ऑपरेशन सिंदूर (Operation Sindoor) की सफलता में चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल अनिल चौहान की भूमिका भी अहम रही। उन्होंने सिंगापुर में मीडिया को बताया कि यह ऑपरेशन नॉन कॉन्टैक्ट वारफेयर और मल्टी डोमेन ऑपरेशन का एक उदाहरण है। इसमें ड्रोन, साइबर, अंतरिक्ष और ऑटोनॉमस सिस्टम का इस्तेमाल हुआ, जिसने इंटीग्रेटेड एय़र डिफेंस सिस्टम (आईएसीसीएस) की अहमियत को दिखाया...
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📍नई दिल्ली | 4 Jun, 2025, 1:11 PM

Theatre Commands: ऑपरेशन सिंदूर (Operation Sindoor) से न केवल भारत की आतंकवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस पॉलिसी में एक रणनीतिक बदलाव देखने को मिला है, बल्कि अब यह भी सवाल खड़े हो रहे हैं कि क्या भारत को वाकई थिएटर कमांड (Theatre Commands) की जरूरत है? सेंट्रल एयर कमांड के पूर्व एओसी-इन-सी रह चुके रिटायर्ड एयर मार्शल आरजीके कपूर का कहना है कि ऑपरेशन सिंदूर (Operation Sindoor) ने यह साबित कर दिया है कि भारत का मौजूदा मिलिट्री इंफ्रास्ट्रक्चर छोटे-मोटे खतरों से निपटने में बेहद सक्षम है और हमें थिएटर कमांड (Theatre Commands) जैसे बड़े बदलाव करने की जरूरत नहीं है।

Theatre Commands: 48 घंटों में ही पाकिस्तान ने टेके घुटने

ऑपरेशन सिंदूर (Operation Sindoor) को देश की पश्चिमी सीमा पर अंजाम दिया गया, जो पहलगाम में हुए आतंकी हमले के जवाब में शुरू किया गया था। वहीं, मात्र 48 घंटों में ही पाकिस्तान को घुटने टेकने के लिए मजबूर होना पड़ा। इस ऑपरेशन की खूबी यह थी कि भारत ने बिना एलओसी पार किए बेहद सटीकता के पाकिस्तान में मौजूद आतंकी अड्डों को निशाना बनाया, बल्कि उसके प्रमुख एयरबेसों को भी निशाना बनाया गया। रिटायर्ड एयर मार्शल आरजीके कपूर के मुताबिक, यह ऑपरेशन 1971 के युद्ध के बाद पहली बार था, जब भारत ने परमाणु खतरे के बावजूद एक पारंपरिक ऑपरेशन को अंजाम दिया। इस दौरान भारतीय वायुसेना की निर्णायक भूमिका रही, जिसने एकीकृत नेटवर्क सिस्टम (आईएसीसीएस) की अहमियत को दिखाया। ऑपरेशन में तीनों सेनाओं थल सेना, नौसेना और वायु सेना के सीमित संसाधनों का कुशलता से इस्तेमाल किया गया, जिससे परिणाम सबके सामने हैं।

बताईं ये चार वजह

एयर मार्शल कपूर के मुताबिक, ऑपरेशन सिंदूर (Operation Sindoor) ने यह साबित कर दिया कि भारत को थिएटर कमांड (Theatre Commands) की जरूरत नहीं है। उन्होंने इसके पीछे चार मुख्य वजह बताईं। पहली, इस रणनीति को बनाने और लागू करने में देश के बड़े सैन्य अधिकारी शामिल थे, जैसे चीफ ऑफ स्टाफ कमेटी (सीओएससी) और चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस)। इसके अलावा, प्रधानमंत्री, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए), रक्षा मंत्री और तीनों सेनाओं (थल सेना, वायु सेना, नौसेना) के प्रमुखों ने भी इसमें हिस्सा लिया। सबने मिलकर लगातार बैठकें कीं, योजना बनाई और खतरों से निपटने के लिए कदम उठाए। उन्होंने कहा कि ऑपरेशन को अमलीजामा दिल्ली में ही पहनाया गया, जिसके लिए सैन्य नेतृत्व का दिल्ली में मौजूद रहना जरूरी है।

दूसरा, बाकी देशों के मुकाबले भारत की स्थिति थोड़ी अलग है। भारत के दो बड़े पड़ोसी, पाकिस्तान और चीन, दोनों से अलग-अलग तरह के खतरे हैं। ऐसे में तीनों सेनाओं के प्रमुखों की भूमिका अहम बनी रहती है, जो थिएटर कमांड (Theatre Commands) की संरचना में संभव नहीं है।

तीसरी वजह को लेकर उन्होंने कहा, किसी भी युद्ध में हवाई ताकत मुख्य हथियार होगी। आजकल के युद्ध में हवाई ताकत बहुत जरूरी है। वायु सेना ड्रोन और आधुनिक हथियारों के साथ बिना सीधे संपर्क के दुश्मन पर हमला कर सकती है। यह तरीका ज्यादा कारगर है। उन्होंने कहा कि हवई ताकत को छोटे-छोटे हिस्सों में बांटना सही नहीं होगा, बल्कि इसे सेंट्रलाइज्ड कंट्रोल में रखना जरूरी है।

चौथी वजह बताते हुए एयर मार्शल कपूर ने कहा, ऑपरेशन सिंदूर (Operation Sindoor) के दौरान एक बड़ी अच्छी चीज जो देखने को मिली कि तीनों सेनाओं ने साथ मिल कर काम किया। हालांकि तीनों सेनाएं पहले से ही एक साथ काम कर रही हैं। उनके बीच तालमेल और संयुक्तता (जॉइंटनेस) पहले से ही अच्छी है। इस वजह से अलग से थिएटर कमांड (Theatre Commands) बनाने की जरूरत नहीं है।

सीडीएस की भूमिका अहम

एयर मार्शल कपूर के मुताबिक सेना में एकजुटता और सहयोग शीर्ष स्तर से नीचे की ओर आना चाहिए, न कि एक कमांडर के तहत रिसोर्सेज को जोड़कर। ऑपरेशन सिंदूर (Operation Sindoor) की सफलता में चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल अनिल चौहान की भूमिका भी अहम रही। उन्होंने सिंगापुर में मीडिया को बताया कि यह ऑपरेशन नॉन कॉन्टैक्ट वारफेयर और मल्टी डोमेन ऑपरेशन का एक उदाहरण है। इसमें ड्रोन, साइबर, अंतरिक्ष और ऑटोनॉमस सिस्टम का इस्तेमाल हुआ, जिसने इंटीग्रेटेड एय़र डिफेंस सिस्टम (आईएसीसीएस) की अहमियत को दिखाया। इस ऑपरेशन में तीनों सेनाओं के बीच तालमेल और एकजुटता साफ दिखी। जिसे देख कर लगता है कि थिएटर कमांड (Theatre Commands) की जरूरत नहीं है।

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का महत्व बढ़ा

कपूर ने यह भी बताया कि बदलते युद्ध की प्रकृति में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) और नई तकनीकों का महत्व बढ़ रहा है। भारत में सीमा पर झड़पें, आतंकवाद विरोधी अभियान, सममित युद्ध और छोटे लेकिन तेज ऑपरेशन ज्यादा होने की संभावना है। ऐसे में हवाई ताकत की गति और लचीलापन इसे पहली पसंद बनाता है। ऑपरेशन सिंदूर (Operation Sindoor) ने यह भी दिखाया कि तीनों सेनाओं की इंटीग्रेटेड एय़र डिफेंस सिस्टम को आईएसीसीएस के तहत वायु सेना के नेतृत्व में रखना कितना जरूरी है।

वायु सेना ने किया था विरोध

सैन्य मामलों के जानकार सुशांत सिंह ने कहा, “अगर नई दिल्ली के दावे सही हैं, तो यह ऑपरेशन वायु सेना के उस रुख को मजबूत करता है, जिसमें उसने 2019 में पीएम मोदी के थिएटर कमांड (Theatre Commands) की घोषणा का विरोध किया था।” वहीं, कर्नल अनिल तलवार ने कहा, “थिएटर कमांड (Theatre Commands) बनाने से जटिलता बढ़ेगी, हवाई ताकत कमजोर होगी और ऑपरेशन पर असर पड़ेगा। भारत को केंद्रीकृत योजना और गहरे तालमेल पर ध्यान देना चाहिए, न कि सेनाओं को भौगोलिक आधार पर बांटना चाहिए।”

एयर मार्शल कपूर ने सुझाव दिया कि इसके बजाय साइबर और स्पेस कमांड बनाने, तीनों सेनाओं के प्रतिनिधियों के साथ एक सेंट्रलाइज्ड प्लानिंग ऑफिस बनाने और भविष्य के युद्धों पर ध्यान देने की जरूरत है। उन्होंने कहा, “हमें पिछले युद्धों के बजाय अगले युद्ध की तैयारी करनी होगी।”

क्या है थिएटर कमांड (Theatre Commands)?

थिएटर कमांड (Theatre Commands) एक ऐसा मिलिट्री सिस्टम है जिसमें थल सेना, वायु सेना और नौसेना के रिसोर्सेज को एक साथ एक कमांडर के तहत लाया जाएगा। यह कमांडर एक खास भौगोलिक क्षेत्र में सभी सैन्य अभियानों की योजना बनाने और लागू करने में अहम भूमिका निभाएगा। इसका मकसद तीनों सेनाओं के बीच बेहतर तालमेल और एकीकृत रणनीति बनाना है, ताकि युद्ध के समय संसाधनों का सही इस्तेमाल हो और तेजी से जवाब दिया जा सके।

मौजूदा योजना के अनुसार, भारत में तीन मुख्य थिएटर कमांड (Theatre Commands) बनाने की बात है:

  • उत्तरी थिएटर कमांड (Theatre Commands): यह कमांड मुख्य रूप से चीन से लगने वाली सीमा पर केंद्रित होगी, खासकर लद्दाख और अरुणाचल प्रदेश जैसे इलाकों में। इसका मुख्यालय लखनऊ में प्रस्तावित है।
  • पश्चिमी थिएटर कमांड (Theatre Commands): यह कमांड पाकिस्तान से लगने वाली पश्चिमी सीमा पर ध्यान देगी, जिसमें जम्मू-कश्मीर और पंजाब जैसे क्षेत्र शामिल होंगे। इसका मुख्यालय जयपुर में प्रस्तावित है।
  • समुद्री थिएटर कमांड (Theatre Commands): यह कमांड हिंद महासागर क्षेत्र और भारत की समुद्री सीमाओं की सुरक्षा के लिए होगी, जिसमें नौसेना की मुख्य भूमिका होगी। इसका मुख्यालय कर्नाटक के कारवार में प्रस्तावित है।

इसके अलावा, कुछ अन्य फंक्शनल कमांड्स जैसे साइबर, स्पेस और लॉजिस्टिक्स कमांड भी बनाने की बात है, लेकिन मुख्य रूप से तीन भौगोलिक थिएटर कमांड (Theatre Commands) पर जोर दिया जा रहा है। यह योजना अभी प्रस्ताव के स्तर पर है।

कब से होगी लागू?

थिएटर कमांड (Theatre Commands) को लागू करने की प्रक्रिया चल रही है, लेकिन अभी तक यह पूरी तरह लागू नहीं हुई है। 2024 में जॉइंट कमांडर्स कॉन्फ्रेंस में इसके लिए एक योजना सरकार को सौंपी गई थी, और 2025 को रक्षा मंत्रालय ने “सुधारों का साल” घोषित किया है। माना जा रहा है कि इसे पूरी तरह लागू होने में 2026 तक का समय लग सकता है। हालांकि, मई 2025 में इंटर-सर्विसेज ऑर्गनाइजेशन (कमांड, कंट्रोल और डिसिप्लिन) नियम लागू किए गए हैं, जो थिएटर कमांड (Theatre Commands) बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है।

Theatre Commands: फ्यूचर में अगर हुआ ऑपरेशन सिंदूर, तो इस तरह लड़ा जाएगा युद्ध, तीनों सेनाओं के चीफ के पास नहीं होगी ये जिम्मेदारी!

मई 2025 में लागू हुए नए नियमों के तहत थिएटर कमांड (Theatre Commands)र को अपने अधीन तीनों सेनाओं (थल सेना, वायु सेना, नौसेना) के जवानों और अधिकारियों पर अनुशासनात्मक और प्रशासनिक कार्रवाई करने का अधिकार दे दिया गया है। पहले हर सेना अपने अलग नियमों (जैसे आर्मी एक्ट 1950, नेवी एक्ट 1957) के तहत काम करती थी, लेकिन अब इंटीग्रेटेड कमांड के तहत एक कमांडर को यह पावर मिल गई है। यह कदम तीनों सेनाओं के बीच तालमेल को बढ़ाने और थिएटर कमांड (Theatre Commands) को जल्द लागू करने की दिशा में उठाया गया है।

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