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मीडिया को आर्म्ड फोर्सेज के सेवारत या सेवानिवृत्त कर्मियों के निजी आवासों पर जाने या उनके परिवारों से व्यक्तिगत कहानियों या साक्षात्कार के लिए संपर्क करने से बचने के लिए कहा गया है। मंत्रालय ने साफ किया है कि ऐसा तभी किया जा सकता है, जब आधिकारिक चैनलों के माध्यम से अनुमति दी गई हो...
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📍नई दिल्ली | 2 months ago

Defence Ministry Advisory: रक्षा मंत्रालय ने एक महत्वपूर्ण एडवाइजरी जारी करते हुए सभी मीडिया संस्थानों से आर्म्ड फोर्सेज के वरिष्ठ अधिकारियों और उनके परिवारों की निजता का सम्मान करने की अपील की है। यह एडवाइजरी ऐसे समय में आई है, जब हाल के दिनों में ऑपरेशन सिंदूर जैसे सैन्य अभियानों के दौरान वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों और उनके परिवारों की निजी जिंदगी में मीडिया की बढ़ती दखलअंदाजी को देखते हुए उठाया गया है। मंत्रालय ने सभी मीडिया संगठनों से इस एडवाइजरी का सख्ती से पालन करने का आग्रह किया है, ताकि सैन्य कर्मियों की गरिमा, गोपनीयता और सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।

Defence Ministry Advisory: मीडिया की भूमिका को सराहा, लेकिन जिम्मेदारी की याद दिलाई

रक्षा मंत्रालय ने अपने एडवाइजरी में सबसे पहले मीडिया की भूमिका की सराहना की है। मंत्रालय ने कहा कि भारतीय सेना, नौसेना और वायुसेना की गतिविधियों, उपलब्धियों और बलिदानों को जनता तक पहुंचाने में मीडिया ने हमेशा अहम भूमिका निभाई है। मीडिया ने न केवल सैन्य बलों के शौर्य को उजागर किया है, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दों पर जनता को जागरूक करने में भी योगदान दिया है। लेकिन इसके साथ ही मंत्रालय ने यह भी कहा कि मीडिया को अपनी जिम्मेदारी समझनी होगी, खासकर तब जब बात सैन्य अधिकारियों और उनके परिवारों की निजता की हो।

एडवाइजरी में साफ कहा गया है कि यह सक्षम प्राधिकरण की मंजूरी के साथ जारी की गई है और इसे तत्काल प्रभाव से लागू करने के निर्देश दिए गए हैं।

इंटरव्यू के लिए न करें संपर्क

रक्षा मंत्रालय के जनसंपर्क निदेशालय (डीपीआर) की तरफ से इस एडवाइजरी में चार मुख्य बिंदुओं पर जोर दिया गया है। पहला, मीडिया को आर्म्ड फोर्सेज के सेवारत या सेवानिवृत्त कर्मियों के निजी आवासों पर जाने या उनके परिवारों से व्यक्तिगत कहानियों या साक्षात्कार के लिए संपर्क करने से बचने के लिए कहा गया है। मंत्रालय ने साफ किया है कि ऐसा तभी किया जा सकता है, जब आधिकारिक चैनलों के माध्यम से अनुमति दी गई हो। दूसरा, मीडिया को सैन्य कर्मियों के परिवारों के निजी विवरण, जैसे आवासीय पते, पारिवारिक सदस्यों की तस्वीरें, या अन्य गैर-ऑपरेशनल जानकारी को प्रकाशित करने या प्रसारित करने से रोकने का निर्देश दिया गया है। तीसरा, मीडिया से अपील की गई है कि वे अपनी कवरेज को आर्म्ड फोर्सेज की पेशेवर और ऑपरेशनल गतिविधियों तक सीमित रखें और निजी जिंदगी के बारे में अनुमानित या दखलअंदाजी वाली खबरों से बचें। चौथा, सक्रिय अभियानों या राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े संवेदनशील समय के दौरान गोपनीयता और ऑपरेशनल गोपनीयता की सीमाओं का सम्मान करने पर जोर दिया गया है। खास तौर पर सक्रिय सैन्य अभियानों या राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े संवेदनशील समय में गोपनीयता और निजता का विशेष ध्यान रखना होगा। मंत्रालय ने कहा कि ऐसे समय में छोटी सी चूक भी बड़ा खतरा बन सकती है।

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निजता पर बढ़ता खतरा

एडवाइजरी में खास तौर पर ऑपरेशन सिंदूर का जिक्र किया गया है। इस अभियान के दौरान कई वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों ने अपनी नेतृत्व क्षमता का प्रदर्शन किया, जिसके चलते वे जनता और मीडिया की नजरों में आ गए। लेकिन मंत्रालय ने चिंता जताई कि इस बढ़ते ध्यान ने अधिकारियों और उनके परिवारों की निजता को खतरे में डाल दिया है।

रिपोर्ट्स के मुताबिक, कुछ मीडिया कर्मियों ने सैन्य अधिकारियों के घरों तक पहुंचने की कोशिश की और उनके परिवार के सदस्यों से संपर्क करने की कोशिश की। कई बार उनके निजी जीवन से जुड़ी ऐसी जानकारियां प्रकाशित की गईं, जो न तो जनता के हित में थीं और न ही जरूरी थीं। मंत्रालय ने इसे बेहद अनुचित और संभावित रूप से खतरनाक बताया। एडवाइजरी में कहा गया कि ऐसे कदम न केवल अधिकारियों और उनके परिवारों की सुरक्षा को खतरे में डालते हैं, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा पर भी असर डाल सकते हैं।

प्राइवेसी का सम्मान सभी की जिम्मेदारी

रक्षा मंत्रालय ने इस परामर्श में साफ किया है कि आर्म्ड फोर्सेस के सीनियर अफसर भले ही सार्वजनिक जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हों, लेकिन उनके परिवार निजी नागरिक हैं और उनकी गोपनीयता का सम्मान करना सभी की जिम्मेदारी है। मंत्रालय ने कहा, “हम मीडिया की भूमिका की सराहना करते हैं, जो सशस्त्र बलों की गतिविधियों, उपलब्धियों और बलिदानों को जनता तक पहुंचाने में महत्वपूर्ण योगदान देता है। लेकिन यह भी जरूरी है कि इस प्रक्रिया में सैन्य कर्मियों और उनके परिवारों की गरिमा और निजता का ख्याल रखा जाए।”

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इस परामर्श को लेकर सैन्य विशेषज्ञों और पत्रकारों की मिली-जुली प्रतिक्रियाएं सामने आई हैं। रिटायर्ड मेजर जनरल अजय शर्मा ने इस कदम का स्वागत करते हुए कहा, “यह एक जरूरी और स्वागतयोग्य कदम है। सैन्य कर्मी अपनी जान जोखिम में डालकर देश की सेवा करते हैं। ऐसे में उनकी निजी जिंदगी को सुर्खियों में लाना न केवल अनुचित है, बल्कि उनकी सुरक्षा के लिए भी खतरा पैदा कर सकता है। मीडिया को यह समझना होगा कि सैन्य सेवा की अपनी सीमाएं और गोपनीयता होती है।”

एक सीनियर अफसर ने नाम न बताने की शर्त पर कहा, “हमारी सेना के जवान देश की रक्षा के लिए अपनी जान जोखिम में डालते हैं। उनके परिवार पहले से ही बहुत तनाव में रहते हैं। ऐसे में अगर मीडिया उनके निजी जीवन में दखल देगा, तो यह उनके लिए और मुश्किलें खड़ी कर देगा।”

मीडिया की स्वतंत्रता पर पाबंदी

वहीं, कुछ पत्रकारों का मानना है कि यह परामर्श मीडिया की स्वतंत्रता पर एक तरह की पाबंदी है। एक वरिष्ठ पत्रकार ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, “हमें सैन्य कर्मियों की निजता का सम्मान करना चाहिए, लेकिन कई बार उनकी व्यक्तिगत कहानियां जनता को प्रेरित करती हैं। अगर हम पूरी तरह से निजी जिंदगी को कवर करने से रोक दिए गए, तो यह हमारी पत्रकारिता की आजादी पर भी सवाल खड़ा करता है।”

एक प्रमुख समाचार चैनल के संपादक ने कहा, “हम रक्षा मंत्रालय के इस कदम का स्वागत करते हैं। यह सही है कि हमें सैन्य बलों की निजता का सम्मान करना चाहिए। हम अपनी कवरेज को पेशेवर रखने की पूरी कोशिश करेंगे।” वहीं, कुछ पत्रकारों ने इस पर चिंता भी जताई कि इससे सैन्य गतिविधियों पर खबरें प्रकाशित करने में मुश्किलें आ सकती हैं। लेकिन मंत्रालय ने भरोसा दिलाया है कि वह जरूरी सूचनाएं उपलब्ध कराने में कोई कमी नहीं करेगा।

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सोशल मीडिया पर भी इस एडवाइजरी को लेकर चर्चा शुरू हो गई है। कई नागरिकों ने इसे सही कदम बताया है। एक यूजर ने लिखा, “हमारे सैनिक देश के लिए इतना कुछ करते हैं। कम से कम उनकी निजता तो बरकरार रहनी चाहिए। मीडिया को थोड़ा संवेदनशील होना चाहिए।” वहीं, कुछ लोगों ने कहा कि मीडिया को भी अपनी स्वतंत्रता मिलनी चाहिए, लेकिन यह स्वतंत्रता निजता को भंग करने की कीमत पर नहीं होनी चाहिए।

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यह पहली बार नहीं है जब रक्षा मंत्रालय को इस तरह का कदम उठाना पड़ा है। अतीत में भी कई बार सैन्य अभियानों के दौरान मीडिया की अति उत्साहपूर्ण कवरेज को लेकर चिंताएं जताई गई हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि यह परामर्श सही दिशा में एक कदम है, लेकिन इसके प्रभावी कार्यान्वयन के लिए मीडिया और मंत्रालय के बीच बेहतर संवाद की जरूरत होगी।

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