📍विशाखापट्टनम | 10 Jul, 2025, 7:08 PM
Nistar DSV: भारतीय नौसेना में अब एक और ताकतवर जहाज शामिल होने जा रहा है। इसका नाम है – ‘निस्तार’ (Nistar)। यह पूरी तरह से स्वदेशी तकनीक से बना पहला डाइविंग सपोर्ट वेसल (Diving Support Vessel) है, जिसे 18 जुलाई 2025 को विशाखापट्टनम के नौसेना डॉकयार्ड में एक भव्य समारोह में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की मौजूदगी में नौसेना में शामिल किया जाएगा। इस जहाज को विशाखापट्टनम स्थित हिंदुस्तान शिपयार्ड लिमिटेड ने डिजाइन और तैयार किया है। कमीशन होने के बाद, निस्तार पूर्वी नौसेना कमान (ईस्टर्न नेवल कमांड) में शामिल होगा और गहरे समुद्र में डाइविंग और सबमरीन रेस्क्यू अभियानों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
Nistar DSV: क्यों रखा निस्तार नाम?
‘निस्तार’ नाम संस्कृत से लिया गया है, जिसका अर्थ है मुक्ति, बचाव, या उद्धार। वहीं इस जहाज का मुख्य काम यही है, गहरे समुद्र में बचाव कार्यों को अंजाम देना। इससे पहले, 1969 में भारतीय नौसेना ने पूर्व सोवियत संघ (USSR) से एक सबमरीन रेस्क्यू वेसल खरीदा था, जिसका नाम भी निस्तार था। 1971 में कमीशन हुए उस जहाज ने दो दशकों तक नौसेना के गोताखोरी (डाइविंग) और पनडुब्बी बचाव अभियानों में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
🔱 Nistar – Guardian of the Deep
Presenting the crest of Nistar, India’s first indigenously built Diving Support Vessel, ready to join the Eastern Fleet of the #IndianNavy.
⚓ Anchor = Stability
🐬 Dolphin = Seafarer’s ally & symbol of hope
🛳 Motto: Deliverance with Precision… pic.twitter.com/g6Dg94whw8— Raksha Samachar | रक्षा समाचार 🇮🇳 (@RakshaSamachar) July 10, 2025
नया निस्तार उस पुरानी विरासत को आगे बढ़ा रहा है। इसका आदर्श वाक्य (मोटो) ‘सुरक्षिता यथार्थता शौर्यम’ है, जिसका अर्थ है ‘सटीकता और बहादुरी के साथ उद्धार’।
क्या है डाइविंग सपोर्ट वेसल ‘निस्तार’?
‘निस्तार’ एक ऐसा शिप है, जिसे गहरे समुद्र में डाइविंग और पनडुब्बी बचाव अभियान के लिए बनाया गया है। यह जहाज खासतौर पर ऐसे मिशनों के लिए तैयार किया गया है, जहां नौसेना को समुद्र के भीतर बहुत गहराई तक जाकर काम करना होता है। जैसे पनडुब्बी में फंसे हुए क्रू को बचाना, डूबे हुए जहाज के हिस्सों की तलाश करना या दुश्मन की गतिविधियों की निगरानी करना।
दो महीने तक समुद्र में रह सकता है निस्तार
निस्तार एक अत्याधुनिक (स्टेट-ऑफ-द-आर्ट) शिप है। जिसकी लंबाई लगभग 118 मीटर है, और इसका वजन (डिस्प्लेसमेंट) करीब 10,000 टन है। यह शिप 60 दिनों से अधिक समय तक समुद्र में रह सकता है, जिससे यह लंबे समय मिशनों को अंजाम दे सकता है। निस्तार में डायनामिक पोजिशनिंग सिस्टम है। यह सिस्टम शिप को गहरे समुद्र में बेहद सटीकता के साथ अपनी जगह बनाए रखता है, जो गोताखोरी और बचाव कार्यों के लिए जरूरी है। निस्तार में एयर और सैचुरेशन डाइविंग सिस्टम्स हैं। यह 300 मीटर की गहराई तक सैचुरेशन डाइविंग और 75 मीटर तक साइड डाइविंग स्टेज के जरिए मिशन को अंजाम दे सकता है।
निस्तार में बना एक पूरा अस्पताल
निस्तार में रिमोटली ऑपरेटेड व्हीकल्स (ROVs) हैं, जो 1,000 मीटर की गहराई तक गोताखोरों की निगरानी और बचाव कार्यों में मदद करते हैं। इसमें समुद्र तल की मैपिंग और मलबे की खोज करने के लिए साइड स्कैन सोनार सिस्टम दिया गया है। आपात स्थिति में पनडुब्बी में फंसे कर्मियों को बचाने के लिए इसमें डीप सबमर्जेंस रेस्क्यू व्हीकल (DSRV) लगाया गया है। वहीं, जब बचाव अभियान के दौरान बचााए गए लोगों के इलाज की भी इसमें सुविधा है। शिप में ऑपरेशन थिएटर, गहन चिकित्सा इकाई (ICU), आठ बिस्तरों वाला अस्पताल, और हाइपरबेरिक मेडिकल सुविधाएं (हाइपरबेरिक चैंबर) हैं। ये सुविधाएं बचाव कार्यों के दौरान घायलों के इलाज के लिए जरूरी हैं। निस्तार हेलीकॉप्टरों के लिए स्टेज-थ्रू ऑपरेशन्स की सुविधा देता है, जिससे हवाई मदद मिलती है। इसमें 15 टन सबसी क्रेन लगाई गई है, जो भारी सामान को समुद्र से उठाने और बचाव कार्यों में मदद करती है।
नौसेना के पूर्वी कमान में होगा शामिल
‘निस्तार’ को भारतीय नौसेना के पूर्वी नौसेना कमान (ईस्टर्न नेवल कमांड) के बेड़े (फ्लीट) में शामिल किया किया जाएगा, जो भारत के पूर्वी समुद्री सीमा की सुरक्षा का जिम्मा संभालती है। निस्तार के आने से अंडमान-निकोबार और बंगाल की खाड़ी में नौसेना की मौजूदगी और अधिक मजबूत होगी।
निस्तार का प्रतीक चिन्ह है खास
निस्तार का प्रतीक चिह्न (क्रेस्ट) भी इसकी भूमिका और महत्व को दर्शाता है। इसमें एक लंगर (एंकर) है, जो मैरिटाइम डोमिनेंस और स्टैबिलिटी का प्रतीक है। लंगर के चारों ओर एक डॉल्फिन है, जो नाविकों की दोस्त और अच्छे मौसम का मैसेंजर मानी जाती है।
‘निस्तार’ पूरी तरह से भारतीय डिजाइन पर बेस्ड है और इसका निर्माण 80% से अधिक स्वदेशी सामग्री से किया गया है। निस्तार का निर्माण हिंदुस्तान शिपयार्ड लिमिटेड ने किया है, जो भारत के सबसे पुराने शिपयार्ड्स में से एक है। इस जहाज के निर्माण में 120 से ज्यादा सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (MSMEs) ने योगदान दिया है। जो भारत की रक्षा उत्पादन में आत्मनिर्भरता की दिशा में एक बड़ा कदम है।
हिंदुस्तान शिपयार्ड ने निस्तार को डिज़ाइन और निर्माण के दौरान भारतीय रजिस्टर ऑफ शिपिंग के सख्त नियमों का पालन किया। इससे पोत की गुणवत्ता और सुरक्षा सुनिश्चित हुई। नौसेना के एक अधिकारी ने कहा, “निस्तार भारत के शिपबिल्डिंग उद्योग की क्षमता का प्रतीक है। यह पोत न केवल हमारी नौसेना को मजबूत करेगा, बल्कि यह दुनिया को दिखाएगा कि भारत स्वदेशी रक्षा उत्पादन में कितना आगे बढ़ चुका है।”
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