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📍नई दिल्ली | 7 months ago

Indian Army: भारतीय सेना के 20 जाट रेजिमेंट के सूबेदार देवेंद्र सिंह अपनी बेटी की शादी की तैयारियों में जुटे थे, लेकिन उनकी अचानक मौत ने पूरे परिवार को गहरे सदमे में डाल दिया। देवेंद्र सिंह ने शादी से सिर्फ एक महीने पहले वीआरएस लिया था, और शादी से दो दिन पहले एक सड़क दुर्घटना में चल बसे। उनकी मौत से जहां शादी के घर में खुशियों का माहौल मातम में बदल गया, वहीं सेना के साथियों ने इस मुश्किल घड़ी में अपने भाईचारे की मिसाल पेश की।

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Indian Army: सदमे में आई बेटी, पिता के साथियों ने संभाला

गुरुवार को 48 वर्षीय देवेंद्र सिंह मथुरा के मांट-राया रोड पर शादी की तैयारियों के सिलसिले में जा रहे थे। रास्ते में उनकी कार एक खड़ी ट्रैक्टर-ट्रॉली से टकरा गई, जिसमें उनकी और उनके चचेरे भाई उदयवीर सिंह की मौके पर ही मौत हो गई। इस हादसे से शादी का घर मातम में बदल गया। देवेंद्र की बेटी ज्योति, जिसकी शादी होने वाली थी, सदमे में आ गई और उसने शादी करने से इनकार कर दिया।

भाईचारे की झलक

जब देवेंद्र सिंह के पूर्व कमांडिंग अधिकारी कर्नल चंद्रकांत शर्मा को इस दुखद घटना के बारे में पता चला, तो उन्होंने तुरंत कदम उठाया। पंजाब से उनकी बटालियन के पांच जवान—सूबेदार सोनवीर सिंह और मुकेश कुमार, हवलदार प्रेमवीर, और सिपाही विनोद व बेटाल सिंह—मथुरा पहुंचे। इन सैनिकों ने देवेंद्र सिंह के परिवार को इस कठिन समय में सहारा दिया और शादी को संपन्न कराने का जिम्मा उठाया।

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जवानों ने संभाली जिम्मेदारी

सैनिकों ने ना केवल शादी की तैयारियों को संभाला, बल्कि पूरे खर्च का भार भी उठाया। उन्होंने मेहमानों की मेजबानी की, ज्योति को समझाया और पिता की भूमिका निभाते हुए ‘कन्यादान’ भी किया। यह रस्म जो आमतौर पर पिता द्वारा निभाई जाती है, इन सैनिकों के लिए अपने साथी के प्रति सम्मान और समर्पण की अद्भुत मिसाल बन गई।

दूल्हा भी सेना में जवान

दूल्हा, सौरभ सिंह, इन दिनों मणिपुर में तैनात है, वह अपनी बारात लेकर हाथरस के धनौती बुर्ज गांव से मंत पहुंचा। सौरभ के पिता, हवलदार सत्यवीर, भी देवेंद्र सिंह के साथ सेना में सेवाएं दे चुके थे। दोनों परिवारों के बीच वर्षों से बना यह रिश्ता इस मुश्किल समय में और मजबूत हो गया।

परिवार को मिली नई ताकत

सैनिकों की इस अद्भुत पहल ने परिवार को ना केवल संभाला, बल्कि शादी को भी गरिमा और सम्मान के साथ संपन्न किया। ज्योति के चाचा नरेंद्र सिंह ने कहा, “परिवार पूरी तरह टूट चुका था, लेकिन सैनिकों ने कदम बढ़ाया और पूरे माहौल को बदल दिया।”

गांव वालों ने की सराहना

शादी में मौजूद रिश्तेदार और गांववाले सैनिकों की इस पहल से भावुक हो उठे। आकाश सिंह, जो ज्योति के चचेरे भाई हैं, ने बताया, “इन सैनिकों की उपस्थिति ने सब कुछ बदल दिया। यहां तक कि कमांडिंग ऑफिसर ने भी परिवार से बात कर उन्हें सांत्वना दी।”

पिता का सपना हुआ पूरा

ज्योति के लिए यह पल बेहद मुश्किल था, लेकिन सैनिकों के हौसले और समर्थन ने उसे अपने पिता का सपना पूरा करने की ताकत दी। सैनिकों ने यह सुनिश्चित किया कि देवेंद्र सिंह की अनुपस्थिति में भी शादी उनके सपनों के मुताबिक हो।

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यह घटना भारतीय सेना के भाईचारे और मानवता की एक बेहतरीन मिसाल है। सैनिकों ने यह दिखा दिया कि वे ना केवल देश की रक्षा में बल्कि अपने साथियों के परिवारों के प्रति भी गहरी संवेदनशीलता रखते हैं।

देवेंद्र सिंह के साथियों की यह पहल केवल एक शादी को सफल बनाने तक सीमित नहीं थी, बल्कि यह एक संदेश भी थी कि सेना में रिश्ते खून के नहीं, बल्कि कर्तव्य और सम्मान के होते हैं।

सेना के प्रति सम्मान बढ़ा

गांववालों और रिश्तेदारों ने सैनिकों के इस अद्वितीय समर्पण को देखकर सेना के प्रति अपना सम्मान और प्यार जाहिर किया। उन्होंने इसे एक ऐसी घटना बताया, जो जीवनभर उनके दिलों में बसी रहेगी।

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