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पहलगाम आतंकी हमले के बाद सेना ने घाटी के सभी प्रमुख पर्यटक स्थलों की सुरक्षा का ऑडिट करने और संवेदनशील इलाकों में जवानों की नई तैनाती की योजना बनाई है। अमरनाथ यात्रा को सुरक्षित बनाने के लिए भी व्यापक तैयारी हो रही है। साथ ही, LoC पर पाकिस्तान की बढ़ती गतिविधियों पर भी सख्त निगरानी रखी जा रही है...

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📍श्रीनगर | 3 months ago

Pahalgam Attack: जम्मू-कश्मीर के खूबसूरत पर्यटक स्थल पहलगाम में 22 अप्रैल 2025 को हुए भीषण आतंकी हमले ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है। इस हमले में बैसरन घाटी में 26 लोग मारे गए, जिनमें ज्यादातर पर्यटक थे। इस घटना के बाद भारतीय सेना ने कश्मीर घाटी के प्रमुख पर्यटक स्थलों की सुरक्षा व्यवस्था की जांच करने और सैनिकों की दोबारा तैनाती करने का फैसला किया है। इसका मकसद पर्यटकों की सुरक्षा सुनिश्चित करना और आगामी अमरनाथ यात्रा को निर्बाध रूप से संपन्न कराना है।

Pahalgam Attack: Army to Set Up Temporary Bases, Deploy Troops in Higher Reaches

Pahalgam Attack: क्या हुआ था पहलगाम में?

पहलगाम को अपनी प्राकृतिक सुंदरता के चलते ‘मिनी स्विट्जरलैंड’ भी कहा जाता है। यह पर्यटकों के लिए स्वर्ग जैसा है। लेकिन मंगलवार दोपहर करीब 2:30 बजे, बाइसारन घाटी में उस समय खौफ का माहौल बन गया, जब 3 से 6 आतंकियों ने अचानक वहां मौजूद पर्यटकों पर ताबड़तोड़ गोलियां बरसाईं। पाकिस्तान समर्थित लश्कर-ए-तैयबा का आतंकी संगठन ‘द रेसिस्टेंस फ्रंट’ (TRF) ने इस हमले की जिम्मेदारी ली। हमले में 24 भारतीय पर्यटक, दो विदेशी और एक स्थानीय नागरिक की जान चली गई। मरने वालों में हरियाणा के एक नौसेना अधिकारी लेफ्टिनेंट विनय नरवाल और एक खुफिया ब्यूरो (IB) अधिकारी भी शामिल थे।

प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक, आतंकियों ने पहले पर्यटकों के नाम और धर्म पूछे। कुछ पुरुष पर्यटकों को कलमा पढ़ने के लिए कहा गया, और कुछ को शारीरिक जांच के बाद गोली मार दी गई। यह हमला करीब 30 मिनट तक चला, जिसके बाद आतंकी घने जंगलों की आड़ लेकर फरार हो गए। यह कश्मीर में 2019 के पुलवामा हमले के बाद सबसे बड़ा आतंकी हमला है, जिसने सुरक्षा व्यवस्थाओं की खामियों को उजागर किया।

Pahalgam Attack: बनाए जाएंगे अस्थायी ऑपरेटिंग बेस

पहलगाम हमले के बाद भारतीय सेना ने तत्काल कार्रवाई शुरू की। सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने शुक्रवार को कश्मीर का दौरा किया और सुरक्षा हालात का जायजा लिया। सेना ने घाटी के सभी प्रमुख पर्यटक स्थलों का सुरक्षा ऑडिट करने का फैसला किया है। इसके तहत बैसरन जैसी दूरदराज की घाटियों वाले इलाकों की जांच की जाएगी, जो आतंकी हमलों के लिए संवेदनशील हैं।

सेना अब अपनी मौजूदा टुकड़ियों को कश्मीर के भीतरी इलाकों से उन क्षेत्रों में तैनात करेगी, जहां खतरा ज्यादा है। गर्मियों में ऊंचाई वाले क्षेत्रों में सैनिकों की गश्त बढ़ाई जाएगी, ताकि सीमा पार से घुसपैठ को रोका जा सके और आतंकियों को छिपने की जगह न मिले। इसके लिए अस्थायी ऑपरेटिंग बेस (Temporary Operating Bases) का ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल किया जाएगा। ये बेस सैनिकों को 72 से 96 घंटे तक किसी क्षेत्र में ऑपरेशन चलाने की सुविधा देंगे, जिससे बड़े इलाकों में तलाशी अभियान चलाए जा सकें।

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सेना के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, “यह हमला आतंकियों की हताशा को दर्शाता है। वे सुरक्षा बलों से सीधे मुकाबला नहीं कर पा रहे, इसलिए निहत्थे नागरिकों को निशाना बना रहे हैं। बैसरन घाटी में हमला इसलिए हुआ, क्योंकि यह इलाका मुख्य सैन्य बेस से 40 मिनट की दूरी पर है और वहां तत्काल जवाबी कार्रवाई मुश्किल थी।” साथ ही, ये सड़क से लगा हुआ नहीं है, और पैदल यहां पहुंचने में एक घंटे से ऊपर का वक्त लग जाता है।

Pahalgam Attack: अमरनाथ यात्रा पर मंडराया खतरा

पहलगाम हमला ऐसे समय हुआ है, जब अमरनाथ यात्रा की तैयारियां जोरों पर हैं। यह यात्रा 3 जुलाई से शुरू होगी और 38 दिनों तक चलेगी। पहलगाम इस यात्रा का एक प्रमुख आधार शिविर है, जहां से हजारों श्रद्धालु अमरनाथ गुफा की ओर रवाना होते हैं। 2024 में इस यात्रा में 5.12 लाख श्रद्धालुओं ने हिस्सा लिया था, जो एक दशक में सबसे ज्यादा था। लेकिन इस हमले के बाद यात्रा पर खतरे के बादल मंडरा रहे हैं।

जम्मू के होटल और लॉज एसोसिएशन के अध्यक्ष इंदजीत खजुरिया ने कहा, “यह हमला पर्यटन उद्योग के लिए बड़ा झटका है। अमरनाथ यात्रा की घोषणा के ठीक बाद यह हुआ, जिससे तीर्थयात्रियों में डर फैल गया है। हम चाहते हैं कि इस यात्रा की सुरक्षा का जिम्मा पूरी तरह सेना को सौंपा जाए।” कई पर्यटकों ने अपनी बुकिंग रद्द कर दी है, जिससे स्थानीय अर्थव्यवस्था को नुकसान हो रहा है।

पहलगाम हमला कश्मीर में शांति की दिशा में एक बड़ा झटका है। 2024 में कश्मीर में 35 लाख पर्यटक आए थे, जिनमें 43,000 विदेशी थे। लेकिन इस हमले ने पर्यटन उद्योग को गहरी चोट पहुंचाई है। जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा, “यह हमला कश्मीरियत और भारत के विचार पर हमला है। हम इसे बर्दाश्त नहीं करेंगे।”

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Pahalgam Terrorist Attack: आतंकी खतरे का आकलन

खुफिया सूत्रों के मुताबिक, इस हमले के पीछे लश्कर-ए-ताइबा के कमांडर सैफुल्लाह कसूरी उर्फ खालिद का हाथ है। माना जा रहा है कि आतंकी जम्मू के किश्तवाड़ से कोकेरनाग होते हुए बैसरन घाटी तक पहुंचे। भारत-पाकिस्तान सीमा की 3,323 किलोमीटर लंबी रेखा, जो पहाड़ों और घने जंगलों से घिरी है, को पूरी तरह सुरक्षित करना चुनौतीपूर्ण है। आतंकी स्थानीय नेटवर्क और सुरंगों का इस्तेमाल कर घुसपैठ करते हैं।

पहलगाम हमले के बाद खुफिया एजेंसियों ने चेतावनी दी है कि सीमा पार से समर्थित आतंकी और स्थानीय असंतोष का फायदा उठाकर और हमले हो सकते हैं। पंजाब और हिमाचल प्रदेश से सटे कठुआ, डोडा और किश्तवाड़ जैसे इलाकों में आतंकी गतिविधियां बढ़ रही हैं। अनुमान है कि जम्मू-कश्मीर में पंजाल रेंज के उत्तर में 75-80 आतंकी सक्रिय हैं, जिनमें 50 से ज्यादा विदेशी हैं। दक्षिण में 45-50 आतंकी हैं, जिनमें 30 से ज्यादा विदेशी शामिल हैं।

भारत का जवाब

इस हमले के बाद भारत ने कड़ा रुख अपनाया है। सरकार ने 1960 के सिंधु जल समझौते को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया और पाकिस्तानी नागरिकों के लिए वीजा सेवाएं बंद कर दीं। अटारी-वाघा सीमा पर एकीकृत जांच चौकी को भी बंद कर दिया गया है। विदेश सचिव विक्रम मिश्री ने कहा, “पाकिस्तान जब तक सीमा पार आतंकवाद को समर्थन देना बंद नहीं करता, तब तक यह निलंबन जारी रहेगा।”

सुरक्षा सूत्रों का कहना है कि पाकिस्तान ने नियंत्रण रेखा (LoC) पर अपनी सैन्य तैनाती बढ़ा दी है, क्योंकि उसे भारत से जवाबी कार्रवाई की आशंका है। भारत ने साफ कर दिया है कि पाकिस्तान की ओर से किसी भी संघर्ष विराम उल्लंघन का कड़ा जवाब दिया जाएगा। सेना अब ड्रोन-रोधी तकनीक, सुरंग-रोधी उपायों और आतंकी फंडिंग को रोकने पर काम कर रही है।

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LoC पर छोटे हथियारों से फायरिंग

गुरुवार और शुक्रवार रात को पाकिस्तानी सेना ने बारामूला-कुपवाड़ा के बीच नौगाम क्षेत्र में LoC पर छोटे हथियारों से फायरिंग शुरू की, जिसका भारतीय सेना ने कड़ा जवाब दिया। पाकिस्तान ने करीब 600 राउंड गोलीबारी की, जबकि भारत ने 1300 राउंड फायर किए। छोटे हथियारों में राइफल, कार्बाइन, लाइट मशीन गन (LMG) और रॉकेट लॉन्चर शामिल थे, हालांकि मोर्टार का इस्तेमाल नहीं हुआ। 778 किलोमीटर लंबी LoC पर कई जगहों से रातभर फायरिंग की आवाजें सुनाई दीं, लेकिन भारतीय सीमा में कोई गोलीबारी नहीं हुई।

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भारतीय सेना ने पूरे LoC पर हाई अलर्ट घोषित कर दिया है। इसका मतलब है कि सभी महत्वपूर्ण चौकियों पर सैनिक हर समय तैयार रहते हैं। क्विक रिएक्शन टीमें (QRT) तुरंत कार्रवाई के लिए तैनात हैं। राशन का 7 से 15 दिन का रिजर्व स्टॉक, गोला-बारूद और अन्य संसाधन हर यूनिट में सुनिश्चित किए गए हैं। प्रत्येक यूनिट की भौगोलिक स्थिति और कार्य के आधार पर अलर्ट स्तर अलग-अलग है। मोबलाइजेशन स्कीम के तहत यूनिट्स अपनी तैयारियों को पूरा रखती हैं, जिसमें छुट्टियों को रद्द करने जैसे कदम भी शामिल हैं।

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