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अनंतनाग, कश्मीर से ताल्लुक रखने वाले हिलाल पहले भारतीय हैं, जिन्होंने राफेल लड़ाकू विमान उड़ाया। 7 मई 2025 को "ऑपरेशन सिंदूर" में उन्होंने राफेल विमानों से पाकिस्तान और पीओके में आतंकी ठिकानों पर सटीक बमबारी की, जो अप्रैल 2025 में पहलगाम आतंकी हमले का जवाब था। हिलाल ने 3,000 घंटे से ज्यादा बिना हादसे की उड़ान भरी है और मिराज 2000, मिग-21 जैसे विमानों का अनुभव रखते हैं...
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📍नई दिल्ली | 2 months ago

Op Sindoor: भारतीय वायुसेना के वरिष्ठ अधिकारी एयर वाइस मार्शल हिलाल अहमद इन दिनों चर्चा में हैं। वजह है ऑपरेशन सिंदूर। 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के जवाब में भारत ने 7 मई को पाकिस्तान और पीओके में स्थित 9 आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया। कश्मीर के अनंतनाग से आने वाले हिलाल एक कश्मीरी मुस्लिम हैं और पहले भारतीय हैं, जिन्होंने अत्याधुनिक राफेल लड़ाकू विमान को उड़ाया। ऑपरेशन सिंदूर में उनकी रणनीति के तहत ही पाकिस्तान को जबरदस्त चोट पहुंचाई गई।

Op Sindoor: कौन हैं एयर वाइस मार्शल हिलाल अहमद?

हिलाल अहमद जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग जिले से ताल्लुक रखते हैं और भारतीय वायुसेना में एक कश्मीरी मुस्लिम अधिकारी के रूप में उन्होंने कई ऐतिहासिक उपलब्धियां हासिल की हैं। उन्हें भारत का पहला ऐसा पायलट माना जाता है, जिसने राफेल फाइटर जेट उड़ाया। उनके नाम पर 3,000 से अधिक एक्सीडेंट-फ्री फ्लाइंग ऑवर्स हैं, और वे मिराज-2000 और मिग-21 जैसे कई फ्रंटलाइन कॉम्बैट एयरक्राफ्ट उड़ा चुके हैं।

Op Sindoor: Kashmiri Muslim AVM Hilal Ahmed Bombed Pakistan in Operation Sindoor!

हिलाल अहमद का जन्म जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग में एक साधारण परिवार में हुआ। उनके पिता, मोहम्मद अब्दुल्ला राथर, जम्मू-कश्मीर में एक छोटे-मोटे कारोबारी थे, और परिवार की आर्थिक स्थिति बहुत मजबूत नहीं थी। अनंतनाग उस समय आतंकवाद और अशांति का केंद्र था, और वहां बड़े सपने देखना आसान नहीं था। लेकिन हिलाल ने बचपन से ही आसमान छूने का सपना देखा। वे अपने स्कूल के दिनों में पढ़ाई में बहुत अच्छे थे और खेलों में भी हिस्सा लेते थे। हिलाल की मेहनत और लगन ने उन्हें राष्ट्रीय रक्षा अकादमी (NDA) तक पहुंचाया, जहाँ से उन्होंने अपनी सैन्य सफर शुरू किया।

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1988 में भारतीय वायुसेना में बने फाइटर पायलट

हिलाल ने 1988 में भारतीय वायुसेना में एक फाइटर पायलट के तौर पर अपनी शुरुआत की। इसके बाद उन्होंने कई बड़े संस्थानों से ट्रेनिंग ली। वे अमेरिका के एयर वार कॉलेज गए, जहां उन्होंने डिस्टिंक्शन के साथ डिग्री हासिल की। उनकी इस उपलब्धि ने उन्हें वायुसेना में एक अलग पहचान दी। समय के साथ वे फ्लाइट लेफ्टिनेंट, विंग कमांडर, ग्रुप कैप्टन, और फिर 2019 में एयर कोमोडोर बने। उनकी मेहनत और अनुशासन ने उन्हें 2025 तक एयर वाइस मार्शल की रैंक तक पहुंचाया।

उनकी पहली बड़ी उड़ान मिग-21 विमान के साथ थी, जो उन्होंने 1990 के दशक में श्रीनगर एयरबेस से भरी थी। उस समय कश्मीर में हालात बहुत खराब थे, और हिलाल ने वहां से कई मिशन पूरे किए।

राफेल डील में अहम भूमिका

हिलाल अहमद उस वक्त भारत के लिए एयर अताशे के तौर पर फ्रांस में तैनात थे, जब राफेल डील को अंतिम रूप दिया जा रहा था। वे न सिर्फ राफेल विमानों की डिलीवरी के गवाह बने, बल्कि उन्होंने भारतीय ऑपरेशनल जरूरतों के मुताबिक हथियार (weaponization), कस्टमाइजेशन और ट्रेनिंग मॉड्यूल्स को भी सुपरवाइजज किया। उन्होंने यह सुनिश्चित किया कि इन विमानों में भारत की जरूरतों के हिसाब से बदलाव हों, जैसे कि ठंडे इलाकों में काम करने की क्षमता, लंबी दूरी की मेटियोर मिसाइलें, और दुश्मन के रडार को चकमा देने की तकनीक भी हो। यही नहीं, 27 जुलाई 2020 को वे राफेल फाइटर जेट को फ्रांस से भारत तक खुद उड़ाकर लाए और भारतीय रक्षा इतिहास में बड़ा इतिहास रचा।

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इसके अलावा, हिलाल ने ग्वालियर में मिराज स्क्वाड्रन के कमांडिंग ऑफिसर के तौर पर भी काम किया, जहां उन्होंने मिराज 2000 विमानों को उड़ाया और स्क्वाड्रन को मजबूती दी। उनके इस अनुभव ने उन्हें राफेल जैसे विमानों को समझने और उनकी तकनीक को भारतीय जरूरतों के हिसाब से ढालने में मदद की।

सूत्रों ने बताया कि उनकी अगुवाई में वायुसेना ने नई तकनीकों जैसे ड्रोन, साइबर सुरक्षा, और इलेक्ट्रॉनिक युद्धको अपनाया। हिलाल ने यह सुनिश्चित किया कि वायुसेना आज के समय की चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार हो।

ऑपरेशन सिंदूर में हिलाल की भूमिका

7 मई 2025 को भारत ने ऑपरेशन सिंदूर के तहत पाकिस्तान और पीओके में आतंकी ठिकानों पर सटीक हमले किए। यह कार्रवाई अप्रैल 2025 में पहलगाम में हुए आतंकी हमले का जवाब थी, जिसमें 26 लोग मारे गए थे। इस ऑपरेशन में राफेल विमानों का भी इस्तेमाल हुआ, जिन्होंने बहावलपुर में आतंकी ठिकानों को पूरी तरह तबाह कर दिया। हालांकि के ऑपरेशन सिंदूर के ऑन-ग्राउंड एक्जीक्यूशन में हिलाल अहमद का नाम सीधे तौर पर जुड़ा नहीं है, लेकिन सूत्रों के अनुसार, उनकी रणनीति और अनुभव ने इस अभियान को सफल बनाने में अहम भूमिका निभाई।

राफेल जैसे स्टेल्थ फाइटर जेट्स, स्कैल्प मिसाइल, हैमर बम और उनके ऑपरेशनल प्लांस में हिलाल अहमद की गहरी तकनीकी समझ और अनुभव ने वायुसेना को एक नई दिशा दी है। ऑपरेशन सिंदूर में जब पाकिस्तान के भीतर 100 किलोमीटर तक सटीक हमले किए गए, तो यह एयरफोर्स की तकनीकी परिपक्वता और रणनीतिक परिपक्वता का परिचायक था, जिसे बनाने में हिलाल अहमद जैसे अधिकारियों का योगदान अहम है।

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सूत्रों का कहना है कि हिलाल जैसे अनुभवी अधिकारियों की जानकारी और रणनीति इस तरह के बड़े अभियानों के लिए बहुत जरूरी होती है। राफेल विमानों को भारत लाने और उनकी तैयारी में हिलाल की मेहनत का असर इस ऑपरेशन में साफ दिखा। राफेल जैसे फाइटर जेट्स, स्कैल्प मिसाइल, हैमर बम और उनके ऑपरेशनल प्लांस में हिलाल अहमद की गहरी तकनीकी समझ और अनुभव ने वायुसेना को एक नई दिशा दी। राफेल विमानों ने जिस तरह से पाकिस्तान के भीतर 100 किलोमीटर तक आतंकी ठिकानों को नष्ट किया तो इसके पीछे हिलाल अहमद की पहले की मेहनत को श्रेय दिया जा रहा है।

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