सैन्य सूत्रों ने बताया कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारतीय सेना की आर्टिलरी ने पाकिस्तान और पीओके में जमकर कहर बरपाया था और आतंकी ठिकानों को निशाना बनाने में अहम भूमिका निभाई थी। इस दौरान बोफोर्स, M777 और इजराइली सॉल्टम तोपों का इस्तेमाल किया गया। ऑपरेशन से जुड़े सूत्रों ने बताया कि इस दौरान नौ आतंकी ठिकानों को टारगेट दिया गया था, जिनमें से सात को भारतीय सेना ने नष्ट किया था। सूत्रों ने बताया, “पीओके में सात आतंकी शिविरों को खत्म करने में तोपों का बेहद सटीक और प्रभावी तरीके से इस्तेमाल किया गया था।”
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📍नई दिल्ली | 11 Jul, 2025, 2:07 PM

Excalibur Artillery Ammunition: भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ चार दिन चले ऑपरेशन सिंदूर में न केवल स्वदेशी हथियारों ने अपनी ताकत दिखाई थी, बल्कि उनमें से कुछ ऐसे विदेशी हथियार भी थे, जिन्होंने पाकिस्तान के आतंकी ठिकानों पर सटीक हमला करके पाकिस्तानी सेना की कमर तोड़ दी थी। इन हथियारों से से कई अमेरिका से लिए गए थे। इन्ही में से एक हथियार था एक्सकैलिबर (Excalibur) आर्टिलरी एम्युनिशन, जिसने पाकिस्तान में जमकर तबाही मचाई। वहीं एक्सकैलिबर गोलों की सटीकता से प्रभावित होकर भारत अमेरिका से और ऐसे गोले खरीदने की योजना बना रहा है।

China role in Op Sindoor: भारतीय सेना ने बताया ऑपरेशन सिंदूर में एक नहीं तीन थे दुश्मन! चीन की भूमिका का किया खुलासा, पाकिस्तान को मोहरा बना की हथियारों की टेस्टिंग!

Excalibur Artillery Ammunition: पीओके में जमकर बरपाया था कहर

सैन्य सूत्रों ने बताया कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारतीय सेना की आर्टिलरी ने पाकिस्तान और पीओके में जमकर कहर बरपाया था और आतंकी ठिकानों को निशाना बनाने में अहम भूमिका निभाई थी। इस दौरान बोफोर्स, M777 और इजराइली सॉल्टम तोपों का इस्तेमाल किया गया। ऑपरेशन से जुड़े सूत्रों ने बताया कि इस दौरान नौ आतंकी ठिकानों को टारगेट दिया गया था, जिनमें से सात को भारतीय सेना ने नष्ट किया था।

सूत्रों ने बताया, “पीओके में सात आतंकी शिविरों को खत्म करने में तोपों का बेहद सटीक और प्रभावी तरीके से इस्तेमाल किया गया था।”

दो मीटर तक की सटीकता

सूत्रों ने बताया, इस दौरान अमेरिका से खरीदे गए एक्सकैलिबर (Excalibur) आर्टिलरी एम्युनिशन ने बेहद सटीक हमले किए थे। इनकी सटीकता का अंदाजा इसी लगा सकते हैं कि एक्सकैलिबर एक GPS-गाइडेड आर्टिलरी एम्युनिशन है, और इसकी सटीकता इतनी अधिक होती है कि यह 2 मीटर के भीतर ही लक्ष्य को भेद सकता है। भारतीय सेना ने एयर डिफेंस यूनिट के साथ मिलकर आर्टिलरी ने नियंत्रण रेखा से 6 से 16 किलोमीटर की दूरी पर स्थित सभी सात आतंकी शिविरों को सबसे अधिक नुकसान पहुंचाया। भारतीय सेना की आर्टिलरी ने पाकिस्तान में मौजूद आतंकी ठिकानों को 2019 में सेना में शामिल किए गए एक्सकैलिबर गोला-बारूद के जरिए नष्ट किए। इन गोलों को M777 हॉवित्जर से दागा गया था। यह आर्टिलरी एम्युनिशन 50 किलोमीटर दूर तक के लक्ष्यों को सटीकता से भेदने में सक्षम है।

एक्सकैलिबर की क्या हैं खूबियां

एक्सकैलिबर का पहली बार इस्तेमाल 2007 में इराक में हुआ था, जहां इसने शहरी युद्ध में अपनी सटीकता साबित की। 2012 में अफगानिस्तान में, M777 हॉवित्जर ने Excalibur का इस्तेमाल कर 36 किमी की दूरी पर टारगेट को निशाना बनाया, जो मरीन कॉर्प्स के लिए रिकॉर्ड था।

M982 एक्सकैलिबर 155 मिमी तोप का गोला है, जो बहुत सटीक निशाना लगाता है। इसे अमेरिका की कंपनी Raytheon और स्वीडन की BAE Systems ने मिलकर बनाया है। यह गोला M777 जैसे लाइट आर्टिलरी हॉवित्जर से दागा जाता है। इसे खास तौर पर ऐसे युद्धों के लिए बनाया गया है कि शहरों में या सीमावर्ती इलाकों में आसपास की जगहों को नुकसान पहुंचाए बिना सटीक हमला किया जा सके।

Excalibur एक “स्मार्ट” गोला है, जो GPS और एक खास नेविगेशन सिस्टम की मदद से अपने लक्ष्य को ढूंढता है। यह सामान्य तोप के गोले से अलग है, क्योंकि यह उड़ते समय अपनी दिशा को ठीक कर सकता है। इसे M777, M109A6 पलाडिन, या अन्य आधुनिक तोपों से दागा जा सकता है। जहां सामान्य गोले 50-200 मीटर तक चूक सकते हैं, लेकिन यह मात्र 2 मीटर के भीतर ही लक्ष्य को निशाना बना सकता है।

इसकी रेंज की बात करें, तो M777 हॉवित्जर से यह 40 किलोमीटर तक मार कर सकता है। वहीं, अगर ज्यादा लंबी बैरल वाली तोप (जैसे 52-कैलिबर) हो, तो यह 50 किलोमीटर तक मार कर सकता है। जबकि कुछ खास वैरिएंट 70 किलोमीटर तक भी मार कर सकते हैं।

M777 हॉवित्जर से गोला जैसे ही निकलता है, वह एक साधारण गोले की तरह आगे बढ़ता है, लेकिन जैसे-जैसे वह अपनी अधिकतम ऊंचाई (apogee) पर पहुंचने वाला होता है, उसमें लगे छोटे-छोटे पंख (canards) अपने आप बाहर निकल आते हैं। ये पंख गोले को उड़ान के दौरान स्थिर रखते हैं और सही दिशा में आगे बढ़ने में मदद करते हैं।

इसके बाद गोला अपने अंदर लगे GPS सिस्टम से उपग्रहों से सिग्नल लेकर अपने लक्ष्य को ट्रैक करता है। अगर कभी GPS सिग्नल न मिले तो इसमें इनर्शियल नेविगेशन सिस्टम भी होता है, जो गोले को उसकी दिशा और स्थिति बनाए रखने में मदद करता है। जैसे ही गोला अपने टारगेट के नजदीक पहुंचता है, तो यह लगभग सीधी दिशा (near-vertical angle) में नीचे गिरता है, ताकि ज्यादा से ज्यादा असर हो। इसके अंदर लगे फ्रैग्मेंटेशन वारहेड्स यानी टुकड़ों में बिखरने वाला विस्फोटक, लक्ष्य पर गिरते ही या उसके अंदर घुसकर या हवा में एक निर्धारित ऊंचाई पर फटता है।

एक्सकैलिबर गोले में तीन तरह के फ्यूज विकल्प जैसे हाइट ऑफ बर्स्ट, पॉइंट डिटोनेशन और डिले एंड पेनिट्रेशन होते हैं। इस गोले का वजन लगभग 48 किलो होता है और यह एक खास तकनीक (base-bleed) से काम करता है। इस तकनीक में गोले के पीछे से हल्की गैस निकलती है, जिससे हवा का घर्षण कम होता है और गोला लंबी दूरी तक जा सकता है।

इतनी है एक गोले की कीमत

वहीं, इसकी कीमत की बात करें, करीब 68,000 से 100,000 डॉलर (56 लाख से 82 लाख रुपये) प्रति गोला है। यह पारंपरिक गोले (लगभग 800 डॉलर) से काफी महंगा है। एक्सकैलिबर को गाइड करने के लिए फायर सपोर्ट सेंसर सिस्टम वाला M707 नाइट व्हीकल इस्तेमाल किया जाता है, जो दुश्मन की लोकेशन, मौसम, ऊंचाई और समय जैसी जानकारियों को प्रोसेस कर गोले को अंतिम दिशा देता है। इस पूरे सिस्टम का सबसे बड़ा फायदा यह है कि किसी भी दूरी पर बेहद सटीक हमला किया जा सकता है, आसपास होने वाला नुकसान बहुत कम होता है, जिससे हर टारगेट पर कम गोले खर्च होते हैं।

अमेरिका से तुरंत चाहिए एक्सकैलिबर

वहीं, इसकी सटीकता से प्रभावित हो कर भारत ने अमेरिका से एक्सकैलिबर GPS-गाइडेड एम्युनिशन की आपातकालीन खरीद का अनुरोध किया है। ये गोले M777 लाइट हॉवित्ज़र से दागे जाते हैं और 40 किलोमीटर दूर तक 15-20 मीटर की सटीकता से निशाना साध सकते हैं।

सूत्रों ने बताया कि ऑपरेशन सिंदूर ने M777 तोपों, एक्सकैलिबर गोला-बारूद और दूसरे मिलिट्री इक्विपमेंट्स का सपोर्ट मिला है, इससे यह संकेत मिलता है कि भारत अब सिर्फ भरोसे पर नहीं, बल्कि ठोस विश्वसनीयता पर जोर दे रहा है। हालांकि, इस दिशा में सबसे बड़ी चुनौती यह है कि अमेरिका में ट्रंप प्रशासन से जुड़ी अनिश्चितताओं के बीच इस प्रक्रिया को बिना प्रभावित हुए कैसे आगे बढ़ाया जाए।

इसके अलावा भारत ने अमेरिका से ‘जेवलिन’ एंटी-टैंक मिसाइलें भी तुरंत खरीदने का प्रस्ताव रखा है। यह प्रस्ताव पहले से चल रही डील से अलग है। फरवरी 2025 में पीएम मोदी की अमेरिका यात्रा के दौरान इस डील का जिक्र हुआ था।

बता दें कि भारतीय सेना ने 2019 में एक्सकैलिबर गोलों की खरीद शुरू की थी। शुरुआत में भारत ने अक्टूबर 2019 में 1,200 एक्सकैलिबर गोले खरीदे। इनमें दो प्रकार के गोले शामिल थे, 500 गोले 20 मीटर की सटीकता (Circular Error Probable, CEP) वाले। और 700-800 गोले: 2 मीटर की सटीकता वाले। वहीं, 2020 में लद्दाख में भारत-चीन के तनाव के बाद, भारतीय सेना ने जून 2021 में $9.17 मिलियन मूल्य के एक्सकैलिबर Increment Ib गोलों की खरीद की थी। ये गोले GPS जैमिंग के खिलाफ बेहद कारगर हैं।

Excalibur Artillery Ammunition: US-Made Precision Shells Helped Destroy 7 of 9 Terror Targets in Operation Sindoor
M777 155 mm light howitzers (PIC: IAF)

 

M777 सबसे हल्की फील्ड हॉवित्जर

M777 हॉवित्जर को दुनिया का सबसे हल्का 155 मिमी तोपखाना कहा जाता है, जिसका वजन लगभग 7,500 पाउंड (4218 किग्रा) होता है। इसे हेलीकॉप्टर (जैसे चिनूक) या अन्य एयरक्राफ्ट द्वारा कहीं भी ले जाया जा सकता है। यह खासकर ऊबड़-खाबड़ इलाके या ऊंचाई वाले क्षेत्रों में बेहद कारगर है। इसकी अधिकतम रेंज 24.7 किमी होती है, लेकिन एक्सकैलिबर जैसे खास गोलों के जरिए 30 किमी या उससे अधिक तक निशाना साध सकती है।

M777 हॉवित्जर डील की शुरुआत 2010 में हुई थी। 30 नवंबर 2016 को भारत और अमेरिका ने 737 मिलियन डॉलर (लगभग 5500 करोड़ रुपये) की डील पर दस्तखत किए। यह सौदा अमेरिका के फॉरेन मिलिट्री सेल्स प्रोग्राम के तहत हुआ था। इस डील में 145 M777 तोपें, लेजर इनर्शियल आर्टिलरी पॉइंटिंग सिस्टम (LINAPS), स्पेयर पार्ट्स, ट्रेनिंग, और लॉजिस्टिक सपोर्ट शामिल था। मई 2017 में पहली दो M777 तोपें भारत पहुंचीं। इन्हें राजस्थान के पोखरण फील्ड फायरिंग रेंज में टेस्ट किया गया। जिसके बाद भारत ने 145 M777 हॉवित्जर को 2019 में शामिल किया। इस सौदे में 2020 में 25 M777 हॉवित्जर अमेरिका से पूरी तरह तैयार (रेडी-बिल्ट) अवस्था में आयात की गईं। और 2022 में 120 तोपें भारत में महिंद्रा डिफेंस सिस्टम्स लिमिटेड के साथ मिलकर असेंबल की। जिसका मकसद पहाड़ी और सीमावर्ती क्षेत्रों में तैनाती था। भारत के पास M777 हॉवित्जर की सात रेजिमेंट्स हैं, यानी हर रेजिमेंट में 18 तोपें।

लेकिन M777 की खरीद इतनी भी आसान नहीं थी। 2014 में यह सौदा रद्द होने की कगार पर था, क्योंकि अमेरिका ने कीमत बढ़ा दी थी। 2017 में पोखरण टेस्टिंग के दौरान एक M777 की बैरल खराब हो गई थी, जिसकी वजह भारतीय ऑर्डनेंस फैक्ट्री बोर्ड (OFB) का गोला-बारूद बताया गया था।

M777 प्रति मिनट तेज रफ्तार से 4 राउंड (गोले) दाग सकता है। हालांकि, यह रेट केवल छोटी अवधि (1-2 मिनट) के लिए संभव है, क्योंकि इससे बैरल गर्म हो जाती है। वहीं, इसका निरंतर फायरिंग रेट प्रति मिनट 2 राउंड है।

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