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इस नए संगठन में कई दक्षिण एशियाई और मध्य एशियाई देशों को शामिल करने की योजना है। इसमें श्रीलंका, मालदीव, अफगानिस्तान और बांग्लादेश जैसे देश शामिल हो सकते हैं। भारत को भी इसमें शामिल करने की बात कही जा रही है। दूसरी ओर, पाकिस्तानी अधिकारियों का कहना है कि यह संगठन SAARC की तरह पुराने ढांचे से हटकर होगा। इसका मकसद क्षेत्र में व्यापार, संपर्क और राजनीतिक सहयोग को बढ़ाना होगा...
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📍नई दिल्ली | 3 weeks ago

New South Asia Bloc: 19 जून को चीन के कुनमिंग में एक खास बैठक हुई, जिसमें चीन, पाकिस्ताान और बांग्लादेश शामिल हुए। इस बैठक को लेकर कयास लगाए जाने लगे कि तीनों देश मिल कर कोई खिचड़ी पका रहे हैं। लेकिन अब साफ हुआ है कि पाकिस्तान और चीन मिलकर दक्षिण एशिया में एक नया क्षेत्रीय संगठन बनाने की योजना बना रहे हैं। यह कदम दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (SAARC) की कमजोरी और उसकी निष्क्रियता को देखते हुए उठाया जा रहा है। SAARC में भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश, श्रीलंका, नेपाल, भूटान, मालदीव और अफगानिस्तान शामिल हैं, जो पिछले कुछ सालों से ठंडे बस्ते में पड़ा हुआ है।

इस बैठक में बांग्लादेश के शामिल होने लेकर भी सवाल उठ खड़े हुए। क्योंकि वहां फिलहाल अभी कार्यकारी सरकार है। हालांकि बांग्लादेश ने इस त्रिपक्षीय बैठक को लेकर साफ किया कि यह कोई राजनीतिक गठबंधन या नया संगठन बनाने की कोशिश नहीं थी। बांग्लादेश के विदेश मामलों के सलाहकार एम. तौहीद हुसैन ने कहा कि कुनमिंग, चीन में 19 जून 2025 को हुई बैठक केवल आधिकारिक स्तर की थी और इसमें किसी भी तरह के गठबंधन का कोई तत्व शामिल नहीं था। उन्होंने कहा था, “हम किसी गठबंधन का गठन नहीं कर रहे हैं।” बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने इस बात पर जोर दिया कि बैठक का मकसद आर्थिक सहयोग और क्षेत्रीय संपर्क बढ़ाना था, न कि किसी तीसरे पक्ष के खिलाफ कोई मोर्चा बनाना।

New South Asia Bloc: क्या है खबर का आधार?

लेकिन सच किसी से छिपता नहीं है और सामने आ ही जाता है। यह जानकारी सबसे पहले पाकिस्तान के अखबार “एक्सप्रेस ट्रिब्यून” में छपी। अखबार ने बताया कि पाकिस्तान और चीन के बीच एक नई क्षेत्रीय व्यवस्था बनाने की बात चल रही है। इस योजना को लेकर कूटनीतिक स्रोतों ने दावा किया कि दोनों देश इसे SAARC का विकल्प मान रहे हैं। खबर के मुताबिक, हाल ही में चीन, पाकिस्तान और बांग्लादेश के बीच एक त्रिपक्षीय बैठक कुनमिंग (चीन) में हुई। इस बैठक में नई क्षेत्रीय साझेदारी की रूपरेखा पर चर्चा हुई। हालांकि, अभी तक इसकी आधिकारिक घोषणा नहीं हुई है।

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SAARC क्यों ठप हो गया?

SAARC की शुरुआत 1985 में हुई थी और इसमें भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश, नेपाल, श्रीलंका, भूटान, मालदीव और अफगानिस्तान जैसे देश शामिल हैं। सार्क का मकसद था कि क्षेत्र में व्यापार, आपसी संपर्क और राजनीतिक बातचीत बढ़े। लेकिन 2016 के बाद से SAARC की गतिविधियां लगभग ठप हो गई हैं। आखिरी SAARC सम्मेलन 2014 में काठमांडू (नेपाल) में हुआ था। 2016 में प्रस्तावित सम्मेलन को भारत ने उरी आतंकी हमले (Uri Terror Attack) के बाद बहिष्कार कर दिया था, जिसमें सेना के 19 जवान शहीद हुए थे। इसके बाद बांग्लादेश, भूटान और अफगानिस्तान ने भी सम्मेलन में शामिल होने से इनकार कर दिया था। तभी से यह संगठन निष्क्रिय है।

‘कुनमिंग त्रिपक्षीय’ बैठक में पड़ी नींव!

रिपोर्ट्स के अनुसार, जून 2025 में चीन के कुनमिंग शहर में पाकिस्तान, चीन और बांग्लादेश के अधिकारियों के बीच एक ‘त्रिपक्षीय बैठक’ (Trilateral Meeting) हुई। इसमें क्षेत्रीय संपर्क (Connectivity), व्यापार और राजनीतिक समन्वय जैसे मुद्दों पर चर्चा हुई। इसे एक ट्रायल बलून (Trial Balloon) यानी एक प्रयोग के तौर पर देखा जा रहा है, जिससे यह आंका जा सके कि छोटे देशों में इस तरह के समूह के प्रति कितनी रुचि है।

कैसा होगा नया संगठन?

अखबार के मुताबिक, इस नए संगठन में कई दक्षिण एशियाई और मध्य एशियाई देशों को शामिल करने की योजना है। इसमें श्रीलंका, मालदीव, अफगानिस्तान और बांग्लादेश जैसे देश शामिल हो सकते हैं। भारत को भी इसमें शामिल करने की बात कही जा रही है। दूसरी ओर, पाकिस्तानी अधिकारियों का कहना है कि यह संगठन SAARC की तरह पुराने ढांचे से हटकर होगा। इसका मकसद क्षेत्र में व्यापार, संपर्क और राजनीतिक सहयोग को बढ़ाना होगा।

चीन की दिलचस्पी क्यों?

हालांकि चीन SAARC का सदस्य नहीं है, लेकिन पिछले कुछ सालों में उसने बेल्ट ऐंड रोड इनिशिएटिव (BRI) के जरिए दक्षिण एशिया में अपना प्रभाव काफी बढ़ाया है। BRI एक ऐसा प्रोजेक्ट है, जिसमें चीन दुनियाभर में सड़क, रेल और बंदरगाह बनाकर अपने व्यापार को बढ़ाना चाहता है। पाकिस्तान के साथ उसका CPEC (China-Pakistan Economic Corridor) प्रोजेक्ट पहले से चल रहा है। अब वह बांग्लादेश, नेपाल, श्रीलंका और मालदीव जैसे देशों में भी निवेश कर रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि चीन इस क्षेत्र में एक नया मंच बनाकर SAARC की जगह लेना चाहता है, ताकि वह अपनी आर्थिक और राजनीतिक पकड़ को मजबूत कर सके।

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क्या भारत होगा इस नए समूह से बाहर?

पाकिस्तान और चीन दोनों के साथ ही भारत के संबंध में तनाव से गुजर रहे हैं। ऐसे में भारत के इस नए समूह का हिस्सा बनने की संभावना बेहद कम है। पाकिस्तान और चीन के बीच हुई बातचीत में यह बात सामने आई है कि SAARC को अनिश्चितकाल के लिए ‘सस्पेंड’ मान लिया गया है और अब समय है कि एक नया क्षेत्रीय मंच तैयार किया जाए।

विशेषज्ञों का मानना है कि भारत की मौजूदगी के बिना ऐसा कोई भी संगठन टिकाऊ (sustainable) नहीं होगा, क्योंकि भारत दक्षिण एशिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था और सैन्य शक्ति है। हालांकि भारत इस नए प्रस्ताव पर चुप्पी साधे हुए है। लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि भारत इसे लेकर सतर्क रहेगा। भारत को डर है कि अगर यह संगठन चीन के प्रभाव में चला गया, तो यह उसके हितों के खिलाफ हो सकता है। भारत पहले से ही चीन के BRI प्रोजेक्ट का विरोध करता आया है, क्योंकि उसका मानना है कि इससे उसकी संप्रभुता पर असर पड़ सकता है। दूसरी ओर, अगर भारत को इस संगठन में शामिल होने का निमंत्रण मिलता है, तो वह अपनी शर्तों पर ही इसमें हिस्सा लेगा।

बांग्लादेश का रुख क्या है?

बांग्लादेश ने फिलहाल किसी भी नए समूह में शामिल होने से इनकार किया है। अंतरिम सरकार के विदेश सलाहकार एम. तौहीद हुसैन ने स्पष्ट कहा कि कुनमिंग में जो बैठक हुई थी, वह कोई राजनीतिक गठबंधन नहीं था और न ही उसमें किसी प्रकार के ‘एलायंस’ की औपचारिक घोषणा हुई थी। उन्होंने यह भी कहा कि भारत के साथ बांग्लादेश के संबंध ‘रीअडजस्टमेंट’ की स्थिति में हैं और चीन-पाकिस्तान के साथ कोई नई व्यवस्था बनाने का फिलहाल कोई संकेत नहीं है।

श्रीलंका, नेपाल और अन्य देशों का क्या होगा?

नए ब्लॉक में श्रीलंका, नेपाल, मालदीव और अफगानिस्तान जैसे देशों को शामिल करने की योजना बताई जा रही है। लेकिन इन देशों की अपनी-अपनी आंतरिक समस्याएं हैं और वे खुलकर चीन या पाकिस्तान के पक्ष में खड़े नहीं हो सकते। अफगानिस्तान की स्थिति भी अनिश्चित है, क्योंकि वहां की सरकार में बदलाव के बाद उसका रुख साफ नहीं है। फिर भी, अगर चीन आर्थिक मदद देता है, तो अफगानिस्तान भी इसमें रुचि दिखा सकता है। यह अब देखना दिलचस्प होगा कि नेपाल, श्रीलंका, मालदीव जैसे देश इस नए प्रस्तावित समूह पर क्या प्रतिक्रिया देते हैं। ये सभी देश SAARC के सदस्य हैं, लेकिन भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव के कारण इनकी भूमिका सीमित हो गई थी। अगर चीन और पाकिस्तान मिलकर कोई नया समूह बनाते हैं, तो इन देशों की भागीदारी तय करेगी कि यह पहल कितनी सफल होगी।

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क्या SCO से जुड़ेगा नया ब्लॉक?

अनुमान \लगाया जा रहा है कि प्रस्तावित संगठन को शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के दायरे में लाया जा सकता है, जिसमें भारत और पाकिस्तान दोनों सदस्य हैं। अगर ऐसा होता है, तो यह जियोपॉलिटिकल संतुलन को और मुश्किल बना सकता है। SCO में भारत, पाकिस्तान, चीन और मध्य एशियाई देश शामिल हैं। यह दक्षिण एशिया व मध्य एशिया के देशों के लिए एक बड़ा मंच है। SCO की अगली शिखर बैठक 15-16 अक्टूबर 2025 को इस्लामाबाद में होने वाली है, और कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि इस दौरान इस नए ब्लॉक के बारे में कोई घोषणा हो सकती है।

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भारत के लिए क्यों है चिंता की बात

भारत के लिए इस मामले में चिंता की कई वजहें हो सकती हैं। अगर चीन, पाकिस्तान और बांग्लादेश मिलकर नया संगठन बनाते हैं, तो इससे चीन का दक्षिण एशिया में प्रभाव बढ़ सकता है। भारत का मानना है कि यह संगठन चीन के “बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव” (BRI) को आगे बढ़ाने का जरिया बन सकता है, जिसका हिस्सा होने से भारत पहले ही इनकार कर चुका है। इसके अलावा भारत और पाकिस्तान के बीच पहले से ही रिश्ते तनावपूर्ण हैं। अगर नया संगठन बनता है और पाकिस्तान इसमें प्रमुख भूमिका निभाता है, तो भारत के लिए इसमें शामिल होना मुश्किल होगा। इसके अलावा, श्रीलंका, मालदीव जैसे छोटे देश पहले से ही चीन के आर्थिक प्रोजेक्ट्स पर निर्भर हैं, और अगर ये देश नए संगठन में शामिल होते हैं, तो भारत के लिए हिंद महासागर क्षेत्र में अपनी स्थिति बनाए रखना मुश्किल हो सकता है। साथ ही, SAARC में भारत की अहम भूमिका है, लेकिन उसकी निष्क्रियता के कारण यह कमजोर पड़ा है, और अगर नया संगठन SAARC की जगह लेता है और भारत को इससे बाहर रखा जाता है, तो क्षेत्रीय नेतृत्व में भारत की स्थिति प्रभावित हो सकती है।

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