22 अप्रैल 2025 को पहलगाम की बैसरन घाटी में हुए आतंकी हमले ने जम्मू-कश्मीर को हिला दिया, जिसमें 26 पर्यटकों की जान गई। इस हमले से कश्मीर की पर्यटन इंडस्ट्री ठप हो गई, 10 लाख बुकिंग्स रद्द हुईं, और दो हफ्तों में 1000 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। सरकार ने 48 रिसॉर्ट्स बंद कर दिए, जिससे अनंतनाग और बारामूला के 70% लोग, जो पर्यटन पर निर्भर हैं, बेरोजगार हो गए...
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📍श्रीनगर | 3 May, 2025, 12:28 PM

Kashmir Tourism Halt: जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल 2025 को हुए आतंकी हमले ने न केवल 26 पर्यटकों की जान ली, बल्कि यहां की अर्थव्यवस्था और पर्यटन इंडस्ट्री को भी बड़ा झटका दिया। इस हमले के बाद पिछले दो हफ्तों में जम्मू-कश्मीर के पर्यटन क्षेत्र को 1000 करोड़ रुपये (लगभग 120 मिलियन डॉलर) से ज्यादा का नुकसान हुआ है। अप्रैल से जून तक का समय यहां पर्यटकों का सबसे बड़ा सीजन होता है, लेकिन हमले के बाद 10 लाख से ज्यादा बुकिंग्स रद्द हो चुकी हैं। यह हमला कश्मीर की तरक्की और निवेश की उम्मीदों पर भी भारी पड़ रहा है। Kashmir Tourism Halt: Pahalgam Terror Attack Triggers 10 Lakh Cancellations, Rs 1000 Cr Loss

Kashmir Tourism Halt: 48 रिसॉर्ट्स बंद

पहलगाम की बैसरन घाटी में हुए इस आतंकी हमले ने जम्मू-कश्मीर की पर्यटन इंडस्ट्री (Kashmir Tourism Halt) को हिलाकर रख दिया। सुरक्षा कारणों से सरकार ने यहां के 87 सरकारी पर्यटक रिसॉर्ट्स में से 48 को बंद कर दिया है। पहलगाम जैसे इलाके अपनी खूबसूरत वादियों और शांति के लिए जाने जाते हैं, जहां हर साल लाखों पर्यटक आते हैं। लेकिन इस हमले के बाद पर्यटकों में डर का माहौल बन गया है। अप्रैल से जून तक का समय कश्मीर में सबसे ज्यादा पर्यटकों का होता है। इस दौरान लोग यहां की ठंडी हवा, बर्फीले पहाड़, और शिकारा की सैर का मज़ा लेने आते हैं। लेकिन हमले के बाद हालात ऐसे हो गए कि 10 लाख से ज्यादा बुकिंग्स रद्द हो गईं। दो हफ्तों में ही पर्यटन इंडस्ट्री को 1000 करोड़ रुपये से ज्यादा का नुकसान हो गया। एक टूर ऑपरेटर मुजफ्फर अहमद ने बताया, “हमारा पूरा सीजन बर्बाद हो गया। पर्यटक डर गए हैं और कोई भी बुकिंग नहीं कर रहा।”

स्थानीय लोगों की आजीविका पर संकट

इस हमले का सबसे बड़ा असर कश्मीर (Kashmir Tourism Halt) के स्थानीय लोगों पर पड़ा है, खासकर अनंतनाग और बारामूला जैसे जिलों में। यहां 70% से ज्यादा लोग पर्यटन पर निर्भर हैं। होटल मालिक, होटल कर्मचारी, टट्टू मालिक, शिकारा चलाने वाले, और हस्तशिल्प के कारीगर अब बेरोजगार हो गए हैं। श्रीनगर और पहलगाम के बड़े होटल, जो इस सीजन में हाउसफुल रहते थे, अब खाली पड़े हैं। एक होटल मालिक गुलाम रसूल ने कहा, “हमले के बाद से एक भी गेस्ट नहीं आया। हमारे कर्मचारी बेरोजगार हो गए हैं।” वहीं टट्टू मालिक और शिकारा वाले भी इससे अछूते नहीं हैं। पहलगाम में टट्टू मालिक पर्यटकों को घाटी की सैर कराते हैं, लेकिन अब उनकी कमाई बंद हो गई। डल झील में शिकारा चलाने वाले भी खाली बैठे हैं। एक शिकारा वाले बशीर अहमद ने बताया, “पहले दिन में 10-12 सैर करवाते थे, लेकिन अब कोई सवारी ही नहीं है।” वहीं, कश्मीरी शॉल, कालीन, और दूसरी हस्तशिल्प की चीजें बेचने वाले कारीगरों का धंधा भी ठप हो गया।

निवेश और तरक्की पर असर

पहलगाम हमले ने न केवल पर्यटन (Kashmir Tourism Halt) को नुकसान पहुंचाया, बल्कि कश्मीर में निवेश और तरक्की की उम्मीदों को भी झटका दिया। जम्मू-कश्मीर में इस समय 25,000 करोड़ रुपये के प्रोजेक्ट्स चल रहे हैं। सरकार ने 1,767 प्रस्तावों को मंजूरी दी है, जिनमें स्वास्थ्य, बुनियादी ढांचा, और उद्योग से जुड़े प्रोजेक्ट्स शामिल हैं। लेकिन हमले के बाद इन प्रोजेक्ट्स पर अनिश्चितता के बादल मंडराने लगे हैं। यूएई की कंपनी ईमार ग्रुप ने श्रीनगर में ‘मॉल ऑफ श्रीनगर’ और दूसरी बड़ी परियोजनाओं के लिए 500 करोड़ रुपये का निवेश करने की योजना बनाई थी। इससे 10,000 से ज्यादा नौकरियां मिलने वाली थीं। लेकिन अब यह प्रोजेक्ट रुकने की कगार पर है। नून.कॉम, अल माया ग्रुप, जीएल एम्प्लॉयमेंट, और माटू इनवेस्टमेंट्स जैसी विदेशी कंपनियों ने भी निवेश के प्रस्ताव दिए थे, लेकिन अब वे पीछे हट सकती हैं। जम्मू-कश्मीर (Kashmir Tourism Halt) सरकार को 8,500 से ज्यादा आवेदन मिले हैं, जिनमें 1.69 लाख करोड़ रुपये के निवेश प्रस्ताव हैं। इनसे 6 लाख लोगों को नौकरी मिलने की उम्मीद थी। लेकिन हमले के बाद निवेशकों का भरोसा डगमगा गया है, और ये प्रोजेक्ट्स भी देरी का शिकार हो सकते हैं।

डर का माहौल: निवेशकों का भरोसा टूटा

इस हमले ने कश्मीर (Kashmir Tourism Halt) में डर का माहौल बना दिया है। जो निवेशक यहां पैसा लगाने की सोच रहे थे, वे अब डर रहे हैं। एक निवेशक ने नाम न बताने की शर्त पर कहा, “कश्मीर में बहुत संभावनाएं हैं, लेकिन इस तरह के हमले हमें डराते हैं। हमें लगता है कि यहां पैसा लगाना जोखिम भरा हो सकता है।” पहलगाम हमले (Kashmir Tourism Halt) ने कश्मीर की छवि को भी नुकसान पहुंचाया है। पहले यहां पर्यटक और निवेशक शांति और खूबसूरती की वजह से आकर्षित होते थे, लेकिन अब डर का माहौल बन गया है। इससे न केवल मौजूदा प्रोजेक्ट्स पर असर पड़ेगा, बल्कि भविष्य में नए निवेश को लाना भी मुश्किल हो सकता है।

रोजगार और अर्थव्यवस्था पर खतरा

जम्मू-कश्मीर (Kashmir Tourism Halt) में चल रहे प्रोजेक्ट्स और भविष्य की योजनाओं से 6 लाख से ज्यादा लोगों को नौकरी मिलने की उम्मीद थी। लेकिन हमले के बाद ये नौकरियां अब अनिश्चित हो गई हैं। पर्यटन और निवेश में कमी से यहां की अर्थव्यवस्था को बड़ा नुकसान हो सकता है। अगर पर्यटन और निवेश रुक गया, तो कश्मीर की अर्थव्यवस्था में मंदी आ सकती है। इससे स्थानीय लोगों की जिंदगी और मुश्किल हो जाएगी। साथ ही, जो लोग पहले से ही पर्यटन पर निर्भर थे, उनकी कमाई बंद हो चुकी है। अगर नए प्रोजेक्ट्स रुक गए, तो भविष्य में भी रोजगार के मौके कम हो जाएंगे।

पाकिस्तान नहीं चाहता कश्मीर में शांति

भारत का मानना है कि पहलगाम हमला (Kashmir Tourism Halt) पाकिस्तान की साजिश का हिस्सा है। भारत सरकार का कहना है कि पाकिस्तान नहीं चाहता कि कश्मीर में शांति और तरक्की हो। अगर कश्मीर में निवेश बढ़ा और लोग समृद्ध हुए, तो पाकिस्तान का कश्मीर पर दावा कमजोर हो जाएगा। इसलिए वह आतंकवाद को बढ़ावा देता है, ताकि यहां अशांति बनी रहे।
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वहीं पहलगाम हमले के बाद अगर जम्मू-कश्मीर (Kashmir Tourism Halt) की अर्थव्यवस्था और पर्यटन को फिर से पटरी पर लाना है, तो सरकार को अब यह सुनिश्चित करना होगा कि यहां सुरक्षा व्यवस्था मजबूत हो, ताकि पर्यटकों और निवेशकों का भरोसा वापस जीता जा सके। साथ ही, आतंकवाद के खिलाफ सख्त कदम उठाने होंगे, ताकि भविष्य में ऐसे हमले न हों। साथ ही, स्थानीय लोगों को भी मदद की जरूरत है। सरकार को उनके लिए वैकल्पिक रोजगार के मौके ढूंढने होंगे, ताकि उनकी आजीविका फिर से शुरू हो सके। अगर कश्मीर में शांति और तरक्की आई, तो यहां के लोग न केवल आर्थिक रूप से मजबूत होंगे, बल्कि देश की मुख्यधारा में भी शामिल हो सकेंगे।
हरेंद्र चौधरी

भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव की शुरुआत 22 अप्रैल को कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले से हुई, जिसमें पाकिस्तान समर्थित आतंकियों ने 26 नागरिकों को मार डाला। भारत ने इसका जवाब ‘सिंदूर’ नामक सैन्य ऑपरेशन के तहत पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) और पाकिस्तान के भीतर आतंकी ठिकानों पर हमले करके दिया।

हरेंद्र चौधरी

सूत्र ने कहा, “डीजीएमओ का अधिकार क्षेत्र केवल ऑपरेशनल डिटेल्स तक है। पाकिस्तान की ओर से बातचीत का दायरा बढ़ाने की कोशिश शायद अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के उस सोशल मीडिया पोस्ट से प्रेरित थी, जिसमें उन्होंने भारत-पाकिस्तान के बीच युद्धविराम कराने का श्रेय लिया था।”

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