📍नई दिल्ली | 27 Nov, 2024, 5:37 PM
President Colours: भारतीय सेना के प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने 27 नवंबर को आहिल्यनगर स्थित मैकेनाइज्ड इन्फैंट्री सेंटर और स्कूल (MIC&S) में आयोजित एक समारोह में चार मैकेनाइज्ड इन्फैंट्री बटालियनों को ‘प्रेजिडेंट्स कलर्स’ प्रदान किए। यह सम्मान बटालियनों की उत्कृष्ट और अनुकरणीय सेवा के लिए दिया गया। सम्मानित बटालियनें थीं – 26वीं और 27वीं मैकेनाइज्ड इन्फैंट्री रेजीमेंट, और 20वीं व 22वीं ब्रिगेड ऑफ द गार्ड्स। इस विशेष अवसर पर सेना के वेटरन, सैन्य कर्मी और नागरिक गणमान्य व्यक्तियों ने समारोह में भाग लिया।
President Colours: परेड और सम्मान का प्रदर्शन
जनरल द्विवेदी ने परेड का निरीक्षण करते हुए चारों बटालियनों की उत्कृष्ट प्रस्तुति की सराहना की। उन्होंने भारत के राष्ट्रपति की ओर से प्रेजिडेंट्स कलर्स प्रदान किए और इन बटालियनों की सेवाओं को राष्ट्र के प्रति समर्पण और अनुकरणीय प्रदर्शन के रूप में मान्यता दी। उन्होंने सभी सैनिकों को बधाई दी और मैकेनाइज्ड इन्फैंट्री की युद्ध और शांति दोनों में निभाई गई भूमिका की प्रशंसा की।
मैकेनाइज्ड इन्फैंट्री, जो 1979 में स्थापित हुई, भारतीय सेना के सबसे युवा और कुशल हथियारों में से एक है। यह बल इन्फैंट्री और मैकेनाइज्ड फोर्सेज का मिश्रण है और इसे अपनी बहुमुखी प्रतिभा और शौर्य के लिए जाना जाता है।
इतिहास और योगदान की झलक
अपने संबोधन में सेना प्रमुख ने कहा कि मैकेनाइज्ड इन्फैंट्री ने ऑपरेशन पवन, ऑपरेशन विजय, ऑपरेशन रक्षा और ऑपरेशन स्नो लेपर्ड जैसी महत्वपूर्ण सैन्य गतिविधियों में अपनी दक्षता साबित की है। इसके अलावा, इन बटालियनों ने संयुक्त राष्ट्र शांति मिशनों में भी उत्कृष्ट प्रदर्शन किया है। उन्होंने उल्लेख किया कि चार बटालियनों को उनके अनुकरणीय सेवा और उपलब्धियों के लिए यह सम्मान प्रदान किया जा रहा है।
आधुनिक युद्ध के लिए तत्परता और आत्मनिर्भरता
सेना प्रमुख ने कहा कि बदलते युद्ध परिदृश्य में मैकेनाइज्ड इन्फैंट्री आधुनिक उपकरणों जैसे फ्यूचरिस्टिक इन्फैंट्री कॉम्बैट व्हीकल्स, नाग मिसाइल सिस्टम, मिनी ड्रोन और एकीकृत निगरानी प्रणालियों के साथ खुद को एडवांस बना रही है। यह सभी प्रयास आत्मनिर्भरता के आधार पर किए जा रहे हैं, जिससे सेना भविष्य की चुनौतियों के लिए तैयार हो रही है।
प्रेजिडेंट्स कलर्स का ऐतिहासिक महत्व
प्रेजिडेंट्स कलर्स सेना की किसी इकाई को दिया जाने वाला सर्वोच्च सम्मान है। यह सम्मान किसी भी बटालियन की असाधारण सेवा और समर्पण का प्रतीक है। ऐतिहासिक रूप से, इसे युद्ध के दौरान सैनिकों को प्रेरित करने और उनकी एकजुटता बढ़ाने के लिए इस्तेमाल किया जाता था। वर्तमान समय में, यह एक सांकेतिक पहचान के रूप में मनोबल बढ़ाने का कार्य करता है।
वयोवृद्धों का सम्मान और भविष्य की प्रेरणा
समारोह के दौरान, सेना प्रमुख ने चार पूर्व सैनिकों को उनके योगदान के लिए सम्मानित किया और उनके प्रयासों की सराहना की। उन्होंने सभी सैनिकों और उनके परिवारों को शुभकामनाएं दीं और उनसे राष्ट्र की सेवा में उत्कृष्टता के लिए प्रयासरत रहने की अपील की।
इस समारोह ने भारतीय सेना की समर्पण भावना और अनुशासन को और अधिक प्रोत्साहित किया। यह सम्मान बटालियनों की अदम्य सेवा का प्रतीक है और आने वाले समय में उनके लिए प्रेरणा का स्रोत बनेगा।