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इस युद्ध में तोलोलिंग की लड़ाई बेहद अहम थी। तोलोलिंग चोटी दुश्मन के लिए एक स्ट्रैटेजिक पोजिशन थी, जहां से वे हाइवे पर नजर रख सकते थे। भारतीय सैनिकों ने बेहद मुश्किल हालात में, खड़ी चढ़ाई, ठंड और दुश्मन की भारी फायरिंग के बीच इस चोटी को वापस हासिल किया। यह जीत युद्ध में पहली बड़ी सफलता थी, जिसने भारतीय सेना को बाकी चोटियों पर कब्जा करने का हौसला दिया...
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📍नई दिल्ली | 3 months ago

Kargil Vijay Diwas 2025: 1999 के कारगिल युद्ध में तोलोलिंग की ऐतिहासिक लड़ाई में अपने प्राणों की आहुति देने वाले वीर सैनिकों को श्रद्धांजलि देने के लिए, भारतीय सेना की ‘फॉरएवर इन ऑपरेशंस डिवीजन’ ने 11 जून 2025 को तोलोलिंग चोटी पर चढ़ाई की। इस अभियान की शुरुआत द्रास स्थित कारगिल वॉर मेमोरियल से हुई, जो कारगिल की ऊंची चोटियों पर तिरंगा फहराने वाले वीरों को शहादत को नमन करने के लिए बनाया गया है।

इस अभियान में तोलोलिंग की लड़ाई में हिस्सा लेने वाली विभिन्न यूनिट्स के 30 बहादुर सैनिकों की एक टीम ने तोलोलिंग चोटी पर चढ़ाई की और वहां तिरंगा फहराया। और ऑपरेशन विजय के शहीदों को श्रद्धांजलि दी। भारतीय वायुसेना के ऑफिसर्स और एयरमैन ने भी इस अभियान में हिस्सा लिया।

कारगिल विजय की 26वीं सालगिरह के मौके पर यह अभियान सैनिकों के साहस, देशभक्ति और निस्वार्थ सेवा की एक मार्मिक याद दिलाता है, जो भारतीय सेना की पहचान है। यह सिर्फ एक एडवेंचर नहीं है, बल्कि एक ऐसी यात्रा है जो यादों, चिंतन और सम्मान से भरी है, जिसका मकसद नई पीढ़ियों को साहस और बलिदान की कहानियों से प्रेरित करना है, जिन्होंने देश के लिए अपनी कुर्बानी दी।

Kargil Vijay Diwas 2025: कारगिल की चोटियों पर श्रद्धांजलि

कारगिल युद्ध की यादें आज भी हर भारतीय के दिल में जिंदा हैं। 1999 की गर्मियों में, जब कारगिल की बर्फीली चोटियां पिघलने लगीं, तब स्थानीय चरवाहे ताशी नामग्याल ने भारतीय क्षेत्र में पाकिस्तानी घुसपैठियों की मौजूदगी की सूचना दी थी। ये घुसपैठिए उन कारगिल की ऊंची पहाड़ियों पर कब्जा जमाए बैठे थे, जहां से श्रीनगर और लेह को जोड़ने वाला एकमात्र नेशनल हाइवे (NH-1D) को निशाना बना सकते थे। 3 मई 1999 को ताशी नामग्याल ने इस घुसपैठ की जानकारी दी, और 7 मई को भारतीय सेना ने पेट्रोलिंग के जरिए इस घुसपैठ की पुष्टि की। इसके बाद ऑपरेशन विजय की शुरुआत हुई, जो कारगिल युद्ध का टर्निंग पॉइंट साबित हुआ।

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इस युद्ध में तोलोलिंग की लड़ाई बेहद अहम थी। तोलोलिंग चोटी दुश्मन के लिए एक स्ट्रैटेजिक पोजिशन थी, जहां से वे हाइवे पर नजर रख सकते थे। भारतीय सैनिकों ने बेहद मुश्किल हालात में, खड़ी चढ़ाई, ठंड और दुश्मन की भारी फायरिंग के बीच इस चोटी को वापस हासिल किया। यह जीत युद्ध में पहली बड़ी सफलता थी, जिसने भारतीय सेना को बाकी चोटियों पर कब्जा करने का हौसला दिया।

Kargil Vijay Diwas 2025: Indian Army Pays Tribute at Tololing Top Ahead of 26th Anniversary
Pic: Indian Army

तोलोलिंग अभियान का महत्व

11 जून 2025 को शुरू हुआ यह अभियान सिर्फ एक श्रद्धांजलि ही नहीं, बल्कि सैनिकों की उस बहादुरी को सेलिब्रेट करने का जरिया है, जिसने कारगिल युद्ध में भारत को जीत दिलाई। 30 सैनिकों की टीम में उन यूनिट्स के जवान शामिल थे, जिन्होंने 1999 में तोलोलिंग की लड़ाई में हिस्सा लिया था। इस एक्सपीडिशन को कारगिल वॉर मेमोरियल से फ्लैग ऑफ किया गया, जो द्रास में शहीदों की याद में बनाया गया है। इस मेमोरियल में उन सैनिकों के नाम दर्ज हैं, जिन्होंने अपनी जान की बाजी लगाकर देश की रक्षा की।

तोलोलिंग चोटी की चढ़ाई आसान नहीं थी। खड़ी ढलान, ठंडी हवाएं और ऑक्सीजन की कमी ने इस मिशन को चैलेंजिंग बनाया। फिर भी, सैनिकों ने हिम्मत नहीं हारी और चोटी पर पहुंचकर तिरंगा फहराया।

वायुसेना ने निभाई थी अहम भूमिका

वायुसेना ने अपने ऑफिसर्स और एयरमेन को भी इस एक्सपीडिशन में शामिल होने के लिए भेजा। कारगिल युद्ध में भी वायुसेना ने ऑपरेशन सफेद सागर के तहत अहम रोल निभाया था। उस वक्त एयर फोर्स को लाइन ऑफ कंट्रोल (LoC) पार न करने की सख्त हिदायत थी, फिर भी उन्होंने सटीक हवाई हमलों से दुश्मन की पोजिशंस को कमजोर किया।

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आने वाले अभियान

तोलोलिंग अभियान कारगिल विजय की 26वीं सालगिरह से पहले कई ऐसे मिशंस का हिस्सा है, जिनमें सैनिक और सिविलियन्स की टीमें कारगिल की उन चोटियों पर जाएंगी, जहां अहम लड़ाइयां लड़ी गई थीं। 13 जून से शुरू होकर 14 जुलाई 2025 तक ये अभियान गन हिल, पॉइंट 5203, खालूबार, पॉइंट 4812, टाइगर हिल, बत्रा टॉप और पॉइंट 5229 जैसी चोटियों तक जाएंगे। इन जगहों पर तिरंगा फहराया जाएगा और शहीदों को श्रद्धांजलि दी जाएगी। इन अभियानों में सिविलियन्स की भागीदारी खास है, क्योंकि यह देशवासियों को उन बलिदानों से जोड़ता है, जिन्होंने भारत की संप्रभुता को बचाया।

कारगिल युद्ध का बैकग्राउंड

25 मई 1999 को कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी ने वायुसेना को सीमित हवाई कार्रवाई की मंजूरी दी, जिसके तहत ऑपरेशन सफेद सागर लॉन्च हुआ। इंडियन नेवी ने भी ऑपरेशन तलवार शुरू किया, जिसमें कराची के पास सबमरीन्स तैनात की गईं और अरब सागर में गश्त शुरू हुई। जून के पहले हफ्ते से भारतीय सैनिकों ने चोटियों पर हमले शुरू किए। बेहद मुश्किल टेरेन और दुश्मन की मजबूत पोजिशंस के बावजूद, सैनिकों ने तोलोलिंग, टाइगर हिल और बत्रा टॉप जैसी चोटियों को वापस हासिल किया।

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11 जुलाई को अंतरराष्ट्रीय दबाव और भारतीय सेना की जवाबी कार्रवाई के चलते पाकिस्तानी घुसपैठियों ने पीछे हटना शुरू किया। 14 जुलाई को तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने ऑपरेशन विजय की सफलता की घोषणा की, और 26 जुलाई को भारतीय सेना ने पूरी घुसपैठ खत्म होने की पुष्टि की। यह दिन आज कारगिल विजय दिवस के रूप में मनाया जाता है।

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