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📍नई दिल्ली | 5 months ago

New Chinese Settlement: भारत और चीन के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर जारी गतिरोध के बीच बड़ा खुलासाा हुआ है। नई जारी सैटेलााइट तस्वीरों के मुताबिक लद्दाख के पैंगोंग झील के दक्षिणी किनारे पर चीन ने एक नई बस्ती तैयार कर ली है। सैटेलाइट इमेजरी से पता चला है कि इस इलाके में तकरीबन 91 नई इमारतें बनाई गई हैं। ये नई इमारतें न केवल आधुनिक हैं, बल्कि इन पर मौसम की मार का भी कोई असर नहीं पड़ता है। हालांकि यह नई बस्ती 1962 से चीन के कब्जे वाले क्षेत्र में स्थित है।

New Chinese Settlement Near Pangong: Roads, Power, and Buildings What’s China Plan Near LAC?

New Chinese Settlement: रेचिन ला पोस्ट से 20 किलोमीटर की दूर है नई बस्ती

यह नई चीनी बस्ती लइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल से लगभग 7 किलोमीटर पूर्व में स्थित है और रेचिन ला पोस्ट से 20 किलोमीटर की दूरी पर है। यह वही इलाका है, जहां 2020 में भारत और चीन के सैनिकों के बीच तनातनी शुरू हुई थी। इस इलाके में पहले से ही एक चीनी पुल मौजूद था, जो पैंगोंग झील के उत्तर और दक्षिणी किनारों को जोड़ता था। सैटेलाइट इमेजरी के अनुसार, इस क्षेत्र में पक्की सड़कें, बिजली के ट्रांसफार्मर, स्ट्रीट लाइट्स और एक प्रशासनिक केंद्र जैसी सुविधाएं हैं। इसके अलावा, यहां एक सीमेंट प्लांट भी एक्टिव है, जिससे पता लगता है कि इस इलाके में निर्माण कार्य अभी भी जारी है।

New Chinese Settlement: अपनी मौजूदगी मजबूत करना चाहती है चीनी सेना

भारतीय सेना ने इस रिपोर्ट पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि यह बस्ती LAC से दूर है और किसी भी सीमा समझौते का उल्लंघन नहीं करती है। सेना के अनुसार, “स्पैंगगुर झील के उत्तर-पूर्वी किनारे पर यह नया चीनी निर्माण संभवतः एक सीमा बस्ती हो सकती है। यह स्थान वास्तविक नियंत्रण रेखा से दूर स्थित है और किसी भी मौजूदा समझौते का उल्लंघन नहीं करता है।”

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हालांकि, सैन्य विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह के इंफ्रास्ट्रक्चर बना कर चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) इस इलाके में अपनी मौजूदगी मजबूत करना चाहती है। इससे PLA को तैनाती में आसानी होगी और उसका रेस्पॉन्स टाइम बढ़ जाएगा। उनका कहना है कि इस तरह की बस्ती का इस्तेमाल दोहरे उद्देश्यों के लिए किया जा सकता है, एक ओर स्थानीय चरवाहों को बसाने के लिए, तो दूसरी ओर सैनिकों को रणनीतिक रूप से तैनात करने के लिए।

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Image Source: @detresfa_

New Chinese Settlement: नया निर्माण वास्तविकता को बदलने का प्रयास

रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल डीएस हुड्डा भी मानते हैं कि नई बस्ती चीन की उस रणनीति का हिस्सा है, जिसके तहत वह LAC के पास बुनियादी ढांचा तैयार करके अपनी सेना की तैनाती को मजबूत कर रहा है। वहीं, लेफ्टिनेंट जनरल सतीश दुआ (रिटायर्ड) का कहना है कि यह निर्माण पैंगोंग झील के उत्तरी किनारे पर पहले से मौजूद स्ट्रक्चर की तरह ही है और इसका मुख्य उद्देश्य PLA की लॉजिस्टिक्स क्षमता को बढ़ाना है। वह कहते हैं कि चीन पैंगोंग झील के उत्तर और दक्षिण में पीएलए की मौजूदगी को स्थायी बनाना चाहता है।

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सैटेलाइट इमेजरी एनालिस्ट डेमियन सायमॉन के अनुसार, यह नया निर्माण वास्तविकता को बदलने का प्रयास है और 2020 से पहले की स्थिति को और अधिक जटिल बना रहा है। उन्होंने कहा कि इस तरह के निर्माण से चीनी सेना के लिए सालभर निगरानी और तैनाती की सुविधा आसान हो जाती है, जिससे उनकी प्रतिक्रिया क्षमता काफी बढ़ जाती है।

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भारत का ‘वाइब्रेंट विलेज’ प्रोग्राम

भारत ने भी चीन की इस रणनीति का जवाब देने के लिए ‘वाइब्रेंट विलेज’ योजना की शुरुआत की है। 2022 में शुरू किए गए इस कार्यक्रम का उद्देश्यत चीन से सटी सीमाओं पर बसे गांवों में बेसिक इंफ्रास्ट्रक्चर और आजीविका को बेहतर बनाना है। इस योजना के तहत 2022-26 के दौरान 4,800 करोड़ रुपये की लागत से अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और लद्दाख में 2,967 गांवों को विकसित किया जाएगा। पहले चरण में 663 गांवों को चुना गया है।

इस योजना का उद्देश्य न केवल चीन की रणनीतिक बस्तियों का जवाब देना है, बल्कि सीमावर्ती इलाकों में रहने वाले लोगों को बेहतर सुविधाएं प्रदान कर पलायन को रोकना और सुरक्षा को मजबूत करना भी है। इस पहल के तहत ऑल-वेदर रोड, नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत और पर्यटन को बढ़ावा देने पर ध्यान दिया जा रहा है, ताकि सीमाई इलाकों में आबादी बनी रहे और चीन के अतिक्रमण की संभावनाएं कम हो सकें।

चीन ने 38,000 वर्ग किमी इलाके पर किया कब्जा

भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने दिसंबर 2024 में संसद को बताया था कि चीन 38,000 वर्ग किलोमीटर भारतीय क्षेत्र (अक्साई चिन) पर अवैध कब्जा कर चुका है। इसके अलावा, पाकिस्तान ने 5,180 वर्ग किलोमीटर भारतीय क्षेत्र को चीन को सौंप दिया था, जिस पर वह 1948 से काबिज है।

भारत और चीन के बीच सीमा विवाद को हल करने के लिए कई दौर की वार्ताएं हो चुकी हैं, लेकिन अब तक कोई ठोस समाधान नहीं निकला है। दोनों देशों के बीच सीमा पर शांति बनाए रखने के लिए विभिन्न समझौते हुए हैं, लेकिन चीन की ओर से बार-बार किए जाने वाले अतिक्रमण और तेजी से किए जा रहे निर्माण कार्यों से तनाव बढ़ता जा रहा है।

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