📍नई दिल्ली | 17 Jul, 2025, 10:15 PM
India Showcases Missile Power: भारत ने 16 और 17 जुलाई 2025 को रक्षा क्षेत्र में तीन बड़ी उपलब्धियां हासिल की हैं। भारत ने एक ही दिन में तीन अहम मिसाइल परीक्षण कर दुनियाभर को अपनी रणनीतिक और तकनीकी ताकत का परिचय दिया है। गुरुवार को ओडिशा के चांदीपुर स्थित इंटीग्रेटेड टेस्ट रेंज से शॉर्ट-रेंज बैलिस्टिक मिसाइलों पृथ्वी-2 और अग्नि-1 का सफल परीक्षण किया गया। वहीं बुधवार को लद्दाख के हाई एल्टीट्यूड इलाके में भारतीय सेना और डीआरडीओ ने आकाश प्राइम मिसाइल का सफलतापूर्वक परीक्षण किया।
India Showcases Missile Power: पृथ्वी-2 और अग्नि-1 का सफल परीक्षण
पृथ्वी-2 और अग्नि-1 मिसाइलों का सफल परीक्षण 17 जुलाई 2025 को ओडिशा के चांदीपुर में इंटीग्रेटेड टेस्टिंग रेंज में किया गया। ये दोनों छोटी दूरी की बैलिस्टिक मिसाइलें हैं, जो भारत की सामरिक ताकत का अहम हिस्सा हैं। ये दोनों मिसाइलें परमाणु प्रतिरोधक क्षमता (nuclear deterrence capability) को मजबूती देती हैं। दोनों मिसाइलों के परीक्षण स्ट्रैटेजिक फोर्सेज कमांड की निगरानी में किए गए। रक्षा मंत्रालय ने बयान में कहा कि दोनों मिसाइलों ने अपने-अपने ऑपरेशनल और तकनीकी मापदंडों को पूरी तरह सफलतापूर्वक पूरा किया।
🚨 BREAKING: India successfully test-fires Prithvi-II and Agni-1 ballistic missiles today from Chandipur, Odisha!
✅ All operational & technical parameters validated
✅ Launched under the Strategic Forces Command
✅ Big boost to India’s credible deterrence posture
🇮🇳 #Agni1…— Raksha Samachar | रक्षा समाचार 🇮🇳 (@RakshaSamachar) July 17, 2025
पृथ्वी-2 एक कम दूरी की बैलिस्टिक मिसाइल है, जो सतह से सतह पर मार करती है और लगभग 350 किलोमीटर तक लक्ष्य भेद सकती है। यह मिसाइल तरल ईंधन (liquid fuel) से चलती है और अपने सटीक निशाने के लिए जानी जाती है।
वहीं, अग्नि-1, पृथ्वी-2 के मुकाबले थोड़ी लंबी दूरी की मिसाइल है, जिसकी मारक क्षमता लगभग 700 किलोमीटर तक है। यह ठोस ईंधन (solid fuel) से ऑपरेट होती है।
लद्दाख में ‘आकाश प्राइम’ का धमाका
दूसरी ओर, लद्दाख के कठिन और हाई एल्टीट्यूड इलाके में 16 जुलाई को ‘आकाश प्राइम’ मिसाइल का सफल परीक्षण हुआ। यह मिसाइल भारतीय सेना के लिए तैयार किए गए ‘आकाश’ एयर डिफेंस सिस्टम का अपग्रेडेड वर्जन है। इसका परीक्षण 4,500 मीटर से ज्यादा ऊंचाई पर किया गया। लद्दाख के हाई एल्टीट्यूड इलाके में जहां मौसम बेहद चुनौतीपूर्ण रहता है और ऑक्सीजन की कमी और तेज हवाएं आम हैं, जो किसी भी विपन सिस्टम के लिए चुनौतीपूर्ण होता है। यह एक बड़ी उपलब्धि है क्योंकि अधिकांश एय़र डिफेंस सिस्टम इतनी ऊंचाई पर टेस्ट नहीं किए जाते।
🚨 BREAKING VIDEO | Akash Prime Missile Test in Ladakh! 🇮🇳
The Indian Army has successfully conducted high-altitude trials of the indigenous Akash Prime air defence system at 15,000 ft in Ladakh.
🔹 2 direct hits on fast-moving aerial targets
🔹 Joint trials by Army Air Defence &… https://t.co/gUumZihkQ3 pic.twitter.com/xjb5YNkWkc— Raksha Samachar | रक्षा समाचार 🇮🇳 (@RakshaSamachar) July 17, 2025
यह सिस्टम 30-35 किलोमीटर की दूरी तक टारगेट को निशाना बना सकता है। और 18-20 किलोमीटर की ऊंचाई तक प्रभावी है। यह लड़ाकू विमानों, क्रूज मिसाइलों, और ड्रोनों जैसे खतरों से निपटने में सक्षम है। आकाश प्राइम में रडार, कमांड-एंड-कंट्रोल सिस्टम, और मिसाइल लॉन्चर एक साथ काम करते हैं, जिससे यह एक मल्टी लेयर्ड डिफेंस सिस्टम बन जाता है। इसके रडार को ‘राजेंद्र’ कहा जाता है, दो 360-डिग्री कवरेज प्रदान करता है और एक साथ कई लक्ष्यों को ट्रैक कर सकता है।
लगाया स्वदेशी रेडियो फ्रीक्वेंसी सीकर
परीक्षण के दौरान आकाश प्राइम ने दो तेज रफ्तार से उड़ने वाले ड्रोन को सफलतापूर्वक मार गिराया। आकाश प्राइम में सबसे महत्वपूर्ण तकनीकी सुधार इसका स्वदेशी विकसित रेडियो फ्रीक्वेंसी सीकर (Radio Frequency Seeker) है, जो लक्ष्य की सटीक पहचान कर मिसाइल को गाइडेंस देता है। यह सीकर किसी भी एरियल टारगेट को ट्रैक करके उसी दिशा में मिसाइल को कंट्रोल करता है, जिससे मिसाइल सटीक निशाना लगाती है। अभी तक यह तकनीक पहले सिर्फ कुछ गिने-चुने देशों के पास थी।
सेना को जल्द सप्लाई की उम्मीद
इस सिस्टम का परीक्षण ‘फर्स्ट ऑफ प्रोडक्शन मॉडल फायरिंग ट्रायल’ के तहत किया गया, जिसका मकसद सेना को जल्द से जल्द इसकी सप्लाई सुनिश्चित करना है। इस परीक्षण में भारतीय सेना की आर्मी एयर डिफेंस यूनिट, डीआरडी, भारत डायनामिक्स लिमिटेड, भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड और कई निजी रक्षा कंपनियों ने हिस्सा लिया। इन परीक्षणों के सफल होने के बाद अब इसे जल्द ही सीमावर्ती क्षेत्रों में तैनात किया जा सकेगा।
ऑपरेशनल फीडबैक से बनी और बेहतर
आकाश प्राइम को सेना द्वारा दिए गए ऑपरेशनल फीडबैक के आधार पर अपग्रेड किया गया है। इसका मतलब यह है कि सिस्टम को युद्ध के वास्तविक अनुभवों को ध्यान में रखते हुए संशोधित और बेहतर बनाया गया है। यही नहीं, यह सिस्टम अब ऊंचाई वाले क्षेत्रों में भी आसानी से काम कर सकता है, जो पहले के सिस्टम के लिए मुश्किल था।
ऑपरेशन सिंदूर में आकाश ने मनवाया था लोहा
यह उपलब्धि उस समय हासिल हुई है, जब कुछ ही समय पहले ही भारत ने ऑपरेशन सिंदूर में पाकिस्तान के हवाई हमलों को सफलतापूर्वक नाकाम किया था। उस समय भी आकाश मिसाइल सिस्टम की अहम भूमिका थी। उस ऑपरेशन के दौरान पाकिस्तान द्वारा प्रयोग किए गए चीनी ड्रोन और तुर्की के हवाई प्लेटफॉर्म्स को भारतीय रक्षा प्रणाली ने रोकने में सफलता पाई थी।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इस उपलब्धि पर भारतीय सेना, डीआरडीओ और इस परीक्षण में शामिल होने वाली कंपनियों को बधाई दी है। उन्होंने इसे हाई एल्टीट्यूड एयर डिफेंस यानी ऊंचाई वाले क्षेत्रों में हवाई सुरक्षा के लिए एक बड़ी छलांग बताया है।
वहीं, रक्षा अनुसंधान एवं विकास विभाग के सचिव और डीआरडीओ अध्यक्ष डॉ. समीर वी कामत ने कहा कि यह मिसाइल अब देश की महत्वपूर्ण वायु रक्षा आवश्यकताओं को पूरा करने में पूरी तरह सक्षम है। उन्होंने इस सफलता के लिए सभी वैज्ञानिकों और तकनीकी विशेषज्ञों को धन्यवाद दिया।
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