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📍नई दिल्ली | 8 Jan, 2025, 6:11 PM

UNIFIL QRF Vehicles: लेबनान में संयुक्त राष्ट्र के UNIFIL मिशन में तैनात भारतीय जवानों को पहली बार स्वदेशी वाहन मिलने जा रहे हैं। यह वाहन टाटा मोटर्स ने बनाए हैं और इन्हें 15 जनवरी को मनाए जाने वाले सेना दिवस के मौके पर भारतीय बटालियन तक पहुंचाया जाएगा। इनमें पहली बार टाटा के बने 45 क्यूआरएफ वाहन भी शामिल हैं। इससे पहले भारतीय सेना स्वीडन के बनाए SISU व्हीकल्स का इस्तेमाल करती थी।

UNIFIL QRF Vehicles: ‘Made-in-India’ Vehicles Join Peacekeeping Mission!

UNIFIL QRF Vehicles: ड्राई लीज़ व्यवस्था के तहत मिलते हैं वाहन

सेना की तरफ से मिली जानकारी के मुताबिक अभी तक, लेबनान में तैनात 900 भारतीय जवान स्वीडन निर्मित सिसु वाहनों का उपयोग करते थे। यह वाहन संयुक्त राष्ट्र के ड्राई लीज़ व्यवस्था के तहत उपलब्ध कराए जाते हैं, जहां यूएन इक्विपमेंट्स और व्हीकल्स देता है, और बाकी देश अपने जवान वहां तैनात करते हैं। लेकिन अब, स्वदेशी क्विक रिएक्शन फोर्स (QRF) वाहन भारतीय जवानों को इंस्टेंट रिएक्ट करने और ऑपरेशनल क्षमता में और मजबूती प्रदान करेंगे।

टाटा मोटर्स के बनाए ये QRF वाहन सुरक्षा और मोबिल्टी के मामले में काफी एडवांस हैं। इन वाहनों को खासतौर पर खतरों का सामना करने के लिए सैनिकों को तेजी से तैनात करने, पेट्रोलिंग करने, और मानवीय मदद प्रदान करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। ये वाहन न केवल जवानों की सुरक्षा सुनिश्चित करेंगे, बल्कि उनके मिशन की उपयोगिता को भी बढ़ाएंगे।

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टाटा मोटर्स द्वारा बनाए गए 62 वाहनों का यह बेड़ा पिछले साल समुद्री मार्ग के जरिए लेबनान भेजा गया था और अब इन्हें सेना दिवस के अवसर पर औपचारिक रूप से जवानों को सौंपा जाएग। इसमें हाई मोबिलिटी ट्रूप कैरियर व्हीकल्स, यूटिलिटी व्हीकल्स (1 टन और 2.5 टन), मीडियम और लाइट एम्बुलेंस, फ्यूल बोसर्स, और रिकवरी व्हीकल्स शामिल हैं।

भेजे गए 62 स्वदेशी वाहनों में शामिल हैं:

  • हाई मोबिलिटी ट्रूप कैरिज वाहन
  • 1 टन और 2.5 टन यूटिलिटी वाहन
  • मध्यम और हल्के एंबुलेंस
  • फ्यूल बोवर्स
  • रिकवरी वाहन

संयुक्त राष्ट्र की स्थापना के बाद से भारत ने शांति प्रयासों में 287,000 से अधिक सैनिकों का योगदान दिया है। अब तक, लेबनान में संयुक्त राष्ट्र शांति मिशन में तैनात भारतीय सैनिक उन वाहनों का इस्तेमाल कर रहे थे, जो संयुक्त राष्ट्र द्वारा अन्य देशों से उपलब्ध कराए जाते थे। लेकिन अब, मेड-इन-इंडिया वाहनों के शामिल होने से भारतीय बटालियन स्वदेशी और मजबूत प्लेटफॉर्म पर निर्भर हो सकेगी। यह कदम न केवल आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक महत्वपूर्ण संकेत है, बल्कि वैश्विक मंच पर भारत की उभरती रक्षा निर्माण क्षमताओं और इसकी प्रतिबद्धता को भी दर्शाता है।

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