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📍नई दिल्ली | 7 months ago

Who is Anastasia Lavrina: पाकिस्तान की इंटर-सर्विसेज पब्लिक रिलेशंस (ISPR) और अज़रबैजान की पत्रकार अनास्तासिया लावरीना (Anastasia Lavrina) को लेकर एक नई चर्चा सामने आई है। दावा किया जा रहा है कि पाकिस्तान ने कश्मीर पर अपने प्रोपेगेंडा को आगे बढ़ाने के लिए लावरीना को एक लॉबिस्ट और कैंपेनर के तौर पर शामिल किया है।

Who is Anastasia Lavrina? Pakistan’s New Propaganda Tool on Kashmir!

Anastasia Lavrina: पाकिस्तान-अजरबैजान गठजोड़

पाकिस्तान और अज़रबैजान के बीच हाल के वर्षों में संबंध काफी मजबूत हुए हैं। दोनों देशों ने रणनीतिक रूप से एक-दूसरे का समर्थन किया है। पाकिस्तान ने नागोर्नो-काराबाख के संघर्ष में अजरबैजान का समर्थन किया था, जबकि अजरबैजान ने खुले तौर पर कश्मीर पर पाकिस्तान के रुख का समर्थन किया है।

इसके अलावा, दोनों देशों ने रक्षा, ऊर्जा और बुनियादी ढांचे के क्षेत्रों में करीब 2 बिलियन डॉलर के निवेश समझौतों पर दस्तखत किए हैं। ऐसे में यह गठजोड़ केवल कूटनीति तक सीमित नहीं है, बल्कि आर्थिक और सैन्य सहयोग में भी गहराई तक जुड़ा हुआ है।

भारत और आर्मेनिया के संबंधों से चिढ़े अजरबैजान और पाकिस्तान

विश्लेषकों का मानना है कि भारत और आर्मेनिया के बढ़ते रक्षा और कूटनीतिक संबंध अज़रबैजान को रास नहीं आ रहे हैं। हाल के वर्षों में, भारत ने आर्मेनिया को एडवांस विपेंस की सप्लाई की है, जिसमें स्वदेशी पिनाका मल्टी-बैरल रॉकेट लॉन्चर, स्वाति रडार और अन्य रक्षा उपकरण शामिल हैं। यह सहयोग अज़रबैजान के लिए चिंता का विषय बन गया है, क्योंकि वह आर्मेनिया के साथ दशकों से विवादित नागोर्नो-कराबाख क्षेत्र को लेकर संघर्षरत रहा है।

इसी के चलते अजरबैजान पाकिस्तान के साथ अपनी रक्षा साझेदारी को और मजबूत कर रहा है, ताकि वह भारत-आर्मेनिया गठबंधन का जवाब दे सके। अजरबैजान ने पाकिस्तान से JF-17 थंडर लड़ाकू विमानों की खरीद की पुष्टि की है, जिसे चीन और पाकिस्तान ने मिलकर बनाया है। इसके अलावा, दोनों देशों के बीच संयुक्त रक्षा उत्पादन और सैन्य सहयोग बढ़ाने की भी योजना है।

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Anastasia Lavrina: अजरबैजान को JF-17 बेच रहा पाकिस्तान

हाल ही में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने हाल ही में बाकू में आयोजित पाकिस्तान-अज़रबैजान बिजनेस फोरम में हिस्सा लिया था। वहीं पाकिस्तान जल्द ही अजरबैजान को उसका पहला JF-17 थंडर लड़ाकू विमान सौंपने वाला है। पिछले साल 25 सितंबर 2024 को अजरबैजान के राष्ट्रपति को पाकिस्तान ने अपने JF-17C (ब्लॉक III) लड़ाकू विमानों का डेमो दिखाया था। अज़रबैजान पहले ही पाकिस्तान एयरोनॉटिकल कॉम्प्लेक्स के साथ JF-17C फाइटर जेट्स की खरीद को लेकर 1.6 बिलियन डॉलर की डील पर हस्ताक्षर कर चुका है। इस डील में गोला-बारूद की सप्लाई और पायलट ट्रेनिंग भी शामिल है।

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कौन हैं Anastasia Lavrina?

अनास्तासिया लावरीना एक अज़रबैजानी पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक हैं, जो अंतरराष्ट्रीय संबंधों और कूटनीति पर अपनी राय रखने के लिए जानी जाती हैं। उन्होंने CBC TV पर कई राजनीतिक कार्यक्रम होस्ट किए हैं और Institute for Development and Diplomacy में रिसर्च भी की है। इसके अलावा, उन्होंने अजरबैजान और पाकिस्तान के बीच मजबूत होते संबंधों पर भी खुलकर बात की है। लेकिन हाल ही में वह कश्मीर मुद्दे पर पाकिस्तान के समर्थन को लेकर सुर्खियों में आ गई हैं।

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क्या यह पाकिस्तान की मीडिया रणनीति का हिस्सा है?

लावरीना ने कई बार कश्मीर को लेकर पाकिस्तान की आधिकारिक नीति का समर्थन किया है। वह पाकिस्तान के नैरेटिव को खुलेआम प्रमोट करती हैं और भारत के रुख के विपरीत बयान देती रही हैं। सवाल यह है कि क्या यह सब सिर्फ उनकी व्यक्तिगत राय है या फिर पाकिस्तान के प्रचार अभियान का हिस्सा? हालांकि ऐसा पहली बार नहीं हुआ है जब पाकिस्तान ने अपनी बात को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मजबूती देने के लिए किसी विदेशी पत्रकार या विश्लेषक का इस्तेमाल किया हो। पाकिस्तान की इंटर-सर्विसेज पब्लिक रिलेशंस (ISPR), जो उसकी मीडिया रणनीति और इन्फॉर्मेशन वॉरफेयर को संभालती है, लंबे समय से ऐसे विदेशी चेहरों को अपने नैरेटिव को बढ़ाने के लिए इस्तेमाल करती रही है। पिछले कुछ वर्षों में ISPR ने अंतरराष्ट्रीय मीडिया में अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए लॉबिंग और प्रचार अभियानों पर भारी खर्च किया है।

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हालांकि, इस दावे के समर्थन में कोई ठोस सबूत नहीं है कि अनास्तासिया लावरीना को आधिकारिक रूप से ISPR ने हायर किया है। लेकिन उनके विचारों और पाकिस्तान समर्थित मीडिया संगठनों में उनकी बढ़ती मौजूदगी को देखते हुए इस बात की संभावना व्यक्त की जा रही है। कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि लावरीना का प्रचार अभियान अजरबैजान के अपने भू-राजनीतिक उद्देश्यों से भी जुड़ा हुआ है। अज़रबैजान अपने पड़ोसी देश अर्मेनिया के साथ नागोर्नो-काराबाख विवाद में उलझा हुआ है, अंतरराष्ट्रीय मंचों पर समर्थन जुटाने के लिए पाकिस्तान के साथ अपने संबंधों को मजबूत कर रहा है। कई विश्लेषकों का मानना है कि लावरीना पहले अर्मेनिया के खिलाफ दुष्प्रचार करने में विफल रही थीं और अब पाकिस्तान के कश्मीर प्रोपेगेंडा को बढ़ावा देने की कोशिश कर रही हैं।

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