राफेल, मिराज, मिग-29 औऱ जैगुआर लड़ाकू विमानों का इस्तेमाल किया गया। इस हमले में स्कैल्प क्रूज मिसाइलों औऱ हैमर बमों का इस्तेमाल किया। बुधवार तड़के 1:44 बजे नौ आतंकी ठिकानों पर हमले किए गए, जिनमें बहावलपुर (जैश-ए-मोहम्मद का मुख्यालय) और मुरीदके (लश्कर-ए-तैयबा का आधार) शामिल थे। बहावलपुर को राफेल ने निशाना बनाया, तो बाकी आतंकी अड्डों को नेस्तानाबूद करने में मिराज, मिग-29 औऱ जैगुआर लड़ाकू विमानों का इस्तेमाल किया गया।
विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने बताया कि इन हमलों में 90 से अधिक आतंकी मारे गए और 60 से ज्यादा घायल हुए। हालांकि बालाकोट की तरह इस हमले में भी किसी भी पाकिस्तानी सैन्य ठिकाने को निशाना नहीं बनाया गया।
बालाकोट और ऑपरेशन सिंदूर में क्या है अंतर
बालाकोट में मिराज-2000 विमानों ने एक बड़े आतंकी शिविर को निशाना बनाया, लेकिन हमले के बाद पाकिस्तान ने नुकसान को कम करके दिखाया। जबकि ऑपरेशन सिंदूर में भारत ने 9 ठिकानों को निशाना बनाया। स्कैल्प मिसाइलों ने छोटे-छोटे ठिकानों को भी सटीकता से नष्ट किया। इसके अलावा भारत ने इस बार ड्रोन और सैटेलाइट इमेजरी का भी बेहतर इस्तेमाल किया, जिससे खुफिया जानकारी अधिक विश्वसनीय थी।
बालाकोट स्ट्राइक के बाद भारत ने अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस जैसे देशों को जानकारी दी, लेकिन कुछ देशों ने इसकी आलोचना की थी। लेकिन ऑपरेशन सिंदूर में भारत ने पहले से ही वैश्विक समुदाय को भरोसे में लिया। हमले के तुरंत बाद अमेरिका, रूस, ब्रिटेन, चीन और सऊदी अरब को कार्रवाई की जानकारी दी गई। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) के 25 अप्रैल के बयान, जिसमें आतंकवादियों को जवाबदेह ठहराने की बात थी, को भारत ने अपने पक्ष में इस्तेमाल किया।
इसके अलावा सबसे बड़ी बात यह कि बालाकोट स्ट्राइक का उद्देश्य आतंकियों को चेतावनी देना था, लेकिन इसका दायरा सीमित था। ऑपरेशन सिंदूर ने न केवल पहलगाम हमले का जवाब दिया, बल्कि दो दशकों के आतंकवाद का हिसाब भी लिया। प्रेस कॉन्फ्रेंस में दिखाए गए 1 मिनट 40 सेकंड के वीडियो ने 2001 से 2025 तक के हमलों को सबसे सामने रखा, जिससे भारत ने वैश्विक स्तर पर पाकिस्तान को बेनकाब किया।
इस बार तुरंत सामने रखे सबूत
बालाकोट के बाद सबूतों की मांग ने सरकार को बैकफुट पर ला दिया था। विपक्ष ने सवाल उठाए, और पाकिस्तान ने प्रचार किया कि कोई बड़ा नुकसान नहीं हुआ। लेकिन ऑपरेशन सिंदूर में भारत ने पहले ही सबूत तैयार रखे। हमले के कुछ घंटों बाद ही प्रेस विज्ञप्ति और सुबह प्रेस कॉन्फ्रेंस में सैटेलाइट तस्वीरें और वीडियो पेश किए गए। इससे न केवल विपक्ष के सवालों को ऑपरेशन की सफलता पर सवाल उठाने का मौका ही नहीं मिला, साथ ही वीडियो और फोटोग्राफ के जरिए पाकिस्तान के झूठ को भी बेनकाब किया गया।
सटीक खुफिया जानकारी
बालाकोट में खुफिया जानकारी पर कुछ सवाल उठे थे, क्योंकि पाकिस्तान ने नुकसान को कम करके दिखाया था। साथ ही उस समय हमारे पास सीधे विजुअल्स नहीं थे। जिससे पाकिस्तान स्ट्राइक की सफलता पर सवाल उठा रहा था। लेकिन ऑपरेशन सिंदूर में भारत ने राष्ट्रीय तकनीकी अनुसंधान संगठन (एनटीआरओ), रॉ, और सैन्य खुफिया एजेंसियों के बीच बेहतर समन्वय किया। सैटेलाइट इमेज और ड्रोन ने ठिकानों की सटीक जानकारी दी, जिससे हमले अधिक प्रभावी हुए।
मीडिया और जनता को विश्वास में लिया
बालाकोट में सबूतों की देरी ने विपक्ष और पाकिस्तान को सवाल उठाने का मौका दिया। बालाकोट एयर स्ट्राइक के बाद भारत सरकार की ओर से आधिकारिक प्रेस कॉन्फ्रेंस 26 फरवरी 2019 को दोपहर में हुई थी। प्रेस कॉन्फ्रेंस में विदेश सचिव विजय गोखले ने स्ट्राइक के बारे में जानकारी दी थी, लेकिन सार्वजनिक रूप से कोई ठोस सबूत, जैसे सैटेलाइट तस्वीरें, ड्रोन फुटेज, या वीडियो, नहीं दिखाए थे। गोखले ने बताया था कि भारतीय वायुसेना ने खैबर पख्तूनख्वा के बालाकोट में जैश-ए-मोहम्मद के आतंकी शिविर पर सटीक हमला किया, जिसमें “बड़ी संख्या में आतंकी, प्रशिक्षक, और कमांडर” मारे गए। उन्होंने यह भी कहा कि यह कार्रवाई खुफिया जानकारी के आधार पर की गई थी, जिसके अनुसार जैश भारत में और हमले की योजना बना रहा था। हालांकि, प्रेस कॉन्फ्रेंस में केवल मौखिक बयान दिए गए, और कोई दृश्य सबूत (जैसे तस्वीरें या वीडियो) साझा नहीं किए गए। इसकी वजह से पाकिस्तान और भारत के कुछ विपक्षी दलों ने सबूतों की मांग की थी।
वहीं, ऑपरेशन सिंदूर में भारत ने तथ्यों के साथ प्रेस कॉन्फ्रेंस की। वीडियो और खुफिया जानकारी साझा करके सरकार ने जनता का भरोसा जीता।
विशेषज्ञों का मानना है कि भारत ने बालाकोट की कमियों को सुधारकर ऑपरेशन सिंदूर को एक मॉडल ऑपरेशन बनाया। रक्षा विशेषज्ञ राहुल बेदी ने कहा, “ऑपरेशन सिंदूर भारत की सैन्य और कूटनीतिक परिपक्वता को दर्शाता है। यह दिखाता है कि भारत अब पहले से ज्यादा तैयार और आत्मविश्वास से भरा है।”
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ऑपरेशन सिंदूर को देश भर में समर्थन मिला। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, “हमारे सैनिकों ने आतंकियों को उनके घर में घुसकर सजा दी। यह भारत की नई ताकत है।” कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और राहुल गांधी ने भी सेना की कार्रवाई की सराहना की। खड़गे ने कहा, “आतंकवाद के खिलाफ भारत एकजुट है।”