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📍नई दिल्ली | 6 months ago

Drishti-10 Drone: गुजरात के पोरबंदर के पास सोमवार को एक इजरायली मूल का भारी-भरकम मिलिट्री ड्रोन ‘दृष्टि-10’ (Drishti-10 Drone) ट्रायल के दौरान समुद्र में दुर्घटनाग्रस्त हो गया। यह ड्रोन भारत में अडानी डिफेंस एंड एयरोस्पेस द्वारा इजरायली कंपनी एल्बिट सिस्टम्स के लाइसेंस के तहत तैयार किया गया था। सूत्रों ने बताया कि ड्रोन को पोरबंदर नेवल एयर एन्क्लेव से ऑपरेट किया जा रहा था। यह ड्रोन ट्रायल के अंतिम चरण में था और इसे अभी भारतीय नौसेना को सौंपा जाना बाकी था। हादसे के बाद ड्रोन को समुद्र से निकाल लिया गया है, और तकनीकी विशेषज्ञ दुर्घटना के कारणों की जांच कर रहे हैं।

Drishti-10 Drone Crashes Near Porbandar, Raises Questions on 'Make in India'

सूत्रों का कहना है कि चूंकि ड्रोन नौसेना को अभी तक आधिकारिक रूप से सौंपा नहीं गया था, इसलिए इस दुर्घटना से नौसेना पर कोई फाइनेंशियल घाटा नहीं हुआ है।

क्या है Drishti-10 Drone की खूबी

दृष्टि-10 ड्रोन इजरायली हर्मीस 900 स्टारलाइनर पर आधारित है और इसे भारतीय सशस्त्र बलों के लिए विशेष रूप से डिज़ाइन किया गया है। यह ड्रोन लंबी दूरी की खुफिया जानकारी, निगरानी, और लक्ष्यों की पहचान जैसे महत्वपूर्ण मिशनों के लिए तैयार किया गया है। दृष्टि-10 की सबसे बड़ी खासियत इसकी लंबी उड़ान क्षमता है। यह ड्रोन 36 घंटे तक लगातार उड़ान भर सकता है, जिससे यह सीमा पर लंबे समय तक निगरानी और गश्त कर सकता है। इसके अलावा, यह 30,000 फीट की ऊंचाई तक उड़ सकता है, जिसके चलते यह ज्यादा ऊंचाई वाले इलाकों में भी बखूबी काम करता है।

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इस ड्रोन की पेलोड क्षमता 450 किलोग्राम तक है, और इस पर हथियार और उपकरण लादे जा सकते हैं। यह सैटकॉम तकनीक से लैस है, ताकि दूरदराज वाले इलाकों में भी यह काम कर सकता है। इसमें इलेक्ट्रो-ऑप्टिकल और इंफ्रारेड सेंसर लगे हैं, जिससे यह दिन और रात दोनों समय प्रभावी ढंग से काम कर सकता है।

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2023 में, भारतीय सेना और नौसेना ने आपातकालीन खरीद प्रावधानों के तहत ऐसे दो-दो ड्रोन का ऑर्डर दिया था। इनमें से पहला ड्रोन जनवरी 2023 में नौसेना को सौंपा गया था, जबकि दूसरा ड्रोन जून में सेना को डिलीवर किया गया।
सोमवार को दुर्घटनाग्रस्त हुआ ड्रोन नौसेना को दिया जाना था।

भारतीय सेनाओं को वर्तमान में लगभग 150 नए मध्यम ऊंचाई और लंबी उड़ान क्षमता वाले ड्रोन (MALE) की आवश्यकता है। ये ड्रोन इजरायली सर्चर और हेरोन मार्क-1 और मार्क-2 जैसे ड्रोन की जगह लेंगे, जो लंबे समय से भारतीय सेनाओं द्वारा इस्तेमाल किए जा रहे हैं।

Drishti-10 Drone Crashes Near Porbandar, Raises Questions on 'Make in India'

अमेरिकी MQ-9B प्रीडेटर की खरीद

भारत ने अक्टूबर 2024 में अमेरिका के साथ 31 एडवांस MQ-9B प्रीडेटर ड्रोन की खरीद के लिए 32,350 करोड़ रुपये के एक ऐतिहासिक अनुबंध पर हस्ताक्षर किए थे। इस समझौते को भारतीय सेनाओं की क्षमताओं को मजबूत करने और आधुनिक तकनीक से लैस करने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा था।

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समझौते के तहत, भारतीय नौसेना को 15 MQ-9B सी गार्जियन ड्रोन मिलेंगे, जो समुद्री निगरानी और सुरक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। इसके अलावा, भारतीय सेना और वायुसेना को 8-8 स्काई गार्जियन ड्रोन सौंपे जाएंगे। ये ड्रोन एडवांस सेंसर, हेलफायर मिसाइल, और GBU-39B प्रिसिजन गाइडेड ग्लाइड बम जैसे अत्याधुनिक हथियारों से लैस होंगे।

MQ-9B प्रीडेटर ड्रोन को ज्यादा ऊंचाई और लंबी दूरी की उड़ान के लिए डिज़ाइन किया गया है। यह 30 घंटे से अधिक समय तक संचालन करने और खतरों का सटीकता से पता लगाने में सक्षम है। इस समझौते से भारत की समुद्री और हवाई सुरक्षा को नई मजबूती मिलेगी और देश की सैन्य शक्ति को एक नई दिशा मिलेगी।

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सी गार्डियन ड्रोन हो चुका है दुर्घटनाग्रस्त

हाालंकि ऐसा नहीं है कि केवल दृष्टि-10 के साथ ही दुर्घटनाग्रस्त हुआ है। इससे पहले पिछले साल चेन्नई के पास बंगाल की खाड़ी में एक सी गार्डियन ड्रोन दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। यह ड्रोन अमेरिकी कंपनी जनरल एटॉमिक्स से भारतीय नौसेना ने लीज पर लिया था और अरक्कोणम स्थित नौसेना के वायु स्टेशन आईएनएस राजाली से ऑपरेट हो रहा था। 2020 में, नौसेना ने एक साल की अवधि के लिए दो MQ-9B सी गार्डियन ड्रोन लीज पर लिए थे।

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