रक्षा समाचार WhatsApp Channel Follow US
Read Time 0.12 mintue

📍नई दिल्ली | 10 months ago

Donald Trump impact on India-US defense deals: डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) के राष्ट्रपति पद संभालने के साथ, भारत-अमेरिका रक्षा समझौतों (Defence Deals) में तेजी आने की संभावनाएं बढ़ रही हैं। एतिहासिक रूप से सैन्य संबंधों को मजबूत करने पर केंद्रित ट्रंप प्रशासन, प्रमुख रक्षा सौदों को प्राथमिकता दे सकता है, ताकि वैश्विक रक्षा बाजार में अमेरिकी हथियारों की प्रतिस्पर्धा बरकरार रहे। साथ ही ट्रंप प्रशासन की कोशिश हो सकती है, जिन रक्षा सौदों में देरी हो रही है, उन्हें सुलझाया और तेजी से आगे बढ़ाया जाए। ताकि भारत-अमेरिका रक्षा सहयोग बढ़ाने में मदद मिल सके।

भारत के डिफेंस कॉन्ट्रैक्ट्स पर अमेरिका की नजर

वर्तमान में भारत के सबसे बड़े लंबित डिफेंस कॉन्ट्रैक्ट्स में से एक, भारतीय वायु सेना का 114 मल्टी-रोल फाइटर एयरक्राफ्ट (एमआरएफए) खरीदने का प्रस्ताव है। इस दौड़ में रूस के सुखोई-35 और मिग-35, फ्रांस का राफेल, अमेरिका का एफ-21 और एफ/ए-18, स्वीडन का ग्रिपेन और यूरोफाइटर टाइफून शामिल हैं।

हाल ही में, भारतीय वायु सेना की तरफ से आयोजित तरंग शक्ति बहुराष्ट्रीय वायु अभ्यास में अंतरराष्ट्रीय रक्षा निर्माताओं ने अपने विमानों का प्रदर्शन किया। अमेरिका ने अपने एडवांस एफ-21 फाइटिंग फाल्कन, जो एफ-16 का आधुनिक संस्करण है, को इस प्रतिस्पर्धा में एक प्रमुख दावेदार के रूप में प्रस्तुत किया। ट्रंप के सत्ता में लौटने के बाद अमेरिका इस सौदे के लिए भारत के साथ डील की कोशिशें कर सकता है।

ड्रोन और परमाणु ऊर्जा समझौतों पर प्रगति

भारत ने हाल ही में 3 अरब डॉलर के समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं, जिसके तहत भारत में अमेरिकी तकनीकी सहायता से 31 एमक्यू-9बी सी गार्जियन और स्काई गार्जियन सशस्त्र ड्रोन का निर्माण होगा। इस समझौते के अंतर्गत, जनरल एटॉमिक्स ने भारत में एक वैश्विक मेंटेनेंस, रिपेयर और ओवरहॉल (एमआरओ) सुविधा स्थापित करने का वादा भी किया है। ट्रंप प्रशासन के कार्यकाल में इस डील के कार्यान्वयन में तेजी आने की उम्मीद की जा सकती है।

यह भी पढ़ें:  Pantsir air defence missile-gun system: भारत आ रहा है यह खास एयर डिफेंस सिस्टम, भारत डायनामिक्स लिमिटेड और रूस की Rosoboronexport के बीच हुआ समझौता

इसके अलावा, भारत-अमेरिका के बीच परमाणु ऊर्जा सहयोग में भी विस्तार के लिए संभावनाएं बढ़ गई हैं। छोटे मॉड्यूलर रिएक्टर तकनीक के संयुक्त विकास पर चर्चा हो रही है। जिस पर ट्रंप प्रशासन भी जोर दे सकता है।

रक्षा उत्पादन साझेदारी को मजबूत करना

जीई एयरोस्पेस और हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) के बीच जीई एफ-414 जेट इंजनों का भारत में सह-उत्पादन और तकनीकी हस्तांतरण पर वार्ता जारी है। ट्रंप प्रशासन के तहत इस तरह के हाई-प्रोफाइल अंतरराष्ट्रीय सहयोग को और मजबूत बनाने का प्रयास किया जा सकता है।

भारतीय सेना में बढ़ रहे हैं अमेरिकी हथियार

साल 2000 से लेकर अब तक भारत ने अमेरिका से कई प्रमुख सैन्य उपकरण खरीदे हैं, जिनमें अपाचे अटैक हेलीकॉप्टर, एजीएम-114 हेलफायर एंटी-टैंक मिसाइल, स्टिंगर पोर्टेबल सरफेस-टू-एयर मिसाइल, चिनूक हेवी-लिफ्ट हेलीकॉप्टर, सी-130 सुपर हरक्यूलिस, सी-17 ग्लोबमास्टर जैसे अत्याधुनिक रक्षा उपकरण शामिल हैं।

ट्रंप के कार्यकाल का भारत-अमेरिका रक्षा संबंधों पर प्रभाव

डोनाल्ड ट्रंप का पिछला कार्यकाल अमेरिकी-भारत सैन्य संबंधों को सुदृढ़ बनाने पर केंद्रित रहा, जिसमें पाकिस्तान पर दबाव डालना भी शामिल था। ट्रम्प के प्रशासन ने पाकिस्तान को दी जाने वाली 300 मिलियन डॉलर की सहायता राशि रोक दी थी, जो दिखाता था कि भारत अमेरिका की प्राथमिकताओं में शामिल है।

इसके साथ ही, ट्रंप के कार्यकाल में भारत के रूसी एस-400 एयर डिफेंस सिस्टम की खरीद पर भी अमेरिका ने सीएएटीएसए (Countering America’s Adversaries Through Sanctions Act) के तहत प्रतिबंध लगाने की धमकी दी थी, हालांकि इसके लिए भारत पर कोई प्रतिबंध नहीं लगाए गए।

वहीं ट्रंप ने चीन की बढ़ती उपस्थिति का मुकाबला करने के लिए क्वॉड गठबंधन को फिर से जीवित करने में भी अहम भूमिका निभाई थी। अब जब ट्रंप की सत्ता में वापसी की संभावना है, विशेषज्ञ उनकी नीतियों के विकसित होने की प्रतीक्षा कर रहे हैं। ट्रंप के “अमेरिका फर्स्ट” दृष्टिकोण के चलते, यह संभावित है कि अमेरिका भारत के साथ रक्षा सहयोग को और मजबूत करेगा, जिससे भारत को नई डील्स और संयुक्त उत्पादन में सहयोग प्राप्त होगा।

यह भी पढ़ें:  LCA Tejas में लगाया स्वदेशी ऑक्सीजन जनरेटिंग सिस्टम, सफल रहा हाई-एल्टीट्यूड ट्रायल
रक्षा समाचार WhatsApp Channel Follow US

Leave a Reply

Share on WhatsApp