📍नई दिल्ली | 9 Nov, 2024, 4:29 PM
Defence: भारतीय रक्षा मंत्रालय ने लद्दाख में अतिरिक्त गोला-बारूद के स्टोरेज के निर्माण के लिए पर्यावरणीय मंजूरी की मांग की है। सेना के इस कदम से सीमावर्ती इलाकों में तैनाती के दौरान जरूरी युद्ध सामग्री की उपलब्धता सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी। इस योजना के तहत मुख्य रूप से पूर्वी लद्दाख के फॉर्वर्ड इलाकों में स्टोरेज कैपेसिटी बढ़ाने पर जोर दिया गया है, जो चीन सीमा के नजदीक है। ये वही क्षेत्र हैं, जहां 2020 में गलवां में हुई हिंसा के बाद भारत और चीनी सेना के बीच गतिरोध शुरू हुआ था।
इसके साथ ही सेना ने पैंगोंग त्सो झील के किनारे स्थित एक गांव लुकुंग और डुर्बुक इलाके में उपस्थिति मजबूत करने के प्रस्ताव भी पेश किए हैं। इन प्रस्तावों को इस साल अप्रैल से जुलाई के बीच रक्षा मंत्रालय ने पर्यावरण मंत्रालय के पास भेजा था और ये अभी तक इन्हें मंजूरी का इंतजार है। सेना का कहना है कि लद्दाख में प्रारंभिक चरण में युद्ध के लिए आगे के क्षेत्रों में गोला-बारूद उपलब्धता सुनिश्चित करना आवश्यक है।
प्रस्तावों में हानले और फोटी ला के निकट सामरिक गोला-बारूद भंडारण सुविधा (Formation Ammunition Storage Facility) बनाने के साथ ही अन्य स्थानों पर अंडरग्राउंड कैवर्न बनाने का प्रावधान शामिल है। ये सुविधाएं उन महत्वपूर्ण स्थलों में बनाई जानी हैं, जहां सेना पहले से ही तैनात है। इसमें हानले, फोटी ला, पुंगुक और कोयूल जैसे क्षेत्रों में सैन्य बलों की स्थायी उपस्थिति बढ़ाने का भी प्रस्ताव है। फोटी ला, जो दुनिया की सबसे ऊंची मोटरेबल पास में से एक है, हानले से केवल 30 किमी की दूरी पर स्थित है और यह डेमचोक तक जाने का मार्ग भी है।
वर्तमान में, गोला-बारूद का अधिकांश भंडारण अस्थायी ढंग से किया जा रहा है और यह हनले से लगभग 250 किमी तथा फोटी ला से 300 किमी दूर है। ऐसे में सैन्य सामग्री की आपूर्ति में रुकावटें आ रही हैं, जो ऑपरेशनल तैयारियों को प्रभावित कर रही हैं। उचित भंडारण सुविधा बनने से इस समस्या का समाधान होगा, जिससे जरूरत पड़ने पर यूनिट्स को तेजी से तैनात किया जा सकेगा।
इसके अलावा, अंडरग्राउंड कैवर्न बनाने का प्रस्ताव भी ऑपरेशनल तैयारियों को मजबूती देने के लिए महत्वपूर्ण माना जा रहा है, विशेष रूप से पूर्वी लद्दाख और वास्तविक नियंत्रण रेखा के आस-पास के इलाकों में। इन कैवर्न सुविधाओं को क्षेत्र में सैन्य क्षमताओं को बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
भारतीय सेना के पास पहले से ही कई अस्थायी सुविधाएं हैं, लेकिन 2020 में चीनी बलों के साथ हुई झड़पों के बाद से इन सुविधाओं को स्थायी रूप देने की आवश्यकता महसूस की जा रही है। चांगथांग वन्यजीव अभयारण्य के तहत आने वाले इन क्षेत्रों में नई गोला-बारूद भंडारण सुविधाओं के निर्माण के लिए पर्यावरणीय मंजूरी की आवश्यकता है।
इस प्रकार, सेना की इस पहल का उद्देश्य न केवल भंडारण की सुविधा को पुख्ता करना है, बल्कि युद्ध की स्थिति में आवश्यक सामग्री की तेज़ आपूर्ति को भी सुनिश्चित करना है, जो राष्ट्रीय सुरक्षा के लिहाज से एक महत्वपूर्ण कदम है।