AWACS यानी एयरबोर्न अर्ली वॉर्निंग एंड कंट्रोल सिस्टम, किसी भी देश की वायुसेना के लिए आंख और कान का काम करता है। ये विमान 350 किलोमीटर दूर तक दुश्मन की गतिविधियों को ट्रैक कर सकते हैं, चाहे वह लड़ाकू विमान हो, मिसाइल हो या तोपखाना। इसके साथ ही ये सिस्टम ऑपरेशन के दौरान अपने जेट्स को दिशा और डेटा भी भेजता है, जिससे वायुसेना का रिस्पॉन्स और तेज और सटीक हो जाता है...
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📍नई दिल्ली | 10 Jun, 2025, 9:35 PM

Post Operation Sindoor: पिछले महीने हुए ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत की वायुसेना (IAF) खुद को और मजबूत बनाने की तैयारियों में जुटी है। रक्षा मंत्रालय अब छह नए एम्ब्राएर एयरक्राफ्ट खरीदने की योजना बना रहा है, जिन्हें AWACS (Airborne Warning and Control System) यानी एयरबोर्न अर्ली वॉर्निंग एंड कंट्रोल सिस्टम में बदला जाएगा। इसके साथ ही वायुसेना को और छह मिड-एयर रिफ्यूलर (हवाई ईंधन भरने वाले विमान) भी मिलने वाले हैं। इसे लेकर जल्द ही रक्षा अधिग्रहण परिषद (DAC) की बैठक होने वाली है, जिसकी अध्यक्षता रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह करेंगे।

Post Operation Sindoor: AWACS क्या है और इसकी क्यों जरूरत है?

AWACS यानी एयरबोर्न अर्ली वॉर्निंग एंड कंट्रोल सिस्टम, किसी भी देश की वायुसेना के लिए आंख और कान का काम करता है। ये विमान 350 किलोमीटर दूर तक दुश्मन की गतिविधियों को ट्रैक कर सकते हैं, चाहे वह लड़ाकू विमान हो, मिसाइल हो या तोपखाना। इसके साथ ही ये सिस्टम ऑपरेशन के दौरान अपने जेट्स को दिशा और डेटा भी भेजता है, जिससे वायुसेना का रिस्पॉन्स और तेज और सटीक हो जाता है।

भारत के पास अभी DRDO के बनाए Netra Mk1 और इजरायली फाल्कन रडार सिस्टम वाले तीन विमान हैं। लेकिन पाकिस्तान के पास 8 Saab-2000 AEW&C विमान हैं, जिनमें Erieye रडार सिस्टम लगा है। इसके अलावा चार चीनी ZDK-03 AEW&C, तीन Dassault Falcon DA-20 इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर एयरक्राफ्ट भी उसके पास मौजूद हैं।

बता दें कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारत की वायुसेना ने S-400 एयर डिफेंस सिस्टम के जरिए एक पाकिस्तानी Saab-2000 AEW&C विमान को 314 किलोमीटर दूर से मार गिराया था।

Post Operation Sindoor: भारत का स्वदेशी Netra Mk1A

नई योजना के तहत भारत ब्राजील से छह अतिरिक्त एम्ब्राएर एयरक्राफ्ट खरीदेगा। इन विमानों को डीआरडीओ के बनाए नेत्रा मार्क 1ए एक्टिव इलेक्ट्रॉनिकली स्कैन्ड एरे (AESA) रडार के साथ एयरबोर्न अर्ली वॉर्निंग एंड कंट्रोल (AEW&C) सिस्टम में बदला जाएगा।

ये रडार सिस्टम मौजूदा Netra Mk1 से कहीं ज्यादा सटीक, तेज और बेहतर डेटा लिंकिंग क्षमताओं से लैस होगा। Netra Mk1A न केवल दुश्मन की मूवमेंट को दूर से पहचान सकता है, बल्कि अपने नेटवर्क से जुड़े सभी लड़ाकू विमानों, ड्रोन और ग्राउंड सिस्टम को रियल-टाइम इंटेलिजेंस भी देता है। जिससे ऑपरेशन को फायदा मिलता है।

मिड-एयर रिफ्यूलर

फिलहाल भारत के पास 6 IL-78 मिड-एयर रिफ्यूलर हैं जो रूस से खरीदे गए थे। लेकिन अब रक्षा मंत्रालय एक KC-135 Stratotanker को अमेरिका के मेट्रिया मिलिट्री कॉन्ट्रैक्टर से वेट लीज पर ले रहा है और 6 नए रिफ्यूलर विमानों की खरीद के लिए रिक्वेस्ट फॉर प्रपोजल (RFP) जारी कर चुका है।

मिड-एयर रिफ्यूलर की खासियत यह है कि यह हवाई जहाजों को उड़ान के दौरान ही ईंधन भर सकता है, जिससे मिशन की रेंज बढ़ जाती है। ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारतीय वायुसेना ने लगभग 13 पाकिस्तानी सैन्य ठिकानों पर हमले किए, जिनमें कुछ उत्तर में पेशावर से लेकर दक्षिण में हैदराबाद तक फैले थे। ऐसे ऑपरेशन के लिए लंबी दूरी तक बिना रुके उड़ान भरने की क्षमता बेहद जरूरी हो जाती है।

Post Operation Sindoor: चीन और तुर्की के हथियारों पर होगी ‘रिसर्च’

ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारतीय सेना ने पाकिस्तान और पीओके में नौ आतंकी ठिकानों पर बमबारी की और कम से कम 100 आतंकियों को मार गिराया। भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान के 13 हवाई अड्डों और सैन्य ठिकानों को भी निशाना बनाया। मंगलवार को यह खुलासा हुआ कि 7 से 10 मई के बीच हुए इस संघर्ष में भारत ने पाकिस्तान के पेशावर से लेकर हैदराबाद तक कई स्थानों पर ड्रोन हमले किए थे।

पाकिस्तान ने ऑपरेशन सिंदूर के जवाब में ऑपरेशन बुनयान-उम-मरसूस शुरू किया था, जो महज आठ घंटे में विफल हो गया। सीडीएस जनरल अनिल चौहान ने मंगलवार को कहा कि पाकिस्तान का भारत को 48 घंटे में घुटनों पर लाने का दावा पूरी तरह खोखला साबित हुआ। ऑपरेशन सिंदूर का मकसद पहलगाम में हुए आतंकी हमले का जवाब देना था, जिसमें 26 लोगों की जान गई थी।

ऑपरेशन के दौरान पाकिस्तानी सेना ने चीन और तुर्की के बने हथियार इस्तेमाल किए थे, जो बेकार साबित हुए औऱ भारतीय सीमा में आकर गिर गए। जिनमें चीन की PL-15ई हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइल, फतह रॉकेट और तुर्की निर्मित YIHA ड्रोन शामिल हैं। इन हथियारों का विश्लेषण भारत के शीर्ष तकनीकी विशेषज्ञों द्वारा किया जा रहा है। भारत अब एकमात्र ऐसा देश है जिसके पास चीनी हथियार प्रणालियों जैसे J-10, JF-17 फाइटर जेट, HQ-9 एय़र डिफेंस सिस्टम और SH-15 हॉवित्जर का रियल टाइम वार में परफॉरमेंस का डेटा उपलब्ध है। इससे भारत को भविष्य की रणनीतियों में काफी मदद मिलने वाली है।

7 जून, 2025 को सैन्य प्रमुखों और राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े लोगों की एक बैठक हुई। इस बैठक में ऑपरेशन सिंदूर से मिले सबकों पर चर्चा हुई। इस बैठक में यह सहमति बनी कि भारत को अपनी सैन्य क्षमताओं को और बढ़ाने की जरूरत है। विशेषज्ञों का मानना है कि पाकिस्तान भविष्य में चीन से और अधिक हथियार हासिल करेगा। चीन पहले से ही पाकिस्तान को युआन-क्लास डीजल पनडुब्बियां, फ्रिगेट्स और आर्म्ड ड्रोन उपलब्ध करा रहा है। इसके अलावा, तुर्की भी पाकिस्तान को कॉर्वेट्स बना रहा है, अगस्ता 90बी पनडुब्बियों को अपग्रेड कर रहा है और F-16 विमानों के लिए स्पेयर पार्ट्स की सप्लाई कर रहा है। सूत्रों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि इस खरीद का मकसद पाकिस्तान और अन्य पड़ोसी देशों की बढ़ती सैन्य क्षमताओं का जवाब देना है।

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साथ ही, बैठक में यह आशंका भी जताई गई है कि भविष्य में पाकिस्तान के जिहादी ग्रुप भारत पर बड़े पैमाने पर आत्मघाती हमला कर सकते हैं। ऐसे में भारतीय सेना को न केवल जवाबी हमले के लिए तैयार रहना होगा, बल्कि पहले से ही इलेक्ट्रॉनिक निगरानी क्षमता को और मजबूत करना होगा।

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