रक्षा समाचार WhatsApp Channel Follow US

भारतीय नौसेना ने हिंद महासागर में चीन की बढ़ती पनडुब्बी गतिविधियों पर नजर रखने के लिए ‘डीप ओशन वॉच’ प्रोजेक्ट शुरू किया है। इस प्रोजेक्ट के तहत समुद्र के भीतर अंडरवॉटर सेंसर और सर्विलांस नेटवर्क लगाए जाएंगे, जो पनडुब्बियों की गतिविधियों को ट्रैक कर सकेंगे। यह परियोजना समुद्री सुरक्षा और रणनीतिक बढ़त के लिए बेहद अहम मानी जा रही है...

Read Time 0.15 mintue

📍New Delhi | 3 months ago

Deep Ocean Watch: भारतीय नौसेना हिंद महासागर क्षेत्र (Indian Ocean Region – IOR) में अपनी रणनीतिक स्थिति को और मजबूत करने के लिए बड़ी तैयारी कर रही है। भारतीय नौसेना इस इलाके में एक अत्याधुनिक अंडरवाटर निगरानी नेटवर्क बनाने जा रही है। नौसेना ने इस प्रोजेक्ट का नाम ‘डीप ओशन वॉच’ रखा है। इस प्रोजेक्ट के तहत हिंद महासागर क्षेत्र यानी बंगाल की खाड़ी, नब्बे डिग्री पूर्वी रिज, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में समुद्री गतिविधियों पर कड़ी नजर रखी जाएगी। यह कदम विशेष रूप से क्षेत्र में चीन की बढ़ती सैन्य मौजूदगी और भारत के रणनीतिक समुद्री मार्गों की सुरक्षा को देखते हुए उठाया गया है।

Indian Navy Deep Ocean Watch to track Chinese Submarines

क्या है ‘Deep Ocean Watch’?

‘डीप ओशन वॉच’ परियोजना के तहत भारतीय नौसेना एक इंटीग्रेटेड सर्विलांस मैकेनिज्म डेवलप करेगी, जिसमें लेटेस्ट डिटेक्शन सिस्टम का इस्तेमाल किया जाएगा। इसमें विशेष प्रकार के टो किए गए सोनार सिस्टम (Towed Array Sonars) शामिल होंगे, जो कि भारत के P-8I Poseidon समुद्री टोही विमान और कोलकाता-क्लास के डेस्ट्रॉयर वारशिप्स से ऑपरेट किए जाएंगे। ये सोनार सिस्टम बेहद कम फ्रीक्वेंसी वाली ध्वनि तरंगों को भेजकर समुद्र के नीचे मौजूद वस्तुओं की पहचान करेंगे।

इस नेटवर्क में ‘मैग्नेटिक एनॉमली डिटेक्टर’ (Magnetic Anomaly Detector – MAD) एक्टिव लो-फ्रीक्वेंसी सोनार सिस्टम और सुपरकंडक्टिंग क्वांटम इंटरफेरेन्स डिवाइस (स्क्विड) जैसे सेंसर शामिल होंगे। मैग्नेटिक एनॉमली डिटेक्टर पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र में तब आने वाले बदलाव को पहचानती है, जब कोई बड़ा मेटल ऑब्जेक्ट (जैसे पनडुब्बी) समुद्र में मौजूद हो। यह सिस्टम समुद्र की सतह से लेकर समुद्र की गहराई तक की गतिविधियों पर नजर रखने में सक्षम होगा। वहीं, स्क्विड सेंसर समुद्र के नीचे से निकलने वाले कमजोर इलेक्ट्रोमैग्नेटिक सिग्नल्स को डिटेक्ट करेंगे।

यह भी पढ़ें:  26 Rafale Marine Deal: INS विक्रांत को मिलेगी नई ताकत, भारत ने मंजूर की अब तक की सबसे बड़ी 63,000 करोड़ की राफेल मरीन जेट डील

नौसेना के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि यह नेटवर्क 5,000 किलोमीटर से अधिक क्षेत्र को कवर करेगा, जिसमें बंगाल की खाड़ी से लेकर दक्षिणी हिंद महासागर और नब्बे डिग्री पूर्वी रिज तक का क्षेत्र शामिल है। इसके तहत नब्बे डिग्री पूर्वी रिज पर एक अंडरवाटर सोनार सिस्टम की स्थापना की योजना बनाई है। यह सिस्टम समुद्र के नीचे मौजूद ज्वालामुखी पर्वत श्रृंखलाओं के बीच से गुजरने वाली पनडुब्बियों की गतिविधियों को ट्रैक करने में मदद करेगा।

Deep Ocean Watch का रणनीतिक महत्व

हिंद महासागर क्षेत्र में 40 से अधिक देश शामिल हैं, जो विश्व समुद्री व्यापार का एक प्रमुख केंद्र है। मलक्का स्ट्रेट, जो इस क्षेत्र का एक प्रमुख समुद्री चोक पॉइंट है, विश्व व्यापार का लगभग 60 प्रतिशत हिस्सा वहन करता है। इस क्षेत्र में चीन की पीपल्स लिबरेशन आर्मी नेवी (पीएलएएन) की बढ़ती गतिविधियां भारत के लिए चिंता का विषय रही हैं। इस क्षेत्र में भारत की समुद्री गतिविधियों की निगरानी और सुरक्षा सुनिश्चित करना नौसेना की प्राथमिकता है।

यह निगरानी नेटवर्क भारत के लिए बेहद महत्वपूर्ण साबित हो सकता है, खासकर जब चीन की सेना अपने पड़ोसी देशों में नौसैनिक अड्डों का निर्माण कर रही है। उदाहरण के तौर पर, कंबोडिया में स्थित रेम नौसैनिक अड्डा और म्यांमार के कोको द्वीप जैसी जगहों को चीन अपनी समुद्री रणनीति के तहत विकसित कर रहा है। ये इलाके भारत के अंडमान-निकोबार द्वीप समूह से महज कुछ सौ किलोमीटर की दूरी पर स्थित हैं।

‘डीप ओशन वॉच’ परियोजना को इस इलाके में भारत की समुद्री प्रभुत्व की रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है। यह नेटवर्क न केवल चीन की पनडुब्बी गतिविधियों पर नजर रखेगा, बल्कि क्षेत्र में समुद्री डकैती और अवैध गतिविधियों को रोकने में भी मदद करेगा। इसके अलावा, यह भारत को क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय सहयोग के लिए एक मंच प्रदान करेगा। नौसेना ने बताया कि इस नेटवर्क से मिले डाटा को भारत के समुद्री डोमेन अवेयरनेस (एमडीए) फ्रेमवर्क्स और इंफॉर्मेशन फ्यूजन सेंटर-आईओआर (आईएफसी-आईओआर) के साथ इंटीग्रेट किया जाएगा।

यह भी पढ़ें:  SLINEX 2024: विशाखापत्तनम में शुरू हुआ भारत-श्रीलंका नौसैनिक अभ्यास, समुद्री आतंकवाद का मिल करेंगे मुकाबला

कहां-कहां लगेगा Deep Ocean Watch नेटवर्क?

नौसेना ने बताया कि इस परियोजना के कुछ क्षेत्रों को खासतौर पर चिन्हित किया गया है। इनमें नाइंटी ईस्ट रिज (Ninety East Ridge) भी है, जो बंगाल की खाड़ी से लेकर दक्षिणी हिंद महासागर तक फैली हुई है। अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में इसे लगाया जाएगा, जहां भारत की ट्राई-सर्विस कमांड मौजूद है और जो मलक्का जलडमरूमध्य (मलक्का स्ट्रेट) के रास्ते को कंट्रोल करती है। इसके अलावा बंगाल की खाड़ी, जहां चीनी गतिविधियों की आशंका लगातार बनी हुई है।

नौसेना का कहना है, इस सिस्टम की प्रभावशीलता का परीक्षण बंगाल की खाड़ी में किया जाएगा, जहां समुद्री यातायात और पनडुब्बी गतिविधियां सबसे अधिक हैं। इसके अलावा, नौसेना ने इस नेटवर्क को और मजबूत करने के लिए भविष्य में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) और मशीन लर्निंग (एमएल) तकनीकों को शामिल करने की योजना बनाई है। यह तकनीकें इस नेटवर्क को स्वचालित रूप से संदिग्ध गतिविधियों का विश्लेषण करने और झूठे सिग्नल्स को कम करने में मदद करेंगी।

देशों ने किया स्वागत

इस प्रोजेक्ट के एलान के बाद क्षेत्रीय और वैश्विक स्तर पर प्रतिक्रियाएं आने लगी हैं। मालदीव और श्रीलंका जैसे पड़ोसी देशों ने भारत के इस कदम का स्वागत किया है, क्योंकि यह क्षेत्र में समुद्री सुरक्षा को बढ़ावा देगा। हालांकि, कुछ विश्लेषकों का मानना है कि यह परियोजना क्षेत्र में भारत-चीन तनाव को और बढ़ा सकती है। चीन ने अभी तक इस परियोजना पर कोई आधिकारिक टिप्पणी नहीं की है, लेकिन माना जा रहा है कि वह इस कदम को अपनी समुद्री रणनीति के लिए एक चुनौती के रूप में देखेगा।

यह भी पढ़ें:  Rafale Marine Jets: राफेल-M को लेकर क्यों टेंशन में भारतीय नौसेना? INS विक्रांत और INS विक्रमादित्य पर ऑपरेट करने हो सकती हैं ये दिक्कतें!
Scorpene Submarines: समंदर में बढ़ेगी भारतीय नौसेना की ताकत, मिलेंगी तीन और स्कॉर्पीन पनडुब्बियां, 36,000 करोड़ रुपये की डील को दी मंजूरी

इसके अलावा, भारत ने इस परियोजना के तहत क्षेत्रीय सहयोग को बढ़ावा देने की योजना बनाई है। नौसेना ने बताया कि वह इस नेटवर्क से प्राप्त जानकारी को क्वाड देशों (भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया) के साथ साझा करने पर विचार कर रही है। इस कदम से क्षेत्र में समुद्री सुरक्षा के लिए एक कंबाइंड स्ट्रेटेजी को बढ़ावा मिलेगा।

रक्षा समाचार WhatsApp Channel Follow US

Leave a Reply

Share on WhatsApp