📍नई दिल्ली | 3 weeks ago
Agniveer retention policy: भारतीय सेना में अग्निवीर योजना के तहत भर्ती हुए पहले बैच के लिए तीसरा असेसमेंट शुरू हो चुका है। यह बैच जनवरी 2023 में सेना में शामिल हुआ था। इस असेसमेंट का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि स्थायी सेवा के लिए चुने गए अग्निवीर न केवल शारीरिक रूप से फिट हों, बल्कि उनके पास सैन्य करियर के लिए आवश्यक कौशल और योग्यता भी हो। डिफेंस सूत्रों ने बताया कि इस प्रक्रिया को निष्पक्षता, पारदर्शिता और उद्देश्यपूर्ण तरीके से डिजाइन किया गया है, ताकि किसी भी तरह का पक्षपात न हो।
Agniveer retention policy: अग्निवीर योजना और असेसमेंट प्रक्रिया
अग्निपथ योजना की घोषणा 14 जून, 2022 को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने की थी। इस योजना के तहत अग्निवीरों को चार साल के लिए भर्ती किया जाता है, जिसमें से 25 प्रतिशत को परमानेंट किया जाता है। चार साल की सेवा के दौरान, अग्निवीरों का असेसमेंट चार बार किया जाता है। पहला मूल्यांकन भर्ती के 31 सप्ताह के भीतर रेजिमेंटल केंद्र में होता है, दूसरा 18 महीने की सेवा के बाद उनकी यूनिट में, तीसरा 30 महीने में, जो अभी चल रहा है, और चौथा 42वें महीने में, यानी यूनिट छोड़ने से छह महीने पहले किया जाता है।
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सूत्रों के अनुसार, इस व्यवस्था को इस तरह से बनाया गया है कि हर स्तर पर अग्निवीरों को अपने प्रदर्शन को बेहतर साबित करने के लिए पूरा मौका मिले। इस प्रक्रिया को डिजाइन करने में निष्पक्षता और पारदर्शिता को सर्वोच्च प्राथमिकता दी गई है। पहले चरण का असेसमेंट रेजिमेंटल केंद्र में होता है, जहां नई भर्तियों को ट्रेनिंग दी जाती है। इसके बाद दो असेसमेंट उनकी यूनिट में और आखिरी असेसमेंट उच्च अधिकारी करता है, जिसके अधीन यूनिट काम करती है। यह सुनिश्चित करने के लिए कि असेसमेंट में कोई पक्षपात न हो, अग्निवीर की सेवा वाली यूनिट को उनके असेसमेंट में सीधे शामिल नहीं किया जाता।
असेसमेंट का क्या है तरीका
हर चरण में अग्निवीरों को असेसमेंट में पास होने के पर्याप्त मौके दिए जाते हैं। रेजिमेंटल केंद्र में होने वाले पहले चरण के टेस्ट में ड्रिल, फिजिकल टेस्ट और फायरिंग शामिल होती है। प्रत्येक टेस्ट में अग्निवीरों को तीन मौके दिए जाते हैं, और इनमें से सबसे अच्छा प्रदर्शन असेसमेंट सॉफ्टवेयर में दर्ज किया जाता है। बाद के चरणों में उन्हें दो मौके दिए जाते हैं, और दोनों में से बेहतर प्रदर्शन दर्ज किया जाता है।
अग्निवीर अपने प्रदर्शन के डेटा को अपने लॉगिन आईडी के जरिए देख सकते हैं, जिससे प्रक्रिया में पारदर्शिता बनी रहती है। सूत्रों ने बताया कि सेना की यूनिट्स देश के अलग-अलग हिस्सों में, जैसे सियाचिन और लद्दाख (12,000 फीट से अधिक) जैसे ऊंचाई वाले क्षेत्रों में तैनात होती हैं। ऐसे मामलों में परीक्षा देने के लिए उन्हें नजदीकी कोर बैटल स्कूल या रियर यूनिट्स से जोड़ा जाता है ताकि उनका मूल्यांकन समान रूप से हो सके।
सूत्रों ने बताया, इस असेसमेंट प्रोसेस की सबसे अहम बात यह है कि जहां अग्निवीर तैनात हैं, वही यूनिट उनका असेसमेंट नहीं करती। इससे किसी भी तरह के पक्षपात की संभावना खत्म हो जाती है। भारतीय सेना के अडजुटेंट जनरल ब्रांच (Adjutant General Branch) ने इस प्रक्रिया की निगरानी के लिए एक सक्षम अधिकारी (Competent Authority) नियुक्त किया है, जो किसी भी अपवाद या छूट की अनुमति देने का अधिकार रखता है। यह ब्रांच सेना के मानव संसाधन, प्रशासनिक सहायता और मैनपावर मैनेजमेंट का काम देखती है।
बहादुरी पुरस्कार पाने वालों को प्राथमिकता
अग्निवीरों के करियर में वीरता पुरस्कार (gallantry awards) और मेडल्स की अहम भूमिका है। सूत्रों के अनुसार, जिन अग्निवीरों को सेना मेडल (Sena Medal) या उससे ऊपर के पुरस्कार जैसे अशोक चक्र, कीर्ति चक्र, या शौर्य चक्र मिले हैं, उन्हें सीधे पक्की नौकरी मिल जाएगी।
इसके अलावा, “मेंशन इन डिस्पैचेस” (Mention in Dispatches) पाने वालों को 25 अतिरिक्त अंक दिए जाएंगे। सेना प्रमुख, आर्मी कमांडर और कोर कमांडर द्वारा दी गई प्रशंसा पत्र (Commendation Cards) के लिए भी अतिरिक्त अंक दिए जाते हैं।
खिलाड़ियों के लिए अवसर
अग्निपथ योजना के तहत भर्ती हुए खिलाड़ियों को भी स्थायी सेवा में शामिल होने का मौका मिलता है। जो अग्निवीर अंतरराष्ट्रीय स्तर (international events) पर खेलों में हिस्सा लेते हैं, उनकी स्थायी भर्ती पक्की हो जाती है। राष्ट्रीय स्तर (national events) पर हिस्सा लेने वालों को 10 अतिरिक्त अंक और सर्विसेज स्तर (services level events) पर हिस्सा लेने वालों को 6 अतिरिक्त अंक दिए जाते हैं।
असेसमेंट का कुल स्कोर
मूल्यांकन में कुल 1000 अंकों का आकलन होता है। यह डेटा अग्निवीरों के चार साल की सेवा पूरी होने से तीन महीने पहले, यानी अक्टूबर 2026 तक, डेटा शीट में दर्ज करना होता है। पहले बैच के अग्निवीर जनवरी 2027 में अपनी सेवा पूरी करेंगे। चार साल की सेवा के बाद सभी अग्निवीरों को रिलीज मेडिकल बोर्ड से गुजरना होगा, जो उनकी मेडिकल स्थिति का आकलन करेग।
चार साल की सेवा के बाद की प्रक्रिया
सूत्रों के अनुसार, जो अग्निवीर परमानेंट किए जाएंगे उन्हें यूनिट छोड़ने के सात दिनों के भीतर सूचित किया जाएगा, और उन्हें 30 दिनों के भीतर अपने रेजिमेंटल केंद्र में रिपोर्ट करना होगा। एक सप्ताह की अतिरिक्त अवधि भी दी जाएगी। अगर कोई अग्निवीर इस अवधि में रिपोर्ट नहीं करता, तो उसे सेवा में शामिल होने का इच्छुक नहीं माना जाएगा, और मेरिट लिस्ट में अगले व्यक्ति को मौका मिलेगा। चयनित 25 प्रतिशत अग्निवीर कम से कम 15 साल या उससे अधिक समय तक सेना में परमानेंट नौकरी कर करेंगे।
यह ध्यान देना जरूरी है कि पहले सैनिकों को 15 साल की सेवा के बाद पेंशन मिलती थी, लेकिन अग्निपथ योजना के तहत अग्निवीरों को यह लाभ नहीं मिलता। स्थायी भर्ती की प्रक्रिया “आर्म एंड सर्विस” यानी हथियार और सेवाओं से जुड़ी ट्रेड के अनुसार की जाएगी। हर ट्रेड के लिए अलग मेरिट लिस्ट बनेगी।
तीसरा असेसमेंट अग्निवीरों के लिए बेहद महत्वपूर्ण है, जो उनकी मेहनत, समर्पण और कौशल को परखेगा। भारतीय सेना इस प्रक्रिया के जरिए यह सुनिश्चित कर रही है कि केवल सर्वश्रेष्ठ और सबसे योग्य अग्निवीर ही स्थायी सेवा के लिए चुने जाएं।
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