📍नई दिल्ली | 7 months ago
LCA Tejas Mk-1A: हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) अगले साल जनवरी से अपने नए तेजस लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (LCA Mk-1A) के जरूरी ट्रायल्स शुरू करने जा रहा है। इनमें स्वदेशी बियोंड विजुअल रेंज मिसाइल स्वदेशी Astra, देश में निर्मित इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर सूट और इजरायली एल्टा रडार का परीक्षण शामिल होगा। एचएएल ने 31 मार्च 2025 तक भारतीय वायुसेना को पहला विमान सौंपने का लक्ष्य रखा है, जिसके लिए जरूरी सर्टिफिकेशन प्रक्रिया को पूरी किया जाना बाकी है।

LCA Tejas Mk-1A: GE इंजन आपूर्ति में देरी
तेजस Mk-1A के लिए F404 इंजन की आपूर्ति को लेकर एचएएल और अमेरिकी कंपनी GE एयरोस्पेस के बीच बातचीत चल रही है। भारतीय अधिकारियों ने हाल ही में अमेरिका का दौरा किया और बोस्टन के पास स्थित F404 प्रोडक्शन लाइन का निरीक्षण किया। GE ने संकेत दिया है कि उत्पादन संबंधी समस्याएं हल हो गई हैं, और मार्च 2025 तक इंजन की आपूर्ति शुरू हो सकती है। हालांकि, अभी तक सप्लाई को लेकर कोई तारीख फइनल नहीं हुई है।
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बता दें कि पहला विमान भारतीय वायुसेना (IAF) को 31 मार्च 2024 तक डिलीवरी होनी थी, लेकिन यह समय सीमा पूरी नहीं हो पाई। इसके पीछे कई कारण थे, जिनमें कुछ जरूरी सर्टिफकेशन में देरी और GE की तरफ से समय पर इंजन सप्लाई न किया जाना था। अमेरिकी कंपनी GE को वित्तीय वर्ष 2023-24 में HAL को छह इंजन सप्लाई करने थे।
सूत्रों ने बताया कि GE ने कुछ साल पहले मैसाचुसेट्स के लिन में F404 इंजन की प्रोडक्शन लाइन को बंद कर दिया था। जब उन्होंने इस प्रोडक्शन लाइन को फिर से शुरू किया, तो पुर्जों और कंपोनेंट्स के सर्टिफिकेशन से संबंधित कुछ दिक्कतें सामने आईं। अब उन सभी समस्याओं का समाधान कर लिया गया है। HAL के अधिकारियों ने इस महीने की शुरुआत में GE के प्रमुख विक्रेताओं के साथ भी बातचीत की है, और अब चीजें सही दिशा में बढ़ रही हैं।
पहला LCA Tejas Mk-1A मार्च 2025 तक
एचएएल सूत्रों ने बताया कि पहला LCA Mk-1A विमान भारतीय वायुसेना को जरूरी कॉन्फिगरेशन के साथ 31 मार्च 2025 तक सौंप दिया जाएगा। शुरुआती कुछ विमान रिजर्व इंजनों के साथ डिलीवर किए जाएंगे, जिन्हें GE के इंजन आने के बाद बदला जाएगा। HAL द्वारा बनाए गए पहले LCA Mk-1A को टेंपरेरी इंजन (कैटेगरी B) के साथ IAF को दिया जाएगा।
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भारतीय वायुसेना ने फरवरी 2021 में 83 Mk-1A लड़ाकू विमानों का ऑर्डर दिया था, जिनकी कीमत 48,000 करोड़ रुपये है। इसके अतिरिक्त, 97 और Mk-1A विमानों को करीब 67,000 करोड़ रुपये की लागत से खरीदने की योजना है। वायुसेना के मुताबिक, नए विमानों की देरी से उनकी सामरिक क्षमता पर असर पड़ सकता है।
तेजस Mk-1A अपने पुराने वर्जन Mk-1 के मुकाबले ज्यादा एडवांस है और इसे आधुनिक इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर सूट, उन्नत रडार और लंबी दूरी की मिसाइलों के साथ तैयार किया गया है। यह विमान वायुसेना की भविष्य की युद्धक क्षमताओं का महत्वपूर्ण हिस्सा होगा।
एचएएल ने नासिक में एक नई प्रोडक्शन लाइन स्थापित की है। इससे तेजस Mk-1A विमानों का प्रोडक्शन बढ़ाकर 24 विमानों प्रति वर्ष तक किया जा सकेगा। अभी बेंगलुरु 16 विमान सालाना बनाए जा सकते हैं।
LCA Tejas Mk-1A: इंजन उत्पादन के लिए साझेदारी
एचएएल और GE एयरोस्पेस ने F414 इंजन के संयुक्त उत्पादन के लिए समझौता किया है। ये इंजन तेजस Mk-2 कार्यक्रम के लिए बनाए जाएंगे। इस समझौते के तहत GE भारत में 80% तकनीकी हस्तांतरण (ToT) करेगा। यह साझेदारी भारत को स्वदेशी बड़े जेट इंजनों के विकास में मदद करेगी और निर्यात के लिए भी रास्ते खोलेगी।
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तेजस Mk-1A भारतीय वायुसेना के मॉर्डनाइजेशन के रोडमैप के बेहद महत्वपू्र्ण है। यह विमान लेटेस्ट तकनीक और आधुनिक हथियारों से लैस है, जो वायुसेना की युद्धक क्षमताओं को नई ऊंचाई प्रदान करेगा। वायुसेना की योजना है कि आने वाले दशक में लगभग 350 तेजस विमानों (Mk-1, Mk-1A और भविष्य के Mk-2) को सेवा में शामिल किया जाए।
भारतीय वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल एपी सिंह ने अक्टूबर 2024 में एचएएल को हर साल 24 विमान बनाने के अपने वादे पर कायम रहने की सलाह दी थी। उन्होंने कहा था कि इस परियोजना से मिले सबक भविष्य की परियोजनाओं जैसे कि LCA Mk-2 और एडवांस्ड मीडियम कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (AMCA) में भी लागू किए जाने चाहिए।
संसदीय समिति ने तेजस के प्रोडक्शन में देरी पर जताई चिंता
बता दें कि भारतीय वायुसेना (IAF) की ताकत बढ़ाने और स्क्वाड्रन की कमी को पूरा करने के लिए, संसद की रक्षा पर स्थायी समिति ने इसी शीत कालीन सत्र में रक्षा मंत्रालय (MoD) को निर्देश दिया है कि वह हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) को तेजस लड़ाकू विमानों के उत्पादन में तेजी लाने के लिए कहे। यह बात समिति के अध्यक्ष और बीजेपी सांसद राधा मोहन सिंह की अध्यक्षता में संसद में पेश की गई रिपोर्ट में कही गई।
रिपोर्ट में कहा गया कि भारतीय वायुसेना को पाकिस्तान और चीन के साथ संभावित दो-फ्रंट युद्ध की तैयारी के लिए 42 फाइटर स्क्वाड्रन की जरूरत है। हालांकि, वर्तमान में वायुसेना के पास केवल 31 सक्रिय स्क्वाड्रन हैं, जिनमें प्रत्येक में 16-18 लड़ाकू विमान होते हैं। समिति ने तेजस विमानों की देरी से डिलीवरी को लेकर भी चिंता जताई। HAL को 83 तेजस मार्क-1ए विमानों का ऑर्डर दिया गया था, जिसकी कुल लागत 48,000 करोड़ रुपये है। मार्च 2024 से इनकी डिलीवरी शुरू होनी थी, लेकिन अभी तक एक भी विमान वायुसेना को नहीं सौंपा गया है।
HAL को अपनी उत्पादन क्षमता बढ़ाने का निर्देश दिया गया है। रक्षा मंत्रालय, जो HAL का प्रमुख हिस्सेदार है, ने समिति को आश्वस्त किया है कि इस मामले में जरूरी कदम उठाए जा रहे हैं।
रक्षा मंत्रालय ने यह भी बताया कि वायुसेना ने 97 अतिरिक्त तेजस मार्क-1ए विमानों को खरीदने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। रक्षा अधिग्रहण परिषद ने इन विमानों की खरीद को प्रारंभिक मंजूरी दे दी है और इसके लिए औपचारिक प्रस्ताव मांगे गए हैं।